Monday, April 8, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 में बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर ली गई ग्लोबल ग्रांट की रकम को हड़पने के मामले में रोटरी फाउंडेशन को गच्चा देने की पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल की कोशिशों को इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या की मदद मिलेगी क्या ?

जयपुर । डिस्ट्रिक्ट ग्रांट के हड़पे गए करीब 20 लाख रुपए वापस करने के लिए रोटरी फाउंडेशन की तरफ से मिली समय-सीमा को पूरा होने में मुश्किल से दो दिन बचे हैं, लेकिन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल पैसा वापस करते हुए 'लग' नहीं रहे हैं । रोटरी फाउंडेशन को गच्चा देने की अनिल अग्रवाल की कोशिश ने इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या को खासी मुश्किल में डाल दिया है । उल्लेखनीय है कि बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर ली गई ग्लोबल ग्रांट की करीब 20 लाख रुपए की रकम को हड़पने के मामले में रोटरी इंटरनेशनल ने यह अनोखा फैसला लिया है कि घपले के किस्से के 'साइड हीरोज' को तो सजा दे दी गई है, लेकिन किस्से के मुख्य 'हीरो' अनिल अग्रवाल को बचने का मौका दिया गया । अनिल अग्रवाल के नजदीकियों का ही कहना/बताना रहा है कि बचने का यह मौका उन्हें भरत पांड्या की 'कोशिशों' से ही मिला है । रोटरी फाउंडेशन की तरफ से अनिल अग्रवाल को बचने का मौका मिला, तो ऐसा लगा कि अनिल अग्रवाल घपलेबाजी की रकम वापस करके अपने ऊपर लगे दाग को धोने/मिटाने की कोशिश करेंगे; उन्होंने दावे/वायदे भी किए कि वह चार/पाँच किस्तों में उक्त रकम वापस कर रहे हैं - लेकिन रोटरी फाउंडेशन से मिली समय-सीमा में वह इकन्नी भी जमा करने की कोशिश करते नहीं नजर आए हैं । इससे लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट ग्रांट के हड़पे गए करीब 20 लाख रुपए वापस करने के मामले में अनिल अग्रवाल रोटरी फाउंडेशन को धोखा दे रहे हैं । ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि भरत पांड्या आगे भी उन्हें 'सजा' से बचा पायेंगे और/या उनकी मदद से हाथ खींच लेंगे ।
मामला अनिल अग्रवाल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर-काल - वर्ष 2013-14 में मंजूर हुई डिस्ट्रिक्ट स्पोंसर्ड ग्लोबल ग्रांट (नंबर 1420550) का है, जिसके तहत 32169 अमेरिकी डॉलर की रकम डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में आई । इस रकम को एक ओल्ड ऐज होम, एक कम्प्यूटर एजुकेशन सेंटर, एक टेलरिंग ट्रेनिंग सेंटर, एक प्रौढ़ शिक्षा केंद्र तथा प्राकृतिक चिकित्सा सुविधाओं से परिपूर्ण एक आयुर्वेदिक क्लीनिक खोलने में खर्च होना था; लेकिन इसमें बंदरबाँट हो गई और आरोपों के अनुसार यह कुछेक लोगों की जेबों में चली गई । रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों की पकड़ में मामला आया, और उन्होंने अनिल अग्रवाल से जबाव-तलब किया तो अनिल अग्रवाल ने यह तर्क देते हुए अपने आपको बचाने की कोशिश की कि आरोपित ग्रांट वास्तव में क्लब ग्रांट है, इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनका उससे कोई लेनादेना नहीं है । हालाँकि तथ्य बताते हैं कि रोटरी फाउंडेशन को उक्त ग्रांट के लिए आवेदन डिस्ट्रिक्ट ग्रांट के नाम से दिया गया था; स्वीकृत रकम डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में आई थी और जो अनिल अग्रवाल के हस्ताक्षर से ही अकाउंट से ली जा सकती थी और ली गई - और 'बँटी' । रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों के सामने मामले से अपने आपको बचाने की अनिल अग्रवाल की चालबाजियाँ काम नहीं आईं और उन्होंने अनिल अग्रवाल को जिम्मेदार ठहराते हुए ग्रांट की पूरी रकम रोटरी फाउंडेशन को वापस करने के लिए कहा । रोटरी फाउंडेशन की सिफारिश पर रोटरी इंटरनेशनल ने उक्त घपलेबाजी के मामले में डिस्ट्रिक्ट के दो क्लब्स को ग्रांट्स के लिए प्रतिबंधित कर देने का फैसला किया है; और साथ ही उनके दो पूर्व प्रेसीडेंट्स तथा एक वरिष्ठ रोटेरियंस को रोटरी में किसी भी अवॉर्ड तथा पोजीशन से प्रतिबंधित कर दिया गया है । रोटरी इंटरनेशनल की इस कार्रवाई से घबराए और परेशान हुए अनिल अग्रवाल ने इसके बाद दूसरा नाटक शुरू कर दिया ।
अनिल अग्रवाल ने रोटरी फाउंडेशन को विश्वास दिलाया कि वह 31 मार्च तक चार/पाँच किस्तों में उक्त रकम वापस कर देंगे । रोटरी फाउंडेशन ने उन्हें 10 अप्रैल तक पैसा जमा करा कर मामला क्लियर करने की समय-सीमा तय कर दी । अनिल अग्रवाल ने इस बीच तमाशेबाजी तो खूब की, जिसके तहत उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न पदाधिकारियों को समय समय पर मेल लिखी कि मैं आपको चेक देने कब आ जाऊं - हर किसी ने उन्हें जबाव दिया कि उन्हें चेक किसी को देना नहीं है बल्कि संबंधित एकाउंट में जमा करवाना है, जिससे कि मामला सुलटे । रोटरी फाउंडेशन द्वारा दी गई समय सीमा समाप्त होने में अभी जब दो कार्यदिवस बचे हैं, अनिल अग्रवाल ने लेकिन एक किस्त का चेक भी संबंधित एकाउंट में जमा नहीं करवाया है । इससे लग रहा है कि रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों द्वारा मिली रियायत का फायदा उठाते हुए अनिल अग्रवाल ने मामले को उलझाने की ही कोशिश की है, और पैसा वापस/जमा करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है । अनिल अग्रवाल की इस हरकत ने इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या के सामने गंभीर समस्या खड़ी कर दी है । भरत पांड्या ने अनिल अग्रवाल को इंदौर में होने वाली रोटरी जोन इंस्टीट्यूट में वीआईपी हॉस्पिटिलिटी कमेटी का चेयरमैन बनाया हुआ है; इंस्टीट्यूट में लेकिन लोग जब पूछेंगे कि रोटरी फाउंडेशन के साथ 'ठगी' करने वाले को उक्त कमेटी का चेयरमैन क्यों बनाया गया है - तो भरत पांड्या के लिए जबाव देना मुश्किल तो होगा ही । अनिल अग्रवाल के नजदीकियों को ही डर है कि भरत पांड्या ने अभी तक तो अनिल अग्रवाल को बचाया है; लेकिन पैसा वापस करने के मामले में अनिल अग्रवाल द्वारा की गई तमाशेबाजी से पैदा हुई स्थिति के चलते उनके लिए आगे अनिल अग्रवाल का बचाव कर पाना मुश्किल होगा । अनिल अग्रवाल हालाँकि अपने नजदीकियों को आश्वस्त कर रहे हैं कि रोटरी फाउंडेशन की तमाम कार्रवाई के बावजूद जैसे अभी तक उनका कुछ नहीं हुआ है, वैसे ही आगे भी उनका कुछ नहीं होगा ।