Friday, April 5, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह और उनके पति पूर्व गवर्नर विश्वदीप सिंह की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दोनों उम्मीदवारों के साथ 'दिखने' की कार्रवाई ने सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के अभियान को तगड़ा झटका दिया है

आगरा । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विश्वदीप सिंह का अपेक्षित समर्थन न मिल पाने के कारण सुनीता बंसल की उम्मीदवारी का अभियान जोर पकड़ने से पिछड़ता जा रहा है, जिस कारण उनके समर्थकों के बीच निराशा बढ़ती जा रही है । उल्लेखनीय है कि सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थकों ने जोरशोर से घोषणा की हुई थी कि विश्वदीप सिंह और उनकी पत्नी फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह का समर्थन सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के साथ है । इस घोषणा के जरिये सुनीता बंसल के समर्थकों का उद्देश्य दरअसल अगले लायन वर्ष की डिस्ट्रिक्ट टीम में प्रमुख पद पाने के आकांक्षी लोगों का समर्थन जुटाना था । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के समर्थन को वास्तव में इसीलिए महत्त्वपूर्ण माना/पहचाना जाता है, क्योंकि उसके पास ही पदों का लालच देकर वोट खींचने की क्षमता होती है । मधु/विश्वदीप सिंह की इसी क्षमता को देखते/पहचानते हुए सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थक उनके समर्थन के दावे करते हुए खासे जोश में थे । सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने/दिखाने के उद्देश्य से होली मिलन के बहाने से आगरा में जो पहला कार्यक्रम हुआ, उसमें मधु/विश्वदीप सिंह की उपस्थिति ने सुनीता बंसल के समर्थकों के जोश को और बढ़ाने का काम किया । लेकिन मधु/विश्वदीप सिंह जब सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे उम्मीदवार श्याम बिहारी अग्रवाल के कार्यक्रम में भी पहुँचे हुए दिखे, तो सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थकों का उक्त जोश ठंडा पड़ गया । उसके बाद भी मधु/विश्वदीप सिंह ने ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिसे सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थन में किये गए काम के रूप में देखा/पहचाना जा सके । इससे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के हौंसले पस्त हुए पड़े हैं ।
डिस्ट्रिक्ट की राजनीति की खेमेबाजी के समीकरणों से परिचित लोगों का मानना और कहना है कि खेमेबाजी के समीकरणों के आधार पर विश्वदीप सिंह को रहना/होना तो सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के साथ ही चाहिए; लेकिन पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए विश्वदीप सिंह फूँक-फूँक कर कदम रख रहे हैं और ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते हैं जिससे कि मधु सिंह का गवर्नर-वर्ष और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मधु सिंह का नाम खराब हो । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में विश्वदीप सिंह ने अपनी चौधराहट बनाने/दिखाने/चलाने के लिए काम तो धमाकेदार किए थे, लेकिन उनके नतीजों के रूप में उन्हें और डिस्ट्रिक्ट को सिर्फ बदनामी ही हाथ लगी थी । उस बदनामी के चलते विश्वदीप सिंह डिस्ट्रिक्ट में लोगों से इतने दूर हो गए कि कई वर्ष बाद जब उनकी पत्नी मधु सिंह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बनीं, तो चुनाव हार गईं । डिस्ट्रिक्ट में लोगों ने उस हार को मधु सिंह की हार के रूप में नहीं, बल्कि विश्वदीप सिंह की हार के रूप में देखा/पहचाना । उसके अगले वर्ष, जब मधु सिंह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनी गईं, तो अप्रत्याशित रूप से उन्हें उन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का भी समर्थन मिला, जो विश्वदीप सिंह के फैसलों के शिकार हुए थे - और इसी कारण से उनकी 'जीत' को विश्वदीप सिंह की जीत के बजाए 'मधु सिंह की जीत' के रूप में देखा/पहचाना गया । जो लोग विश्वदीप सिंह और मधु सिंह, दोनों को जानते हैं - उनका कहना/बताना है कि दोनों के स्वभाव व व्यवहार में जमीन/आसमान का अंतर है, और विश्वदीप सिंह का स्वभाव अभी भी लगभग पहले जैसा ही 'गर्म' है । लेकिन लगता है कि बुरे नतीजों और अनुभवों से विश्वदीप सिंह ने शायद इतना सबक सीख लिया है कि फालतू के पंगे करने से बचा जाये; और या उन्हें लगता हो कि उनकी गवर्नरी और गवर्नर के रूप में उन्हें जैसी जो बदनामी मिली, वैसा हाल मधु सिंह का न हो । लोगों को लगता है कि इसीलिए मधु/विश्वदीप सिंह सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में किसी एक उम्मीदवार के साथ 'दिखने' से बच रहे हैं ।
मधु/विश्वदीप सिंह की इस 'स्थिति' ने सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के लिए गंभीर चुनौती और मुसीबत खड़ी कर दी है । सुनीता बंसल की उम्मीदवारी को यूँ तो कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का समर्थन मिल रहा है, लेकिन फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह के पति होने के नाते विश्वदीप सिंह के समर्थन का उनके लिए खास महत्त्व था; विश्वदीप सिंह ने लेकिन दोनों उम्मीदवारों के साथ 'दिख' कर सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थकों को बुरी तरह निराश किया है और सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के अभियान को तगड़ा झटका दिया है । सुनीता बंसल की तरफ से हालाँकि खासी मेहनत की जा रही है, और रिश्तेदारियाँ निकाल निकाल कर उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है - जिस कारण सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव रोमांचपूर्ण होता दिख रहा है । लेकिन चुनावी राजनीति के समीकरणों में होने वाले उलटफेर से परिचित लोगों का मानना और कहना है कि चुनाव में जीत सिर्फ 'शोर-शराबे' से नहीं मिलती, उसके लिए ठोस व्यवस्था करना होती है और जो किसी महत्त्वपूर्ण 'ऑफिस' के जरिये होती है । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के 'ऑफिस' के समर्थन का शोर सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थकों ने दरअसल इसीलिए मचाया हुआ था - जिसे लेकिन मधु/विश्वदीप सिंह की दोनों उम्मीदवारों के साथ 'दिखने' की कार्रवाई ने झटका दिया हुआ है । एक समस्या और है, और वह यह कि सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थन में वह लोग भी देखे/पहचाने जा रहे हैं, पूर्व में जिनका विश्वदीप सिंह के साथ टंटा रहा है - ऐसे में उनका और विश्वदीप सिंह का एकसाथ सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थन में चलना मुश्किल ही है; और इसीलिए सुनीता बंसल के चुनाव अभियान में सक्रियता तो अच्छी दिख रही है, लेकिन वह सक्रियता चुनावी नजरिये से कोई प्रभाव बनाती/छोड़ती हुई नहीं नजर आ रही है; और यही बात सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थकों को निराश/हताश कर रही है ।