Sunday, April 21, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों के विरोध के बावजूद, राकेश मक्कड़ व अविनाश गुप्ता के दबाव में चेयरमैन हरीश जैन ओरिएंटेशन प्रोग्राम अमृतसर में करने के लिए मजबूर; वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता भी चुपचाप 'तमाशा' देखने में व्यस्त हुए

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की ब्रांचेज के मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों के लिए होने वाले ओरिएंटेशन प्रोग्राम को अमृतसर में करने के प्रस्ताव पर रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों के बीच मचे बबाल ने चेयरमैन हरीश जैन के साथ-साथ इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता को भी मुसीबत में फँसा दिया है । रीजनल काउंसिल के सेक्रेटरी पंकज गुप्ता और ट्रेजरर विजय गुप्ता फिजूलखर्ची का वास्ता देकर उक्त ओरिएंटेशन प्रोग्राम अमृतसर में करने का विरोध कर रहे हैं । इनका दावा है कि इस मामले में काउंसिल की वाइस चेयरपरसन श्वेता पाठक का समर्थन भी इनके साथ है । मामले को गंभीर रूप देते हुए इन्होंने उक्त प्रोग्राम के लिए जगह के चयन को लेकर एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) अपनाने की बात कही है । उल्लेखनीय है कि चेयरमैन की कुर्सी संभालते ही हरीश जैन ने बड़े जोरशोर से रीजनल काउंसिल के कामकाज में पारदर्शिता रखने की घोषणा की थी और दावा किया था कि कामकाज के तरीकों व फैसलों में वह एसओपी अपनायेंगे । ओरिएंटेशन प्रोग्राम को अमृतसर में करने का फैसला करते हुए हरीश जैन लेकिन अपनी घोषणा और अपने दावे को भूलते/छोड़ते दिख रहे हैं । यह मामला अतुल गुप्ता के गले की फाँस बनता हुआ भी नजर आ रहा है । दरअसल अतुल गुप्ता समय समय पर कार्यक्रमों के नाम पर होने वाली फिजूलखर्चियों का विरोध करते रहे हैं; ऐसे में सभी की निगाह इस बात पर है कि अब जब इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट के रूप में फिजूलखर्ची रोकने का उनके पास पूरा पूरा अधिकार आ गया है - तो वह फिजूलखर्ची रोकते हैं और या उसे होने देते हैं । 
ओरिएंटेशन प्रोग्राम को अमृतसर में किए जाने का विरोध करने वाले काउंसिल के ही पदाधिकारियों का कहना यह भी है कि उक्त प्रोग्राम वास्तव में उपयोगी और प्रभावी बन सके, इसके लिए जरूरी है कि यह दिल्ली में और या दिल्ली के आसपास के किसी शहर में हो । इस संबंध में उनका तर्क है कि ओरिएंटेशन प्रोग्राम में शामिल होने वाले ब्रांचेज की मैनेजमेंट कमेटी के नए सदस्यों के सामने यहाँ इंस्टीट्यूट के विभिन्न पदाधिकारियों से मिल कर अपने सवालों के जबाव पाना और उन्हें समझना आसान होगा; अमृतसर या दूर-दराज के किसी अन्य शहर में उन्हें यह सुविधा नहीं मिल सकेगी । सेंट्रल काउंसिल में नॉर्दर्न रीजन का प्रतिनिधित्व करने वाले कुछेक सदस्यों के साथ-साथ इंस्टीट्यूट के कई अधिकारियों का भी मानना और कहना है कि अमृतसर में प्रोग्राम होगा, तो पैसा भी अपेक्षाकृत ज्यादा खर्च होगा और प्रोग्राम अपने उद्देश्य को पूरा करने की बजाये एक पिकनिक बन कर रह जायेगा । मजे की बात यह है कि हरीश जैन के कुछेक नजदीकियों का कहना/बताना है कि हरीश जैन तो इस बात को समझ रहे हैं कि उक्त प्रोग्राम अमृतसर में करने से उसका उद्देश्य पूरा नहीं किया जा सकेगा, तथा वह तो दिल्ली में ही उक्त प्रोग्राम करना चाहते हैं - लेकिन पूर्व चेयरमैन राकेश मक्कड़ और रीजनल काउंसिल के मौजूदा सदस्य अविनाश गुप्ता के दबाव में, काउंसिल में अपने साथी पदाधिकारियों के विरोध के बावजूद वह अमृतसर में ही उक्त प्रोग्राम करने के लिए मजबूर हो रक्खे हैं । हरीश जैन को यह डर भी सत्ता रहा है कि प्रोग्राम के खर्चों पर आपत्ति करते हुए ट्रेजरर विजय गुप्ता ने यदि भुगतान में अड़ंगा डाला, तो चेयरमैन के रूप में फजीहत तो उनकी होगी । राकेश मक्कड़ और अविनाश गुप्ता हालाँकि उन्हें आश्वस्त किए हुए हैं कि विजय गुप्ता से खर्चों का भुगतान कैसे करवाना है, यह वह अच्छी तरह से जानते हैं ।
इस मामले में दिलचस्प नजारा यह देखने को मिल रहा है कि चेयरमैन होने के बावजूद हरीश जैन ने तो मामले में चुप्पी साध रखी है, और उनकी तरफ से राकेश मक्कड़ व अविनाश गुप्ता ही जोरशोर से दावे कर रहे हैं कि श्वेता पाठक, पंकज गुप्ता और विजय गुप्ता चाहें कितना ही विरोध कर लें - ओरिएंटेशन प्रोग्राम तो अमृतसर में ही होगा । इन दोनों का आरोप है कि उक्त प्रोग्राम के अमृतसर में होने का विरोध करने वाले काउंसिल के तीनों पदाधिकारियों का तो बात बात पर झगड़ा करने की आदत हो गई है, जिसके चलते यह हर बात का विरोध ही करते रहते हैं - कभी यह मंच पर बैठने को लेकर झगड़ा करते हैं, तो कभी फैकल्टी सदस्यों के चयन को लेकर विवाद खड़ा करते हैं । इन आरोपों से यह बात तो स्वतः साबित हो जाती है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल झगड़ों का अखाड़ा बनी हुई है और इसके पदाधिकारियों के बीच ही आरोप-प्रत्यारोप लगते/चलते रहते हैं । रीजनल काउंसिल की घटनाओं से परिचित रहने वाले लोगों का कहना है कि यह सब हरीश जैन की 'कमजोरी' के कारण भी हो रहा है । तीन-तिकड़म और धोखाधड़ी से हरीश जैन चेयरमैन तो बन गए, लेकिन लीडरशिप की कोई क्वालिटी उनमें नहीं है - और इसी वजह से काउंसिल के सदस्य व पदाधिकारी उन्हें चेयरमैन के रूप में नहीं, बल्कि राकेश मक्कड़ तथा अविनाश गुप्ता की कठपुतली के रूप में 'देखते' हैं । हरीश जैन के इसी 'रवैये' के कारण अतुल गुप्ता ओरिएंटेशन प्रोग्राम के अमृतसर में होने को लेकर मचे झगड़े से अपने आप को दूर रखे हुए हैं और चुपचाप तमाशा देख रहे हैं ।