नई दिल्ली । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के पद को लेकर शुरू में गर्मी खा रही राजनीति अब जिस तरह ठंडी पड़ती और गंतव्य पर पहुँचती दिख रही है, उसमें संभावित उम्मीदवारों में सबसे पीछे चल रहे विनय मित्तल की दाल गलने का मौका बनता नजर आ रहा है । उल्लेखनीय है कि अभी दो/ढाई महीने पहले तक मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद को लेकर राजनीतिक उठापटक खासी तेज थी, और उक्त पद के लिए लीडरशिप के बीच वीके हंस तथा बिरिंदर सोहल की दावेदारी पर चर्चा थी, और विरोधी उम्मीदवार के रूप में तेजपाल खिल्लन की सक्रियता थी । विनय मित्तल का नाम भी उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना तो जा रहा था, लेकिन चूँकि उनकी उम्मीदवारी की वकालत लीडरशिप का कोई बड़ा नेता नहीं कर रहा था - इसलिए संभावित चार उम्मीदवारों में उन्हें सबसे पीछे माना/समझा जा रहा था । लेकिन पिछले दिनों मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट तथा मल्टीपल के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में राजनीति की जैसी जो हवा चली, उसके चलते मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की चुनावी राजनीति के सारे समीकरण उलट-पलट गए । दरअसल वीके हंस और बिरिंदर सोहल अपने अपने डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक चक्रव्यूह में ऐसे फँसे कि उनकी वकालत करने वाले नेता पीछे हट गए और इस तरह मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की उनकी उम्मीदवारी पर नकारात्मक असर पड़ा । इनके उलट, विनय मित्तल ने अपने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपनी ऐसी धमक दिखाई, जो किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए सोची भी नहीं जा सकती है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय मित्तल ने जो हासिल किया, वह धैर्य-धीरज, मिलनसार, सभी को उचित सम्मान देने, ईमानदारी से काम करने और प्रशासनिक प्रबंधन की खूबी रखने जैसे अपने रवैये से हासिल किया । विनय मित्तल ने अपने इसी रवैये से मल्टीपल के छोटे-बड़े नेताओं तथा विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच अपनी पहचान, साख और विश्वसनीयता बनाई ।
मल्टीपल के नेताओं के बीच विनय मित्तल की पहचान, साख और विश्वसनीयता भले ही बनी हो; लेकिन मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए वकालत करने वाला नेता विनय मित्तल को तब भी नहीं मिला । वीके हंस तथा बिरिंदर सोहल की तरफ से निराश होने के बाद मल्टीपल के नेताओं के बीच प्रभात चतुर्वेदी का नाम आया । प्रभात चतुर्वेदी ने लेकिन निजी कारणों से मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनने से इंकार कर दिया । लीडरशिप के बीच मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के उम्मीदवार को लेकर असमंजस व अनिर्णय दिखा, तो तेजपाल खिल्लन ने अपनी उम्मीदवारी के लिए कमर कस ली । तेजपाल खिल्लन की सक्रियता ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए उम्मीदवार तय करने के मामले में लीडरशिप के नेताओं को चौकन्ना किया, और तब विनय मित्तल का नाम लीडरशिप के नेताओं के बीच चर्चा में आया । यह सच है कि लीडरशिप के नेताओं में विनय मित्तल की उम्मीदवारी का कोई 'वकील' नहीं है, लेकिन सच यह भी है कि विनय मित्तल के नाम पर किसी का कोई विरोध भी नहीं है । बल्कि अपने डिस्ट्रिक्ट में विनय मित्तल ने जो 'राजनीतिक धमाल' किया है, उसके 'राजनीतिक संदेशों' को 'पढ़ते' हुए लीडरशिप के नेताओं के बीच विनय मित्तल को लेकर एक बड़ी 'राजनीतिक उम्मीद' बनी है । लीडरशिप के बीच मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय मित्तल का नाम जिस तरह चर्चा में आ गया है, उसने विनय मित्तल की उम्मीदवारी को अचानक से महत्त्वपूर्ण और गंभीर बना दिया है ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए लीडरशिप के बीच विनय मित्तल की उम्मीदवारी के गंभीर रूप लेने का एक अन्य प्रमुख कारण विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच विनय मित्तल के लिए बना/दिखा समर्थन भी रहा । दरअसल धैर्य-धीरज, मिलनसार, सभी को उचित सम्मान देने, ईमानदारी से काम करने और प्रशासनिक प्रबंधन की खूबी रखने जैसे अपने रवैये से विनय मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट में अपनी जो धमक जमाई; उसी रवैये से उन्होंने विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों के बीच भी अपनी पहचान व साख बनाई - जो मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए समर्थन में परिवर्तित हुई नजर आ रही है । लीडरशिप के नेताओं ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की राय जानने का काम किया, तो उन्हें विनय मित्तल के लिए अच्छा समर्थन दिखा । इस बार लीडरशिप के व्यवहार में एक बड़ा परिवर्तन यह भी देखने में आ रहा है कि वह अपनी पसंद थोपने की जिद नहीं पकड़े हुए है, और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की राय को भी महत्त्व देती हुई नजर आ रही है और उन्हें विश्वास में लेकर एक बेहतर प्रशासनिक क्षमता के व्यक्ति को ही मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के पद पर लाना चाहती है । इस चक्कर में मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय मित्तल की उम्मीदवारी महत्त्वपूर्ण होती हुई लग रही है । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में अभी हालाँकि करीब एक महीने से कुछ अधिक का समय बाकी है और इतना समय बड़े उलट-फेर के लिए काफी माना जाता है - लेकिन इस बार मल्टीपल की चुनावी राजनीति जिस सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटती दिख रही है, और लीडरशिप छोटे-छोटे झगड़े आपसी बातचीत से हल करने तथा उन्हें बढ़ने न देने में दिलचस्पी ले रही है, उससे लगता नहीं है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद को लेकर अब ज्यादा उथल-पुथल होने का मौका बचा है; लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए - यह भी दावे के साथ कोई नहीं कह सकता है ।