Monday, October 28, 2013

एमसीआई में प्रतिनिधित्व को लेकर हो रहे चुनाव में डॉक्टर विनय अग्रवाल के खिलाफ चलाये जा रहे डॉक्टर पंकज सिंघल के प्रचार अभियान ने प्रोफेशन को कलंकित किया हुआ है

नई दिल्ली । एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) में दिल्ली प्रदेश काउंसिल का प्रतिनिधित्व करने को लेकर छिड़ी चुनावी लड़ाई में सड़क छाप राजनीति के सारे नज़ारे और तमाशे देखे जा सकते हैं । एमसी आई में दिल्ली प्रदेश काउंसिल का प्रतिनिधित्व करने को लेकर जो दो उम्मीदवार - डॉक्टर विनय अग्रवाल और डॉक्टर पंकज सिंघल चुनावी मैदान में हैं; उन्हें ऐसी-ऐसी बातों को लेकर निशाना बनाया जा रहा है जिनका प्रोफेशन और प्रोफेशन की बुनियादी जरूरतों से दूर-दूर तक का कोई वास्ता नहीं है । एमसीआई में दिल्ली प्रदेश काउंसिल का प्रतिनिधि करेगा क्या, कैसे करेगा और कुछ कर भी सकेगा या नहीं - इसे लेकर कोई बात नहीं हो रही है । बात हो रही है एक दूसरे की बेईमानियों की । जिम्मेदार डॉक्टर्स का कहना है कि चुनाव में जो दो उम्मीदवार हैं, उन पर किसी भी तरह के कोई आरोप यदि रहे भी हैं तो अब मजबूरी यह है कि इन्हीं दोनों में से किसी एक को चुनना है इसलिए समझने की कोशिश यह होनी चाहिए की इनमें से कौन एमसीआई में दिल्ली प्रदेश काउंसिल का प्रभावी तरीके से प्रतिनिधित्व कर पायेगा । लेकिन यही समझने की कोशिश नहीं हो रही है और पूरे चुनावी अभियान को गटर छाप बना दिया गया है ।
इसकी शुरुआत करने का श्रेय डॉक्टर पंकज सिंघल को है । डॉक्टर पंकज सिंघल पिछले काफी समय से अलग-अलग मुद्दों पर अलग-अलग तरीके से डॉक्टर विनय अग्रवाल को घेरने की कोशिश करते रहे हैं । डॉक्टर पंकज सिंघल की अभी तक की कोशिशों को डॉक्टर विनय अग्रवाल के साथ उनकी व्यक्तिगत किस्म की रंजिश या खुन्नस के रूप में देखा/पहचाना जाता रहा है । लेकिन एमसीआई में प्रतिनिधित्व की चुनावी लड़ाई में डॉक्टर पंकज सिंघल ने जिस तरह डॉक्टर विनय अग्रवाल के खिलाफ ताल ठोकी है, उसे देख कर लगता है कि डॉक्टर पंकज सिंघल को मेडिकल प्रोफेशन में डॉक्टर विनय अग्रवाल के दूसरे विरोधियों से खाद-पानी न सिर्फ मिल रहा है, बल्कि वह डॉक्टर विनय अग्रवाल के विरोधियों के हाथों इस्तेमाल भी हो रहे हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य डॉक्टर विनय अग्रवाल को बदनाम करना भर है ।
दरअसल, एमसीआई में प्रतिनिधित्व को लेकर उत्सुकता दिखा रहे दिल्ली प्रदेश काउंसिल के तमाम सूरमाओं ने जिस तरह डॉक्टर विनय अग्रवाल के सामने समर्पण कर दिया, उसे देख कर डॉक्टर विनय अग्रवाल के विरोधियों का तगड़ा झटका लगा । डॉक्टर विनय अग्रवाल दिल्ली प्रदेश में एकमात्र नेता होने का तमगा न प्राप्त कर लें और लोगों के बीच ऐसा संदेश न जाये कि डॉक्टर विनय अग्रवाल का सामना करने का दम किसी में है ही नहीं - इसके लिए आनन-फानन में डॉक्टर पंकज सिंघल की उम्मीदवारी सामने लाई गई । उल्लेखनीय है कि दिल्ली प्रदेश में चलने वाली डॉक्टर्स की राजनीति में कई गुट सक्रिय हैं; इन गुटों की तरफ से एमसीआई में प्रतिनिधित्व को लेकर जो भी नाम चर्चा में थे उनमें डॉक्टर पंकज सिंघल का नाम कहीं नहीं था । दिल्ली में डॉक्टर्स की चुनावी राजनीति में डॉक्टर पंकज सिंघल की ऐसी हैसियत कभी दिखी भी नहीं कि उन्हें एमसीआई में प्रतिनिधित्व करने को लेकर होने वाले चुनाव के संभावित खिलाड़ी के रूप में देखा/पहचाना भी जाये । डॉक्टर पंकज सिंघल ने पीछे आईएमए की ईस्ट दिल्ली ब्रांच का जो चुनाव लड़ा था, उसमें उन्हें अपने प्रतिद्धंद्धी को मिले करीब ढाई हज़ार वोटों के मुकाबले मात्र 90 के करीब वोट मिले थे । डॉक्टर्स की सबसे छोटी चुनावी लड़ाई में इस गति को प्राप्त होने वाले डॉक्टर पंकज सिंघल से कौन उम्मीद कर सकता है कि वह उन डॉक्टर विनय अग्रवाल को चुनावी टक्कर दे सकेंगे जिनके सामने डॉक्टर्स की चुनावी राजनीति के सचमुच के सूरमा पहले ही समर्पण कर चुके हैं ?
दिल्ली के डॉक्टर्स की चुनावी राजनीति में डॉक्टर विनय अग्रवाल के घनघोर विरोधियों को भी यह उम्मीद नहीं है कि एमसीआई में प्रतिनिधित्व को लेकर जो चुनावी मुकाबला हो रहा है, उसमें डॉक्टर विनय अग्रवाल को किसी भी तरह से मात दी जा सकेगी । डॉक्टर विनय अग्रवाल की उम्मीदवारी को जिस तरह से चारों तरफ से समर्थन सिर्फ मिल ही नहीं रहा है, बल्कि बाकायदा घोषित हो रहा है; तमाम प्रमुख डॉक्टर्स और उनके संगठन डॉक्टर विनय अग्रवाल के समर्थन में सार्वजनिक रूप से बयान दे रहे हैं उससे हर कोई यह मान/समझ रहा है कि यह चुनाव एकतरफा चुनाव है और डॉक्टर विनय अग्रवाल की भारी जीत होगी । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पीछे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के चुनाव में डॉक्टर पंकज सिंघल ने डॉक्टर विनय अग्रवाल के प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार का खुला समर्थन किया था और डॉक्टर विनय अग्रवाल को हरवाने की हर संभव कोशिश की थी, लेकिन डॉक्टर विनय अग्रवाल भारी बहुमत से उक्त चुनाव जीते थे । इस तथ्य को यहाँ याद करने की प्रासंगिकता सिर्फ यह समझने के लिए है कि डॉक्टर पंकज सिंघल कभी भी डॉक्टर विनय अग्रवाल के लिए कोई चुनौती पैदा नहीं कर सके हैं ।
ऐसे में, हर किसी के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि डॉक्टर पंकज सिंघल ने डॉक्टर विनय अग्रवाल के खिलाफ नफरत भरा जो अभियान चला रखा है, उसके पीछे उद्देश्य वास्तव में क्या है ? और इस अभियान के लिए डॉक्टर पंकज सिंघल को खाद-पानी कहाँ से मिल रहा है ?
दिल्ली के डॉक्टर्स की चुनावी राजनीति के कई खिलाड़ियों का मानना और कहना है कि डॉक्टर विनय अग्रवाल की चुनावी सफलताएँ किसी को भी चमत्कृत तो कर सकती हैं, किंतुं उनकी यह सफलताएँ उनकी लोकप्रियता का कम और चुनावों को मैनेज करने की उनकी सामर्थ्य का ज्यादा सुबूत हैं । दूसरे चुनावी नेताओं में चूँकि यह सामर्थ्य नहीं है इसलिए चुनावी मुकाबले में पिछड़ जाने के बावजूद वह डॉक्टर विनय अग्रवाल को मन से स्वीकार नहीं कर पाते हैं और डॉक्टर विनय अग्रवाल के प्रति एक नकारात्मक भाव उनके मन में बन जाता है । डॉक्टर विनय अग्रवाल की हर सफलता उक्त नकारात्मक भाव को और मजबूत करती जाती है । तमाम सफलताओं के बावजूद कई डॉक्टर्स डॉक्टर विनय अग्रवाल को इसलिए भी ऐक्सेप्ट नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें लगता है कि डॉक्टर विनय अग्रवाल प्रोफेशनली बहुत क्वालीफाई नहीं हैं । डॉक्टर विनय अग्रवाल मात्र एमबीबीएस हैं । प्रोफेशन आज जिस स्थिति में है, उसमें मात्र एमबीबीएस की कोई वकत नहीं है । इसीलिये लोग मानते और कहते हैं कि डॉक्टर विनय अग्रवाल 'डॉक्टर' नहीं हैं, उन्होंने डॉक्टरी की सिर्फ डिग्री ली हुई है और डॉक्टरी के प्रोफेशन में वह एक बिजनेसमैन हैं । इसीलिये प्रोफेशन की तमाम संस्थाओं में डॉक्टर विनय अग्रवाल की गहरी घुसपैठ और उनकी लगातार कामयाबियों ने उनके विरोधियों की संख्या में भी इजाफ़ा किया है ।
डॉक्टर विनय अग्रवाल के विरोधियों का दुखड़ा लेकिन यह है कि वह उनका कुछ बिगाड़ भी नहीं पाते हैं । इस कारण से उनके बीच जो निराशा पैदा होते है, वह उन्हें डॉक्टर पंकज सिंघल जैसे लोगों के नजदीक ले जाती है । डॉक्टर विनय अग्रवाल के विरोधी यह अच्छी तरह जानते/समझते हैं कि पंकज सिंघल - जो खुद लज्जित करने जैसे आरोपों में घिरे हैं और कुछेक मामलों में 'सजा' तक पा चुके हैं - के जरिये वह डॉक्टर विनय अग्रवाल को कोई चुनावी चुनौती तो नहीं दे पायेंगे, लेकिन डॉक्टर पंकज सिंघल के जरिये वह डॉक्टर विनय अग्रवाल को परेशान और बदनाम जरूर कर सकेंगे । एमसीआई में प्रतिनिधित्व को लेकर चुनाव की स्थिति इसी उद्देश्य से जबर्दस्ती ऐन मौके पर बनाई गई; और इसी 'उद्देश्य' को प्राप्त करने के नजरिये से डॉक्टर पंकज सिंघल का चुनाव प्रचार प्रेरित है । डॉक्टर पंकज सिंघल के प्रचार की टोन डॉक्टर विनय अग्रवाल को कितना परेशान और बदनाम कर पायेगी, यह तो डॉक्टर विनय अग्रवाल जानें - दूसरे लोग जो जान रहे हैं, वह यह कि डॉक्टर पंकज सिंघल के प्रचार ने प्रोफेशन को जरूर बदनाम और कलंकित किया हुआ है ।