मेरठ । योगेश मोहन गुप्ता ने
सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) के लिए अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत करने के
साथ-साथ ही जिस तरह से अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का अभियान
शुरू कर दिया है, उससे डिस्ट्रिक्ट 3100 की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी
पैदा हो गई है । योगेश मोहन गुप्ता चूँकि मानते और कहते हैं कि वह चुनाव
में यदि खड़े हुए हैं तो सिर्फ लड़ने के लिए नहीं बल्कि 'जीतने' के लिए खड़े
हुए हैं - इसलिए वह हर हथकंडा आजमाना अपना अधिकार और कर्तव्य समझते हैं ।
योगेश मोहन गुप्ता ने चूँकि इसी तर्ज पर सीओएल के लिए प्रस्तुत अपनी
उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का अभियान शुरू किया है, इसलिए
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा होना स्वाभाविक भी है । इस
गर्मी का तापमान तब और बढ़ा जब मुरादाबाद के दौरे में योगेश मोहन गुप्ता के
साथ ऐसे लोगों को देखा गया जो संजीव रस्तोगी के नजदीकी समझे जाते हैं ।
संजीव रस्तोगी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट हैं और सीओएल की राजनीति में बृज
भूषण अग्रवाल के समर्थन में समझे जाते हैं । उल्लेखनीय है कि सीओएल के लिए
इस बार बृज भूषण अग्रवाल को शुरू से ही मजबूत उम्मीदवार के रूप में
देखा/पहचाना जा रहा था, किंतु मेरठ से एक उम्मीदवार लाने के नाम पर जो कसरत हुई उसने बृज भूषण अग्रवाल के लिए हालात को मुश्किल बना दिया है ।
दरअसल,
सीओएल के लिए योगेश मोहन गुप्ता ने इस बार - लगातार दूसरी बार जब एक बार
फिर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की सुगबुगाहट दिखाई तो मेरठ को 'एक'
करने/रखने वाले लोगों ने लाटरी के जरिये बृज भूषण अग्रवाल और योगेश मोहन
गुप्ता में से किसी एक की उम्मीदवारी तय करने का प्रस्ताव रखा । सभी की
सहमति के बाद लाटरी खुली तो बाजी योगेश मोहन गुप्ता के हाथ लगी । बृज भूषण
अग्रवाल ने लेकिन इस फैसले को स्वीकार करने से इंकार कर दिया । बृज
भूषण अग्रवाल चूँकि दो बार सीओएल में जा चुके हैं, इसलिए कई लोग इस बार फिर
प्रस्तुत होने वाली उनकी उम्मीदवारी के विरोध में कमर कस रहे थे । लाटरी
से निकले फैसले को स्वीकार करने से इंकार करके बृज भूषण अग्रवाल ने अपने
विरोधियों की संख्या को बढ़ाने का ही काम किया है । बृज भूषण अग्रवाल और
उनके नजदीकियों को लेकिन इस विरोध की परवाह नहीं है । उन्हें अपनी राजनीतिक
ताकत और अपने रणनीतिक कौशल पर भरोसा है । दूसरे लोगों को भी लगता है
कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी का समर्थन उन्हें ताकत दे रहा
है, जिसके भरोसे वह मेरठ में बनी कोर-टीम के फैसले को भी न मानने का दम
दिखा रहे हैं । लाटरी से निकले फैसले ने योगश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी को
यदि ताकत दी है, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी के रवैये ने उनकी ताकत के गुब्बारे की
हवा भी कम की हुई है ।