Saturday, October 12, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में सीओएल के लिए बृज भूषण और योगेश मोहन गुप्ता के बीच छिड़ी लड़ाई में ललित मोहन गुप्ता और वागीश स्वरूप ने अपने लिए मौका देखा

मेरठ । योगेश मोहन गुप्ता ने सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) के लिए अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत करने के साथ-साथ ही जिस तरह से अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का अभियान शुरू कर दिया है, उससे डिस्ट्रिक्ट 3100 की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा हो गई है । योगेश मोहन गुप्ता चूँकि मानते और कहते हैं कि वह चुनाव में यदि खड़े हुए हैं तो सिर्फ लड़ने के लिए नहीं बल्कि 'जीतने' के लिए खड़े हुए हैं - इसलिए वह हर हथकंडा आजमाना अपना अधिकार और कर्तव्य समझते हैं । योगेश मोहन गुप्ता ने चूँकि इसी तर्ज पर सीओएल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का अभियान शुरू किया है, इसलिए डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा होना स्वाभाविक भी है । इस गर्मी का तापमान तब और बढ़ा जब मुरादाबाद के दौरे में योगेश मोहन गुप्ता के साथ ऐसे लोगों को देखा गया जो संजीव रस्तोगी के नजदीकी समझे जाते हैं । संजीव रस्तोगी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट हैं और सीओएल की राजनीति में बृज भूषण अग्रवाल के समर्थन में समझे जाते हैं । उल्लेखनीय है कि सीओएल के लिए इस बार बृज भूषण अग्रवाल को शुरू से ही मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था, किंतु मेरठ से एक उम्मीदवार लाने के नाम पर जो कसरत हुई उसने बृज भूषण अग्रवाल के लिए हालात को मुश्किल बना दिया है ।
दरअसल, सीओएल के लिए योगेश मोहन गुप्ता ने इस बार - लगातार दूसरी बार जब एक बार फिर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की सुगबुगाहट दिखाई तो मेरठ को 'एक' करने/रखने वाले लोगों ने लाटरी के जरिये बृज भूषण अग्रवाल और योगेश मोहन गुप्ता में से किसी एक की उम्मीदवारी तय करने का प्रस्ताव रखा । सभी की सहमति के बाद लाटरी खुली तो बाजी योगेश मोहन गुप्ता के हाथ लगी । बृज भूषण अग्रवाल ने लेकिन इस फैसले को स्वीकार करने से इंकार कर दिया । बृज भूषण अग्रवाल चूँकि दो बार सीओएल में जा चुके हैं, इसलिए कई लोग इस बार फिर प्रस्तुत होने वाली उनकी उम्मीदवारी के विरोध में कमर कस रहे थे । लाटरी से निकले फैसले को स्वीकार करने से इंकार करके बृज भूषण अग्रवाल ने अपने विरोधियों की संख्या को बढ़ाने का ही काम किया है । बृज भूषण अग्रवाल और उनके नजदीकियों को लेकिन इस विरोध की परवाह नहीं है । उन्हें अपनी राजनीतिक ताकत और अपने रणनीतिक कौशल पर भरोसा है । दूसरे लोगों को भी लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी का समर्थन उन्हें ताकत दे रहा है, जिसके भरोसे वह मेरठ में बनी कोर-टीम के फैसले को भी न मानने का दम दिखा रहे हैं । लाटरी से निकले फैसले ने योगश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी को यदि ताकत दी है, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी के रवैये ने उनकी ताकत के गुब्बारे की हवा भी कम की हुई है ।
योगेश मोहन गुप्ता ने इसीलिये मुरादाबाद के दौरे में सुनियोजित तरीके से ऐसे लोगों को अपने साथ रखा जो संजीव रस्तोगी के नजदीक समझे जाते हैं । इस तरीके से उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के लोगों को एक तरफ तो यह दिखाने/बताने की कोशिश की है कि संजीव रस्तोगी उस तरह से बृज भूषण अग्रवाल के साथ नहीं हैं जैसे कि बृज भूषण अग्रवाल और उनके लोग बता/जता रहे हैं और दूसरी तरफ उन्होंने यह संदेश देने का काम किया है कि संजीव रस्तोगी के नजदीकियों को अपनी तरफ कर लेना उनके लिए मुश्किल नहीं होगा । योगेश मोहन गुप्ता की इस चाल के सामने आने के बाद बृज भूषण अग्रवाल और संजीव रस्तोगी की तरफ से जो सफाईयाँ आईं हैं उसने ही दरअसल गर्मी का अहसास कराया है ।
सीओएल की चुनावी लड़ाई में मेरठ को बँटा देख कर ललित मोहन गुप्ता को बल मिला है और इसी बल के चलते उन्होंने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है । उनका सीधा सा तर्क है कि बृज भूषण अग्रवाल दो बार और योगेश मोहन गुप्ता एक बार चूँकि सीओएल में रह चुके हैं इसलिए अब डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों को मौका मिलना चाहिए । उल्लेखनीय है कि ललित मोहन गुप्ता ने सीओएल के पिछले चुनाव में भी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी, लेकिन एक बड़ी दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो जाने के कारण उनकी उम्मीदवारी खुद-ब-खुद ही समाप्त हो गई थी । इस बार, ललित मोहन गुप्ता जिस तर्क के साथ अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट कर रहे हैं वह तर्क तो लोगों के बीच अपनी स्वीकार्यता बना रहा है, लेकिन इस स्वीकार्यता को समर्थन में बदलने के जिस मैकेनिज्म की जरूरत होती है उस पर ललित मोहन गुप्ता के लिए अभी बहुत काम करना बाकी है ।  
सीओएल के लिए वागीश स्वरूप ने भी हालाँकि अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की हुई है, लेकिन उनकी उम्मीदवारी में अपनी जीत से ज्यादा बृज भूषण को हराने का ताव ज्यादा है । उन्होंने ऐलान भी किया हुआ है कि बृज भूषण को हराने का माद्दा यदि किसी और में उन्हें दिखाई दिया तो वह अपनी उम्मीदवारी छोड़ कर उसका समर्थन करेंगे । वागीश स्वरूप अभी तक हालाँकि यह तय नहीं कर पाए हैं कि बृज भूषण अग्रवाल को हराने का माद्दा किस में है । मुजफ्फरनगर में अभी हाल ही में हुई इंटरसिटी के दौरान योगेश मोहन गुप्ता ने वागीश स्वरूप को यह विश्वास दिलाने का भरसक प्रयास किया कि वह बृज भूषण अग्रवाल को हरा सकते हैं । वागीश स्वरूप लेकिन अभी योगेश मोहन गुप्ता के इस दावे पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं । योगेश मोहन गुप्ता के तौर-तरीके भी वागीश स्वरूप को पसंद नहीं हैं इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वागीश स्वरूप का समर्थन योगेश मोहन गुप्ता को तो शायद नहीं ही मिलेगा ।
इसी तरह की स्थितियों के चलते सीओएल को लेकर डिस्ट्रिक्ट 3100 में छिड़ी चुनावी लड़ाई दिलचस्प हो उठी है ।