Wednesday, October 30, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के दीवाली मेले में अपने क्लब के लोगों के धोखे के शिकार सुधीर मंगला ने झोपड़-पट्टियों में वोट जुटाने वाले फार्मूले को अपनाया

नई दिल्ली । सुधीर मंगला अपने क्लब के पदाधिकारियों और दूसरे सदस्यों से बुरी तरह खफा हैं । इसका कारण बताते हुए उनके क्लब के कुछेक सदस्यों का ही कहना है कि सुधीर मंगला को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में खड़े होने से इंकार करके उनके क्लब के सदस्यों ने उनके साथ धोखा किया है और इस तरह से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उन्हें अकेला छोड़ दिया है । उल्लेखनीय है कि क्लब के सदस्यों की हरकत के कारण सुधीर मंगला को डिस्ट्रिक्ट में लोगों के तरह-तरह के सवालों का सामना करना पड़ा है - जिनमें प्रमुख सवाल यही रहा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में जब वह अपने क्लब के सदस्यों का ही सहयोग और समर्थन नहीं जुटा पा रहे हैं, तो उन्हें डिस्ट्रिक्ट के दूसरे क्लब्स का सहयोग और समर्थन भला कैसे और क्यों मिलेगा ? इस तरह के सवालों के चलते डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच सुधीर मंगला की खासी किरकिरी हो रही है । इसलिए क्लब के पदाधिकारियों और सदस्यों के प्रति उनकी नाराजगी और उनके आरोप स्वाभाविक ही जान पड़ते हैं ।
सुधीर मंगला के सामने यह स्थिति हाल ही में आयोजित हुए डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में उस समय पैदा हुई, जब वहाँ मौजूद डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने पाया कि सुधीर मंगला के क्लब से तो एक भी पदाधिकारी और या सदस्य यहाँ नहीं है । लोगों ने सुधीर मंगला से पूछा तो सुधीर मंगला ने पहले तो यह कहते हुए सवालों को टाला कि 'आ रहे हैं, रास्ते में हैं', 'मुझसे तो कहा था कि आयेंगे' आदि-इत्यादि । फिर वह एक अलग कहानी सुनाने लगे कि उनके क्लब के पदाधिकारी और सदस्य चूँकि विनोद बंसल से नाराज हैं, इसलिए उन्होंने दीवाली मेले का बहिष्कार किया है । सुधीर मंगला ने कुछेक लोगों को बताया कि विनोद बंसल ने अपनी टीम में उनके क्लब के किसी भी सदस्य को जगह नहीं दी है और इसके चलते डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में किसी सदस्य का नाम और फोटो नहीं छप सका है, इसलिए उनके क्लब के लोग विनोद बंसल से बहुत नाराज हैं । नाराजगी दरअसल इस कारण से और बढ़ी क्योंकि क्लब के कई सदस्यों के विनोद बंसल के साथ वर्षों के संबंध हैं और वह विनोद बंसल से भी पुराने रोटेरियन हैं  - विनोद बंसल ने लेकिन किसी भी बात का लिहाज नहीं रखा ।
यह कहानी सुनाने के बाद भी, लोगों के सवालों से सुधीर मंगला का लेकिन पीछा नहीं छूटा । लोगों ने सुधीर मंगला से कहा भी कि उनके क्लब के सदस्यों के विनोद बंसल से चाहें जैसी जो नाराजगी है, पर यहाँ तो उन्हें आपकी उम्मीदवारी को मजबूती देने के लिए आना था - आना चाहिए था । सुधीर मंगला इस बात का कोई जबाव नहीं दे पाये । इससे लोगों ने यही नतीजा निकाला कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत सुधीर मंगला की उम्मीदवारी को लेकर उनके अपने ही क्लब के लोगों में न तो कोई उत्साह है और न ही सहयोग व समर्थन का कोई भाव है । इस लिहाज से सुधीर मंगला की स्थिति चारों उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा ख़राब नज़र आई । क्योंकि बाकी तीनों उम्मीदवारों के क्लब से - किसी से कम तो किसी से ज्यादा - लोग डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में शिरकत करने आये हुए थे और इस तरह अपने अपने उम्मीदवार के प्रति सहयोग और समर्थन व्यक्त कर रहे थे । सुरेश भसीन के साथ उनके क्लब के दो-तीन सदस्यों को देखा/पहचाना जा रहा था; राजीव देवा के क्लब की अध्यक्षा को भी लोगों के साथ मिलते-जुलते देखा गया; रवि भाटिया के क्लब से तो पच्चीस से तीस सदस्य अपने-अपने परिवारों के साथ वहाँ मौजूद थे । जाहिर है कि रवि भाटिया के क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत रवि भाटिया की उम्मीदवारी को बहुत गंभीरता से लिया हुआ है और अपने-अपने तरीके से उन्होंने रवि भाटिया की उम्मीदवारी का प्रमोशन किया ।
उम्मीदवारी का 'प्रमोशन' सुधीर मंगला ने भी किया - क्लब के साथी रोटेरियंस उनके साथ भले ही न खड़े हों, लेकिन उनके दोनों बेटे बड़ी मेहनत से लोगों को शराब बाँटने में लगे हुए थे । इस तरह - वोट जुटाने के लिए शराब बाँटने के जिस फार्मूले को झोपड़-पट्टियों में इस्तेमाल करते/होते सुना जाता है, सुधीर मंगला ने उसे रोटरी में इस्तेमाल करने का दाँव चला है । सुधीर मंगला को लगता है कि उनके क्लब के लोग भले ही उनके काम न आ रहे हों, लेकिन शराब बाँटने की उनकी तरकीब अवश्य ही उनके काम आयेगी । रोटरी की चुनावी प्रक्रिया में उम्मीदवार लोग फैलोशिप की आड़ में शराब पिलाते ही हैं, और इसे लोगों के बीच स्वीकार्यता प्राप्त है । लेकिन सुधीर मंगला ने शराब पिलाने के काम को जिस तरह से अंजाम दिया, उसे देख कर कई लोगों को गंभीर ऐतराज हुए और वे वहाँ कहते हुए सुने गए कि सुधीर मंगला ने रोटेरियंस को झोपड़-पट्टी वाला समझ लिया है क्या जो शराब के जरिये उनके वोट खरीदने की कोशिश कर रहे हैं । कई वरिष्ठ रोटेरियंस का भी कहना रहा कि चुनावी प्रक्रिया में फैलोशिप के नाम पर खाना-'पीना' होता ही है, और इससे संबंध मजबूत व विश्वासपूर्ण बनते हैं; लेकिन सुधीर मंगला ने जो किया वह 'आउट ऑफ प्रोपोर्शन' है और इसलिए उसमें फूहड़ता दिखी । वोट पाने के लिए शराब पिलाने के काम में अपने बेटों को इस्तेमाल करने के लिए तो सुधीर मंगला की आलोचना उन लोगों ने भी की, जो उनके साथ समझे जाते हैं ।
सुधीर मंगला के नजदीकियों का इस पर हालाँकि कहना यह भी है कि सुधीर मंगला को जब अपने क्लब के सदस्यों से सहयोग नहीं मिल रहा है, तो वह अपने बेटों की मदद ही लेंगे । इस तरह की बातों की प्रतिक्रिया में ही सुधीर मंगला ने अपने क्लब के पदाधिकारियों तथा दूसरे सदस्यों के प्रति अपनी नाराजगी प्रकट की है और अपने क्लब के सदस्यों पर धोखा देने का और उन्हें अकेला छोड़ देने का आरोप लगाया है । सुधीर मंगला के क्लब के लोगों ने क्यों उन्हें अकेला छोड़ दिया है और क्यों उनके साथ धोखा कर रहे हैं - यह तो वही जानें; सुधीर मंगला ने लेकिन चुनाव जीतने के लिए झोपड़-पट्टियों वाला फार्मूला अपना लिया है । सुधीर मंगला को विश्वास है कि उनकी उम्मीदवारी के प्रमोशन में उनके क्लब के लोग भले ही उनके साथ सहयोग न करें, लेकिन झोपड़-पट्टियों वाला फार्मूला जरूर उनके काम आयेगा ।