मेरठ । बृज भूषण अग्रवाल ने
एक नाटकीय घटनाक्रम में सीओएल के लिए प्रस्तुत की गई अपनी उम्मीदवारी को
वापस लेने की घोषणा करके डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को दिलचस्प मोड़ पर
ला खड़ा कर दिया है । बृज भूषण अग्रवाल ने जिस अचानक तरीके से अपनी
उम्मीदवारी को वापस लिया है, उसे लेकर तरह-तरह की बातें सुनी/कही जा रही
हैं । कुछ लोगों को लगता है कि सीओएल के लिए योगेश मोहन गुप्ता ने जिस
तरह की तैयारी दिखाई उसे देख/आँक कर बृज भूषण अग्रवाल डर गए और उन्होंने
समझ लिया कि चुनाव हारने से अच्छा यह होगा कि वह चुनाव से बाहर ही हो जाएँ ।
कुछेक अन्य लोगों का कहना लेकिन यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव
रस्तोगी के पाला बदल कर योगेश मोहन गुप्ता के साथ खड़े हो जाने की खबर
मिलने के बाद बृज भूषण अग्रवाल के लिए कहीं कोई उम्मीद नहीं बची, तो फिर
अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने में ही उन्हें अपनी भलाई दिखी ।
उल्लेखनीय है कि संजीव रस्तोगी पहले बृज भूषण अग्रवाल की उम्मीदवारी के साथ
सिर्फ थे भर ही नहीं, बल्कि बृज भूषण अग्रवाल की उम्मीदवारी को हवा देते
हुए भी 'दिख' रहे थे । हाल ही में, लेकिन पता नहीं योगेश मोहन गुप्ता ने
उन्हें क्या घुट्टी पिलाई कि संजीव रस्तोगी मेरठ के रोटेरियंस की कोर कमेटी
में लॉटरी द्धारा हुए फैसले को स्वीकारने की वकालत करने लगे । जबकि अभी हाल के दिनों तक
यही संजीव रस्तोगी उक्त फैसले को धता बता कर बृज भूषण अग्रवाल की
उम्मीदवारी को हवा दे रहे थे और इस कारण से उनके और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी सुनील गुप्ता के साथ तनातनी की बातें सुनाई देने लगी थीं ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी अपने गवर्नर-काल के
महत्वपूर्ण पदों को बाँटने के जरिये बृज भूषण अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए
राजनीतिक बिसात बिछा रहे थे - और ऐसा करते हुए वह दरअसल योगेश मोहन गुप्ता
के लिए समस्याएँ खड़ी कर रहे थे । संजीव रस्तोगी का योगेश मोहन गुप्ता के
साथ कुछ पुराना बैर है - जिसे दो वर्ष पहले, संजीव रस्तोगी की उम्मीदवारी
का योगेश मोहन गुप्ता द्धारा किये गए विरोध से और मजबूती मिली । बृज
भूषण अग्रवाल की सीओएल के लिए प्रस्तुत उम्मीदवारी में संजीव रस्तोगी को
योगेश मोहन गुप्ता से निपटने का मौका दिखा तो उन्होंने तेवर कस लिए । संजीव रस्तोगी ने तेवर जरूर कस लिए और बृज भूषण अग्रवाल के समर्थन में लोगों को जुटाने की तैयारी भी
की, लेकिन उनकी तैयारी उन्हें और बृज भूषण अग्रवाल को कोई खास नतीजा देती
हुई नहीं दिखी । इसी बीच योगेश मोहन गुप्ता ने अपना दाँव चला । योगेश
मोहन गुप्ता मानते और कहते हैं कि वह डिस्ट्रिक्ट में हरेक की औकात जानते
और पहचानते हैं, इसलिए किसी को भी अपने पक्ष में करने में उन्हें ज्यादा
समय नहीं लगता । संजीव रस्तोगी भी तभी तक बृज भूषण अग्रवाल की
उम्मीदवारी को हवा देते हुए दिखे, जब तक कि योगेश मोहन गुप्ता उनसे नहीं
मिले । हाल ही में, एक शाम जब योगेश मोहन गुप्ता ने संजीव रस्तोगी के
दरवाजे पर दस्तक दी, तो संजीव रस्तोगी ने उनके साथ आने में और बृज भूषण
अग्रवाल की उम्मीदवारी से हाथ खींचने में देर नहीं लगाई ।
सीओएल की उम्मीदवारी को लेकर पर्दे के पीछे जो खेल हुआ उसे बृज
भूषण अग्रवाल द्धारा इन पंक्तियों के लेखक से कहे गए उन शब्दों के जरिये
समझा/पहचाना जा सकता है, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके और योगेश मोहन
गुप्ता के बीच हुए समझौते के बाद उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है ।
उनके और योगेश मोहन गुप्ता के बीच क्या समझौता हुआ है - इसे लेकर बृज
भूषण अग्रवाल ने तो कुछ नहीं बताया; लेकिन समझौते की बातचीत की टेबल पर
मौजूद एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि योगेश मोहन गुप्ता ने बृज भूषण
अग्रवाल को आश्वस्त किया है कि अगली बार सीओएल के लिए वह बृज भूषण अग्रवाल
की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे । योगेश मोहन गुप्ता से यह आश्वासन मिलने के बाद ही बृज भूषण अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने का फैसला किया ।
बृज भूषण अग्रवाल और योगेश मोहन गुप्ता के बीच हुए इस समझौते ने
- और इस समझौते को कराने में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी तथा
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी सुनील गुप्ता की भूमिका ने दूसरे डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर्स को भड़का दिया है । उनका कहना है कि रोटरी के पदों की बंदरबाँट बृज भूषण अग्रवाल और योगेश मोहन गुप्ता को कैसे और क्यों करने दी जा सकती है ?
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के आलावा, दूसरे कई लोगों का भी मानना और कहना
है कि बृज भूषण अग्रवाल और योगेश मोहन गुप्ता चूँकि सीओएल में क्रमशः दो
बार और एक बार जा चुके हैं, इसलिए अब दूसरे लोगों को मौका मिलना चाहिये ।
किस को मौका मिले - इसे चाहें वरिष्टता के आधार पर और या लॉटरी जैसे किसी
तरीके से तय कर लिया जाये । अधिकतर लोगों का मानना और कहना है कि योगेश
मोहन गुप्ता को पदों की ऐसी भूख है कि वह उक्त तर्क को मान कर अपनी
उम्मीदवारी छोड़ेंगे नहीं - लेकिन कुछेक अन्य लोगों का तर्क है कि कौन
विश्वास करता था कि बृज भूषण अग्रवाल बीच रास्ते में अचानक से अपनी
उम्मीदवारी को छोड़ देंगे ? इस तर्क के भरोसे उनका कहना है कि जिस तरह
से बृज भूषण अग्रवाल अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने के लिए मजबूर हुए हैं,
उसी तरह से योगेश मोहन गुप्ता को भी अपनी उम्मीदवारी छोड़ने के लिए मजबूर
किया जा सकता है ।
लाख टके का सवाल लेकिन यही है कि योगेश मोहन गुप्ता को कौन और कैसे अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने के लिए मजबूर कर सकेगा ? यह
बात सभी मानते और कहते हैं कि केवल बातें बनाकर और अच्छे-अच्छे तर्क देकर
योगेश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस नहीं कराया जा सकेगा । इसके लिए
तो उनके सामने कड़ी चुनौती प्रस्तुत करनी पड़ेगी और उन्हें इस बात का अहसास
कराना पड़ेगा कि पदों की उनकी भूख को लोगों का समर्थन नहीं मिलेगा ।
योगेश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच
माहौल बना सकने वाले पूर्व गवर्नर को ही लोगों का समर्थन मिल सकेगा । बृज
भूषण अग्रवाल की उम्मीदवारी के वापस होने से कुछेक लोगों को भले ही लगता हो
कि योगेश मोहन गुप्ता की राह आसान हो गई है, लेकिन कई एक लोगों का
मानना और कहना है कि बृज भूषण अग्रवाल के हटने से योगेश मोहन गुप्ता के लिए
मामला ख़राब ज्यादा हो गया है । दरअसल बृज भूषण अग्रवाल का विरोध ज्यादा था
- उनकी उम्मीदवारी के रहते उनके विरोधी योगेश मोहन गुप्ता को नापसंद करने
के बावजूद उनके साथ खड़े होने के लिए मजबूर होते । लेकिन बृज भूषण
अग्रवाल के हटने के बाद अब ऐसी कोई मजबूरी नहीं रही है । विरोध का जो दबाव
पहले बृज भूषण अग्रवाल के ऊपर था, वह दबाव अब योगेश मोहन गुप्ता के ऊपर आ
गया है । यह देखना दिलचस्प होगा कि कोई पूर्व गवर्नर अपनी सक्रियता से इस
दबाव से योगेश मोहन गुप्ता को 'दबा' पाता है; या फिर योगेश मोहन गुप्ता
पदों की अपनी भूख को शांत करने के लिए लोगों का समर्थन जुगाड़ ही लेंगे ।