Tuesday, October 22, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट काउंसलर बना कर भी उनकी गंदी हरकतों से संजय खन्ना क्या बचे रह सकेंगे ?

नई दिल्ली । संजय खन्ना ने अपने गवर्नर-काल के प्रमुख पदों की घोषणा करते हुए मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट काउंसलर बनाने का ऐलान किया तो दूसरों को तो छोड़िये, खुद मुकेश अरनेजा तक को बड़ी हैरानी हुई । संजय खन्ना के चुनाव में उनकी मदद करने वाले रोटेरियंस को लेकिन संजय खन्ना के इस फैसले ने बुरी तरह निराश किया । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए जब संजय खन्ना चुनावी संघर्ष में थे, तब मुकेश अरनेजा ने उन्हें हरवाने की हर संभव कोशिश की थी । याद रखने की, या महत्व की बात यह नहीं है कि मुकेश अरनेजा ने संजय खन्ना की उम्मीदवारी के खिलाफ काम किया था - कोई भी चुनाव होता है तो लोग 'इस' तरफ या 'उस' तरफ होते ही हैं; और अच्छी बात यही मानी/समझी जाती है कि जीतने वाला इस बात को ज्यादा दिन तक याद न रखे कि कौन-कौन उसके खिलाफ था । इसलिए संजय खन्ना अपने गवर्नर-काल के लिए पदों का बँटवारा करते समय यदि इस बात को भूल रहे हैं कि किस किस ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन या विरोध किया था, तो इसे उनके बड़प्पन और उनकी महानता के रूप में ही देखा जाना चाहिए ।
मुकेश अरनेजा का मामला लेकिन अलग है । जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि याद करने/रखने की बात यह नहीं है कि मुकेश अरनेजा ने संजय खन्ना की उम्मीदवारी का विरोध किया था; संजय खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों को लेकिन यह बहुत अच्छी तरह से याद है कि संजय खन्ना को हरवाने के लिए मुकेश अरनेजा ने हद दर्जे के घटियापन और नीचता के स्तर का काम किया था । चुनाव में हर कोई किसी 'एक तरफ' होता ही है - यह बहुत स्वाभाविक है और हर किसी का लोकतांत्रिक अधिकार भी है; मुकेश अरनेजा लेकिन इस स्वाभाविक से अपने अधिकार को जिस धौंस और धमक के साथ इस्तेमाल करते हैं उसके कारण ही रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में उन्हें खूब बदनामी मिली है । रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में चुनावी राजनीति को लेकर विवाद और झगड़े पहले भी रहे/हुए हैं; मुकेश अरनेजा को लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को गटर-छाप बना देने का श्रेय है । संजय खन्ना को चुनाव में हरवाने के लिए मुकेश अरनेजा ने गटर-छाप हरकतों का जैसे एक नया रिकॉर्ड ही बना डाला था । मुकेश अरनेजा की उस समय की हरकतें लोगों को चूँकि खूब याद हैं, इसीलिए उन्हें संजय खन्ना द्धारा अपने कार्य-काल के लिए डिस्ट्रिक्ट काउंसलर बनाये जाने का फैसला करते देख लोगों को घोर आश्चर्य हुआ है । खुद मुकेश अरनेजा को भी आश्चर्य हुआ और अपने इस आश्चर्य को उन्होंने कई लोगों के सामने अभिव्यक्त भी किया । दरअसल, मुकेश अरनेजा को भी इस बात का अहसास तो होगा ही कि संजय खन्ना की उम्मीदवारी के साथ उन्होंने किस तरह की घटिया राजनीति की थी । मुकेश अरनेजा के लिए तो यह सचमुच अचरज की ही बात हुई कि संजय खन्ना उनकी घटिया किस्म की हरकतों को भी भूल और माफ़ कर सकते हैं !
संजय खन्ना के इस फैसले में कई लोगों ने संजय खन्ना की सदाशयता और समन्वयवादी सोच को व्यवहारिक रूप लेते हुए देखा है । उनका मानना और कहना है कि संजय खन्ना चूँकि एक बड़ी सोच के व्यक्ति हैं, इसलिए वह इस बात को याद करना/रखना नहीं चाहते हैं कि मुकेश अरनेजा ने उनके साथ क्या किया था; वह सभी लोगों को साथ लेकर चलना चाहते हैं और अपने गवर्नर-काल को प्रभावी बनाने के लिए सभी को - सज्जनों को भी और दुष्टों को भी - अपने साथ रखना चाहते हैं और इसीलिये उन्होंने मुकेश अरनेजा को भी अपनी टीम में प्रमुख जगह दी है । लेकिन कई अन्य लोगों को लगता है कि संजय खन्ना ने डर की वजह से मुकेश अरनेजा को काउंसलर का पद दिया है । कई लोगों को लगता है कि संजय खन्ना ने जाना/समझा कि मुकेश अरनेजा को उन्होंने यदि कोई पद नहीं दिया तो मुकेश अरनेजा बदला लेने के लिए अपनी गंदी चालों से उन्हें परेशान करेगा/रखेगा और नुकसान पहुँचायेगा - जैसा कि उसने अमित जैन के साथ किया और विनोद बंसल के साथ कर रहा है । लोगों के अनुसार, मुकेश अरनेजा को काउंसलर बना कर संजय खन्ना ने उम्मीद की है कि उन्हें मुकेश अरनेजा की गंदी हरकतों का शिकार नहीं होना पड़ेगा ।
मुकेश अरनेजा को काउंसलर बनाने के संजय खन्ना के फैसले पर लोगों को हैरानी इसलिए भी हुई है, क्योंकि उन्हें लगता है कि संजय खन्ना ने चाहे जिस भी कारण से यह फैसला लिया हो - इसका कोई सुफल संजय खन्ना को नहीं ही मिलने वाला है । वह असंतोषी किस्म के प्राणी हैं और अपनी हरकतों से बाज न आने की जैसे कसम खाये हुए हैं । अमित जैन ने तो उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया था, लेकिन फिर भी उन्होंने अमित जैन को इतना तंग किया कि अमित जैन उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटाने को मजबूर हुए और फिर उसके बाद तो मुकेश अरनेजा ने शर्मसार कर देने वाली हरकतों को अंजाम दिया । विनोद बंसल के साथ तो मुकेश अरनेजा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर शेखर मेहता की चौकड़ी के सदस्य हैं, लेकिन फिर भी विनोद बंसल को उनकी कारस्तानियों का शिकार होना पड़ रहा है । लोगों के आश्चर्य का कारण यही है कि ऐसे में संजय खन्ना को क्यों और कैसे यह उम्मीद बनी है कि मुकेश अरनेजा को साथ में लेकर वह मुकेश अरनेजा की कारस्तानियों से बच सकेंगे ?
मुकेश अरनेजा ने जिस तरह खुशी-खुशी संजय खन्ना के ऑफर को स्वीकार कर लिया, उसे देख कर भी लोगों को कम हैरानी नहीं हुई है । लोगों का कहना है कि संजय खन्ना ने तो उन्हें पद का ऑफर देकर अपनी सदाशयता और अपने बड़प्पन का परिचय दिया है, किंतु मुकेश अरनेजा ने पद को स्वीकार करके अपने 'छोटे' होने का और पदों का लालची होने का ही एक बार फिर सुबूत दिया है । मुकेश अरनेजा के साथियों तक का कहना है कि मुकेश अरनेजा को जब इस बात का अहसास है कि उन्होंने संजय खन्ना के चुने जाने में हर संभव तरीके से रोड़े अटकाने का ही काम किया था, और उसे भी निहायत घटिया तरीके से किया था - तो उन्हें संजय खन्ना के ऑफर को स्वीकार करते हुए कुछ तो शर्म दिखानी चाहिए थी और उनके ऑफर को विनम्रता के साथ अस्वीकार कर देना चाहिए था । इससे उनकी कुछ तो इज्ज़त बनती । मुकेश अरनेजा को लेकिन इज्ज़त से ज्यादा पद की परवाह रहती है - इसीलिये उन्होंने संजय खन्ना के ऑफर को स्वीकार करने में जरा भी देर नहीं लगाई ।