Thursday, October 3, 2013

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में एके सिंह की उम्मीदवारी की आहट ने विशाल सिन्हा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की गुरनाम सिंह की तैयारी में रोड़ा डाला

लखनऊ । एके सिंह ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के संकेत देकर गुरनाम सिंह के सामने एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है । गुरनाम सिंह के सामने संकट इसलिए क्योंकि गुरनाम सिंह के सामने इस बार विशाल सिन्हा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की चुनौती पहले से ही है । विशाल सिन्हा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की जिम्मेदारी गुरनाम सिंह ने ली तो पिछले लायन वर्ष में थी, लेकिन पिछले लायन वर्ष में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था । गुरनाम सिंह के सामने चुनौती यह है कि कहीं इस बार भी वह विशाल सिन्हा को नहीं जितवा/चुनवा नहीं पाए तो लायन राजनीति में उनकी चौधराहट ही समाप्त हो जायेगी । एके सिंह की उम्मीदवारी की तैयारी ने इसीलिये गुरनाम सिंह के सामने बड़ी समस्या पैदा कर दी है ।
मजे की बात यह है कि पिछले वर्ष गुरनाम सिंह ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों को बताया करते थे कि अगले वर्ष, अनुपम बंसल के गवर्नर-काल में वह एके सिंह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवायेंगे । एके सिंह ने गुरनाम सिंह की पिछले वर्ष की घोषणा को ही आधार बना कर अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत करने की तैयारी शुरू कर दी है । गुरनाम सिंह का कहना है कि उन्होंने पिछले वर्ष एके सिंह को इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की बात कही तो थी, लेकिन चूँकि पिछले वर्ष विशाल सिन्हा नहीं जीत पाए इसलिए अब इस वर्ष पहले तो विशाल सिन्हा को चुनवाना है । इस पर एके सिंह का कहना है कि विशाल सिन्हा यदि इस बार भी नहीं जीत पाये, तो अगले वर्ष भी फिर वही उम्मीदवार होंगे और इस तरह तो उनका नंबर और आगे खिसक जायेगा । एके सिंह का कहना है कि उनकी उम्र ऐसी नहीं है कि वह और कई वर्ष इंतजार करें, जबकि विशाल सिन्हा तो अभी नौजवान हैं, वह इंतजार कर सकते हैं । एके सिंह का यह भी तर्क है कि पिछले वर्ष विशाल सिन्हा तमाम अनुकूल स्थितियों के बावजूद चुनाव नहीं जीत सके, इसलिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी स्वीकार्यता बनाने के लिए अभी और काम करना चाहिए तथा उसके बाद अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत करना चाहिए ।
एके सिंह के इस तर्क के प्रति डिस्ट्रिक्ट के उन लोगों ने भी अपना समर्थन व्यक्त किया है जो गुरनाम सिंह के साथ समझे/पहचाने जाते हैं - गुरनाम सिंह को इसीलिए एके सिंह की उम्मीदवारी में अपने लिए खतरे की घंटी सुनाई दे रही है । गुरनाम सिंह हालाँकि ऊपर-ऊपर तो लोगों को यह दिखाने/जताने का प्रयास कर रहे हैं कि वह एके सिंह को इस वर्ष उम्मीदवार न बनने के लिए समझा लेंगे और एके सिंह वही करेंगे जो वह कहेंगे; लेकिन भीतर ही भीतर गुरनाम सिंह डरे हुए भी हैं और इसीलिये वह एके सिंह को तरह-तरह से मनाने की कोशिश कर रहे हैं । गुरनाम सिंह ने एके सिंह को फार्मूला सुझाया है कि अगले लायन वर्ष में चूँकि लखनऊ से बाहर के क्लब्स से उम्मीदवार आने का नंबर है, इसलिए वह बाराबंकी या आसपास के किसी इलाके के क्लब में अपना ट्रांसफर ले लें और इस तरह वह अगले ही वर्ष उम्मीदवार हो सकेंगे और उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवा दिया जायेगा । एके सिंह ने लेकिन इस तरह की बेईमानी करके लखनऊ से बाहर के क्लब्स का अधिकार चुराने से साफ इंकार कर दिया है । गुरनाम सिंह को लगने लगा है कि एके सिंह को भूपेश बंसल, नीरज बोरा, केएस लूथरा, शिव कुमार गुप्ता आदि से हवा मिल गई है - और इसलिए एके सिंह उनके द्धारा समझाए जाने के बावजूद अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने को तैयार नहीं हो रहे हैं ।
एके सिंह की उम्मीदवारी में गुरनाम सिंह के लिए खतरा देख रहे डिस्ट्रिक्ट के चुनावी खिलाड़ियों का गणित यह है कि पिछले वर्ष विशाल सिन्हा को जो सौ वोट मिले थे, उनमें से पच्चीस से तीस वोट तो एके सिंह के ही थे । ऐसे में, एके सिंह के उम्मीदवार होने की स्थिति में तो विशाल सिन्हा को पिछले वर्ष के मुकाबले और बड़ी पराजय का सामना करना पड़ेगा । एके सिंह को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनुपम बंसल से जिस तरह की तवज्जो मिल रही है, उसे देख/पहचान कर भी विशाल सिन्हा व गुरनाम सिंह के नजदीकियों को खतरा बिलकुल नजदीक दिख रहा है । गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा का हालाँकि दावा है कि अनुपम बंसल उनके साथ धोखा नहीं करेंगे । उनका दावा अपनी जगह ठीक है - पर बात धोखे की नहीं है; बल्कि एक दूसरे की जरूरतों को समझने की है ।
उल्लेखनीय है कि हर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुछ 'जरूरतें' होती हैं, जिन्हें उम्मीदवार पूरी करता है । अनुपम बंसल और विशाल सिन्हा की चाहें कैसी और कितनी भी दोस्ती हो, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अनुपम बंसल को चूँकि 'उम्मीदवार' विशाल सिन्हा से 'वह' सहयोग नहीं मिल रहा है जिसकी जब-तब उन्हें जरूरत होती है । अनुपम बंसल दरअसल इसीलिये एके सिंह को तवज्जो देने के लिए 'मजबूर' हुए क्योंकि उनकी डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी की जरूरतों को एके सिंह पूरा करने के लिए सहज रूप से तैयार हो गए । एके सिंह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनुपम बंसल से मिली तवज्जो को पाकर ही तो विशाल सिन्हा की राह का रोड़ा बन गए हैं । जिस दोस्ती का वास्ता देकर विशाल सिन्हा, अनुपम बंसल के अपने साथ रहने का दावा कर रहे हैं; विडंबना यह है कि उन्हीं अनुपम बंसल ने तो एके सिंह को विशाल सिन्हा की राह का रोड़ा बनने का मौका और हौंसला दिया है ।
एके सिंह की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवारी की तैयारी क्या गुल खिलाती है, और एके सिंह कहीं गुरनाम सिंह की झाँसापट्टी में आ तो नहीं जायेंगे - यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा; लेकिन उनकी उम्मीदवारी की संभावना से गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा जिस तरह परेशान हो उठे हैं - उससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों को एक बात तो साफ दिखने लगी है कि एके सिंह यदि सचमुच अपनी उम्मीदवारी पर टिके रहे तो गुरनाम सिंह को एक बार फिर पराजय का सामना करना पड़ेगा । एके सिंह के लिए स्थितियाँ सचमुच अनुकूल हैं : पिछली बार जीतने/जितवाने वाले लोगों का समर्थन तो उन्हें मिलेगा ही; पच्चीस से तीस वह वोट जो उनके कारण विशाल सिन्हा को मिले थे, उनकी जीत के अंतर को बढ़ाने का ही काम करेंगे । एक मनोवैज्ञानिक फायदा भी उन्हें मिलेगा । पिछली बार विशाल सिन्हा को कई वोट इस कारण भी मिले क्योंकि किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि गुरनाम सिंह के उम्मीदवार होने के कारण वह हार भी सकते हैं । गुरनाम सिंह की जो मुट्ठी बंद होने के कारण पिछले वर्ष लाख की थी, अब खुल जाने के बाद वह खाक की हो गई है । इन्हीं सब वजहों से गुरनाम सिंह भी समझ रहे हैं कि एके सिंह के उम्मीदवार होने की स्थिति में उनके लिए विशाल सिन्हा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवा पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव ही होगा । इसीलिये वह एके सिंह को इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी न प्रस्तुत करने के लिए मनाने/पटाने में हर तरह से लगे हुए हैं ।