Sunday, October 6, 2013

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में विनोद बंसल और पीटी प्रभाकर को बदनाम करके उन्हें ब्लैकमेल करने के सूत्रधार की खोज के संकेतों के मुकेश अरनेजा की तरफ जाने से मामला खासा दिलचस्प हुआ

नई दिल्ली । विनोद बंसल और पीटी प्रभाकर को बेनकाब करने का आह्वान करती हुई फर्जी ईमेल डिस्ट्रिक्ट के जिन पूर्व गवर्नर्स को भेजी गई है, उनमें से कुछ का माथा इस दिलचस्प संयोग को देख/पहचान कर ठनका है कि उक्त मेल मुकेश अरनेजा को नहीं भेजी गई है । मुकेश अरनेजा डिस्ट्रिक के बड़े नेता हैं; बड़े तुर्रमखाँ नेता हैं । डिस्ट्रिक्ट में ही नहीं, डिस्ट्रिक्ट से बाहर भी उनका बड़ा नाम है । ऐसे में, सोचने/विचारने वाली बात यह है कि जो व्यक्ति विनोद बंसल और पीटी प्रभाकर को बेनकाब करना चाहता है, वह अपना आह्वान डिस्ट्रिक्ट 3010 के ऐसे पूर्व गवर्नर्स तक तो पहुँचा रहा है, जो बेचारे न तीन में हैं और तेरह में - तो फिर वह मुकेश अरनेजा को अपना आह्वान क्यों नहीं पहुँचा रहा है ?
यह सवाल इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि उक्त आह्वान करने वाले ने जो तरीका अपनाया है वह फर्जी, धोखाधड़ी और षड्यंत्र की श्रेणी में आता है । अब जो व्यक्ति फर्जी, धोखाधड़ी और षड्यंत्रपूर्ण तरीके से एक आह्वान कर रहा है और सभी से कर रहा है तो वह मुकेश अरनेजा को आह्वान क्यों नहीं कर रहा है ?
कहीं इसका कारण यह तो नहीं है कि यह आह्वान करने का काम खुद मुकेश अरनेजा ने ही किया है । सामान्य व्यवहार की बात है कि कोई भी जब दूसरों को - बहुत सारे दूसरों को - ईमेल भेजता है तो वह अपने आप को नहीं भेजता । अपने आप को भेजने की उसे जरूरत ही नहीं होती । तो क्या, मुकेश अरनेजा भी अनजाने में इसी सामान्य व्यवहार का पालन कर बैठे और 'रंगेहाथ' पकड़े जाने का सुराग दे बैठे । अपराधशास्त्र का एक महत्वपूर्ण सूत्र है कि हर अपराधी कोई न कोई ऐसी चूक कर बैठता है जिससे वह पकड़ा जाता है । इस तथ्य के आधार पर जो लोग यह मान रहे हैं कि उक्त फर्जी मेल मुकेश अरनेजा की ही कारस्तानी है, वह एक यह तर्क और दे रहे हैं कि मुकेश अरनेजा को फर्जी, धोखाधड़ी और षड्यंत्रपूर्ण तरीके से काम करने का बहुत शौक है । अपने इस शौक के चलते वह बार-बार 'पकड़ा' गया है - लेकिन बेशर्मी वाला गुण भी उसमें इस कदर कूट-कूट कर भरा हुआ है कि फिर भी वह बाज नहीं आता है ।
विनोद बंसल और पीटी प्रभाकर को बेनकाब करने का आह्वान करने की मुकेश अरनेजा की इस कारस्तानी के पीछे लोगों को एक और कारण ध्यान में आता है और वह यह कि मुकेश अरनेजा और उनके गिरोह के रमेश अग्रवाल, असित मित्तल और विनय कुमार अग्रवाल जैसे दूसरे लोग पिछले कुछ दिनों से विनोद बंसल को किसी न किसी बहाने से निशाने पर लेते रहे हैं । पिछले दिनों रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे जुटाने के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनोद बंसल ने जब एक बड़ा कीर्तिमान बनाया और इस कीर्तिमान के चलते वह रोटरी के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों की निगाह में चढ़े तो इन लोगों की तो जैसे बुरी तरह सुलग गई । इसके चलते इन्होंने अलग-अलग मौकों पर तरह-तरह से विनोद बंसल को लेकर मुँहझाँसी की और विनोद बंसल को विभिन्न आरोपों के घेरे में लेते हुए उन्हें बदनाम करने की कोशिश की । विनोद बंसल का उससे जब कुछ बिगड़ता हुआ इन्हें नहीं दिखा तो - जैसा कि समझा जाता है - मुकेश अरनेजा ने फर्जी ईमेल के जरिये उन्हें बदनाम करने करने की चाल चली ।
मुकेश अरनेजा को - और उनके गिरोह के सदस्यों को विनोद बंसल से जो भी समस्याएँ और शिकायतें हैं उन्हें वह उनकी अनुपस्थिति में और या फर्जी तरीके से लोगों के बीच क्यों लाते हैं; सीधे बात क्यों नहीं करते हैं ? उनकी बातें, उनकी शिकायतें यदि सचमुच सही और प्रासंगिक हैं तो छिप कर उन बातों को कहने का भला क्या मतलब है ? लोगों को लगता है कि अपनी पहचान के साथ और सीधी बात करने की इनकी औकात नहीं है और इसीलिए यह फर्जी, धोखाधड़ी और षड्यंत्रपूर्ण तरीके अपनाते हैं । इस बार, विनोद बंसल और पीटी प्रभाकर को बदनाम करने के लिए जिस तरह का फर्जी तरीका अपनाया गया है, उससे लगता है कि असल उद्देश्य विनोद बंसल और पीटी प्रभाकर को ब्लैकमेल करने का है ।
विनोद बंसल और पीटी प्रभाकर को बदनाम करके उन्हें ब्लैकमेल करने के सूत्रधार की खोज के सारे संकेत मुकेश अरनेजा की तरफ जाने से यह सारा मामला खासा दिलचस्प हो गया है ।