देहरादून/चंडीगढ़ । राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट
में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुनावी प्रक्रिया दोबारा से शुरू
करने के मामले में हो रही फजीहत से परेशान होकर दिलीप पटनायक डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर पद से इस्तीफा देने तक की सोचने लगे हैं । दिलीप पटनायक के क्लब
के ही लोगों ने बताया है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी पद के लिए चुने गए अधिकृत उम्मीदवार टीके रूबी को षड्यंत्रपूर्वक
हटाने के खेल में डिस्ट्रिक्ट के कुछेक पूर्व गवर्नर्स ने जिस तरह दिलीप
पटनायक को मोहरा बना कर इस्तेमाल किया है, उससे दिलीप पटनायक खासे दुखी और
परेशान हैं । इस पूरे खेल में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी
भूमिका पर डिस्ट्रिक्ट में और डिस्ट्रिक्ट के बाहर भी जिस तरह से सवाल उठे
हैं, उसके कारण उनके लिए खासी अपमानजनक व जलालतपूर्ण स्थिति बनी है । दिलीप
पटनायक के नजदीेकियों का कहना है कि इस स्थिति ने दिलीप पटनायक को बहुत ही
व्यथित किया है, और उनके लिए लोगों का तथा उनके सवालों का सामना करना
मुश्किल हो रहा है । उनकी व्यथा को 22 अप्रैल को 'रेस्पेक्टेड आरआई ऑफीसर्स' को संबोधित तथा डिस्ट्रिक्ट के
पूर्व गवर्नर्स को प्रेषित ईमेल चिट्ठी में महसूस किया जा सकता है, जिसमें
उन्होंने क्लब्स के अध्यक्षों द्धारा माँगे जा रहे स्पष्टीकरणों के प्रति
अपना क्षोभ व्यक्त किया है; और उक्त मामले में अब आगे किसी को भी उक्त मामले में जबाव देना बंद करने
का अपना फैसला उन्हें सुना दिया है ।
22 अप्रैल के इसी ईमेल
पत्र के हवाले से दिलीप पटनायक के नजदीकियों का कहना है कि दिलीप पटनायक ने
यह पत्र लिखने का काम जिन लोगों को विश्वास में लेकर किया है, उनसे
उन्होंने साफ साफ यह भी बता दिया है कि उनके लिए हालात यदि ठीक नहीं हुए तो
वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद छोड़ देंगे ।
दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुने गए अधिकृत उम्मीदवार टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने से रोकने के लिए राजा साबू के 'दिशा-निर्देशन' में कुछेक पूर्व गवर्नर्स द्धारा रचे गए
षड्यंत्र में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक का जैसा/जो इस्तेमाल
किया गया, उससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दिलीप पटनायक की पहचान और
प्रतिष्ठा जैसे तार-तार कर दी गई है । उल्लेखनीय है कि 16 मार्च को
उन्होंने क्लब प्रेसीडेंट्स को चेलैंज व कॉन्करेंस के संबंध में जो पत्र
लिखा था, उसमें इस बात का कोई जिक्र तक नहीं था कि जो चुनावी प्रक्रिया चल
रही है - उसकी वैधता को लेकर कोई शिकायत की गई है और कोई कमेटी उसकी पड़ताल
कर रही है ।
लोग अब सवाल कर रहे हैं कि 16 मार्च को दिलीप पटनायक को
यदि इस बात का पता था, तो उन्होंने इस बात को क्लब प्रेसीडेंट्स के साथ
शेयर क्यों नहीं किया; और यदि इस बात का उन्हें सचमुच नहीं पता था तो फिर
उस तथाकथित कमेटी के फैसले को मानने के लिए वह क्यों मजबूर हुए ?
दिलीप
पटनायक के पास इस सवाल का कोई जबाव नहीं है; और अनुत्तरित रह जा रहे इस
सवाल ने दिलीप पटनायक को एक कठपुतली गवर्नर बना दिया है ।
यह सवाल
इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि जिस 16 मार्च को डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर दिलीप पटनायक क्लब प्रेसीडेंट्स को चेलैंज की बात बता कर कॉन्करेंस
का शिड्यूल बता रहे थे,
उसी 16 मार्च को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रेम
भल्ला ने टीके रूबी को पत्र लिखा जिसमें चेलैंज को डिस्ट्रिक्ट ग्रीवन्स
कमेटी में भेजने की जानकारी दी गई थी । प्रेम भल्ला के तीन लाइनों के इस
पत्र का मजमून षड्यंत्र का पूरा पूरा सुबूत देता है । प्रेम भल्ला ने
टीके रूबी को लिखा कि आप जानते ही होंगे कि नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला
चेलैंज हो गया है और इस चेलैंज को डिस्ट्रिक्ट ग्रीवन्स कमेटी को भेज दिया
गया है । यह पढ़ कर टीके रूबी को कैसा/क्या लगा होगा, यह तो टीके रूबी ही
बता सकते हैं - लेकिन रोटरी की दुनिया में अब वायरल हो चुके इस पत्र को
जिसने भी पढ़ा है, वह इस बात को लेकर हैरान है कि नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले
का चेलैंज डिस्ट्रिक्ट ग्रीवन्स कमेटी में क्यों भेज दिया गया ?
नोमीनेटिंग
कमेटी के फैसले का चेलैंज तो कॉन्करेंस के लिए जाता है - डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर दिलीप पटनायक ने क्लब प्रेसीडेंट्स को लिखे पत्र में रोटरी
इंटरनेशनल के इसी नियम और प्रथा का पालन किया भी । फिर प्रेम भल्ला उसी
तारीख को चेलैंज को ग्रीवन्स कमेटी में भेजने की बात क्यों कह रहे थे ?
जाहिर है कि प्रेम भल्ला जो 'कुछ' बता रहे थे, उससे ज्यादा दरअसल छिपा
रहे थे । कुछ बताने और कुछ छिपाने; तथा बताने से ज्यादा छिपाने की उनकी जो
होशियारी इस पत्र में नजर आ रही है, वह पर्दे के पीछे चल रहे खेल की पोल
खोलती है ।
इस सारे प्रकरण में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक की भूमिका को लेकर लोगों की राय परस्पर बँटी हुई है ।
कुछेक
लोगों को लगता है कि टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी न बनने देने
के षड्यंत्रपूर्ण खेल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक की पूरी पूरी
भूमिका थी, लेकिन वह इस खेल में चूँकि शामिल दिखना नहीं चाहते हैं इसलिए
उन्होंने अपने आप को इस खेल को क्रियान्वित करने की कार्रवाइयों से अपने आप
को जानबूझकर दूर रखा; लेकिन कई अन्य लोगों को लगता है कि इस खेल के
खिलाड़ियों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक को पूरी तरह अँधेरे में रखा
और जब/जैसे/जहाँ उनकी जरूरत हुई, वहाँ उन्हें इस्तेमाल किया । इस खेल को
चूँकि पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजा साबू का आशीर्वाद रहा, इसलिए दिलीप
पटनायक इस्तेमाल होने के लिए मजबूर हुए ।
दिलीप पटनायक के लिए मुसीबत की
बात यह हुई कि 'खेल' संपन्न होने के बाद लोगों के बीच जब रिएक्शन हुआ और
सवाल पूछे जाने लगे तब खेल के 'असली खिलाड़ी' तो बच गए और दिलीप पटनायक फँस
गए । हालाँकि यह स्वाभाविक ही था कि इस खेल में जो 'छेद' दिखाई पड़
रहे हैं, उनके बारे में सवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक से ही होंगे ।
खेल के 'असली खिलाड़ियों' ने जबाव देने के लिए दिलीप पटनायक को जिस तरह
लोगों के सामने अकेला छोड़ दिया, उससे दिलीप पटनायक की और फजीहत हुई ।
दिलीप
पटनायक को राजा साबू के रवैये से और परेशानी हुई । दिलीप पटनायक के
नजदीकियों का कहना है कि दिलीप पटनायक को उम्मीद थी कि उनको मुसीबत में
फँसा देख कर राजा साबू तो अवश्य ही उनकी मदद के लिए आगे आयेंगे, लेकिन
राजा साबू ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली है । दिलीप पटनायक ने अपने
नजदीकियों से कहा है कि वह राजा साबू के कारण ही इस खेल में शामिल हुए,
किंतु राजा साबू ने भी उनको मुसीबत से और लोगों के सवालों से बचाने की कोई
कोशिश नहीं की । इसीलिए दिलीप पटनायक अब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद छोड़ देना
चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट में और डिस्ट्रिक्ट के बाहर भी जिन लोगों के बीच
दिलीप पटनायक की अच्छी पहचान है, और उनके प्रति सम्मान का भाव है -
उनका भी कहना है कि जो कुछ भी हुआ है उससे दिलीप पटनायक की प्रतिष्ठा और पहचान को बहुत ही गहरी ठेस लगी है और ऐसे में दिलीप पटनायक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद छोड़ कर ही अपनी प्रतिष्ठा और पहचान को बचा सकते हैं ।
दिलीप पटनायक के कई कलीग गवर्नर्स का कहना है कि अपने विचार व व्यवहार के
चलते दिलीप पटनायक ने उनके बीच अपनी एक खास जगह बना ली थी, लेकिन
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उन्होंने जो हरकत की, उससे
उन्होंने अपने आप को उस खास जगह से गिरा लिया है ।
दिलीप
पटनायक को जिस तरह अपने डिस्ट्रिक्ट में, अपने कलीग गवर्नर्स के बीच और
रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व बड़े नेताओं के बीच फजीहत का सामना करना पड़ रहा
है - उससे बचने के लिए उन्हें यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद छोड़ने का विकल्प
ही सूझ रहा है, तो यह बहुत स्वाभाविक ही है । हालाँकि यह कहने वाले
लोगों की भी कमी नहीं है कि इस्तीफे का शिगूफा दिलीप पटनायक ने सहानुभूति
प्राप्त करने के लिए छेड़ा है - वास्तव में वह कोई इस्तीफा-विस्तीफा नहीं दे
रहे हैं, क्योंकि जो खेल हुआ है उसमें उनकी पूरी मिलीभगत रही है ।