प्रत्यक्षदर्शियों
के अनुसार, रात करीब बारह बजे के बाद जब शराब पीने वाले लोगों की संख्या
घट कर तीन-चार ही रह गई थी, तब होटल स्टॉफ ने आयोजन की व्यवस्था में
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे आशीष माखीजा से पूछा कि काउंटर कब तक खुला रखना
है ? आशीष माखीजा ने जब जाना कि ज्यादातर लोग अपने अपने कमरों में जा
चुके हैं तो उन्होंने काउंटर बंद कर देने का सुझाव दिया । काउंटर बंद हुआ
तो जो तीन-चार लोग अभी भी वहाँ बैठे शराब पी रहे थे, उन्होंने हंगामा खड़ा
कर दिया । उनकी माँग थी कि वह जब तक बैठे हैं, तब तक काउंटर खुला रहना
चाहिए । काउंटर सँभाल रहे होटल के स्टॉफ के लोग अब और काउंटर खोले रखने के
मूड में नहीं थे; और फिर उनके पास काउंटर बंद कर देने की एक प्रमुख
आयोजनकर्ता आशीष माखीजा की स्वीकृति भी थी । काउंटर खोले रखने की माँग करने
वाले लोगों को काउंटर स्टॉफ ने आशीष माखीजा की स्वीकृति का हवाला दे दिया ।
हंगामा करने वाले रोटेरियंस ने तब आशीष माखीजा के लिए अपशब्दों का
इस्तेमाल शुरू कर दिया । हंगामा करने वाले लोगों के बीच जेके गौड़ के क्लब
के अध्यक्ष वीरेंद्र अरोड़ा भी थे । उनका तर्क था कि इस आयोजन के आयोजनकर्ता
तो हम हैं, यह आशीष माखीजा कौन है ? हंगामे के बीच ही जेके गौड़ को फोन किया गया और शिकायत की गई कि आयोजन हम करें और यहाँ हमें ही शराब पीने को न मिले !
हंगामे की जानकारी मिलने के बाद भी जेके गौड़ खुद तो नहीं आये लेकिन उन्होंने अशोक अग्रवाल को भेजा । अशोक अग्रवाल ने हंगामा कर रहे लोगों को समझाने का भरसक प्रयास किया कि बहुत रात हो गई है, अधिकतर लोग अपने अपने कमरों में जा चुके हैं, होटल स्टॉफ ज्यादा देर तक सर्विस नहीं दे पायेगा, तीन-चार लोगों के लिए सर्विस जारी नहीं रखी जा सकती है, आदि-इत्यादि । लेकिन हंगामा कर रहे लोगों पर उनकी इस समझाईस का कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने अशोक अग्रवाल के साथ भी जमकर बदतमीजी की । इस बीच कुछ और रोटेरियंस भी घटनास्थल पर आ गए । होटल स्टॉफ से भी सलाह की गई कि क्या करना चाहिए ? होटल स्टॉफ ने साफ कह दिया कि यह तो आपको तय करना है कि काउंटर खोले रखना है या नहीं; हम तो यहाँ सर्विस देने के लिए हैं, आप जो कहेंगे वह करेंगे । होटल स्टॉफ की तरफ से यह इशारा भी दे दिया गया कि उनकी समस्या हंगामा करने वाले लोग नहीं हैं; ऐसे लोगों से निपटने के लिए उनके पास पूरी व्यवस्था है; अभी वह बाउंसर्स बुलवायेंगे और इन लोगों को होटल के बाहर फिंकवा देंगे । यह इशारा मिलने के बाद ही शायद अशोक अग्रवाल के जहन में रवि चौधरी के लिए की गई मीटिंग में हुए हादसे का चित्र उभर आया होगा, सो उन्होंने जल्दी से फैसला लेने की जरूरत महसूस की ।
हंगामे की जानकारी मिलने के बाद भी जेके गौड़ खुद तो नहीं आये लेकिन उन्होंने अशोक अग्रवाल को भेजा । अशोक अग्रवाल ने हंगामा कर रहे लोगों को समझाने का भरसक प्रयास किया कि बहुत रात हो गई है, अधिकतर लोग अपने अपने कमरों में जा चुके हैं, होटल स्टॉफ ज्यादा देर तक सर्विस नहीं दे पायेगा, तीन-चार लोगों के लिए सर्विस जारी नहीं रखी जा सकती है, आदि-इत्यादि । लेकिन हंगामा कर रहे लोगों पर उनकी इस समझाईस का कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने अशोक अग्रवाल के साथ भी जमकर बदतमीजी की । इस बीच कुछ और रोटेरियंस भी घटनास्थल पर आ गए । होटल स्टॉफ से भी सलाह की गई कि क्या करना चाहिए ? होटल स्टॉफ ने साफ कह दिया कि यह तो आपको तय करना है कि काउंटर खोले रखना है या नहीं; हम तो यहाँ सर्विस देने के लिए हैं, आप जो कहेंगे वह करेंगे । होटल स्टॉफ की तरफ से यह इशारा भी दे दिया गया कि उनकी समस्या हंगामा करने वाले लोग नहीं हैं; ऐसे लोगों से निपटने के लिए उनके पास पूरी व्यवस्था है; अभी वह बाउंसर्स बुलवायेंगे और इन लोगों को होटल के बाहर फिंकवा देंगे । यह इशारा मिलने के बाद ही शायद अशोक अग्रवाल के जहन में रवि चौधरी के लिए की गई मीटिंग में हुए हादसे का चित्र उभर आया होगा, सो उन्होंने जल्दी से फैसला लेने की जरूरत महसूस की ।
इस मौके पर अशोक अग्रवाल को सुरेंद्र शर्मा और एसके मिश्र की सलाह ने मदद पहुँचाई । इन दोनों ने अशोक अग्रवाल को समझाया कि काउंटर को बंद करने के फैसले को लेकर
नाहक ही जिद क्यों कर रहे हो; हंगामा बढ़ेगा और कुछ ऊँच-नीच हो गई तो ज्यादा
समस्या हो जायेगी; इसलिए भलाई इसी में है कि काउंटर खुलवा दो; होटल स्टॉफ
काउंटर खोले रखने को तैयार है ही । अशोक अग्रवाल ने भी समझ लिया कि शराबियों की माँग के आगे वह यदि नहीं झुके तो रोटरी व डिस्ट्रिक्ट की पता नहीं यहाँ और कितनी चिन्दियाँ बिखरेंगी । अंतिम फैसला करने से पहले अशोक अग्रवाल ने हालाँकि जेके गौड़ तथा अन्य कुछेक लोगों से सलाह की, और सभी से उन्हें यही राय मिली कि रोटरी और डिस्ट्रिक्ट की चाबी शराबियों को सौंपो तथा चैन की नींद सोयो । रात करीब डेढ़ बजे अशोक अग्रवाल ने होटल स्टॉफ को
काउंटर खोलने का फैसला सुनाया और फिर उसके बाद डिस्ट्रिक्ट की लीडरशिप की
ऐसीतैसी करने में मिली जीत का जश्न मनाया गया तथा कई बोतलें खुलीं । यह
जश्न कब तक चला, यह बताने वाला अभी तक कोई नहीं मिला है ।