नई दिल्ली । वीके हंस को मॉरटोरिअम
पीरियड में डिस्ट्रिक्ट का गवर्नर और/या एडमिनिस्ट्रेटिव बनाने/बनवाने के
लिए कुछेक दलाल किस्म के लायन नेता सक्रिय हो गए हैं, जो ऑफर दे रहे हैं कि
वीके हंस यदि नरेश अग्रवाल के सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद के अभियान
के लिए मोटी रकम खर्च करें तो वह नरेश अग्रवाल से कह कर उन्हें मॉरटोरिअम
पीरियड में डिस्ट्रिक्ट का गवर्नर और/या एडमिनिस्ट्रेटिव नियुक्त करवा
देंगे । इनका कहना है कि नरेश अग्रवाल ने ही डिस्ट्रिक्ट के नेताओं की
हरकतों और शिकायतों से परेशान होकर डिस्ट्रिक्ट को मॉरटोरिअम में डलवाया
है, ताकि डिस्ट्रिक्ट के नेताओं की अक्ल कुछ ठिकाने लगे । अपनी इस कार्रवाई
में नरेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट के नेताओं को अपनी शरण में आने के लिए
मजबूर करने का मौका भी पाया/देखा है : उन्हें पक्का विश्वास है कि
डिस्ट्रिक्ट को मॉरटोरिअम से बाहर निकलवाने के लिए डिस्ट्रिक्ट के नेता
उनकी खुशामद करने उनके पास अवश्य ही आयेंगे । दरअसल नरेश अग्रवाल के
इन्हीं तेवरों को देखते हुए कुछेक दलाल किस्म के लोगों ने वीके हंस के लिए
ऑफर निकाल दिया है कि वह यदि नरेश अग्रवाल के 'काम' आना स्वीकार करें, तो
नरेश अग्रवाल भी उनका काम कर/करवा सकते हैं । इनका तो यहाँ तक दावा है कि
वीके हंस ने चूँकि नरेश अग्रवाल के चुनाव अभियान के लिए पैसे नहीं दिए
हैं, इसलिए 'भी' नरेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट को मॉरटोरिअम में डलवा दिया
और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने का वीके हंस का मौका खत्म करवा दिया ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने का वीके हंस का मौका जिस तरह से छिना है, उसे लेकर उनके कलीग्स फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच गहरी नाराजगी और निराशा है । उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में जो कुछ भी हुआ और जिसके चलते डिस्ट्रिक्ट के मॉरटोरिअम में जाने की स्थितियाँ बनीं, उसमें वीके हंस का भला क्या दोष है ? वीके हंस का कोई दोष भी नहीं है, लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट के मॉरटोरिअम में जाने से सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं का हुआ है । इसी तर्क के साथ मल्टीपल के डिस्ट्रिक्ट्स के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स लायंस इंटरनेशनल से यह गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट को भले ही मॉरटोरिअम में डाल दिया गया है, लेकिन मॉरटोरिअम-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद वीके हंस को ही सौंपा जाए । मल्टीपल के कुछेक बड़े नेताओं को भी लगता है कि लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट को मॉरटोरिअम में डालने का फैसला करने के साथ-साथ ही जिस तरह से वीके हंस को इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पहुँचने के लिए टिकिट भेजा है, उससे लगता है कि लायंस इंटरनेशनल वीके हंस के साथ अन्याय नहीं होने देने का मन शायद बना चुका है । उल्लेखनीय है कि पूर्व में डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में पहले अशोक कपूर और फिर श्याम विजयवर्गीय के साथ लायंस इंटरनेशनल न्यायपूर्ण उदारता दिखा चुका है जिसमें अशोक कपूर बारह महीनों की बजाये सत्रह महीने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर रहे और इक्यावन प्रतिशत से अधिक खिलाफ वोट पाने के बावजूद श्याम विजयवर्गीय डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने । इन्हीं उदाहरणों के भरोसे तथा होनोलुलु का टिकट आने की स्थिति से उम्मीद की जा रही है कि वीके हंस के साथ भी 'अन्याय' शायद न हो ।
हालाँकि सारा दामोमदार नरेश अग्रवाल के रवैये पर निर्भर है । कुछेक लोगों को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री को मॉरटोरिअम में डलवाने का सारा खेल नरेश अग्रवाल ने ही संभव करवाया है । डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री की राजनीति में वीके हंस विरोधी नेताओं के साथ नरेश अग्रवाल की नजदीकी जगजाहिर बात है । ऐसे में, नरेश अग्रवाल की तरफ से वीके हंस को सहानुभूतिपूर्ण न्याय दिलवाने की कोई उम्मीद नहीं कर रहा है । लेकिन नरेश अग्रवाल के लिए खतरा भी है - मल्टीपल के डिस्ट्रिक्ट्स में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच जिस तरह वीके हंस को लेकर अभी जो सहानुभूति दिख रही है, उसने यदि सचमुच संगठित रूप ले लिया और नरेश अग्रवाल पर दबाव बनाया तो नरेश अग्रवाल को वीके हंस को न्याय दिलाने के लिए मजबूर भी किया जा सकता है । नरेश अग्रवाल को यह तथ्य अच्छे से पता है कि पिछले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव का फैसला करीब पाँच सौ वोटों के अंतर से ही हुआ था; इसलिए वीके हंस के मुद्दे पर मल्टीपल 321 के गवर्नर्स यदि वास्तव में आंदोलित हो गए तो सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद का उनका चुनाव खतरे में भी पड़ सकता है ।
जाहिर तौर पर वीके हंस के लिए उम्मीदें अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई हैं; हालाँकि उनकी उम्मीद के फलीभूत होने का सारा दारोमदार इस बात पर निर्भर है कि उनका केस किस तरह आगे बढ़ता है । उन्हें न्याय दिलवाने के नाम पर नरेश अग्रवाल से नजदीकी होने का दावा करने वाले कुछेक लोग जिस तरह से उनसे पैसे ऐंठने के की तरकीबें लगाने लगे हैं, उससे यह भी लग रहा है कि वीके हंस के लिए आगे की राह बहुत चुनौतीपूर्ण भी है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने का वीके हंस का मौका जिस तरह से छिना है, उसे लेकर उनके कलीग्स फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच गहरी नाराजगी और निराशा है । उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में जो कुछ भी हुआ और जिसके चलते डिस्ट्रिक्ट के मॉरटोरिअम में जाने की स्थितियाँ बनीं, उसमें वीके हंस का भला क्या दोष है ? वीके हंस का कोई दोष भी नहीं है, लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट के मॉरटोरिअम में जाने से सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं का हुआ है । इसी तर्क के साथ मल्टीपल के डिस्ट्रिक्ट्स के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स लायंस इंटरनेशनल से यह गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट को भले ही मॉरटोरिअम में डाल दिया गया है, लेकिन मॉरटोरिअम-काल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद वीके हंस को ही सौंपा जाए । मल्टीपल के कुछेक बड़े नेताओं को भी लगता है कि लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट को मॉरटोरिअम में डालने का फैसला करने के साथ-साथ ही जिस तरह से वीके हंस को इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में पहुँचने के लिए टिकिट भेजा है, उससे लगता है कि लायंस इंटरनेशनल वीके हंस के साथ अन्याय नहीं होने देने का मन शायद बना चुका है । उल्लेखनीय है कि पूर्व में डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में पहले अशोक कपूर और फिर श्याम विजयवर्गीय के साथ लायंस इंटरनेशनल न्यायपूर्ण उदारता दिखा चुका है जिसमें अशोक कपूर बारह महीनों की बजाये सत्रह महीने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर रहे और इक्यावन प्रतिशत से अधिक खिलाफ वोट पाने के बावजूद श्याम विजयवर्गीय डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने । इन्हीं उदाहरणों के भरोसे तथा होनोलुलु का टिकट आने की स्थिति से उम्मीद की जा रही है कि वीके हंस के साथ भी 'अन्याय' शायद न हो ।
हालाँकि सारा दामोमदार नरेश अग्रवाल के रवैये पर निर्भर है । कुछेक लोगों को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री को मॉरटोरिअम में डलवाने का सारा खेल नरेश अग्रवाल ने ही संभव करवाया है । डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री की राजनीति में वीके हंस विरोधी नेताओं के साथ नरेश अग्रवाल की नजदीकी जगजाहिर बात है । ऐसे में, नरेश अग्रवाल की तरफ से वीके हंस को सहानुभूतिपूर्ण न्याय दिलवाने की कोई उम्मीद नहीं कर रहा है । लेकिन नरेश अग्रवाल के लिए खतरा भी है - मल्टीपल के डिस्ट्रिक्ट्स में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स और फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच जिस तरह वीके हंस को लेकर अभी जो सहानुभूति दिख रही है, उसने यदि सचमुच संगठित रूप ले लिया और नरेश अग्रवाल पर दबाव बनाया तो नरेश अग्रवाल को वीके हंस को न्याय दिलाने के लिए मजबूर भी किया जा सकता है । नरेश अग्रवाल को यह तथ्य अच्छे से पता है कि पिछले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव का फैसला करीब पाँच सौ वोटों के अंतर से ही हुआ था; इसलिए वीके हंस के मुद्दे पर मल्टीपल 321 के गवर्नर्स यदि वास्तव में आंदोलित हो गए तो सेकेंड वाइस प्रेसीडेंट पद का उनका चुनाव खतरे में भी पड़ सकता है ।
जाहिर तौर पर वीके हंस के लिए उम्मीदें अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई हैं; हालाँकि उनकी उम्मीद के फलीभूत होने का सारा दारोमदार इस बात पर निर्भर है कि उनका केस किस तरह आगे बढ़ता है । उन्हें न्याय दिलवाने के नाम पर नरेश अग्रवाल से नजदीकी होने का दावा करने वाले कुछेक लोग जिस तरह से उनसे पैसे ऐंठने के की तरकीबें लगाने लगे हैं, उससे यह भी लग रहा है कि वीके हंस के लिए आगे की राह बहुत चुनौतीपूर्ण भी है ।