Tuesday, April 21, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सुभाष जैन को अपने लिए स्थितियाँ अनुकूल तो खूब दिख रही हैं, लेकिन क्लब में योगेश गर्ग ने भी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करके उनके लिए बड़ी समस्या और चुनौती पैदा कर दी है

गाजियाबाद । सुभाष जैन ने अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की बात करके लोगों को हैरान कर दिया है । लोगों के लिए हैरान होने का कारण यह रहा कि अभी चार दिन पहले ही तो उन्होंने सुभाष जैन को यह कहते हुए सुना था कि अगले तीन-चार वर्ष तो वह बहुत ही व्यस्त होने के कारण अपनी उम्मीदवारी के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं; लेकिन अब वही सुभाष जैन खुद ही अपनी उम्मीदवारी की बात कह रहे हैं । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि चार दिन में आखिर ऐसा क्या हो गया है कि सुभाष जैन की सारी व्यस्तता छूमंतर हो गई और वह उम्मीदवार बनने के लिए तैयार हो गए हैं ? लोगों के बीच यह सवाल भी चर्चा में है कि चार दिन पहले अपनी व्यस्तता की जो बात उन्होंने कही थी, वह यदि झूठ थी - तो क्या जरूरी है कि अब जो वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की बात कर रहे हैं, वह झूठ नहीं होगी ? दरअसल सुभाष जैन के इसी विरोधाभासी व्यवहार के कारण अभी कोई भी उनकी उम्मीदवारी की बात को गंभीरता से नहीं लेता दिख रहा है ।
सुभाष जैन की उम्मीदवारी की बात को कोई इसलिए भी गंभीरता से नहीं ले रहा है, क्योंकि उनके अपने क्लब - रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल में उनकी उम्मीदवारी को लेकर झमेला पैदा हो गया है । सुभाष जैन ने अपनी उम्मीदवारी की बात बताते हुए लोगों से इस बात का दावा किया कि उन्हें अपने क्लब में अपनी उम्मीदवारी के लिए हरी झंडी मिल गई है; और जब कुछेक लोगों ने क्लब के वरिष्ठ सदस्य योगेश गर्ग की उम्मीदवारी के बारे में उनसे पूछा तो उन्होंने जबाव दिया कि योगेश गर्ग ने भी उनकी उम्मीदवारी के प्रति समर्थन व्यक्त कर दिया है । सुभाष जैन ने लोगों के बीच भले ही यह दावे कर दिए, लेकिन उनके यह दावे जल्दी ही झूठे साबित हो गए । क्लब के पदाधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि क्लब में औपचारिक तौर पर अभी सुभाष जैन की उम्मीदवारी के बारे में कोई फैसला होना तो दूर की बात है, अभी कोई विचार-विमर्श भी नहीं हुआ है । क्लब के पदाधिकारियों का तो यहाँ तक कहना है कि जिस दिन उन्हें सुभाष जैन की तरफ से अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की इच्छा जताता हुआ ईमेल संदेश मिला, उसके अगले ही दिन उन्हें योगेश गर्ग की तरफ से भी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने बाबत पत्र प्राप्त हुआ । अब यदि योगेश गर्ग भी अगले रोटरी वर्ष में अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की बात कर रहे हैं, तो सुभाष जैन का यह कहना/बताना झूठ ही हुआ न कि उनके क्लब ने उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी दे दी है और योगेश गर्ग भी उनकी उम्मीदवारी को लेकर राजी हैं ।
इन तथ्यों ने सुभाष जैन की उम्मीदवारी को लोगों के बीच मजाक का विषय बना दिया है । जिन लोगों को सुभाष जैन के साथ हमदर्दी है और जो चाहते हैं कि सुभाष जैन को उम्मीदवार बनना चाहिए, उन्हें भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि सुभाष जैन ने अपनी उम्मीदवारी को इतने बचकाने तरीके से और झूठ का सहारा लेते हुए प्रस्तुत क्यों किया है ? उन्हें भी लगता है कि सुभाष जैन को अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में पहले अपने क्लब को भरोसे में लेना चाहिए था, और क्लब के झगड़ों/झंझटों को निपटाना चाहिए था - और फिर उसके बाद उन्हें दूसरे लोगों से अपनी उम्मीदवारी की बात करना चाहिए था । सुभाष जैन के शुभचिंतकों को भी लगता है कि अपने क्लब में अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाए बिना सुभाष जैन ने जिस तरह से अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत किया है, उससे न सिर्फ उनकी उम्मीदवारी का हल्कापन जाहिर हुआ है, वह बल्कि मजाक का विषय भी बन गई है ।
दूसरों के बीच भले ही सुभाष जैन की उम्मीदवारी मजाक का विषय बन गई हो, लेकिन अपनी उम्मीदवारी को लेकर सुभाष जैन खुद बहुत आश्वस्त हैं । लोगों से बात करते हुए उन्होंने जो कुछ कहा है उसका सार यह है कि सुभाष जैन को लगता है कि प्रवीन निगम को कोई जानता नहीं है; दीपक गुप्ता को कोई पसंद नहीं करता; अशोक गर्ग के बस की चुनाव लड़ना नहीं है; प्रसून चौधरी के कट्टर समर्थक विकास चोपड़ा जब उनके समर्थन में आ जायेंगे तो प्रसून चौधरी के पास भी कुछ बचा नहीं रह जायेगा । दरअसल सुभाष जैन ने विकास चोपड़ा को कुछ बिजनेस दिया है, जिसके भरोसे वह मानते हैं कि वह उम्मीदवार बनेंगे तो विकास चोपड़ा, प्रसून चौधरी को छोड़ कर उनके समर्थन में आ जायेंगे । सुभाष जैन ने जेके गौड़ का समर्थन मिलने का भी दावा किया है । स्कूलों की जो एसोसिएशनबाजी होती है, उसमें जेके गौड़ चूँकि सुभाष जैन की हाँ में हाँ मिलाते रहते हैं, इसलिए सुभाष जैन को भरोसा है कि वह उम्मीदवार बनेंगे तो जेके गौड़ उनकी उम्मीदवारी का झंडा खुद-ब-खुद उठा लेंगे । इतनी अनुकूल स्थितियों के बीच, फिर मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल भी उनका समर्थन करने को मजबूर हो जायेंगे । इस तरह, सुभाष जैन को विश्वास है कि वह बड़े आराम से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुन लिए जायेंगे ।
सुभाष जैन का आराम से चुन लिए जाने के इस सपने का क्या होगा, यह तो बाद में पता चलेगा; सुभाष जैन के लिए अभी मुसीबत लेकिन यह पैदा हो गई है कि उनकी इन बातों के आधार पर उनका मजाक ज्यादा बन रहा है । क्लब में योगेश गर्ग ने भी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करके सुभाष जैन के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर ही दी है । क्लब में सुभाष जैन के लिए जो समस्याएँ पैदा हुई हैं, उनके लिए खुद सुभाष जैन को ही जिम्मेदार माना/बताया जा रहा है । क्लब में सुभाष जैन के संगी-साथियों का ही कहना है कि सुभाष जैन ने अपने व्यवहार और अपने रवैये से लोगों को अपने खिलाफ कर लिया है; समस्या की बात यह है कि उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि उनका तौर-तरीका उन्हें सच्चाई से अवगत ही नहीं होने दे रहा है और वह खामख्याली में ही अनुमान लगाये जा रहे हैं । यही कारण है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी प्रस्तुत होते ही लोगों के बीच मजाक का विषय बन गई है ।