Wednesday, April 15, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 से रोटरी इंडिया विन्स में शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर बनवा कर रमेश अग्रवाल ने अपने लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद को पक्का करने का दाँव तो चला ही है, साथ ही साथ रोटरी की राजनीति में मुकेश अरनेजा को किनारे लगाने का काम भी कर लिया है

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल ने रोटरी इंडिया की विन्स(वॉश इन स्कूल्स) कमेटी में डिस्ट्रिक्ट विन्स कॉर्डिनेटर के रूप में शरत जैन का नाम जुड़वा कर एक तरफ तो मुकेश अरनेजा को तगड़ा झटका दिया है, और दूसरी तरफ अपने लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद की कुर्सी पक्की करने का दाँव चला है । मुकेश अरनेजा के लिए बदकिस्मती की बात यह हुई है कि सुशील गुप्ता से सिफारिश करके विन्स कमेटी में रमेश अग्रवाल को जगह उन्होंने ही दिलवाई थी; लेकिन अब रमेश अग्रवाल ने इस कमेटी से मुकेश अरनेजा का पत्ता पूरी तरह ही कटवा दिया है । सुशील गुप्ता रोटरी इंडिया विन्स के चेयरमैन हैं । सुशील गुप्ता के साथ मुकेश अरनेजा की नजदीकियत को जानते/पहचानते हुए रमेश अग्रवाल लगातार मुकेश अरनेजा से सिफारिश करने की खुशामद कर रहे थे । रमेश अग्रवाल का यही तर्क था कि इस कमेटी में उन्हें यदि जगह मिल गई तो डिस्ट्रिक्ट से ऊपर के लोगों के बीच उठने बैठने का उन्हें भी कुछ मौका मिल जायेगा । मुकेश अरनेजा की इस कमेटी का हिस्सा बनने में इसलिए दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि फिर उन्हें ज्यादा समय देना पड़ता और काम करना पड़ता । मुकेश अरनेजा की खुद की दिलचस्पी नहीं थी, और रमेश अग्रवाल उनकी खुशामद कर रहे थे, लिहाजा मुकेश अरनेजा ने सुशील गुप्ता से बात करके रमेश अग्रवाल को रोटरी इंडिया विन्स कमेटी में जगह दिलवा दी ।
मुकेश अरनेजा ने सोचा तो यह था कि वह रमेश अग्रवाल को एक बड़ा पद दिलवा रहे हैं तो रमेश अग्रवाल उनका अहसान मानेंगे । रमेश अग्रवाल लेकिन मुकेश अरनेजा के पक्के वाले चेले हैं - उन्होंने मुकेश अरनेजा की अच्छी बातें तो कुछ नहीं सीखीं, किंतु घटिया बातें खूब सीख ली हैं । अहसान न मानने का 'गुण' हो सकता है कि उनमें पहले से भी हो, और मुकेश अरनेजा की चेलागिरी करते हुए तो वह और ठोस हुआ हो - जैसे करेला यूँ तो कड़वा ही होता है, पर यदि वह नीम पर चढ़ा हुआ हो तो और ज्यादा कड़वा होने का अहसास कराता है । सो, अपने आप को मुकेश अरनेजा का पक्का वाला चेला साबित करते हुए रमेश अग्रवाल ने सबसे पहले मुकेश अरनेजा को ही डसा । मुकेश अरनेजा की विन्स की केंद्रीय कमेटी का सदस्य बनने में तो दिलचस्पी नहीं थी (क्योंकि वहाँ कुछ काम भी करना पड़ता); लेकिन डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर के रूप में उक्त कमेटी का हिस्सा बनने में पूरी दिलचस्पी थी (क्योंकि तब काम तो कुछ करना नहीं होता, और नेतागिरी दिखाने का पूरा पूरा अवसर होता) । डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर का पद चूँकि पीडीजी किस्म के लोगों को ही मिलता है, इसलिए मुकेश अरनेजा आश्वस्त थे कि डिस्ट्रिक्ट 3012 से उनका ही नंबर लगेगा । रमेश अग्रवाल ने लेकिन उन्हें तगड़ा झटका देते हुए उनकी जगह शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर के रूप में ले लिया है ।
गौर करने वाला तथ्य यह है कि शरत जैन को इससे कोई फायदा नहीं है ! डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर के रूप में वह विन्स की जिस भी मीटिंग में हिस्सा लेने के अधिकारी होंगे, उस मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में भी हिस्सा लेने का अधिकार उन्हें होगा ही । रमेश अग्रवाल की इस 'हरकत' से शरत जैन को तो कोई फायदा नहीं होगा, लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3012 को नुकसान जरूर हो गया है । विन्स की मीटिंग्स में डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व घट गया है - क्योंकि दो पदों का प्रतिनिधित्व एक अकेले शरत जैन ही करेंगे । और यदि कभी शरत जैन नहीं जा पाये तो उक्त मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट 3012 के प्रतिनिधित्व का तो बस भगवान ही मालिक है । अगले रोटरी वर्ष में शरत जैन पेम/पेट्स की तैयारियों में व्यस्त रहेंगे, लिहाजा संभव है कि वह विन्स की मीटिंग्स के लिए समय न निकाल पाएँ । इसी वजह से कुछेक लोगों का कहना रहा कि शरत जैन की बजाये जेके गौड़ को रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर बनवा सकते थे । उसमें भी समस्या लेकिन यही है कि जेके गौड़ भले ही रमेश अग्रवाल को सिर पर बैठाये हुए हों और उनके 'गुलाम' की तरह बने हुए हों, लेकिन रमेश अग्रवाल उन्हें मुकेश अरनेजा के 'आदमी' के रूप में ही देखते हैं । कुछेक लोगों का तो मानना और कहना है कि रमेश अग्रवाल हमेशा ही जेके गौड़ को इसीलिए जलील किए रहते हैं, क्योंकि जेके गौड़ 'में' वह मुकेश अरनेजा को देखते हैं ।
शरत जैन को रोटरी इंडिया विन्स में डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर बनवा कर रमेश अग्रवाल ने दरअसल अपने लिए शरत जैन के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद को पक्का करने का भी दाँव चला है । उन्होंने शरत जैन को अहसास करवाया है कि उनकी कृपा से वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (इलेक्ट) ही नहीं बने हैं, बल्कि डिस्ट्रिक्ट से ऊपर की रोटरी में भी उनके लिए मुँह दिखाने का मौका बना है । रमेश अग्रवाल को विश्वास है कि यह मौका बनाने के लिए उन्हें शरत जैन से ईनाम अवश्य मिलेगा और शरत जैन उनकी तरह के अहसानफरामोश साबित नहीं होंगे; और अवश्य ही उन्हें ही डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनायेंगे । एक पंथ दो काज वाली शैली में रमेश अग्रवाल ने शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट विन्स कॉर्डिनेटर बनवा कर मुकेश अरनेजा को किनारे लगाने का काम भी कर लिया । इसी स्थिति के लिए गुरु के गुड़ रह जाने तथा चेले के शक्कर हो जाने वाली कहावत बनी है ।