Wednesday, June 19, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता की मदद से नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनने की तैयारी में अपने आप को विवादों से बचाने के लिए तैयार की गई पंकज गुप्ता की रणनीति ही उनके लिए मुसीबत बनी

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सेक्रेटरी पंकज गुप्ता ने इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता की मदद से अगले वर्ष चेयरमैन बनने के लिए अपने आप को विवादों से बचाने का जो उपक्रम किया था, उसने उल्टा ही असर करते हुए उन्हें मुसीबत में और फँसा दिया है । पंकज गुप्ता की हाल-फिलहाल में इस बात के लिए काफी आलोचना हुई है कि सेक्रेटरी होने के बावजूद वह काउंसिल के कामकाज में समय नहीं देते हैं, और काउंसिल के कार्यालय में कभी-कभार ही आते हैं और वह भी बहुत कम समय के लिए । उनकी तरफ से इसका हमेशा ही यही जबाव मिला कि वह काम से काम रखने वाले व्यक्ति हैं, और फालतू में काउंसिल कार्यालय में बैठ कर अपना समय नष्ट नहीं करना चाहते हैं । पंकज गुप्ता की तरफ से इस बारे में और जो कुछ भी कहा गया, उससे लोगों को 'साउंड' हुआ जैसे वह कहना चाह रहे हैं कि वह बहुत व्यस्त व्यक्ति हैं, और उनके पास काउंसिल कार्यालय में आने का समय नहीं है और वह फोन पर ही सेक्रेटरी पद की जिम्मेदारी संभाल/निभा लेंगे । इस तरह की बातों और उनके रवैये की हालाँकि आलोचना भी हुई, लेकिन उन्होंने उन पर ध्यान नहीं दिया । पंकज गुप्ता खुशकिस्मत रहे कि काउंसिल के दूसरे पदाधकारियों और सदस्यों के बीच ऐसे झगड़े रहे कि उन झगड़ों के शोर में उनका 'मामला' दबा रहा । लेकिन पिछले दिनों कुछेक सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के साथ हुई रीजनल काउंसिल सदस्यों की अनौपचारिक मीटिंग में उनके 'रवैये' का खास नोटिस लिया गया, और उन्हें कुछ नसीहतें मिलीं । उसके बाद हुई चर्चाओं में जिक्र रहा कि पंकज गुप्ता दरअसल जानबूझ कर काउंसिल कार्यालय नहीं आते थे । वह अपने आप को झगड़ों से दूर दिखाना चाहते थे, ताकि किसी विवाद में उनका नाम न आ सके । अपनी इस रणनीति में वह सफल भी थे, लेकिन 6 जून की रीजनल काउंसिल की अनौपचारिक मीटिंग के बाद पंकज गुप्ता के लिए हालात बदल गए हैं ।
लोगों के बीच जिक्र है कि पंकज गुप्ता अपने आप को विवादों से इसलिए दूर रखना चाहते थे, ताकि अगले चेयरमैन के चुनाव/चयन के समय उनकी दाल गल सके । माना/समझा जा रहा है कि अगले वर्ष इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट होने के नाते अतुल गुप्ता नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में ऐसा चेयरमैन 'चाहेंगे', जिसके साथ कोई विवाद न जुड़ा हो; चेयरमैन पद के लिए जो लोग अत्यंत 'सक्रिय' नजर आते हैं या समझे जाते हैं, वह सब किसी न किसी विवाद में फँसे हुए हैं । ऐसे में पंकज गुप्ता को लगता है कि वह अतुल गुप्ता की पसंद हो सकते हैं । अतुल गुप्ता के समर्थन के सहारे/भरोसे रतन सिंह यादव भी हालाँकि चेयरमैन बनने के चक्कर में थे, और इस चक्कर में वह जब तब काउंसिल सदस्यों के 'पितामह' बनने की कोशिश करते रहते थे - लेकिन अपने स्टडी सर्किल में नितिन कँवर को स्पीकर के रूप में बुलाकर उन्होंने अतुल गुप्ता को नाराज कर लिया है और अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है । रतन सिंह यादव को जिस दिन से यह पता चला है कि नितिन कँवर को अपने स्टडी सर्किल में बुलाने के कारण अतुल गुप्ता उनसे नाराज हो गए हैं, उन्होंने अगले वर्ष के चेयरमैन पद की दौड़ से अपने को अलग करने की घोषणा कर दी है । हालांकि काउंसिल के सदस्यों को उनकी बात पर भरोसा नहीं है; सदस्यों का मानना और कहना है कि रतन सिंह यादव अभी भले ही कह रहे हों कि वह अगले वर्ष चेयरमैन बनने की होड़ से दूर रहेंगे - लेकिन उनकी बात का कोई भरोसा नहीं है, वह अपनी ही बात से पलट कर कभी भी होड़ में शामिल हो जायेंगे । अतुल गुप्ता के रतन सिंह यादव से नाराज हो जाने की चर्चा ने लेकिन पंकज गुप्ता को अतुल गुप्ता के समर्थन के प्रति और आश्वस्त किया ।
पंकज गुप्ता के पास/साथ लेकिन यह आश्वस्ति अभी आई ही थी कि उनकी रणनीति के फेल होने के हालात बन गए और अपने आप को विवादों से दूर रखने की उनकी कोशिश उलटे उनके गले पड़ गई है । हालाँकि अभी भी हालात पूरी तरह से उनके हाथ से निकले नहीं हैं, लेकिन यह जरूर तय हो गया है कि विवादों से बचने का उनका पुराना तरीका उनके काम अब नहीं आयेगा । काउंसिल के पदाधिकारियों और सदस्यों के बीच अभी तो झगड़ा शांत है, लेकिन यह कब तक शांत रह पायेगा - यह दावे से कोई नहीं कह पा रहा है । पंकज गुप्ता अभी तक तो कार्यालय से दूर रह कर झगड़े के दागों से अपने आप को बचाये हुए थे, लेकिन आगे वह कैसे बचेंगे - यह देखना दिलचस्प होगा ।