Tuesday, June 18, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में अशोक जैन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी छोड़ने से पूर्व गवर्नर्स रमेश अग्रवाल और शरत जैन का समर्थन ललित खन्ना को मिलने की संभावना बनी, जिसके चलते ललित खन्ना की उम्मीदवारी को बड़ा फायदा मिलता दिख रहा है

नई दिल्ली । रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के अशोक जैन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी से पीछे हटने के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी समीकरणों में खासा उलटफेर होता नजर आ रहा है, जिसके चलते ललित खन्ना की उम्मीदवारी को खासा फायदा होता देखा/पहचाना जा रहा है । ललित खन्ना की उम्मीदवारी के साथ अभी तक एक सबसे बड़ी समस्या यह थी कि डिस्ट्रिक्ट के सक्रिय नेताओं में उन्हें किसी नेता का समर्थन प्राप्त नहीं था, और इसे उनकी उम्मीदवारी की सबसे बड़ी कमजोरी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव यूँ तो उम्मीदवारों के बीच ही होता है, लेकिन वास्तव में वह डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स नेताओं की खेमेबाजी से नियंत्रित होता है; और इसीलिए उम्मीदवारों की ताकत व कमजोरी का आकलन उन्हें मिलने वाले नेताओं के समर्थन के आधार पर किया जाता है । हालाँकि चुनावी राजनीति को नजदीक व गहराई से देखने/समझने वाले रोटेरियंस कहते/बताते हैं कि नेताओं का समर्थन वास्तव में किसी काम नहीं आता है, और सारी 'लड़ाई' उम्मीदवार को खुद ही लड़नी पड़ती है । कई बार नेता लोग भी इस बात को अप्रत्यक्ष रूप से 'स्वीकार' कर लेते हैं । जैसे मौजूदा रोटरी वर्ष में मुकेश अरनेजा, रमेश अग्रवाल, दीपक गुप्ता के खुल्ले समर्थन के बावजूद अमित गुप्ता को जब बहुत ही कम वोट मिले, तो मुकेश अरनेजा ने अपने बचाव में सफाई दी कि जब उम्मीदवार में ही दम नहीं था, तो 'हम' ही क्या करते ? इस तरह मुकेश अरनेजा ने ही स्वीकार कर लिया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में नेताओं के भरोसे रहने वाले उम्मीदवार को नेताओं का समर्थन नहीं बचा सकता है, और उम्मीदवार में अपना दम होना जरूरी है ।
इसके बावजूद, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में - और/या रोटरी के किसी भी अन्य चुनाव में - नेताओं का समर्थन भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर उम्मीदवार के दम में दम पैदा करने का काम तो करता ही है । इसीलिए जल्दी से चुनावी मैदान छोड़ चुके अशोक जैन की उम्मीदवारी को - एक उम्मीदवार के रूप में अशोक जैन को कमजोर मानने के बावजूद - तवज्जो मिलती दिख रही थी । हर कोई मान रहा था कि अशोक जैन के लिए एक उम्मीदवार की भूमिका निभा पाना मुश्किल ही होगा, लेकिन दो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के समर्थन के चलते उनकी उम्मीदवारी तवज्जो पाने लगी थी । किंतु अशोक जैन की उम्मीदवारी जितने अचानक तरीके से आई थी, उतने ही अचानक तरीके से विदा भी हो गई । अशोक जैन की उम्मीदवारी को ललित खन्ना के लिए चुनौती व मुसीबत के रूप में देखा/पहचाना गया था । इसलिए अशोक जैन की उम्मीदवारी के वापस होने का फायदा भी उन्हें ही मिलता दिख रहा है । ललित खन्ना को सबसे बड़ा फायदा यह मिलता दिख रहा है कि रमेश अग्रवाल और शरत जैन के रूप में जो पूर्व गवर्नर्स नेता अशोक जैन की उम्मीदवारी का झंडा उठा रहे थे, वह अब ललित खन्ना की उम्मीदवारी का झंडा उठाने में अपना फायदा देखेंगे । रमेश अग्रवाल ने वास्तव में अशोक जैन को जबर्दस्ती उम्मीदवार बनाया/बनवाया ही इसलिए था, ताकि वह वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपनी वापसी करने का मौका पा सकें । 
रमेश अग्रवाल के लिए बदकिस्मती की बात यह है कि वह रोटरी में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट में उनकी विकट दुर्गति हुई पड़ी है और वह पूरी तरह अलग थलग पड़े हुए हैं । डिस्ट्रिक्ट में उनकी जो बुरी हालत है, उसका असर क्लब में उनकी 'हैसियत' पर भी पड़ने लगा है - और क्लब में उनकी मनमानियों पर सवाल उठने लगे हैं तथा उनका विरोध होने लगा है । अभी हाल ही में अपने क्लब में रमेश अग्रवाल को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा है; दरअसल उसी फजीहत को देखते हुए रमेश अग्रवाल के भरोसे चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे अशोक जैन अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने के लिए मजबूर हुए । कहा जाता है कि ईश्वर जब एक दरवाजा बंद करता है, तो दूसरा दरवाजा खोल भी देता है । रमेश अग्रवाल को ललित खन्ना की उम्मीदवारी के रूप में दूसरा दरवाजा खुला मिल गया है; और यह बात ललित खन्ना के लिए भी बोनस प्वाइंट बनी है । ललित खन्ना की उम्मीदवारी को रमेश अग्रवाल का समर्थन मिलना एक आश्चर्य ही होगा - लेकिन आश्चर्य ही तो राजनीति में रोमांच पैदा करते हैं और उसमें नई नई संभावनाएँ बनाते हैं; इसीलिए तो माना/कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है । ललित खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थन में आने का रमेश अग्रवाल को एक बड़ा फायदा यह मिलता दिख रहा है कि इसके जरिये उन्हें अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता के नजदीक आने/रहने का मौका मिलेगा । दीपक गुप्ता को चूँकि ललित खन्ना के साथ/समर्थन में देखा/पहचाना जा रहा है, इसलिए रमेश अग्रवाल को लगता है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी का समर्थन करने के जरिये वह दीपक गुप्ता के गवर्नर-वर्ष में डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रमों में तवज्जो पा सकेंगे; और पिछले दो वर्षों से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स द्वारा किनारे बैठाये गए वाली स्थिति से निजात पायेंगे । यह स्थिति नेताओं के समर्थन के मामले में कमजोरी का सामना कर रही ललित खन्ना की उम्मीदवारी को अचानक से बड़ी ताकत दे देती है ।