Friday, June 7, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग तो रद्द हो गई; लेकिन अनौपचारिक मीटिंग में बने माहौल ने झगड़े-झंझट का फायदा उठाने की कोशिश करने वाले गौरव गर्ग और रतन सिंह यादव को भड़काया

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन हरीश चौधरी जैन द्वारा बुलाई गई रीजनल काउंसिल की मीटिंग, इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी के हस्तक्षेप के बाद, रद्द हो गई । उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल के सेक्रेटरी पंकज गुप्ता ने हरीश चौधरी जैन द्वारा बुलाई गई मीटिंग को इंस्टीट्यूट के नियम-कानूनों से खिलवाड़ बताया था और इंस्टीट्यूट में इसकी शिकायत करते हुए इसे रद्द करने की माँग की थी । इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी ने पंकज गुप्ता की आपत्ति को स्वीकार करते हुए चेयरमैन हरीश चौधरी जैन को ऐन मौके पर मीटिंग रद्द कर देने के लिए कहा । मीटिंग रद्द होने से बौखलाए हरीश चौधरी जैन तथा गौरव गर्ग ने इसका ठीकरा इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में सरकार द्वारा नामित सदस्य विजय झालानी के सिर फोड़ा है । इनका आरोप है कि विजय झालानी ने इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी पर दबाव बना कर मीटिंग रद्द करने/करवाने का फैसला करवाया है । हरीश चौधरी जैन तो इसलिए बौखलाए हैं क्योंकि मीटिंग रद्द होने से उनकी भारी फजीहत हुई है; गौरव गर्ग इसलिए बौखलाए हैं क्योंकि पिछले कुछेक दिनों से वह हरीश चौधरी जैन के नजदीक होने की कोशिश कर रहे हैं और संदर्भित मीटिंग के सबसे बड़े समर्थक व 'वकील' बने हुए थे; मीटिंग के जरिये उन्होंने पंकज गुप्ता और विजय गुप्ता को 'फँसाने' के मंसूबे बनाए हुए थे - मीटिंग रद्द हो जाने से लेकिन उनके मंसूबे धरे रह गए । 'कोढ़ में खाज' वाली बात यह हुई कि हरीश चौधरी जैन द्वारा बुलाई गई और गौरव गर्ग द्वारा जोरशोर से समर्थित मीटिंग तो रद्द हो गई; लेकिन रीजनल काउंसिल सदस्यों व कुछेक सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के बीच रीजनल काउंसिल में चल रहे झगड़े-झंझट को लेकर अनौपचारिक मीटिंग हुई, जिसमें जो माहौल बना और बातें हुईं - वह हरीश चौधरी जैन तथा रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों के बीच चल रहे झगड़े-झंझट में अपना फायदा देख रहे गौरव गर्ग, नितिन कँवर, राजेंद्र अरोड़ा, सुमित गर्ग और रतन सिंह यादव की 'उम्मीदों' पर पानी फेरने वाला साबित हुआ । 
अनौपचारिक मीटिंग में मौजूद सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों तथा सदस्यों को यह बात साफ साफ बता दी कि जैसा चल रहा है, यदि ऐसा ही चलता रहा तो रीजनल काउंसिल पदाधिकारियों के अधिकार 'छीन' लिए जायेंगे और रीजनल काउंसिल का काम इंस्टीट्यूट के अधिकारी करेंगे । यह सुन कर चेयरमैन हरीश चौधरी जैन के तेवर ढीले पड़े । हरीश चौधरी जैन को यह सुन/जान कर और झटका लगा कि वह कोई भी काम और कोई भी फैसला सेक्रेटरी को विश्वास में लिए बिना नहीं कर सकते हैं । इस पर नितिन कँवर, राजेंद्र अरोड़ा, सुमित गर्ग, गौरव गर्ग ने आपत्ति की, तो सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने बड़े 'प्यार' से उन्हें समझा दिया कि चेयरमैन के लिए ऐसा करना नियमानुसार जरूरी है; यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो फिर इंस्टीट्यूट कार्रवाई कर सकता है - सेक्रेटरी को विश्वास में लिए बिना बुलाई गई मीटिंग को रद्द करके इंस्टीट्यूट प्रशासन ने इसका संकेत दे दिया है; अब यह चेयरमैन पर निर्भर करता है कि वह इस संकेत को समझे या न समझे । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को भी नसीहत दी कि उन्हें अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के पालन पर भी ध्यान देना चाहिए; उन्हें यह नहीं समझ लेना चाहिए कि उन्हें शामिल किए बिना कोई फैसला नहीं होने के नियम के चलते उन्हें मनमानी करने की छूट मिल जाएगी । दरअसल चेयरमैन हरीश चौधरी जैन का आरोप रहा कि सेक्रेटरी के रूप में पंकज गुप्ता काउंसिल के ऑफिस में तो कई कई दिनों तक आते नहीं हैं, और चाहते यह हैं कि काउंसिल में 'कोई वॉशरूम भी जाए तो उनसे पूछ कर जाए ।' सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने हरीश चौधरी जैन की इस शिकायत को गंभीरता से लिया, और पंकज गुप्ता को ऊपर वर्णित नसीहत दी । 
सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने कुछ नियमों का हवाला देकर, कुछ इंस्टीट्यूट प्रशासन की कार्रवाई का डर दिखा कर और कुछ 'बड़े भाई' जैसी भूमिका निभाते हुए प्यार से समझा कर रीजनल काउंसिल सदस्यों - खासकर पदाधिकारियों को यह संदेश देने में फिलहाल तो कामयाबी प्राप्त कर ली है कि उन्हें मिलजुल कर काम करना है । इससे उम्मीद बनी है कि रीजनल काउंसिल में पिछले काफी समय से चला आ रहा गतिरोध खत्म होगा और अराजकता की जो स्थिति बनी थी, उससे छुटकारा मिलेगा । अधिकतर लोग इस 'नतीजे' से संतुष्ट हैं; लेकिन इस नतीजे से गौरव गर्ग और रतन सिंह यादव को चूँकि अपनी 'राजनीति' पिटती हुई दिख रही है, इसलिए वह इस नतीजे पर तरह तरह के 'किंतु' 'परंतु' लगा रहे हैं । मीटिंग में गौरव गर्ग ने तो सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के साथ कुछेक मौकों पर बदतमीजीपूर्ण व्यवहार करने की कोशिश भी की । गौरव गर्ग ने एक मौके पर, जरूरत पड़ने पर दोबारा धरने पर बैठने की बात भी कही । पिछले दिनों धरने की नाटकबाजी के बाद कुछेक लोगों ने गौरव गर्ग को 'मिस्टर धरना गर्ग' कहना शुरू कर दिया है, इसलिए कल की मीटिंग में उन्होंने जब दोबारा धरने पर बैठने की बात कही, तो मीटिंग में मौजूद सभी लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट आ गई थी । रतन सिंह यादव ने मीटिंग में तो कुछ नहीं कहा, लेकिन मीटिंग के बाद कुछेक लोगों के बीच सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की यह कहते हुए आलोचना की कि वह रीजनल काउंसिल के कामकाज में नाहक ही हस्तक्षेप कर रहे हैं । असल में, रीजनल काउंसिल में जो झगड़ा चल रहा था, उसका सबसे ज्यादा फायदा गौरव गर्ग और रतन सिंह यादव ही उठा रहे थे । बिल्लियों के झगड़े में बंदर के फायदा उठाने वाले किस्से को चरितार्थ करते हुए गौरव गर्ग और रतन सिंह यादव झगड़ते सदस्यों के साथ दोस्ती गाँठने की कोशिश करते हुए नए नए समीकरण बनाने का प्रयास कर रहे थे, ताकि अगले चेयरमैन के चुनाव में वह अपना दावा ठोक सकें । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने रीजनल काउंसिल सदस्यों से बात करके रीजनल काउंसिल में माहौल सामान्य बनाने का जो प्रयास किया है, उसमें गौरव गर्ग और रतन सिंह यादव को अपनी अपनी योजना फेल होती हुई दिख रही है, इसलिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की भूमिका से वह भड़के हुए हैं ।