Saturday, June 1, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व गवर्नर विनोद बंसल की पूर्व प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन को खुश करने की कोशिश में आशीष घोष को कुछ न कुछ बनवा देने की मुहिम ने संजीव राय मेहरा के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के मामले को रोचक रूप दिया

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी संजीव राय मेहरा के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद को लेकर राजेश बत्रा और रवि चौधरी के बीच चल रही खींचतान का फायदा आशीष घोष को मिलने की चर्चा ने डिस्ट्रिक्ट में एक दिलचस्प नजारा प्रस्तुत किया हुआ है । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद आशीष घोष को देने/सौंपने की विनोद बंसल द्वारा की जा रही वकालत ने मामले को और 'ट्रिकी' बना दिया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के चयन/चुनाव को लेकर संजीव राय मेहरा खासे दबाव में हैं; एक तरफ रवि चौधरी डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लिए हर हथकंडा आजमा रहे हैं - जिसके तहत उन्होंने संजीव राय मेहरा को धमकी दी हुई है कि वह यदि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर नहीं बनाये गए तो फिर गवर्नरी करना उनके लिए मुश्किल हो जायेगा; दूसरी तरफ राजेश बत्रा तथा अन्य कुछेक बड़े नेता उन्हें समझा रहे हैं कि रवि चौधरी यदि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बने, तो रवि चौधरी की हरकतों के चलते उनकी गवर्नरी का बेड़ागर्क तो अपने आप ही हो जायेगा । समझा जाता है कि संजीव राय मेहरा को रवि चौधरी के खिलाफ भड़काने का काम राजेश बत्रा इसलिए कर रहे हैं, ताकि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद उन्हें मिल जाए । रवि चौधरी और राजेश बत्रा की इस खींचतान में फँसे बेचारे संजीव राय मेहरा के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का फैसला कर पाना मुश्किल बना हुआ है, जबकि वह अपनी कोर टीम के सदस्यों की मीटिंग कर चुके हैं । रोटरी में जो 'व्यवस्था' है, उसके अनुसार 'भावी' डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सबसे पहला काम डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर तय करने का करता है, बाकी काम उसके बाद शुरू होते हैं । संजीव राय मेहरा को लेकिन उल्टी गंगा बहानी पड़ रही है; पिछले दिनों उन्होंने अपनी कोर टीम के सदस्यों को लेकर पहली मीटिंग तो कर ली है, लेकिन उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का अभी तक भी कोई अता-पता नहीं है ।
दरअसल कोर टीम की मीटिंग के बाद संजीव राय मेहरा पर डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर 'बनाने' का दबाव और बढ़ गया है । इसी दबाव में आशीष घोष का नाम 'संकटमोचक' के रूप में सामने आया । संजीव राय मेहरा को कुछेक लोगों से सलाह मिली कि आशीष घोष चूँकि उनके ही क्लब के सदस्य हैं, इसलिए उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाने का उनके पास एक प्रभावी तर्क है, जिसका कोई विरोध भी नहीं कर पायेगा - और इससे उनका संकट बिना किसी विवाद के समाप्त हो जायेगा । चर्चा है कि इस आईडिया का समर्थन करते हुए विनोद बंसल भी आशीष घोष को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनवाने की मुहिम में शामिल हो गए हैं । विनोद बंसल की इस वकालत से मामला लेकिन सुलझने की बजाये उलझ और गया दिख रहा है । मजेदार जानकारी यह है कि विनोद बंसल की गैरजरूरी वकालत के कारण ही डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) का पद आशीष घोष को मिलते मिलते रह गया । जानकारों का कहना/बताना है कि डीआरएफसी पद के लिए आशीष घोष के नाम पर सहमति बन गई थी, और बस घोषणा होने ही वाली थी कि हेमंत आहूजा के एक आयोजन में विनोद बंसल ने गैरजरूरी ढंग से आशीष घोष को डीआरएफसी बनाने की वकालत शुरू कर दी, जिससे डीआरएफसी बनाने और 'बनवाने' वाले नेता लोग भड़क गए और आशीष घोष का नाम तुरंत से कट गया । नेता लोगों को दरअसल यह देख कर बुरा लगा कि विनोद बंसल खामख्वाह ही डीआरएफसी के मामले में अपनी टाँग अड़ा रहे हैं और आशीष घोष को डीआरएफसी बनवाने का श्रेय लेना चाहते हैं । बिडंवना की बात यह रही कि नेता लोगों का ऐतराज विनोद बंसल के रवैये/व्यवहार से था, लेकिन नुकसान आशीष घोष को उठाना पड़ा । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के मामले में भी लोगों को डर है कि कहीं विनोद बंसल की वकालत आशीष घोष का बनता काम बिगाड़ न दे ।
आशीष घोष को कुछ न कुछ 'बनवा' देने में विनोद बंसल को जुटा देख कर भी कई लोगों को हैरानी हो रही है । इस हैरानी के चलते लोगों के बीच चर्चा है कि विनोद बंसल अचानक से आशीष घोष के शुभचिंतक कैसे बन गए ? यह हैरानी और चर्चा इसलिए है क्योंकि तीन/साढ़े तीन वर्ष पहले विनय भाटिया को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने में हुई धाँधलीबाजी का रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने बिना अधिकृत शिकायत के जो संज्ञान लिया था और डिस्ट्रिक्ट के तीन पूर्व गवर्नर्स को चेतावनी दी थी, जिनमें एक विनोद बंसल थे - उसके 'पीछे' विनोद बंसल ने आशीष घोष का हाथ बताया था और जिसके चलते दोनों के बीच काफी तल्खी पैदा हो गई थी । आशीष घोष के चूँकि तत्कालीन इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के साथ खासे नजदीकी संबंध थे; इसलिए उन संबंधों का वास्ता देकर विनोद बंसल ने लोगों के कान भरे थे कि आशीष घोष ने ही केआर रवींद्रन को सारा फीडबैक दिया है, और डिस्ट्रिक्ट के लिए फजीहत वाले हालात पैदा किए । कानाफूसी के रूप में होने वाली इन बातों पर आशीष घोष ने काफी नाराजगी व्यक्त की थी और मामला खासा गंभीर हो गया था । तब से अब तक आँधी/बारिश के कई मौके आ चुके हैं और जिसके चलते वह मामला गहरे में दब गया है । इस बीच विनोद बंसल ने केआर रवींद्रन के साथ नजदीकी बनाने की कोशिशें की हैं; उन्हें लगता है कि रोटरी में उन्हें यदि 'ऊपर' बढ़ना है तो केआर रवींद्रन के साथ उनके अच्छे संबंध होने चाहिए; केआर रवींद्रन के साथ सचमुच अच्छे संबंध बने, इसके लिए विनोद बंसल को लगता है कि आशीष घोष के साथ भी उनके संबंध सुधरे होने चाहिए - और इसीलिए तीन/साढ़े तीन वर्ष पहले के मामले को भूल कर वह आशीष घोष के साथ अपने संबंध ठीक कर लेना चाहते हैं; और इसीलिए वह आशीष घोष को कुछ न कुछ बनवा देना चाहते हैं - और या उनके बनने का श्रेय लेना और 'दिखाना' चाहते हैं । डीआरएफसी के मामले में तो विनोद बंसल की तरकीब फेल हो गई; लेकिन आशीष घोष को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनवा कर वह उस 'झटके' से उबरने की कोशिश कर रहे हैं । संजीव राय मेहरा के नजदीकियों का कहना लेकिन यह है कि आशीष घोष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के अच्छे चांस हैं, लेकिन जब से विनोद बंसल ने उनकी वकालत करना शुरू किया है तब से डर यह पैदा हुआ है कि डीआरएफसी वाले मामले की तरह कहीं इस मामले में भी विनोद बंसल की वकालत आशीष घोष को मिलता दिख रहा मौका छीन न ले ।