मुरादाबाद । रोटरी इंटरनेशनल ने दीपक बाबू से
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद न सिर्फ छीन लिया है, बल्कि इस पद के लिए
उनके दोबारा उम्मीदवार हो सकने के मौके पर भी रोक लगा दी है । पिछले
रोटरी वर्ष में संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में दीपक
बाबू द्धारा वोटों की खरीद के सहारे जीत प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए
रोटरी क्लब मुरादाबाद हैरिटेज द्धारा की गई शिकायत को सही ठहराते हुए
रोटरी इंटरनेशनल की तीन सदस्यीय कमेटी ने उस चुनाव को निरस्त करते हुए उस
चुनाव को दोबारा कराने का फैसला सुनाया है । दीपक बाबू के लिए इससे भी
ज्यादा बुरी बात यह हुई है कि उक्त कमेटी ने दोबारा होने वाले चुनाव में
दीपक बाबू के उम्मीदवार होने पर रोक लगा दी है ।
रोटरी इंटरनेशनल के इस फैसले के जरिये नियति ने दीपक बाबू के साथ बहुत ही क्रूर तरीके से बदला लिया है, और दीपक बाबू की करनी ही नहीं - उनकी कथनी का भी उन्हें करारा जबाव दिया है । जो स्थिति बनी है, उसे 'बनाने' का श्रेय
खुद दीपक बाबू को ही है ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में वोटों की खरीद-फ़रोख्त के आरोप पहले भी लगते रहे हैं - लेकिन दीपक बाबू पहले उम्मीदवार हैं जिन्होंने यह आरोप लगाने के लिए लोगों को बाकायदा 'मौका' दिया । दीपक बाबू ने कई बार लोगों के बीच 'वोटों की खरीद' को चुनाव जीतने की अपनी तरकीब के रूप में व्याख्यायित किया था । उन्होंने कई मौकों पर लोगों को बताया था कि चुनाव के समय, यानि वोट देने के समय वह क्लब-अध्यक्षों को मोटी मोटी रकम ऑफर करेंगे और बदले में उनसे वोट पा लेंगे और इस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बन जायेंगे । वही नहीं, उन्हें ऐन-केन-प्रकाणेन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवाने पर आमादा रहे तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल भी इसी तरह के दावे किया करते थे । दीपक बाबू और तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल जब खुद ही इस तरह की बातें करते थे, तो दीपक बाबू के जीत जाने के बाद लोगों को यह कहने का मौका मिला ही कि उनकी जीत तो वोटों की खरीद के जरिये मिली जीत है । कुछेक क्लब्स के पदाधिकारियों ने हलफनामे देकर दीपक बाबू द्धारा की गई वोटों की खरीद-फ़रोख्त के सुबूत भी दे दिए, जिन्हें आधार बना कर दिवाकर अग्रवाल के क्लब - रोटरी क्लब मुरादाबाद हैरिटेज ने रोटरी इंटरनेशनल में दीपक बाबू की जीत को चेलैंज कर दिया ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में वोटों की खरीद-फ़रोख्त के आरोप पहले भी लगते रहे हैं - लेकिन दीपक बाबू पहले उम्मीदवार हैं जिन्होंने यह आरोप लगाने के लिए लोगों को बाकायदा 'मौका' दिया । दीपक बाबू ने कई बार लोगों के बीच 'वोटों की खरीद' को चुनाव जीतने की अपनी तरकीब के रूप में व्याख्यायित किया था । उन्होंने कई मौकों पर लोगों को बताया था कि चुनाव के समय, यानि वोट देने के समय वह क्लब-अध्यक्षों को मोटी मोटी रकम ऑफर करेंगे और बदले में उनसे वोट पा लेंगे और इस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बन जायेंगे । वही नहीं, उन्हें ऐन-केन-प्रकाणेन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवाने पर आमादा रहे तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल भी इसी तरह के दावे किया करते थे । दीपक बाबू और तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल जब खुद ही इस तरह की बातें करते थे, तो दीपक बाबू के जीत जाने के बाद लोगों को यह कहने का मौका मिला ही कि उनकी जीत तो वोटों की खरीद के जरिये मिली जीत है । कुछेक क्लब्स के पदाधिकारियों ने हलफनामे देकर दीपक बाबू द्धारा की गई वोटों की खरीद-फ़रोख्त के सुबूत भी दे दिए, जिन्हें आधार बना कर दिवाकर अग्रवाल के क्लब - रोटरी क्लब मुरादाबाद हैरिटेज ने रोटरी इंटरनेशनल में दीपक बाबू की जीत को चेलैंज कर दिया ।
दीपक बाबू द्धारा की गई वोटों की खरीद-फ़रोख्त के जो किस्से
लोगों के बीच चर्चा में रहे, उनसे पता चला कि दीपक बाबू ने वोटों को
'खरीदने' के लिए बड़ी हार्ड बारगेनिंग की । कुछेक क्लब के पदाधिकारियों
को वोट के बदले साठ हजार रुपये के ऑफर से सौदा करना शुरू किया गया, जो फिर
दस-दस हजार रुपये बढ़ता हुआ एक लाख रुपये और उससे भी अधिक तक पहुँचा ।
कुछेक क्लब के पदाधिकारियों ने मौके की नजाकत से फायदा उठाने की कोशिश करते
हुए ज्यादा 'मुँह खोले', तो दीपक बाबू को फिर वह सौदे बीच में ही छोड़ने
पड़े । जीत का नतीजा आने के बाद दीपक बाबू ने कुछेक लोगों के बीच बड़े
घमंड के साथ कहा भी था कि कुछेक क्लब्स से बात बनते बनते 'रह गई', अन्यथा उनकी
जीत का अंतर और बड़ा होता ।
दीपक बाबू की इसी तरह की
बातें उन पर अब भारी पड़ गई हैं; और इसका नतीजा यह हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर नॉमिनी पद की कुर्सी से उतार दिए जाने के बाद दीपक बाबू के साथ किसी
को हमदर्दी भी नहीं हो रही है । लोगों का यही कहना है कि दीपक बाबू ने जो किया, उन्हें उसी की 'कीमत' चुकानी पड़ रही है ।
दीपक बाबू का इसे बड़ा दुर्भाग्य ही माना/बताया जा रहा है कि बुरी खबर के
साथ-साथ उन्हें एक 'अच्छी' खबर भी मिली है - लेकिन वह उस अच्छी खबर का कोई
मजा ही नहीं ले पा रहे हैं । दीपक बाबू के क्लब - रोटरी क्लब मुरादाबाद
मिडटाउन ने दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को मान्य करने को लेकर जो शिकायत
की थी, उसे रोटरी इंटरनेशनल ने सही पाया और दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी
को अमान्य घोषित कर दिया । रोटरी क्लब मुरादाबाद हैरिटेज की शिकायत पर
पिछले वर्ष हुए चुनाव को ही जब अमान्य घोषित कर दिया गया है, तो दिवाकर
अग्रवाल की उम्मीदवारी को अमान्य घोषित करने वाला फैसला निरर्थक ही साबित
हुआ है और दीपक बाबू को मिल सकने वाली खुशी भी नसीब नहीं हो सकी है ।
रोटरी
इंटरनेशनल से जो झटका मिला है उससे दीपक बाबू और उनके समर्थक व शुभचिंतक
अभी तो निराश और हताश हैं, लेकिन उनमें से कुछेक यह कहने से नहीं चूक रहे
हैं कि दिवाकर अग्रवाल और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों को इस फैसले से
ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि वह कोशिश करेंगे कि जैसे दीपक बाबू को
वर्ष 2016-2017 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की दौड़ से बाहर किया गया है, वैसे
ही वह दिवाकर अग्रवाल को भी उस दौड़ से बाहर करवायेंगे । उनका कहना है
कि वर्ष 2016-2017 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए
दिवाकर अग्रवाल के नामांकन को रोटरी इंटरनेशनल ने अमान्य घोषित करने का जो
फैसला किया है उसी का हवाला देते हुए वह अपील करेंगे कि वर्ष 2016-2017 के
लिए दोबारा से होने वाले चुनाव में दिवाकर अग्रवाल के नामांकन को न
स्वीकार किया जाए । दीपक बाबू के समर्थकों के इस तेवर को देख/जान कर
लगता है कि दीपक बाबू और दिवाकर अग्रवाल के बीच चल रहा झगड़ा अभी भी शांत
नहीं होने वाला है तथा अभी इसमें और आतिशवाजी देखने को मिलेगी । हालाँकि कई
लोगों का कहना यह भी है कि दीपक बाबू और राकेश सिंघल ने अपनी हरकतों से
डिस्ट्रिक्ट का नाम बहुत खराब कर लिया है और खुद उन्हें भी उससे कुछ हासिल
नहीं हुआ है - इसलिए अभी तक जो कुछ भी हुआ है उससे सबक लेते हुए
दीपक बाबू को अपनी नकारात्मक सोच को अब विराम दे देना चाहिए ।