मेरठ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के
लिए प्रस्तुत रोटरी क्लब मेरठ साकेत के राजीव सिंघल की उम्मीदवारी को लेकर
उठे विवाद ने डिस्ट्रिक्ट को एक बार फिर पिछले रोटरी वर्ष जैसी स्थितियों
में पहुँचा दिया है । उल्लेखनीय है कि पिछले रोटरी वर्ष में दिवाकर
अग्रवाल की उम्मीदवारी को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि पायलट प्रोजेक्ट
के नियम का उल्लंघन करते हुए वह गवर्नर टीम का हिस्सा बने और उनका नाम-पता-फोटो डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में छपा । ठीक इसी तर्क से, इस वर्ष राजीव सिंघल की उम्मीदवारी सवालों के घेरे में है ।
पिछले वर्ष डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में दिवाकर अग्रवाल का नाम-पता-फोटो तो
एक जगह ही छपा था; इस वर्ष की डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में राजीव सिंघल का
नाम-पता-फोटो तो दो जगह छपा है । राजीव सिंघल का कहना है कि उनका मामला
दिवाकर अग्रवाल के मामले से बिलकुल अलग है; और दूसरी बात यह कि उनकी
उम्मीदवारी को रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने स्वीकार्यता दे दी है तथा उस
स्वीकार्यता के बाद ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने उनकी उम्मीदवारी को मंजूर कर लिया है ।
चूँकि
हर मामला अपने आप में अलग ही होता है, इसलिए दिवाकर अग्रवाल और राजीव
सिंघल के मामले में भी बहुत कुछ अलग अलग होगा ही - किंतु दोनों मामलों में
एक बात समान है और वह यह कि पिछले रोटरी वर्ष में भी दिवाकर अग्रवाल की
उम्मीदवारी को स्वीकार करने से पहले तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने रोटरी
इंटरनेशनल कार्यालय से सलाह माँगी थी और वहाँ से हरी झंडी मिलने के
बाद ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने उनकी उम्मीदवारी को स्वीकार किया था । इस बार
भी ऐसा ही हुआ है । रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से हरी झंडी मिलने के
बाद स्वीकार होने के बावजूद दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी जिस तरह सवालों
के घेरे में बनी रही थी, उसी तरह राजीव सिंघल की उम्मीदवारी भी सवालों के
घेरे में हैं । दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी रोटरी इंटरनेशनल से हरी झंडी
मिलने - और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर द्धारा स्वीकार किए जाने के बाद भी फजीहत
में फँसी रही और फिर रोटरी इंटरनेशनल द्धारा ही जिस तरह से निरस्त हुई - उससे राजीव सिंघल की उम्मीदवारी को लेकर आशंका बनी हुई है ।
यह आशंका इसलिए और बलवती है क्योंकि देखा/माना यह जा रहा है कि दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को रोटरी इंटरनेशनल ने दूसरी बार के अपने फैसले में तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए नहीं, बल्कि 'न्याय' में बैलेंस बनाने/दिखाने के लिए निरस्त किया । सीओएल के चुनाव वाले मामले में ललित मोहन गुप्ता के साथ भी इसी तरह का बैलेंस बनाने/दिखाने के चक्कर में नाइंसाफी हुई है । इसलिए ही रोटरी इंटरनेशनल से फ़िलहाल हरी झंडी मिलने के बाद भी राजीव सिंघल की उम्मीदवारी पर तलवार को लटकी हुई ही देखा/पहचाना जा रहा है । ऐसा इसलिए भी है क्योंकि राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के पीछे योगेश मोहन गुप्ता को देखा/पहचाना जा रहा है - रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं बीच जिनकी बड़ी बदनामी है । इसीलिए राजीव सिंघल से हमदर्दी रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में नाम-पता-फोटो प्रकाशित होने का जो झमेला है, उसके चलते राजीव सिंघल को इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी को छोड़ ही देना चाहिए - अन्यथा हो सकता है कि पाते पाते भी उन्हें कुछ न मिले ।
यह आशंका इसलिए और बलवती है क्योंकि देखा/माना यह जा रहा है कि दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को रोटरी इंटरनेशनल ने दूसरी बार के अपने फैसले में तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए नहीं, बल्कि 'न्याय' में बैलेंस बनाने/दिखाने के लिए निरस्त किया । सीओएल के चुनाव वाले मामले में ललित मोहन गुप्ता के साथ भी इसी तरह का बैलेंस बनाने/दिखाने के चक्कर में नाइंसाफी हुई है । इसलिए ही रोटरी इंटरनेशनल से फ़िलहाल हरी झंडी मिलने के बाद भी राजीव सिंघल की उम्मीदवारी पर तलवार को लटकी हुई ही देखा/पहचाना जा रहा है । ऐसा इसलिए भी है क्योंकि राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के पीछे योगेश मोहन गुप्ता को देखा/पहचाना जा रहा है - रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं बीच जिनकी बड़ी बदनामी है । इसीलिए राजीव सिंघल से हमदर्दी रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में नाम-पता-फोटो प्रकाशित होने का जो झमेला है, उसके चलते राजीव सिंघल को इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी को छोड़ ही देना चाहिए - अन्यथा हो सकता है कि पाते पाते भी उन्हें कुछ न मिले ।
राजीव
सिंघल की उम्मीदवारी को पचड़े में फँसा पाकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद
के बाकी उम्मीदवार अपनी अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिशों में जुट गए
हैं - हालाँकि उनके सामने भी समस्याएँ और मुसीबतें कम नहीं हैं । रोटरी
क्लब मुरादाबाद मिडटाउन के मनोज कुमार को मुरादाबाद से अकेले उम्मीदवार
होने का फायदा मिल सकता था, लेकिन उन्हें चूँकि दीपक बाबू के कैम्प का आदमी
माना जाता है और दीपक बाबू के कैम्प की हालत इन दिनों चूँकि खासी पतली है
इसलिए मनोज कुमार के लिए ज्यादा मौका दिख नहीं रहा है । रोटरी क्लब मेरठ
कॉसमॉस के संजय अग्रवाल की बदकिस्मती यह है कि उन्हें 'अपनों' का ही
साथ/समर्थन मिलता हुआ नहीं दिख रहा है । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एमएस जैन
हालाँकि उन्हीं के क्लब के हैं, लेकिन उन्हें संजय अग्रवाल की बजाये रोटरी
क्लब सिकंदराबाद के दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी के समर्थन में देखा/पहचाना
जा रहा है । संजय अग्रवाल को इससे भी तगड़ा झटका मिला है डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर इलेक्ट सुनील गुप्ता से । सुनील गुप्ता के चुनाव में संजय अग्रवाल
ने काफी काम किया था, जिस नाते संजय अग्रवाल को उम्मीद थी कि उनकी
उम्मीदवारी को सुनील गुप्ता का सहयोग/समर्थन मिलेगा - लेकिन सुनील गुप्ता
उनकी उम्मीदवारी की किसी भी तरह से मदद करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं ।
सुनील गुप्ता ने यह कहते हुए उनकी उम्मीदवारी से अपने आप को दूर कर लिया है
कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद पर होने के कारण उनके लिए किसी उम्मीदवार
का सहयोग/समर्थन करना उचित नहीं होगा । दिनेश शर्मा को अभी तक किसी भी तरह के विवादों से दूर होने के कारण बेहतर स्थिति में माना/समझा जा रहा था; लेकिन अभी हाल ही में उन्हें निशाने पर लेते हुए जो पर्चेबाजी शुरू हुई है उससे लोगों को यह आभास तो हो ही गया है कि कुछेक लोग उनके पीछे लग गए हैं । इन सब स्थितियों में वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए होने वाले चुनाव का परिदृश्य दिलचस्प तो हो ही उठा है ।