Wednesday, November 19, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में चार्टर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने जा रहे जेके गौड़ के पूरी तरह समर्पण कर देने से मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के लिए शरत जैन की उम्मीदवारी को सफल बनाने वास्ते डिस्ट्रिक्ट टीम के पदों की सौदेबाजी करना आसान हुआ

गाजियाबाद । शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद का चुनाव जितवाने के लिए मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल जैसे उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने जो व्यूह रचना की है, उसमें गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस को उपेक्षित और अपमानित होने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । अगले रोटरी वर्ष की जेके गौड़ की गवर्नर-काल की टीम के जिन थोड़े से सदस्यों के नाम घोषित किए गए हैं, उनमें तो गाजियाबाद तथा उत्तर प्रदेश के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं ही मिला है; टीम के कुछेक और नाम घोषित करके बाकी महत्वपूर्ण लोगों को भी सम्मान देने का काम नहीं किया गया । आरोप है कि ऐसा इसलिए नहीं किया गया ताकि टीम के उन पदों के जरिये शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु सौदेबाजी की जा सके ।
इस उपेक्षापूर्ण और अपमानजनक रवैये के लिए गाजियाबाद तथा उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस के बीच जेके गौड़ के प्रति खासतौर से रोष व नाराजगी है । यहाँ के रोटेरियंस याद करते हुए कहते/बताते हैं कि जेके गौड़ जब उम्मीदवार बने थे तब यहाँ के लोगों के बीच वायदा और दावा किया करते थे कि उनके गवर्नर-काल में गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस को खास तवज्जो मिलेगी और तमाम फैसले उनसे सलाह करके ही होंगे । लेकिन अब जब अपने वायदों और दावों पर सचमुच में अमल करने का मौका आया है तो जेके गौड़ का रवैया पूरी तरह से बदला हुआ है । जेके गौड़ के गवर्नर-काल में खास तवज्जो मिलने का इंतजार कर रहे गाजियाबाद के प्रमुख लोगों की ड्यूटी अपने पहले आयोजन - पेम वन में जेके गौड़ ने खाने का इंतजाम करने/देखने में लगाई हुई थी ।
जेके गौड़ के इस व्यवहार को देख कर एक नए डिस्ट्रिक्ट के रूप में रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 के बनने और इसके पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ के कार्यभार सँभालने से गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस के बीच जो भारी उत्साह था, वह हवा हो गया है । जेके गौड़ ने जिस तरह से मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के आगे समर्पण कर दिया है, उसे देखकर गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस को तगड़ा झटका लगा है । पेम वन में जिस तरह से जेके गौड़ तो कम बोले, रमेश अग्रवाल ही लोगों को यह बताने में लगे रहे कि 'यह करेंगे', 'वह करेंगे' - उससे ऐसा लगा जैसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ नहीं, बल्कि रमेश अग्रवाल हैं । गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस ने यह मान लिया है कि नए डिस्ट्रिक्ट में उनकी हिस्सेदारी का अनुपात बढ़ने के बावजूद उनकी हैसियत दोयम दर्जे की ही रहेगी और उन्हें मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल जैसे लोगों की कृपा पर ही रहना पड़ेगा । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल आज जेके गौड़ के जरिये जिस तरह डिस्ट्रिक्ट पर 'राज' कर रहे हैं, उस 'राज' को बनाये रखने के लिए उन्हें शरत जैन को जितवाना जरूरी लग रहा है - ताकि कल वह शरत जैन के जरिये डिस्ट्रिक्ट पर अपना कब्ज़ा बनाये रख सकें ।
जेके गौड़ के गवर्नर-काल के पदों पर नियुक्तियों को दरअसल इसीलिए टाला हुआ है, जिससे कि शरत जैन की जीत को सुनिश्चित किया जा सके । उनके अपने लोगों के अनुसार, इसके लिए दोतरफा रणनीति बनाई गई है । नोमीनेटिंग कमेटी में यदि शरत जैन का नाम अधिकृत उम्मीदवार के रूप में नहीं चुना गया तो चेलैंज करने के लिए कॉन्करेंस जुटाने और फिर वोट जुटाने के लिए उन पदों की सौदेबाजी की जायेगी; विपरीत स्थिति में, यानि नोमीनेटिंग कमेटी में शरत जैन के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने की स्थिति में प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार दीपक गुप्ता को कॉन्करेंस न मिल सकें उसके लिए उन पदों का सौदा किया जायेगा । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल का कहना है कि वह गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस को खूब जानते/समझते हैं; उन्हें अच्छे से पता है कि गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस के साथ चाहें जैसा व्यवहार कर लो, उन्हें चाहें कितना ही अपमानित कर लो - लेकिन फिर उन्हें कुछ दे दो, वह ठीक हो जाते हैं । इसी फार्मूले से वह अभी तक भी इस्तेमाल होते रहे हैं, और आगे भी होते रहेंगे । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने अपने अपने गवर्नर-काल में - तथा उसके बाद में भी जिन-जिन क्लब्स को और रोटेरियंस को परेशान किया और अपमानित किया, उन सभी को पदों का लॉलीपॉप दिखा कर पटा लेने का उन्हें पूरा-पूरा भरोसा है । जेके गौड़ को भी उन्होंने यही समझाया है कि गाजियाबाद में और या उत्तर प्रदेश में कोई यदि नाराज होता दिखता है तो परेशान मत होना, उसे कैसे पटाना है यह हमें पता है । जेके गौड़ को भी इस बात का पता है और इसीलिए अपनी पेम वन में उन्होंने गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस को उपेक्षित तथा अपमानित करने वाली स्थितियों को बनाने/रचने से जरा भी परहेज नहीं किया ।
मजे की बात यह है कि यह जो कुछ भी हो रहा है उसमें फजीहत कुल मिलाकर जेके गौड़ की ही हो रही है - उन्होंने जिस तरह से मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के सामने समर्पण किया हुआ है उसके चलते लोगों को यह कहने का मौका मिला है कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लायक दरअसल हैं नहीं; और इसलिए ही मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल उन्हें 'दबोच' लेने में कामयाब हुए हैं । जेके गौड़ से हमदर्दी रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि जेके गौड़ के सामने हालाँकि सुनहरा मौका था कि वह अपनी टीम बनाते और खुद से फैसले लेते हुए 'दिखते' - ऐसा वह कर सकते थे; लेकिन पता नहीं वह क्यों इतना मजबूर हैं कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के सामने समर्पण ही कर बैठे हैं । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने जेके गौड़ के गवर्नर-काल को शरत जैन की उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जिससे जेके गौड़ के गवर्नर-काल का कबाड़ा होना तथा जेके गौड़ की फजीहत होना निश्चित ही माना जा रहा है । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के सामने समस्या यह है कि शरत जैन की उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए जेके गौड़ के गवर्नर-काल के पदों की सौदेबाजी का ही सहारा उनके पास बचा रह गया है ।