Wednesday, November 12, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के प्रस्तावित विभाजित डिस्ट्रिक्ट 3012 में शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को समर्थन जुटाने वास्ते जेके गौड़ के गवर्नर-काल के पदों की सौदेबाजी को चलाते रहने के लिए असिस्टेंट गवर्नर्स के नाम घोषित करने से बचना ही ठीक लग रहा है

गाजियाबाद । जेके गौड़ के गवर्नर-काल में जिन रोटेरियंस को असिस्टेंट गवर्नर बनने के संकेत मिले हैं, उनके लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि जेके गौड़ असिस्टेंट गवर्नर के रूप में उनके नाम सार्वजनिक रूप से घोषित क्यों नहीं कर रहे हैं ? जेके गौड़ जिस तरह से असिस्टेंट गवर्नर्स के नाम घोषित करने से बच रहे हैं उससे इस तरह की चर्चाओं को बल मिला है कि चुनावी फायदे के गणित से यदि अभी तय किए गए असिस्टेंट गवर्नर्स में से कुछेक के नाम काटने पड़े तो उन्हें काटने में और उनकी जगह दूसरों को असिस्टेंट गवर्नर बनाने का मौका बना रहेगा । आरोप यह है कि शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए जेके गौड़ के गवर्नर-काल के पदों का सौदा किया जा रहा है । रोटरी क्लब सोनीपत मिडटाउन के ज्ञानिंदर सचदेव को डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर मीट और रोटरी क्लब सोनीपत सिटी के दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार घोषित करने से इस सौदेबाजी की पोल खुल गई है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर मीट पर दिल्ली के और डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार पद पर गाजियाबाद के कुछेक चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की निगाह थी - उनमें से जिनकी जेके गौड़ के साथ पिछले दिनों जैसी जो बातचीत हुई थी उससे उन्हें उम्मीद बँधी थी कि उक्त पद उन्हें मिलेंगे । लेकिन उक्त पदों पर हुई घोषणा से उन्होंने अपने आप को ठगा हुआ महसूस किया है ।
डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार पद को लेकर तो गाजियाबाद में बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया हुई है । गाजियाबाद में कई लोगों ने खासी मुखरता के साथ इस बात को कहा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार का पद तो जेके गौड़ को गाजियाबाद में ही किसी को देना चाहिए था, जिससे कि उन्हें काम करने/लेने में सुविधा होती । गाजियाबाद में बहुत से रोटेरियन चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं - उनमें से कुछेक के जेके गौड़ के साथ अच्छे संबंध भी देखे/बताये जाते हैं; जेके गौड़ उनमें से ही किसी को डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरार चुन सकते थे । पर चुनते तो तब जब उन्हें चुनने का 'अधिकार' होता । उनका अधिकार तो मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने ले रखा है । डिस्ट्रिक्ट में हर किसी को लगता है और कई लोग कहते भी हैं कि जेके गौड़ गवर्नर की कुर्सी पर बैठेंगे जरूर, लेकिन गवर्नर के रूप में उनके फैसले मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ही कर रहे हैं - और इन दोनों ने शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने वास्ते जेके गौड़ के गवर्नर-काल को 'बेच' देने की तैयारी कर ली है । ज्ञानिंदर सचदेव और दीपक गुप्ता अपने अपने क्लब से नोमेनेटिंग कमेटी के लिए चुने गए हैं, इसलिए ही उन्हें उक्त पद दिए गए हैं ताकि नोमीनेटिंग कमेटी में वह शरत जैन की उम्मीदवारी का समर्थन करें ।
ज्ञानिंदर सचदेव और दीपक गुप्ता को पद देने पर डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच जो तीखी प्रतिक्रिया हुई है उससे शरत जैन की उम्मीदवारी के पीछे लगे अरनेजा गिरोह को चिंता हुई है और इसी चिंता में उन्होंने असिस्टेंट गवर्नर्स के नाम सार्वजनिक करने की कार्रवाई को रोक दिया है । उन्हें डर हुआ है कि असिस्टेंट गवर्नर्स के नाम पर भी यदि नाराजगियाँ फैली तो मामला उल्टा पड़ जायेगा । कुछ लोगों को यह भी लगता है कि असिस्टेंट गवर्नर्स बनाने का झाँसा ज्यादा लोगों को दे दिया गया है - नाम सार्वजनिक करने से इस झाँसे की पोल खुल जायेगी; इसलिए असिस्टेंट गवर्नर्स के नाम घोषित करने से बचने की रणनीति अपनाई गई है । पेम वन होने में मुश्किल से तीन दिन बचे हैं लेकिन उसमें शामिल होने वाले लोगों को अभी तक भी यह नहीं पता है कि उनके असिस्टेंट गवर्नर कौन कौन होंगे । पिछले वर्षों में पेम वन होने तक यह स्पष्ट हो जाता था - कभी-कभी उन्हें कहा कोऑर्डिनेटर जाता था, लेकिन उन्हें भी और दूसरों को भी यह पता होता था कि यही लोग असिस्टेंट गवर्नर होंगे । जेके गौड़ ने लेकिन कोऑर्डिनेटर भी घोषित नहीं किए हैं, जिस कारण उनके गवर्नर-काल के असिस्टेंट गवर्नर्स को लेकर असमंजस बना हुआ है । यह असमंजस इसलिए और गहरा रहा है क्योंकि जेके गौड़ की तरफ से कुछेक लोगों को असिस्टेंट गवर्नर बनने का संदेश दे दिया गया है । इसीलिए जिन लोगों को संदेश मिला है, उन्हें यह आशंका होने लगी है कि उन्हें असिस्टेंट गवर्नर का पद वास्तव में मिलेगा भी या उन्हें मिला संदेश सिर्फ झाँसा ही साबित होगा । 
शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन 'खरीदने' के चक्कर में जेके गौड़ के गवर्नर-काल का जैसा जो मजाक-सा बना दिया जा रहा है, उसे देखते/समझते हुए शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच भी कन्फ्यूजन बढ़ रहा है । शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेता वैसे तो यह दावा करते हुए नहीं थकते हैं कि शरत जैन की उम्मीदवारी के प्रति लोगों के बीच अच्छा समर्थन है और लोग उन्हें ही चुनेंगे - लेकिन उनसे इस बात का कोई जबाव नहीं मिलता है कि शरत जैन की उम्मीदवारी की स्थिति सचमुच में यदि इतनी ही मजबूत है तो फिर उनके लिए समर्थन जुटाने वास्ते टुच्चई करने की और जेके गौड़ के गवर्नर-काल के पदों को 'बेचने' तक के स्तर पर उतरने की जरूरत क्यों पड़ रही है ? इसीलिए लोगों को लग रहा है कि शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेता झूठे ही उनकी हवा बना रहे हैं - और मजे की बात यह है कि अपने द्धारा बनाई जा रही हवा पर उन्हें खुद ही भरोसा नहीं है और यही कारण है कि जेके गौड़ के गवर्नर-काल के पदों का ऑफर देकर वह शरत जैन के लिए वोटों को खरीदने की तिकड़मों में लगे हुए हैं । शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की इन हरकतों ने शरत जैन की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन का भाव रखने वाले लोगों को भी यह सोचने और कहने पर मजबूर कर दिया है कि समर्थन जुटाने के लिए की जा रही हरकतों से शरत जैन का नाम बदनाम ही हो रहा है और इससे उनकी उम्मीदवारी को मिल सकने वाला समर्थन घटेगा ही । इस तरह की बातें करने/कहने वाले लोगों के मुँह लेकिन शरत जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने यह कहते हुए बंद किए हुए हैं कि शरत जैन को यदि जितवाना है तो वह जो कर रहे हैं, उन्हें करने दिया जाये । यानि जेके गौड़ के गवर्नर-काल के पदों की सौदेबाजी के नए नए रूप अभी और देखने को मिलेंगे ।