Wednesday, March 2, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में रेखा गुप्ता और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के बीच एक-दूसरे की कमियाँ निकालने/बताने का खेल शुरू हो जाने से उनके समर्थकों के बीच न केवल निराशा पैदा हुई है, बल्कि वह विनय मित्तल के समर्थन की तरफ जाते हुए भी नजर आने लगे हैं

देहरादून । रेखा गुप्ता और शिव कुमार चौधरी की तरफ से संभावित हार का ठीकरा एक दूसरे के सिर फोड़ने की तैयारी जिस तरह से अभी से शुरू हो गई 'दिखने' लगी है, उससे रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों के बीच असमंजस पैदा हो गया है और वह विनय मित्तल की उम्मीदवारी के समर्थन की तरफ बढ़ने लगे हैं । पिछले दिनों रेखा गुप्ता की तरफ से उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों को कई मौकों पर सुनने को मिला कि शिव कुमार चौधरी ने उन्हें जिस तरह का समर्थन दिलवाने का भरोसा दिया था, वैसा समर्थन वह अभी तक दिलवाते नजर नहीं आ रहे हैं । रेखा गुप्ता की शिकायत है कि उनकी पार्टियों में लोग आते तो हैं, लेकिन पार्टी में खाने-पीने के बाद ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे उन्हें उनकी उम्मीदवारी से कोई मतलब ही नहीं है । रेखा गुप्ता का कहना है कि कई पार्टियाँ कर लेने और तमाम पैसा खर्च कर देने के बाद भी उन्हें डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटता हुआ नहीं दिख रहा है; और वह देख रही हैं कि जो नेता लोग उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में हैं भी - वह भी उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं । अपने समर्थक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से तो रेखा गुप्ता बहुत ही नाराज हैं । अपने नजदीकियों के बीच उन्होंने हाल ही में कई बार यह बात कही है कि अपने समर्थक कई एक पूर्व गवर्नर्स पर उन्हें शक है कि वह अपने क्लब के वोट भी उन्हें दिलवा सकेंगे ? रेखा गुप्ता का स्पष्ट आरोप है कि उनकी उम्मीदवारी के समर्थक कई पूर्व गवर्नर्स उनसे पैसे खर्च करवाने में तो बहुत दिलचस्पी लेते हैं, किंतु उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का काम करने की कोई परवाह नहीं करते हैं । अपनी उम्मीदवारी के प्रस्तोता/प्रवर्तक शिव कुमार चौधरी पर तो उनका बड़ा दिलचस्प किस्म का आरोप है; और वह यह कि शिव कुमार चौधरी तो बस उनसे यही कहते/बताते रहते हैं कि फलाँ गवर्नर नाराज है मैं उनसे मिल लूँ - और इस तरह कभी 'इस' पूर्व गवर्नर से तो कभी 'उस' पूर्व गवर्नर से मिल लेने के लिए ही कहते रहते हैं !
रेखा गुप्ता की शिकायतों की बात शिव कुमार चौधरी तक पहुँचती हैं, तो वह भी 'अपने तरीके' से उन पर भड़ास निकालते हैं । शिव कुमार चौधरी का कहना रहता है कि रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी को जो भी समर्थन मिल पा रहा है, वह सिर्फ उनकी अकेले की मेहनत का नतीजा है - और उम्मीदवार के रूप में रेखा गुप्ता अपनी ही उम्मीदवारी की खुद कोई मदद नहीं कर रही हैं । रेखा गुप्ता मीटिंग में न तो ठीक से बोल पाती हैं और न ही अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में एक भी वोट जोड़ पा रही हैं - सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह पैसे भी नहीं खर्च करना चाहती हैं । शिव कुमार चौधरी का कहना रहता है कि उनका बहुत सा समय तो रेखा गुप्ता को राजनीति बताने/समझाने में तथा उनसे पैसा निकलवाने में खर्च हो जाता है । शिव कुमार चौधरी का कहना है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का जो समर्थन रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी को मिलता नजर आ रहा है, वह उनके कारण संभव हो सका है - और रेखा गुप्ता इस समर्थन को वोट में बदलने की कबायद कर सकने में असफल साबित हो रही हैं, तो इसमें मैं क्या सकता हूँ ? रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के दूसरे कई समर्थकों की भी शिकायत है कि एक उम्मीदवार को लोगों के बीच जितना सक्रिय होना चाहिए, रेखा गुप्ता न तो उतना सक्रिय हैं - और न ही वह पैसे खर्च कर रही हैं जिससे कि कुछ न करने के बावजूद सक्रियता 'दिखे' तो ! मजे की बात यह देखने में आ रही है कि रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के ही कई समर्थक विनय मित्तल को रेखा गुप्ता के मुकाबले एक बेहतर उम्मीदवार बता रहे हैं, और यह कहने में भी नहीं हिचकते हैं कि लायनिज्म व डिस्ट्रिक्ट की भलाई के लिए जरूरी है कि विनय मित्तल गवर्नर बनें ।
रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में  दिख रहे कई प्रमुख नेता इस बात को छिपाने की भी कोई कोशिश नहीं करते हैं और साफ साफ कहते भी हैं कि विनय मित्तल बढ़िया व्यक्ति हैं, उन्हें विनय मित्तल से कोई शिकायत नहीं है - वह तो मुकेश गोयल के विरोध के कारण रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में आए हैं । जाहिर है कि ऐसे लोगों/नेताओं की रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी  के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बन सकी है । कहीं की ईंट और कहीं का रोड़ा लेकर रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में भानुमति का कुनबा तो जुड़ गया है - लेकिन यह कुनबा चूँकि कुछ करता हुआ नजर नहीं आ रहा है, इसलिए रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति खुद रेखा गुप्ता भी और उनके समर्थक भी नाउम्मीद व निराश हो चले हैं और अपने ही समर्थकों को कोसने लगे हैं । रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी को चूँकि उनके अपने गृह-क्षेत्र देहरादून में ही समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है, इसलिए दूसरे क्षेत्र के लोगों के बीच भी उनकी उम्मीदवारी को लेकर उत्साह पैदा नहीं हो पा रहा है । चुनाव में अपनी हार को सुनिश्चित जान कर रेखा गुप्ता ने जिस तरह से अपने समर्थक नेताओं को ही जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया है, उससे मामला और खराब होता जा रहा है । रेखा गुप्ता और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के बीच एक-दूसरे की कमियाँ निकालने/बताने का जो खेल शुरू हुआ है, उससे उनके समर्थकों के बीच न केवल निराशा पैदा हुई है - बल्कि उनके बीच कन्फ्यूजन भी फैला है और उनमें से कई लोग विनय मित्तल की उम्मीदवारी के समर्थन में जाते नजर आने लगे हैं ।