Saturday, March 19, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अशोक जैन को आगे करके रमेश अग्रवाल द्वारा चली गई चाल के खिलाफ शरत जैन की सक्रियता ने सत्ता खेमे में ललित खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थकों को मजबूत किया

नई दिल्ली । रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के वरिष्ठ सदस्य अशोक जैन की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी की चर्चा जिस तेजी के साथ शुरू हुई थी, उसी तेजी के साथ वह विवाद में भी पड़ गई है । मजे की बात यह है कि यह विवाद भी उनके क्लब के दो 'गवर्नरों' की आपसी खींचतान के रूप में भड़का और फैला है । उल्लेखनीय है कि उम्मीदवार के रूप में अशोक जैन को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल की खोज के रूप में देखा गया है, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट शरत जैन लोगों को बताते फिर रहे हैं कि अशोक जैन के बस की उम्मीदवार बनना है ही नहीं । दरअसल शरत जैन और उनके नजदीकी मान रहे हैं तथा लोगों को बता रहे हैं कि अशोक जैन की उम्मीदवारी के जरिए रमेश अग्रवाल वास्तव में क्लब में शरत जैन की बढ़ती हैसियत को रोकने का इंतजाम कर रहे हैं । रमेश अग्रवाल यह देख कर खासे परेशान हैं कि अपने क्लब में वह अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं, तथा शरत जैन ने क्लब के सदस्यों के बीच अपनी अच्छी पैठ बना ली है । इसका एक प्रमुख कारण तो यही है कि रमेश अग्रवाल गुजरे हुए समय के नेता हैं, जबकि शरत जैन आने वाले समय के नेता हैं - लोग चढ़ते सूरज को जल चढ़ाते हैं, डूबता हुआ सूरज 'साईट सीन' का मजा देने के अलावा और किसी काम का नहीं रह जाता । दूसरा कारण यह भी है कि रमेश अग्रवाल की तुलना में शरत जैन व्यावहारिक व्यक्ति हैं, और रमेश अग्रवाल जितने बद्तमीज नहीं हैं । रमेश अग्रवाल 'कारण' तो देख/समझ नहीं रहे हैं, वह तो बस यह देख/जान रहे हैं कि शरत जैन तेजी से उन्हें अपदस्थ करते जा रहे हैं । रमेश अग्रवाल समझ रहे हैं कि शरत जैन अभी उन्हें जो थोड़ी बहुत इज्जत दे भी रहे हैं, तो सिर्फ इसलिए, क्योंकि उन्हें अपने काम निकालने हैं; काम निकलने के बाद शरत जैन फिर उन्हें टके भाव नहीं पूछेंगे । यह आशंका सिर्फ रमेश अग्रवाल को ही नहीं है - बल्कि उनके क्लब के तथा डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भी है कि शरत जैन ज्यादा दिन तक रमेश अग्रवाल को झेल नहीं पायेंगे । सभी यह जान/मान रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ ने रमेश अग्रवाल की जैसी 'गुलामी' की है, वैसी गुलामी शरत जैन नहीं करेंगे । और इस 'नहीं करेंगे' में ही रमेश अग्रवाल व शरत जैन के रास्ते जुदा होने के बीज पड़ेंगे ।
समझा जाता है कि इस संभावित स्थिति को टालने के लिए ही रमेश अग्रवाल ने अशोक जैन को मोहरा बनाया है, और उनकी उम्मीदवारी की बात चला दी है । अशोक जैन को रमेश अग्रवाल के 'पक्के वाले आदमी' के रूप में देखा/पहचाना जाता है । समझा जाता है कि शरत जैन की तरफ से रमेश अग्रवाल को जो जो खतरे हैं, उनसे बचने के लिए ही रमेश अग्रवाल ने अशोक जैन को उम्मीदवार रूपी मोहरा बनाने की चाल चली है । इस चाल को पहचानते हुए ही शरत जैन ने जबावी कार्रवाई शुरू कर दी है : रमेश अग्रवाल की इस चाल की हवा निकालने के लिए ही शरत जैन ने लोगों के बीच कहना शुरू किया है कि अशोक जैन के बस की उम्मीदवार 'बनना' है ही नहीं । शरत जैन का कहना है कि अशोक जैन बढ़िया व्यक्ति हैं, और पिछले कई वर्षों से क्लब में तथा डिस्ट्रिक्ट में सक्रिय हैं - तथा रोटरी की चुनावी राजनीति की 'जरूरतों' को जानते/पहचानते हैं; इसलिए उम्मीद है कि वह इस पचड़े में नहीं पड़ेंगे । शरत जैन तथा उनके नजदीकियों को एक डर और है, तथा वह यह कि अशोक जैन जीतेंगे तो नहीं ही - और तब रमेश अग्रवाल उनकी हार का ठीकरा शरत जैन के सिर फोड़ेंगे और इस तरीके से वह शरत जैन को क्लब में बदनाम करेंगे । शरत जैन तथा उनके नजदीकी समझ रहे हैं कि अशोक जैन की उम्मीदवारी की बातें करने के पीछे रमेश अग्रवाल का वास्तविक उद्देश्य दरअसल क्लब में अपनी चौधराहट को बचाने व बनाए रखने - तथा शरत जैन को 'काबू' में रखने का ही है । शरत जैन तथा उनके नजदीकियों को विश्वास है कि अशोक जैन भी स्थिति को समझ रहे होंगे और रमेश अग्रवाल के जाल में नहीं फँसेंगे ।
शरत जैन तथा उनके नजदीकी हालाँकि सिर्फ अशोक जैन की 'समझ' के ही भरोसे नहीं बैठे हैं, उन्होंने खुद भी अशोक जैन की संभावित उम्मीदवारी के खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया है । शरत जैन की तरफ से सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं को बताया गया है कि अशोक जैन उम्मीदवार की 'जरूरतों' को हरगिज हरगिज पूरा नहीं कर पायेंगे, और अशोक जैन को उम्मीदवार बनाए जाने का मतलब प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार दीपक गुप्ता को 'वॉक-ओवर' देना होगा । सत्ता खेमे में जो लोग दीपक गुप्ता के जबर्दस्त खिलाफ हैं, शरत जैन उन्हें यह बताने/समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि दीपक गुप्ता को यदि सचमुच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने से रोकना है - तो उनके खिलाफ एक ऐसा उम्मीदवार लाना होगा, जो उम्मीदवार की 'जरूरतों' को समझता/पहचानता हो तथा उन्हें पूरा करने के लिए तैयार हो । उल्लेखनीय है कि सत्ता खेमे के काफी लोग ललित खन्ना की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन व्यक्त कर रहे हैं; समर्थन को 'घोषित' करना अभी इसलिए टाला जा रहा है जिससे कि सत्ता खेमे के सभी नेताओं की पूरी तरह से सहमति बन जाए और संगठित रूप से ललित खन्ना की उम्मीदवारी को समर्थन का ऐलान किया जाए । सत्ता खेमे के कई एक नेताओं का साफ कहना है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का मुकाबला करने के लिए ललित खन्ना ही हर तरह से परफेक्ट उम्मीदवार हैं । सत्ता खेमे के नेताओं से मिल रहे संकेतों से उत्साहित ललित खन्ना ने अपनी सक्रियता को संयोजित करना शुरू कर दिया है । अपने आपको एक गंभीर उम्मीदवार 'दिखाने' की तैयारी के तहत ही उन्होंने अभी हाल ही में कोलकाता में आयोजित लिटरेसी एंड वाश इन स्कूल्स प्रेसीडेंशियल कॉन्फ्रेंस में रोटरी के बड़े नेताओं के बीच अपनी उपस्थिति व सक्रियता को प्रदर्शित किया ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए होने वाले अगले मुकाबले में बनने वाले चुनावी समीकरणों में सत्ता खेमे के नेताओं को ललित खन्ना की उम्मीदवारी में इसलिए भी दम नजर आ रहा है, क्योंकि एक सिर्फ ललित खन्ना ही हैं जिनकी उम्मीदवारी दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को मिलने वाली 'पावर-लाइन' को काट सकती है । सत्ता खेमे के नेताओं का मानना और कहना है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी के सामने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के दो बड़े समर्थक मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल खुद-ब-खुद पीछे हट जायेंगे - मुकेश अरनेजा भले ही ललित खन्ना की उम्मीदवारी को पसंद न करें, लेकिन एक ही क्लब के होने के कारण उनके लिए ललित खन्ना की उम्मीदवारी का विरोध कर पाना मुश्किल ही होगा । नोएडा का होने के कारण सतीश सिंघल के लिए भी ललित खन्ना की उम्मीदवारी का वैसा विरोध कर पाना मुश्किल होगा, जैसा विरोध उन्होंने सुभाष जैन की उम्मीदवारी का किया था । सत्ता खेमे में ललित खन्ना की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले नेताओं को रमेश अग्रवाल की अशोक जैन को आगे करने की चाल से फिलहाल धक्का तो लगा है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि अशोक जैन को लेकर रमेश अग्रवाल ज्यादा दूर तक चल नहीं पायेंगे । शरत जैन ने ही जिस तरह से अशोक जैन की उम्मीदवारी के खिलाफ झंडा उठा लिया है, उससे यह और स्पष्ट हो गया है कि अशोक जैन की उम्मीदवारी को जब उनके खुद के ही क्लब के शरत जैन का समर्थन नहीं मिल पा रहा है, तो अशोक जैन के लिए दूसरे लोगों का समर्थन जुटाना तो और भी मुश्किल होगा । अशोक जैन की उम्मीदवारी को लेकर रमेश अग्रवाल और शरत जैन के बीच जो 'शीत-युद्ध' छिड़ा है, उसने अभी लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के परिदृश्य को खासा दिलचस्प बना दिया है ।