गाजियाबाद
। विनय मित्तल की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर हुई जीत के
'आंकड़े' ने उन लोगों की आँख पर बँधी पट्टी को हटाने भर का काम किया है, जो
दीवार पर साफ-साफ लिखी इबारत को अपने झूठे अहंकार के चलते पढ़ने से इंकार कर
रहे थे । कुछेक नेता साफ साफ दिख रही सच्चाई को स्वीकार करने से इसलिए
भी इंकार कर रहे थे, क्योंकि तब रेखा गुप्ता रूपी एटीएम से उन्हें पैसे
मिलने बंद हो जाते । लेकिन अब चुनावी नतीजा सामने है, जिसमें रेखा गुप्ता
165 वोटों से पराजित घोषित हुईं हैं । रेखा गुप्ता को फर्स्ट वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी ने उम्मीदवार बनाया था, और रेखा गुप्ता
की उम्मीदवारी की बागडोर पूरी तरह से शिव कुमार चौधरी के हाथ में ही थी । रेखा
गुप्ता की उम्मीदवारी को पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल का तथा
डिस्ट्रिक्ट के सबसे वरिष्ठ पूर्व गवर्नर कुंजबिहारी अग्रवाल सहित अन्य कई
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का समर्थन था; और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील
निगम भी उन्हें वोट दिलाने की होड़ में लगे हुए थे - तब भी रेखा गुप्ता को
कुल 107 वोट मिल सके, और विनय मित्तल को मिले 272 वोटों की तुलना में वह
165 वोट पीछे रह गईं । बात सिर्फ यह नहीं है कि अपने आप को डिस्ट्रिक्ट
का तुर्रमखाँ समझने वाले तमाम नेताओं के समर्थन के बावजूद रेखा गुप्ता
सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव हार गईं - बड़ी बात यह है कि
अपने आपको तुर्रमखाँ समझने वाले तमाम नेताओं के समर्थन के बावजूद रेखा
गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट में हार का एक बड़ा रिकॉर्ड बनाया है । उनकी हार सिर्फ शर्मनाक हार नहीं है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी हार भी है ।
यानि
विनय मित्तल सिर्फ सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव भर नहीं
जीते हैं, उन्होंने डिस्ट्रिक्ट में जीत का एक बड़ा रिकॉर्ड भी बनाया है -
और इस तरह से उन्होंने अपने विरोधियों को उनकी असल राजनीतिक औकात दिखाने का
काम भी किया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में अभी तक बड़ी जीत का
रिकॉर्ड सुशील अग्रवाल और अरुण मित्तल के नाम पर था । सुशील अग्रवाल ने
अपना चुनाव 80 वोटों से जीता था, और अरुण मित्तल ने 83 वोटों से जीत हासिल
की थी । विनय मित्तल ने लेकिन 165 वोटों से जीत प्राप्त करके इन दोनों के जीत के
अंतर को बहुत पीछे छोड़ दिया है और डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के इतिहास में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है ।
विनय
मित्तल की चुनावी जीत को लेकर - रेखा गुप्ता से पैसे खींचने वाले तथा उनके
पैसे पर अपनी राजनीति चमकाने में लगे कुछेक लोगों के अलावा - किसी को भी
शक नहीं था । दरअसल व्यक्तित्व के मामले में, कामकाज के मामले में, लोगों
के बीच पहचान के मामले में, लोगों से संपर्क व दोस्ती रखने के मामले में
रेखा गुप्ता का विनय मित्तल से कोई मुकाबला ही नहीं था; लोगों को हैरानी
ही हुई थी कि पता नहीं किस गलतफहमी में रेखा गुप्ता ने विनय मित्तल के
मुकाबले उम्मीदवार बनने का फैसला कर लिया ? कोढ़ में खाज की बात यह हुई कि
रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के मुख्य सिपहसालार शिव कुमार चौधरी बने ।
शिव कुमार चौधरी ने अपनी बातों और अपने व्यवहार से डिस्ट्रिक्ट में अपने
विरोधी ही बनाए हैं; जिसके चलते लोगों ने मान/जान लिया कि रेखा गुप्ता ने
अपनी हार का अंतर बढ़ा लिया है । उल्लेखनीय है कि रेखा गुप्ता की हार के
अंतर ने हर किसी को हैरान किया है । मजे की बात यह है कि विनय मित्तल के
समर्थकों/शुभचिंतकों तक को इस अंतर से जीतने की उम्मीद नहीं थी । दोनों
तरफ के लोग हार/जीत के इतने बड़े अंतर के लिए शिव कुमार चौधरी को जिम्मेदार
ठहरा रहे हैं । लोगों का कहना है कि शिव कुमार चौधरी ने जब जब मुँह खोला, रेखा गुप्ता को मिलने वाले वोटों को घटाने का ही काम किया ।
शिव
कुमार चौधरी की बातों व उनके व्यवहार ने खुद उन्हें भी नुकसान पहुँचाया ।
रेखा गुप्ता को जितने वोट मिले, शिव कुमार चौधरी को उससे ज्यादा नेगेटिव
वोट मिले । उन्हें 150 से ज्यादा नेगेटिव वोट मिले । डिस्ट्रिक्ट के चुनावी इतिहास में यह भी एक नया रिकॉर्ड बना है । इस तरह सबसे ज्यादा नेगेटिव वोट पाकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने वाले शिव कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट के इतिहास में अपना नाम लिखवाया ।
विनय
मित्तल और रेखा गुप्ता के बीच हुआ चुनाव इस बात के लिए भी याद रखा जायेगा
कि यह चुनाव खासे हंगामाई तरीके से संपन्न हुआ । रेखा गुप्ता के समर्थकों
की तरफ से बदतमीजी व बेईमानी करने के इंतजामों की भनक मिलते ही विनय मित्तल
के समर्थकों ने पुलिस बुलवा ली, और फिर पुलिस की देखरेख में चुनावी
प्रक्रिया संपन्न हुई । रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों की
हरकतों को देख कर विनय मित्तल की उम्मीदवारी के समर्थकों ने अंदाजा लगाया
कि अपनी हार को सुनिश्चित जान कर रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेता
गड़बड़ी करके चुनाव को टलवा सकते हैं, इसलिए उन्होंने खासी होशियारी से कभी
गर्म तो कभी नर्म रवैया अपना कर चुनावी प्रक्रिया को संपन्न करवाया ।
वोटिंग के दौरान लोगों के बीच यह चर्चा भी सुनी गई कि अपनी हार को सन्निकट
देख/भाँप कर रेखा गुप्ता चुनाव से पहले अपनी उम्मीदवारी छोड़ देने के बारे
में सोच रही थीं, लेकिन उनके समर्थक कुछेक नेताओं ने उन्हें आश्वस्त किया
कि उम्मीदवारी ऐसे मत छोड़ो, छोड़ने के बदले में वह उन्हें विनय मित्तल से
पैसे दिलवा देंगे । विनय मित्तल की तरफ से लेकिन इस तरह की सौदेबाजी करने से स्पष्ट इंकार कर दिया गया ।
उम्मीदवार के रूप में रेखा गुप्ता और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की
इस चुनाव में जो हालत हुई है, वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का एक
दिलचस्प अध्याय बन गया है ।