Tuesday, March 15, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में करीब सौ सदस्यों की सदस्यता के साथ, मनोज देसाई व सुशील गुप्ता जैसे रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं की मौजूदगी में खासे धूमधाम से डिस्ट्रिक्ट में 'शामिल' हो रहे योगेश गर्ग के नए क्लब का 'आगाज़' डिस्ट्रिक्ट में हलचल तो मचायेगा ही

गाजियाबाद । नवगठित रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के चार्टर प्रेजेंटेशन समारोह की तैयारी और तैयारी से जुड़ी चर्चाओं ने डिस्ट्रिक्ट 3012 की चुनावी राजनीति के नेताओं के बीच जिस तरह की हलचल मचाई हुई है, उसने एक दिलचस्प नजारा बनाया हुआ है । इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के उपस्थित होने के तथ्य ने वैसे भी समारोह को और नवगठित क्लब को उल्लेखनीय बना दिया है । मजे की बात है कि जब तक इस समारोह का निमंत्रण पत्र छपा और लोगों को मिला नहीं था, तब तक रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और शरत जैन इस समारोह में मनोज देसाई के आने की बात को झूठा बता रहे थे और दावा कर रहे थे कि नवगठित क्लब के लोग मनोज देसाई को क्लब के कार्यक्रम में आने के लिए राजी ही नहीं कर पायेंगे । उनका तर्क था कि एक इंटरनेशनल डायरेक्टर के पास इतना समय ही नहीं होता है कि वह किसी क्लब के चार्टर प्रेजेंटेशन समारोह में शामिल हो सके । यूँ भी देखा जाता रहा है कि किसी क्लब का कोई बड़ा आयोजन हो या कोई प्रमुख प्रोजेक्ट हो - तो उसमें तो इंटरनेशनल डायरेक्टर शामिल होने के लिए समय निकाल लेते हैं; किंतु किसी नए क्लब के चार्टर प्रेजेंटेशन कार्यक्रम में इंटरनेशनल डायरेक्टर के मुख्य अतिथि बनने की बात थोड़ी अव्यावहारिक सी जरूर लगती है । इसी परसेप्शन का फायदा उठा कर रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ व शरत जैन ने नवगठित रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के चार्टर प्रेजेंटेशन समारोह को लेकर खासा दुष्प्रचार किया । यही तीनों नेता पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के भी इस समारोह में आने के दावे को झुठला रहे थे । इनका कहना था कि सुशील गुप्ता को तो 17 मार्च को दिल्ली से दूर किसी कार्यक्रम में जाना है, वह भला कैसे गाजियाबाद में होने वाले रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के समारोह में शामिल सकेंगे ? लेकिन समारोह के निमंत्रण पत्र जब लोगों को मिलना शुरू हुए, और लोगों ने निमंत्रण पत्र में मनोज देसाई का नाम मुख्य अतिथि के रूप में तथा सुशील गुप्ता का नाम विशिष्ट अतिथि के रूप में उसमें छपा देखा - तो रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ तथा शरत जैन की बोलती बंद हुई ।
नवगठित रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के प्रति रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ व शरत जैन का विरोध का भाव दरअसल इसलिए है - क्योंकि इसे योगेश गर्ग के क्लब के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि योगेश गर्ग इस नए क्लब को बनाने/बनवाने की प्रक्रिया में मौजूदा रोटरी वर्ष के शुरू से ही प्रयासरत थे, किंतु उक्त तिकड़ी उनके प्रयास में रोड़ा बनी हुई थी । दरअसल इस नए क्लब के गठन के पीछे योगेश गर्ग की राजनीतिक चाल को 'देखा' गया, जिसके पीछे छिपे उद्देश्य में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत सुभाष जैन की उम्मीदवारी को चोट पहुँचाने की 'सोच' को पहचाना गया था । योगेश गर्ग की राजनीतिक चाल को फेल करने के लिए सत्ता खेमे के नेताओं को उनके नए क्लब के बनने/बनाने की राह में रोड़े डालना जरूरी लगा - तो इसे चुनावी राजनीति की 'एक आवश्यक बुराई' के रूप में स्वीकार कर लिया गया । चुनावी राजनीति में होता ही है कि सभी पक्ष अपने अपने हथकंडे और अपनी अपनी तरकीबें अपनाते हैं, और इस प्रक्रिया में एक-दूसरे को कमजोर करने/बनाने के लिए नाजायज बातें/हरकतें तक करते ही हैं - खेमेबाजी की सीमाओं में इसे स्वीकार भी कर लिया जाता है । इसीलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव होने तक सत्ता खेमे के नेताओं ने योगेश गर्ग के नए क्लब की राह में रोड़े डालने का जो काम किया, उसे लेकर कोई बबाल नहीं हुआ - मजे की बात यह रही कि विरोधी पक्ष की तरफ से भी इस बात को कोई बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास नहीं हुआ । कुछेक लोगों का प्रयास था और उन्होंने योगेश गर्ग को भड़काने की कोशिश भी की थी कि इस मामले को वह 'बड़े' स्तर पर ले जाएँ - जिससे कि सत्ता खेमे के नेताओं पर दबाव भी पड़ेगा और राजनीतिक लाभ भी मिलेगा । योगेश गर्ग ने लेकिन बड़प्पन दिखाया और अपने 'राजनीतिक उद्देश्य' को पाने के लिए गंदगी करने की राह से दूर ही रहे । नए क्लब के गठन को वास्तविकता देने के लिए उन्होंने चुनाव के पूरा होने तक का इंतजार करना मुनासिब समझा और इंतजार किया । कुछेक लोगों ने इसे उनकी मजबूरी बताया - इसे मान भी लिया जाए तो भी योगेश गर्ग की इस बात के लिए तारीफ होनी ही चाहिए कि इस मजबूरी को उन्होंने पूरी गरिमा के साथ निभाया ।
उम्मीद की गई थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव पूरा होने के बाद सत्ता खेमे की तिकड़ी योगेश गर्ग के नए क्लब के प्रति 'दुश्मनी' वाला विरोध का भाव नहीं रखेगी - और बाकी कार्रवाई आराम से पूरी हो जायेगी । यह उम्मीद इसलिए भी थी कि रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और शरत जैन अपने अपने चुनाव में योगेश गर्ग की मदद लेने के लिए उनकी खुशामद कर चुके थे; और इन्हें योगेश गर्ग की मदद मिली भी थी - यह ठीक है कि इस वर्ष के राजनीतिक समीकरणों के चलते योगेश गर्ग चूँकि इनके साथ नहीं थे, और इसलिए इन्होंने योगेश गर्ग का क्लब समय से नहीं बनने दिया; लेकिन उम्मीद की गई थी कि योगेश गर्ग के अहसानों को याद करते/रखते हुए ये चुनाव हो जाने के बाद विरोधी रवैया नहीं अपनायेंगे और नाशुक्रे साबित नहीं होंगे । हालाँकि इसमें इन बेचारों की कोई गलती भी नहीं है । योगेश गर्ग ने दरअसल इन्हें जो धोबीपाट दिया, उससे इनकी सारी हेकड़ी निकल गई और फिर खिसिआहट में यह विरोधी बौखलाहट दिखाने को 'मजबूर' हुए । असल में, इन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस क्लब के बनने की राह में यह रोड़े बिछाते आ रहे थे, उसके चार्टर प्रेजेंटेशन समारोह में मनोज देसाई तथा सुशील गुप्ता जैसे रोटरी के बड़े लोग आयेंगे । इससे इन्हें दोतरफा चोट लगी : एक तरफ तो लोगों के बीच यह संदेश गया कि इन्होंने क्लब के बनने में बाधा खड़ी करके वास्तव में अपना छोटापन दिखाया; और दूसरी तरफ यह 'साबित' हुआ कि योगेश गर्ग चाहते तो इनकी बाधा(ओं) को फेल करके पहले ही क्लब बनवा लेते, लेकिन अपनी गरिमापूर्ण सोच के चलते उन्होंने ऐसा नहीं किया । इस दोतरफा चोट से, योगेश गर्ग के नए क्लब को न बनने देने में अपनी जीत का अहसास कर रहे तथा लोगों को इसे दिखा रहे सत्ता खेमे की तिकड़ी का सारा नशा उड़नछू हो गया और उन्हें अपनी जीत अपनी हार में बदलती दिखने लगी । इससे बचने का उनके पास एक ही तरीका था - और वह यह कि वह किसी भी तरह से मनोज देसाई और सुशील गुप्ता को नवगठित क्लब के चार्टर प्रेजेंटेशन समारोह से दूर कर दें ।
रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और शरत जैन की तिकड़ी ने इसे करने के लिए अफवाहबाजी का सहारा लिया और इसी के तहत इन्होंने उड़ाया कि एक इंटरनेशनल डायरेक्टर किसी क्लब के चार्टर प्रेजेंटेशन जैसे छोटे समारोह में कैसे आ सकता है ? उल्लेखनीय है कि इसी तरह की अफवाहबाजी से पिछले दिनों इन्होंने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन का डिस्ट्रिक्ट 3011 की कॉन्फ्रेंस में जाना रद्द करवा दिया था । पिछले दिनों केआर रवींद्रन डिस्ट्रिक्ट 3012 के एक कार्यक्रम  सिलसिले में ठीक उन्हीं दिनों दिल्ली में थे, जिन दिनों दिल्ली में डिस्ट्रिक्ट 3011 की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हो रही थी । इस बात का फायदा उठा कर डिस्ट्रिक्ट 3011 के पदाधिकारियों ने केआर रवींद्रन को अपने एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए राजी करने का प्रयास किया, जिसे लेकिन रमेश अग्रवाल की खुराफाती खोपड़ी ने प्रोटोकॉल का कन्फ्यूजन फैला कर विफल कर दिया था । रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ व शरत जैन जैसे उनके सिपहसालारों ने योगेश गर्ग के नवगठित क्लब में मनोज देसाई व सुशील गुप्ता के आने को रोकने के लिए उसी तर्ज पर कन्फ्यूजन फैलाने का प्रयास तो खूब किया, किंतु योगेश गर्ग की तैयारी के चलते उनका प्रयास कामयाब नहीं हो सका । नए क्लब के गठन के मामले में योगेश गर्ग को मजबूर बना देने तथा 'दबा' देने में अपनी सफलता दिखा/जता रहे सत्ता खेमे की तिकड़ी पर योगेश गर्ग ने पलट कर जो 'हमला' किया है, उसने सत्ता खेमे के तिकड़ी नेताओं को चोट तो गहरी दी ही है, साथ ही डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों को भी प्रभावित करने के संकेत दिए हैं । माना जा रहा है कि करीब सौ सदस्यों की सदस्यता के साथ, मनोज देसाई व सुशील गुप्ता जैसे रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं की मौजूदगी में खासे धूमधाम से डिस्ट्रिक्ट में 'शामिल' हो रहे एक नए क्लब का 'आगाज़' डिस्ट्रिक्ट में हलचल तो मचायेगा ही ।