Tuesday, March 1, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के भरोसे कॉलिज ऑफ गवर्नर्स का फैसला मानने से बचते दिख रहे दीपक बाबु पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अपमानित करने की हद तक जा पहुँचे हैं

मुरादाबाद । दीपक बाबु जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स को छका रहे हैं और उनकी बात को अनसुना कर रहे हैं, उससे जाहिर है कि उन्होंने सुनील गुप्ता के साथ हुए प्रकरण से कुछ नहीं सीखा है और उन्होंने भी डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का मजाक बनाने का फैसला कर लिया है । दीपक बाबु हालाँकि अभी थोड़े से भाग्यशाली दिख रहे हैं कि उनकी हरकतों से खिन्न और नाराज पूर्व गवर्नर्स अभी उनके पीछे उस तरह से नहीं पड़े हैं, जैसे कि सुनील गुप्ता से नाराज पूर्व गवर्नर्स उनके पीछे पड़ गए थे । किंतु दीपक बाबु अपनी बातों और अपनी हरकतों से जिस तरह से पूर्व गवर्नर्स को चिढ़ा रहे हैं, और उन्हें लगातार अपमानित महसूस करा रहे हैं - उससे लगता नहीं है कि अपने डिस्ट्रिक्ट में दीपक बाबु का 'हनीमून पीरियड' ज्यादा दिन चल पायेगा । दीपक बाबु के लिए मुसीबत की बात दरअसल यह हो गई है कि सुनील गुप्ता के खिलाफ हुई कार्रवाई ने लोगों को आश्वस्त किया है तथा भरोसा दिया है कि उनके द्वारा की गई शिकायतों पर रोटरी इंटरनेशनल ध्यान देता है तथा कार्रवाई करता है - इस बात से लोगों को शिकायत करने का बल मिला है, और जाहिर तौर पर इसका खामियाजा दीपक बाबु को ही भुगतना पड़ेगा । दीपक बाबु हालाँकि इस बात की कोई परवाह करते हुए अभी नहीं देखे जा रहे हैं । उनके नजदीकियों का कहना है कि दीपक बाबु का मानना और कहना है कि सुनील गुप्ता तो मौजूदा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की सनक का शिकार हो गए हैं, और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद पर केआर रवींद्रन के दिन अब ज्यादा नहीं बचे हैं - इसलिए उनकी परवाह करने की जरूरत नहीं है । उनके बाद इंटरनेशनल प्रेसीडेंट का पदभार सँभालने वाले जॉन जर्म उनके जैसे बिलकुल नहीं हैं, और वह शिकायतों पर कोई तवज्जो नहीं देंगे । रही बात इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की - तो उनके बारे में दीपक बाबु का मानना/कहना है कि मनोज देसाई बड़े सज्जन पुरुष हैं, उनकी बस खुशामद करते रहो, और बाकी फिर चाहे जो करो - उन्हें कोई परवाह नहीं है ।  रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों के इस आकलन के भरोसे ही दीपक बाबु ने अपने डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स को, उनकी सलाह को और कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के फैसले को ठेंगा दिखाया हुआ है ।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने के शुरू में कॉलिज ऑफ गवर्नर्स ने अपनी मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट में घटने वाली घटनाओं के कारण डिस्ट्रिक्ट की होने वाली बदनामी का संज्ञान लेते हुए कुछेक महत्वपूर्ण फैसले किए थे । गहन विचार-विमर्श के बाद कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के बीच जिन बातों पर सहमति बनी, वह इस प्रकार थे : डिस्ट्रिक्ट में किसी को व्यवस्था संबंधी कोई शिकायत है तो वह सीधे रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत नहीं करेगा; रोटरी इंटरनेशनल से अनुरोध किया जायेगा कि उसे कोई शिकायत मिले तो उसे वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को भेजे, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उसे डिस्ट्रिक्ट आर्बिट्रेशन कमेटी के हवाले करे; पाँच सदस्यीय डिस्ट्रिक्ट आर्बिट्रेशन कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें वरिष्ठता क्रम के अनुसार हर वर्ष दो वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स हों; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के मौजूदा दोनों उम्मीदवार अपनी अपनी उम्मीदवारी से इस्तीफा दें, तथा कॉलिज ऑफ गवर्नर्स जोन-अनुसार उनकी उम्मीदवारी के बारे में फैसला करें; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए डिस्ट्रिक्ट को तीन जोन में बाँटा जाए, जहाँ से बारी बारी से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार आएँ; आदि-इत्यादि । मीटिंग में इन मुद्दों पर पूर्व गवर्नर्स के बीच हालाँकि परस्पर विरोधी विचार भी थे, और कुछेक मौकों पर उनके बीच गर्मा-गर्मी भी हुई - लेकिन अंततः डिस्ट्रिक्ट व रोटरी के हित में इन मुद्दों पर उनके बीच सहमति बनी । रोटरी इंटरनेशनल के एक विशेष फैसले के आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभाल रहे दीपक बाबु ने कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में घोषणा की कि वह तीन-चार दिन में इस मीटिंग के मिनिट्स डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच सार्वजनिक कर देंगे, जिससे कि इन फैसलों को लागू करने के लेकर डिस्ट्रिक्ट के लोगों की भी सहमति बनाई जा सके और मीटिंग के फैसलों को क्रियान्वित करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके । यह घोषणा किए हुए दीपक बाबु को करीब करीब तीन सप्ताह से ऊपर का समय हो चुका है, लेकिन उन्होंने अभी तक उक्त मीटिंग के मिनिट्स सार्वजनिक करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है । इस बीच जिन पूर्व गवर्नर्स ने उनसे इस बारे में बात की, उन्हें उन्होंने अलग अलग तरह की बहानेबाजी करके टरका दिया है । मजे की बात यह है कि दीपक बाबु के नजदीकियों से लोगों को सुनने को मिल रहा है कि दीपक बाबु न तो आर्बिट्रेशन कमेटी बनाने के पक्ष में हैं, और न डिस्ट्रिक्ट को तीन जोन में विभक्त करने के लिए राजी हैं, और न डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को हतोत्साहित करने के लिए तैयार हैं - और इसीलिए वह कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में सर्वसम्मति से हुए फैसलों को क्रियान्वित करने को लेकर टाल-मटोल वाला रवैया अपना रहे हैं ।
वरिष्ठ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन केजी अग्रवाल को तो इस मामले में चुनौती सी देते हुए दीपक बाबु ने अपमानित तक कर दिया । इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए केजी अग्रवाल ने दीपक बाबु को फोन करके यह जानना चाहा कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में लिए गए फैसलों को क्रियान्वित कराने के लिए वह क्या कदम उठा रहे हैं; दीपक बाबु ने उनकी बात का जबाव देने की बजाए उन्हें चुनौती सी दे डाली कि आप दोनों उम्मीदवारों से इस्तीफा ले लें और जो उचित समझें वह फैसला करें । दीपक बाबु यह कहते हुए यह भूल गए कि डिस्ट्रिक्ट व रोटरी के हित में उचित फैसला करने की जिम्मेदारी केजी अग्रवाल की नहीं, बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभालने के कारण उनकी है । भूले शायद वह कुछ नहीं, वह वास्तव में केजी अग्रवाल को अपमानित करते हुए यह जता/बता रहे थे कि मुझे कुछ नहीं करना है - अब तुमसे जो सकता हो वह कर लो । इकत्तीस वर्ष पहले गवर्नर रहे केजी अग्रवाल को मनमसोस कर रह जाना पड़ा । दीपक बाबु के नजदीकियों की मानें तो दीपक बाबु कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में हुए फैसलों पर धूल पड़ने देंगे, जिससे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव हो और उन्हें अपनी चौधराहट दिखाने/जताने का तथा पैसे बनाने का मौका मिले । दिवाकर अग्रवाल से बदला लेने के लिए भी दीपक बाबु को कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग के फैसले को ठंडे बस्ते में डालना जरूरी लग रहा है । दीपक बाबु को लगता है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में लिए गए फैसले यदि लागू हो गए तो दिवाकर अग्रवाल इस वर्ष नहीं, तो अगले वर्ष आराम से गवर्नर बन जायेंगे । दीपक बाबु ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं और इसके लिए वह अपने ही डिस्ट्रिक्ट के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अपमानित करने की हद तक जाने के लिए तैयार हैं ।
दीपक बाबु के इस रवैये ने राजीव सिंघल और उनके नजदीकियों को भी डराना शुरू कर दिया है । उनकी चिंता यह है कि दीपक बाबु ने अपने रवैये से पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को ज्यादा नाराज कर दिया, तो कहीं डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी मुसीबत में न पड़ जाए । राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थक और शुभचिंतक हालाँकि जोरशोर से यह दावा करने में लगे हुए हैं कि दिल्ली स्थित रोटरी इंटरनेशनल के साउथ एशिया कार्यालय के पदाधिकारियों की देखरेख में चुनाव होने से उनकी जीत 'और पक्की' हो गई है; किंतु राजीव सिंघल और उनके नजदीकियों को डर यह सता रहा है कि सुनील गुप्ता की तरह कहीं उनके साथ भी धोखा हो गया तो क्या होगा ? उल्लेखनीय है कि सुनील गुप्ता को भी आश्वस्त किया गया था - और इस काम में राजीव सिंघल खुद भी आगे आगे थे - कि मनोज देसाई के होते हुए उन्हें डरने की चिंता नहीं करना चाहिए । पर यह आश्वासन सुनील गुप्ता के काम नहीं आया । राजीव सिंघल के कुछेक नजदीकियों का मानना और कहना है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में लिए गए फैसले से उनका गवर्नर बनने का रास्ता आसान हो गया है; अब उन्हें कोशिश सिर्फ यह करनी है कि जोन-अनुसार गवर्नर बनने की जो बात हो रही है उसमें उन्हें पहला नंबर मिल जाए - उन्हें लग रहा है कि इस कोशिश को सफल करना/बनाना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है । इसीलिए दीपक बाबु का रवैया उन्हें डरा रहा है और उन्हें लग रहा है कि दीपक बाबु की कारस्तानी कहीं उन्हें न ले डूबे - चुनाव आखिर चुनाव है, नतीजे का ऊँठ न जाने किस करवट बैठे ? राजीव सिंघल के कुछेक नजदीकी कहने भी लगे हैं कि दीपक बाबु और कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के फैसले को न मानने में उनका साथ दे रहे लोग दरअसल अपना स्वार्थ देख रहे हैं, और उनके स्वार्थ के चक्कर में कहीं राजीव सिंघल का बंटाधार न हो जाए । राजीव सिंघल के जो नजदीकी ज्योतिष में विश्वास करते हैं, उनका तो और भी मजेदार आकलन है : उनका कहना है कि राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के जो जो लोग घनघोर समर्थक रहे - जैसे योगेश मोहन गुप्ता, बृजभूषण और सुनील गुप्ता; वह सब एक एक करके सीन से गायब होते गए हैं; अब दीपक बाबु उनकी उम्मीदवारी के समर्थक के रूप में उभरे हैं, तो उनको भी मुश्किलों ने घेरना शुरू कर दिया है । राजीव सिंघल के लिए यह कोई अच्छे संकेत नहीं हैं - इसलिए उनके और उनके समर्थकों के लिए अच्छा यही होगा कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के फैसले ने जो एक मौका बनाया है, उससे वह फायदा उठाएँ । दीपक बाबु के रवैये ने लेकिन उन्हें असमंजस में डाला हुआ है; और राजीव सिंघल व उनके नजदीकियों के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि दीपक बाबु की कारस्तानियाँ उनका काम बनायेंगी या बिगाड़ेंगी ?