Saturday, March 26, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 एफ में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में पवन आहुजा के रूप में मुसीबत और चुनौती को आमंत्रित करने का काम क्या सचमुच खुद बिरिंदर सिंह सोहल ने ही किया है ?

लुधियाना । पवन आहुजा की नाटकीय तरीके से अचानक प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में न सिर्फ गर्मी ला दी है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल को भी विवाद के घेरे में ला दिया है । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दूसरे - और पुराने उम्मीदवार बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थकों का आरोप है कि उन्होंने चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल तथा उनके साथी पूर्व गवर्नर्स व अन्य कई खास लोगों की कमरों तथा खाने-पीने की नाजायज माँगों को पूरा करने के लिए सहमति नहीं दी, इसलिए रनवीर उप्पल तथा उनके साथी पूर्व गवर्नर्स ने न केवल डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह व तारीख बदल दी, बल्कि पवन आहुजा को जबरदस्ती का उम्मीदवार भी बना दिया है । उल्लेखनीय है कि पहले डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस दो-तीन अप्रैल को मनाली में होने की घोषणा की गई थी । किंतु पिछले दिनों अचानक से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल ने इमरजेंसी मीटिंग बुला कर डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की तारीख 24 अप्रैल तथा जगह चंडीगढ़ कर दी । डिस्ट्रिक्ट के लोग जब तक यह समझने की कोशिश करते कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल को यह सब करने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी, तब तक एक दूसरी अप्रत्याशित घटना यह घटी कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरीश दुआ के क्लब के पवन आहुजा सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में कूद पड़े । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए नाटकीय तरीके से प्रस्तुत हुई पवन आहुजा की उम्मीदवारी पर लोगों को आश्चर्य दरअसल इसलिए हुआ, क्योंकि इससे पहले उनकी उम्मीदवारी की कोई चर्चा तक नहीं थी - और बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी को डिस्ट्रिक्ट में सभी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का समर्थन मिलता दिख रहा था तथा बिरिंदर सिंह सोहल सर्वसम्मति से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर घोषित होते हुए नजर आ रहे थे ।
किंतु बिरिंदर सिंह सोहल कामयाबी तक जब पहुँचने ही वाले थे कि उनके लिए हालात नाटकीय तरीके से बदल गए और उन्होंने अपने आपको चारों तरफ से घिरा हुआ पाया । कल तक जो लोग उनके समर्थक, सहयोगी और दोस्त बने हुए थे - उनमें से कई उनके विरोधी बन गए; और पवन आहुजा के रूप में सीधी चुनौती उनके सामने आ खड़ी हुई । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को लेकर होने वाली जो राजनीति अभी तक ठंडी-ठंडी पड़ी थी, उसमें बदली परिस्थितियों के चलते खासी गर्मी पैदा हो गई । इस गर्मी को और गर्म करने का काम किया बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थकों ने - जिनका आरोप रहा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल और उनके साथी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स अपने लिए तथा अपने कुछेक खास लोगों के लिए मनाली के खास होटलों में ठहरने व खाने-पीने का विशेष इंतजाम करने की जिम्मेदारी बिरिंदर सिंह सोहल पर थोप रहे थे, जिसे पूरा करने से बिरिंदर सिंह सोहल ने इंकार कर दिया, तो बदला लेने के लिए उन्होंने बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थन हाथ खींच लिया । बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थकों का आरोप है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल तथा उनके साथी पूर्व गवर्नर्स ने पवन आहुजा से पूरे खर्चे-पानी का हिसाब फिक्स करके उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में जितवाने का आश्वासन देकर उम्मीदवार बना दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल तथा उनके साथी पूर्व गवर्नर्स की तरफ से बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थकों के आरोपों का करारा जबाव सुनने को मिला - जिसमें कहा/बताया गया कि सर्वसम्मत समर्थन मिलने से बिरिंदर सिंह सोहल तथा उनके नजदीकी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इतने अहंकार में आ गए थे कि उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल पर हावी होने की तथा डिस्ट्रिक्ट को अपनी मर्जी से चलाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं; उनके रवैये को चूँकि किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था, इसलिए बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी पर बनी सर्वसम्मति को भंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल तथा कुछेक अन्य पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की तरफ से कहा/बताया गया है कि बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी पर बनी आम सहमति को बिरिंदर सिंह सोहल तथा उनके नजदीकी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने डिस्ट्रिक्ट पर अपनी मनमानी थोपने तथा डिस्ट्रिक्ट कार्यक्रमों को अपनी मनमर्जी से चलाने के लाइसेंस के रूप में समझ लिया; बिरिंदर सिंह सोहल ने तो अपने आपको डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ही समझ लिया था - जिसे देख कर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच काफी तीखी प्रतिक्रिया हुई । कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को लगा कि बिरिंदर सिंह सोहल के जब 'अभी' यह तेवर हैं, तो चुने जाने के बाद तो वह किसी को कुछ समझेंगे ही नहीं । दबे स्वर में हालाँकि बिरिंदर सिंह सोहल और उनके समर्थकों के आरोपों को भी कुछ हद तक स्वीकार किया गया और माना गया कि इंतजाम संबंधी मामलों में भी बिरिंदर सिंह सोहल का रवैया सहयोगात्मक नहीं रहा ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रनवीर उप्पल के नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के आयोजन से जुड़े कुछेक खर्चों को पूरा करने की जिम्मेदारी उम्मीदवार के रूप में बिरिंदर सिंह सोहल ने पहले तो ले ली थी, किंतु जब उन जिम्मेदारियों को निभाने का समय आया - तो वह तरह तरह की बहानेबाजी करके उन जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करने लगे । उनके इस रवैये के कारण मनाली में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस कर पाना संभव नहीं रह गया, और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को चंडीगढ़ लाना/करना मजबूरी हो गया । मजे की बात यह है कि बिरिंदर सिंह सोहल के कुछेक समर्थकों का ही कहना है कि अपने व्यवहार और कुछ पैसे बचाने के चक्कर में बिरिंदर सिंह सोहल ने अपने ही पैरों पर अपने आप कुल्हाड़ी मार ली है, और पास आती गवर्नरी को अपने से दूर कर लिया है । उनके साथ हमदर्दी रखने/दिखाने वाले लोगों का ही कहना है कि बिरिंदर सिंह सोहल के पिता केएस सोहल भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे हैं और तीसरी/चौथी बार में वह सफल हो पाए थे - इस नाते से उन्हें तो गवर्नरी की राजनीति के अच्छे-बुरे पक्षों की जानकारी व पहचान होनी ही चाहिए थी और सावधान रहना चाहिए था । बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थकों व शुभचिंतकों का ही कहना है कि बिरिंदर सिंह सोहल पता नहीं क्यों, यह समझने में फेल हो गए कि लायन राजनीति का जो ट्रेंड बना हुआ है, उसे आप चाहें पसंद करें या न करें - एक उम्मीदवार के रूप में आपको उनका पालन करना ही होगा ! बिरिंदर सिंह सोहल के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उनके विरोधी तो विरोधी, उनके समर्थक व शुभचिंतक भी उनके मुसीबत में फँसने के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं ।
पवन आहुजा ने इस बीच लोगों से संपर्क साधने तथा उनके बीच अपने लिए समर्थन पैदा करने के जो प्रयास किए हैं, और उसके उन्हें जो सकारात्मक नतीजे मिलते दिख रहे हैं - उसने बिरिंदर सिंह सोहल के लिए हालात खासे चुनौतीपूर्ण बना दिए हैं । बिरिंदर सिंह सोहल और पवन आहुजा के बीच बिछी चुनावी बिसात ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी तो पैदा कर ही दी है, साथ ही साथ नए राजनीतिक समीकरण बनने/बनाने की संभावनाएँ भी पैदा कर दी हैं ।