Monday, April 4, 2016

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के रूप में दीपक गर्ग का बदला बदला रवैया विजय गुप्ता और राजेश शर्मा के लिए मुसीबतों के साथ साथ नई चुनौतियों को आमंत्रित करने वाला भी बन गया है

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के रूप में दीपक गर्ग जो तेवर दिखा रहे हैं, उससे विजय गुप्ता और राजेश शर्मा के सामने अजीब सी दुविधा और गंभीर किस्म का संकट खड़ा हो गया है । उल्लेखनीय है कि दीपक गर्ग को चेयरमैन बनवाने में विजय गुप्ता और राजेश शर्मा ने ही 'मेहनत' व तिकड़म की थी - और इस उम्मीद व विश्वास के साथ की थी कि चेयरमैन बनने के बाद दीपक गर्ग उनके कहे अनुसार ही चलेंगे । दीपक गर्ग ने भी इनका समर्थन और सहयोग पाने के लिए इन्हें हर तरह से आश्वस्त किया था कि वह इनके हितों का पूरा पूरा ध्यान रखेंगे तथा इनके सलाह-सुझाव के अनुसार ही काम करेंगे । दोनों तरफ से बनी इसी अंडरस्टैंडिंग के चलते दीपक गर्ग के चेयरमैन बनने पर विजय गुप्ता और राजेश शर्मा को अपार प्रसन्नता हुई थी और उन्हें लगा था कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में अब उन्हीं की मर्जी से फैसले होंगे । किंतु चेयरमैन बनने के बाद से दीपक गर्ग के तेवर जिस तरह से बदले बदले हुए लग रहे हैं, उसे देख कर विजय गुप्ता और राजेश शर्मा सन्नाटे में आ गए हैं - और उनके लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि बदले तेवर वाले दीपक गर्ग के साथ वह करें तो आखिर क्या करें ? यदि वह दीपक गर्ग के खिलाफ कुछ कहते/करते हैं, तो दूसरों को कहने का मौका मिलेगा कि उन्हें पहले ही समझाया गया था कि दीपक गर्ग भरोसा करने लायक व्यक्ति नहीं है, और वह अपने स्वार्थ में लोगों को सिर्फ इस्तेमाल करता है, तथा काम निकल/बन जाने के बाद फिर वह उनकी परवाह भी नहीं करता है; इसके अलावा, फिर दीपक गर्ग भी खुल कर उनके खिलाफ हो जायेगा । और यदि वह दीपक गर्ग के खिलाफ कुछ नहीं करते हैं, तो दीपक गर्ग इसे उनकी कमजोरी समझेंगे, तथा फिर उलटे उनपर ही हावी होने की कोशिश करेंगे ।
दीपक गर्ग के बदले रवैये ने विजय गुप्ता के लिए ज्यादा बड़ा संकट खड़ा किया है - दीपक गर्ग को जानने वालों का कहना है कि चेयरमैन बनने के बाद दीपक गर्ग ने 2018 में होने वाले इंस्टीट्यूट के अगले चुनाव में सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी शुरू कर दी है । उनकी इस तैयारी की खबर विजय गुप्ता के लिए सदमे जैसी बात है, क्योंकि यदि दीपक गर्ग अगले चुनाव में सचमुच में सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बने - तो विजय गुप्ता के लिए सेंट्रल काउंसिल की अपनी सीट बचा पाना मुश्किल होगा । दीपक गर्ग को जानने वाले लोगों का कहना हालाँकि यह है कि सेंट्रल काउंसिल की उम्मीदवारी दीपक गर्ग अफोर्ड नहीं कर पायेंगे, और यह बात दीपक गर्ग खुद भी जानते हैं - इसलिए भले ही उनकी इच्छा हो, तब भी वह सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार नहीं बनेंगे । विजय गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि विजय गुप्ता के उम्मीदवार होते हुए तो दीपक गर्ग सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं करेंगे; और दीपक गर्ग को सेंट्रल काउंसिल के लिए यदि आना भी होगा - तो वह विजय गुप्ता के चुनावी मैदान से बाहर होने तक इंतजार करेंगे, तथा विजय गुप्ता की उम्मीदवारी की अनुपस्थिति में ही अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे । दीपक गर्ग को जानने का दावा करने वाले कई लोगों का कहना लेकिन यह है कि विजय गुप्ता और उनके नजदीकी यदि यही सोचते बैठे रहे, तो निश्चित ही धोखा खायेंगे - क्योंकि दीपक गर्ग अपने स्वार्थ के सामने किसी का भी साथ छोड़ देने के लिए खासे बदनाम हैं, और उनके भुक्तभोगियों की एक बड़ी संख्या है । विजय गुप्ता और उनके नजदीकी यूँ तो इस बात पर विश्वास न करते और कहते रहते कि दीपक गर्ग दूसरों को भले ही धोखा देते रहे हों, किंतु विजय गुप्ता के साथ धोखा नहीं करेंगे - लेकिन चेयरमैन बनने के बाद से दीपक गर्ग के तेवर जिस तरह से बदले हुए हैं, उसे देख/जान कर विजय गुप्ता और उनके नजदीकियों के बीच घबराहट पैदा हुई है ।
राजेश शर्मा का मामला थोड़ा अलग है : इस बार के सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में वह मामूली अंतर से अंतिम सीट जीत पाए थे । इस बार के चुनाव में उन्हें चरनजोत सिंह नंदा का सक्रिय सहयोग व समर्थन मिला था । राजेश शर्मा के लिए समस्या की बात यह है कि चरनजोत सिंह नंदा की तरफ से अगले चुनाव में उम्मीदवार बनने की बात सुनी जा रही है । ऐसे में, राजेश शर्मा के सामने अगले चुनाव में अपनी सीट बचाने की गंभीर चुनौती होगी । इस चुनौती से निपटने की तैयारी के लिए वह दीपक गर्ग की चेयरमैनी से उम्मीद लगाए हुए थे । राजेश शर्मा तथा उनके कुछेक नजदीकी हालाँकि यह दावा भी करते हैं कि चरनजोत सिंह नंदा से उन्हें वास्तव में कोई सहयोग व समर्थन नहीं मिला, और वह अपने दम पर ही चुनाव जीते हैं - इसलिए उन्हें अगले चुनाव में चरनजोत सिंह नंदा के उम्मीदवार बनने से कोई फर्क नहीं पड़ता । राजेश शर्मा तथा उनके कुछेक नजदीकी यह दावा भले ही करें, लेकिन वह भी जानते/समझते हैं कि चरनजोत सिंह नंदा के समर्थन ने उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने का काम तो किया ही है; और अगले चुनाव में चरनजोत सिंह नंदा की उम्मीदवारी उनकी उम्मीदवारी को मनोवैज्ञानिक झटका तो देगी ही । इस झटके को झेलने के लिए राजेश शर्मा अभी से तैयारी कर लेना चाहते हैं । दीपक गर्ग की चेयरमैनी के सहारे वह यह तैयारी करने की 'तैयारी' में थे, लेकिन दीपक गर्ग के बदले बदले तेवरों से उन्हें अपनी तैयारी खटाई में पड़ती दिख रही है ।
दीपक गर्ग की अपनी समस्या है : उन पर विजय गुप्ता के 'आदमी' होने का ठप्पा तो पहले से ही लगा है; चेयरमैन बनने के लिए उन्हें राजेश शर्मा की जो मदद मिली है - उसके कारण माना गया कि चेयरमैनी का ताज भले ही उनके सिर पर है, लेकिन असली चेयरमैनी चलेगी विजय गुप्ता और राजेश शर्मा की । दीपक गर्ग नहीं चाहते हैं कि ऐसा माना जाए । वह अपने काम और अपने फैसलों से दिखा देना चाहते हैं कि चेयरमैन का ताज भी उनके सिर पर है, और चेयरमैनी भी वही कर रहे हैं । इस चक्कर में वह कोई भी ऐसा काम करने या फैसला लेने/करने से बच रहे हैं, जिसमें विजय गुप्ता और या राजेश शर्मा की छाप 'दिखाई' देती हो । हालाँकि चेयरमैन दीपक गर्ग के कुछेक कामों और फैसलों में विजय गुप्ता और या राजेश शर्मा की 'छाप' बताई तो जा रही है, लेकिन दूसरी तरफ विजय गुप्ता और राजेश शर्मा को यह शिकायतें करते हुए भी सुना जा रहा है कि दीपक गर्ग उन्हें तवज्जो नहीं दे रहे हैं, और उनसे बचने व दूर दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं । चेयरमैन के रूप में दीपक गर्ग का बदला बदला रवैया विजय गुप्ता और राजेश शर्मा के लिए मुसीबत तो बन ही गया है, साथ ही साथ नई चुनौतियों को आमंत्रित करने वाला भी बन गया है ।