गाजियाबाद । रोटरी क्लब वैशाली का मामला पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के गले की फाँस बनता दिख रहा है । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब वैशाली अपने पदाधिकारियों के आपसी झगड़ों तथा रोटरी विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहने के कारण निलंबित है, जिस कारण क्लब के सदस्यों के ड्यूज लेना/जमा करना बंद कर दिया गया है । क्लब के पदाधिकारियों के एक गुट ने होशियारी दिखाते हुए रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय में ड्यूज जमा कराने की कोशिश की, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय ने लेकिन जिसे कामयाब नहीं होने दिया । क्लब के पदाधिकारियों के इसी गुट के लोगों की तरफ से अब
दावा किया जा रहा है कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता ने उन्हें
आश्वासन दिया है कि वह जल्दी ही उनके क्लब का निलंबन खत्म करवायेंगे ।
इन्हीं लोगों की तरफ से यह दावा भी किया जा रहा है कि सुशील गुप्ता ने इनकी
माँग भी मान ली है कि जिन पाँच/छह लोगों को यह क्लब में नहीं रखना चाहते
हैं, उन्हें यह क्लब से निकाल सकते हैं । क्लब के दूसरे सदस्यों व
पदाधिकारियों की तरफ से डिस्ट्रिक्ट के लोगों को लेकिन यह सुनने को भी मिल
रहा है कि यदि ऐसा हुआ तो वह इस अन्याय के खिलाफ रोटरी इंटरनेशनल से लेकर देश की अदालतों तक का दरवाजा खटखटायेंगे । इनका कहना है कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता की न्यायप्रियता पर उन्हें पूरा भरोसा है, और उन्हें उम्मीद है कि किन्हीं सिफारिशों के चलते
वह क्लब पर उन लोगों को फिर से काबिज नहीं होने देंगे, जिन्होंने रोटरी
इंटरनेशनल के नियम-कानूनों का तो पालन नहीं ही किया - अपनी हरकतों से क्लब में झगड़ा पैदा किया तथा रोटरी को बदनाम किया ।
रोटरी क्लब वैशाली का जो झगड़ा है, उसके घटना-क्रम को यदि सिलसिलेवार तरीके से देखें,
तो यह सीधे सीधे निलंबित क्लब के अध्यक्ष मनोज भदोला की मनमानी,
बेबकूफीभरी, सौदेबाजीपूर्ण तथा रोटरी विरोधी कार्यप्रणाली का नतीजा है ।
मनोज भदोला न अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों का निर्वाह कर सके और न अध्यक्ष
पद की गरिमा को बनाए/बचाए रख सके । हालाँकि यह सच है कि उनके
अध्यक्ष-काल में क्लब में रोटरी नियमों व रोटरी भावनाओं के जो घुर्रे बिखरे
और क्लब में रोटरी मजाक बन कर रह गई, उसमें क्लब के दूसरे पदाधिकारियों तथा सदस्यों की भी भूमिका व जिम्मेदारी रही है - लेकिन यह सब हुआ इसलिए ही क्योंकि अध्यक्ष के रूप में मनोज भदोला स्थितियों को सँभालने की बजाए खुद एक पक्ष बन गए तथा रोटरी नियमों का उल्लंघन करने व रोटरी के उच्च आदर्शों व भावनाओं की ऐसी-तैसी करने में शामिल हो गए ।
मजे की बात यह है कि अब वही मनोज भदोला तथा उनके साथी लोगों को बता रहे
हैं कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी सतीश सिंघल ने मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तथा पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता को 'सेट' कर लिया है, और फैसला करने की
जिम्मेदारी सुशील गुप्ता को मिल गई है - और सुशील गुप्ता न सिर्फ क्लब
का निलंबन वापस करवायेंगे, बल्कि मनोज भदोला को अध्यक्ष पद भी वापस
दिलवायेंगे और क्लब के कुछेक पदाधिकारियों व सदस्यों को क्लब से निकलवाने का अधिकार भी उन्हें दिलवायेंगे ।
मनोज भदोला व उनके साथियों की तरफ से डिस्ट्रिक्ट के लोगों को बताया जा रहा है कि सुशील गुप्ता इस बात से बहुत प्रभावित हैं कि क्लब के सदस्यों का बहुमत उनके साथ है । डिस्ट्रिक्ट में जो लोग रोटरी
क्लब वैशाली के मनोज भदोला के अध्यक्ष-काल की गतिविधियों व हरकतों से
परिचित हैं, उन्हें हैरानी इस बात की है कि बहुमत के तथाकथित समर्थन की आड़
में सुशील गुप्ता क्या सचमुच मनोज भदोला की कार्रवाइयों व हरकतों को स्वीकृति प्रदान कर देंगे ? उल्लेखनीय है कि मनोज भदोला क्लब के अध्यक्ष बने थे - जिससे यह बात स्वतः जाहिर है कि क्लब के सदस्यों का उन्हें पूरा पूरा समर्थन प्राप्त था । क्लब में जो बबाल मचा, उसका संबंध उन्हें मिलने वाले समर्थन से बिलकुल भी नहीं था - उसका संबंध उनकी कार्रवाइयों व हरकतों से था । क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों का ही आरोप रहा कि
अध्यक्ष के रूप में मनोज भदोला क्लब में सदस्यों के बीच व्यावहारिक सौहार्द
बनाए रखने का कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं तथा पक्षपातपूर्ण भूमिका निभा
रहे हैं, रोटरी इंटरनेशनल के नियमों का कोई पालन नहीं कर रहे हैं, क्लब के
खर्चों का कोई हिसाब-किताब नहीं रख/कर रहे हैं, पिछले वर्ष किए गए
प्रोजेक्ट के खर्चों का हिसाब देने/लेने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अपना समर्थन व वोट बेचने के लिए सौदेबाजी कर रहे हैं - और सबसे गंभीर आरोप
यह कि फैलोशिप के नाम पर क्लब में शराबबाजी व लफंगई को बढ़ावा दिया जा रहा
है । कोढ़ में खाज की बात यह कि शराबबाजी व लफंगे एक्शन वाली तस्वीरें सोशल
साइट्स पर प्रसारित की जाती रहीं - जिससे कि न सिर्फ क्लब का बल्कि दूसरे
आम लोगों के बीच रोटरी का और डिस्ट्रिक्ट का नाम भी खराब हुआ ।
इन्हीं आरोपों के चलते, मनोज भदोला व उनके साथियों के सुशील गुप्ता को 'सेट' कर लेने के
दावे पर डिस्ट्रिक्ट के लोगों को हैरानी हुई है । वह आपस में एक दूसरे से
पूछ रहे हैं कि सुशील गुप्ता एक वरिष्ठ रोटेरियन हैं, इंटरनेशनल डायरेक्टर
रहे हैं - क्या वह मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल की सिफारिश पर मनोज भदोला तथा
उनके साथियों की रोटरी विरोधी हरकतों को बिलकुल ही नजरअंदाज कर देंगे और
क्लब को उन्हीं लोगों को सौंप देने की वकालत करेंगे ? सुशील गुप्ता को रोटरी क्लब वैशाली के फेसबुक पेज पर लगाई गईं कुछेक बेहूदा व अशालीन किस्म की तस्वीरें भेजी गईं हैं - यह
बताने के लिए कि मनोज भदोला अपने अध्यक्ष-काल में यह रोटरी का आखिर कौन सा
प्रोजेक्ट कर रहे हैं, और या फैलोशिप के नाम पर किस तरह की लफंगई को शह दे
रहे हैं । क्लब के ही नहीं, डिस्ट्रिक्ट के कई लोगों का मानना और कहना
है कि सुशील गुप्ता ने इन तथ्यों को अनदेखा करते हुए रोटरी क्लब वैशाली यदि
सचमुच उन्हीं लोगों को वापस दिलवा दिया, जो क्लब में बबाल करवाने तथा क्लब
को मटरगश्ती का अड्डा समझने/बनाने के काम में लगे रहे - तो यह डिस्ट्रिक्ट के लिए, रोटरी के लिए - और खुद उनकी प्रतिष्ठा के लिए आत्मघाती होगा ।