Monday, April 18, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 एफ में मंडी गोविंदगढ़ की मीटिंग में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पवन आहुजा की उम्मीदवारी के प्रति जाहिर हुए जोरदार समर्थन को देखते हुए बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थकों को अपनी हार साफ साफ नजर आने लगी है

मंडी गोविंदगढ़ । गोपाल कृष्ण शर्मा की रीजन कॉन्फ्रेंस में लायन सदस्यों व पदाधिकारियों की जुटी भीड़ तथा उस भीड़ में थर्ड फ्रंट के जाने-पहचाने नेताओं की सक्रिय उपस्थिति के बीच पवन आहुजा की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के प्रति जिस तरह का समर्थन घोषित किया गया, उसे देख/सुन कर बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है तथा उनके बीच गहरी निराशा फैल गई है । बिरिंदर सिंह सोहल के कुछेक समर्थकों ने तो कहना भी शुरू कर दिया है कि 'यमन 2016' के नाम से आयोजित हुई गोपाल कृष्ण शर्मा की रीजन कॉन्फ्रेंस में शामिल लायन सदस्यों ने पवन आहुजा की उम्मीदवारी के प्रति जिस जोश के साथ समर्थन व्यक्त किया, उसे देखने के बाद बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी के लिए कोई संभावना बची नहीं रह जाती है । बिरिंदर सिंह सोहल के कुछेक समर्थकों ने तो यह कहना भी शुरू कर दिया है कि अच्छा होगा कि बिरिंदर सिंह सोहल हार का सामना करने की बजाए प्रतिद्धंद्धी खेमे नेताओं के साथ समझौता कर अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लें, और अगले वर्ष के लिए मौका बनाएँ/बचाएँ । उनके कुछेक शुभचिंतकों ने तो इस बाबत संभावनाएँ टटोलना/देखना शुरू भी कर दिया है । खास बात यह रही कि बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थक नेताओं ने गोपाल कृष्ण शर्मा की रीजन कॉन्फ्रेंस को फेल करने की हर संभव कोशिश की थी; उन्होंने गोपाल कृष्ण शर्मा को पवन आहुजा की उम्मीदवारी के प्रमुख समर्थक नेता हरीश दुआ का 'आदमी' बताते हुए प्रचारित किया था कि यह रीजन कॉन्फ्रेंस तो पवन आहुजा की चुनावी सभा के रूप में आयोजित हो रही है, और इसलिए लोगों को इसमें शामिल होने की जरूरत नहीं है । बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थक नेताओं के तमाम विरोधी व नकारात्मक प्रचार के बावजूद गोपाल कृष्ण शर्मा की रीजन कॉन्फ्रेंस में लोग बड़ी संख्या में न केवल शामिल हुए, बल्कि उन्होंने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए पवन आहुजा की उम्मीदवारी के प्रति अपना समर्थन भी खुल कर व्यक्त किया ।
मंडी गोविंदगढ़ में हुई रीजन कॉन्फ्रेंस ने बिरिंदर सिंह सोहल के लिए खतरे की घंटी सिर्फ इस कारण से ही नहीं बजाई है, कि उसमें 400 से ज्यादा लायन सदस्य व पदाधिकारी शामिल हुए और उन्होंने पवन आहुजा की उम्मीदवारी के प्रति खुल कर समर्थन व्यक्त किया - बिरिंदर सिंह सोहल के लिए दरअसल इससे भी बड़े झटके की बात यह रही कि पवन आहुजा की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाली भीड़ में थर्ड फ्रंट के नेताओं के रूप में पहचाने जाने वाले रजनीश ग्रोवर, राजीव अरोड़ा, सतपाल गुम्बर, एसएस गगनेजा, रवींद्र सग्गर, सुरजीत सिंह गुलयानी व अन्य कई नेताओं की सक्रिय भूमिका थी । उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों मुक्तसर में बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग में गिद्दरबहा, अबोहर, फाजिल्का, जलालाबाद, फिरोजपुर, फरीदकोट, कोटकापुर, बरगरी, खरा, मुक्तसर आदि जगहों से आए व शामिल हुए लायन सदस्यों का हवाला देते हुए बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने थर्ड फ्रंट खेमे वाले क्लब्स के समर्थन का दावा किया था । हालाँकि उनके लिए इस बात का जबाव देना मुश्किल बना हुआ था कि थर्ड फ्रंट के नेताओं के रूप में पहचाने जाने वाले वरिष्ठ लायंस उक्त मीटिंग में क्यों नहीं आए थे ? बिरिंदर सिंह सोहल के समर्थक नेताओं ने इस सवाल को हमेशा ही यह कह कर टाला कि जब लोग उनके साथ आ गए हैं तो लोगों के नेता कहाँ जायेंगे, वह भी उनके साथ आने को मजबूर होंगे । इस तरह की स्थितियों व बातों के बीच डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों की निगाह थर्ड फ्रंट के नेताओं के रूप में पहचाने जाने वाले वरिष्ठ लायन सदस्यों पर थी, और हर किसी के सामने यह सवाल था कि वह किसके समर्थन में खड़े होते हैं ? मंडी गोविंदगढ़ में पवन आहुजा की उम्मीदवारी के प्रति खासे जोश-खरोश के साथ समर्थन व्यक्त करती लायन सदस्यों व पदाधिकारियों की भीड़ के बीच थर्ड फ्रंट के नेताओं की सक्रिय मौजूदगी ने उक्त सवाल का साफ जबाव दे दिया है - और उनके इस जबाव ने बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की सारी उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है तथा चुनाव में उन्हें अपना तम्बू उड़ता/उखड़ता हुआ दिखने लगा है ।
बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग से खुद को दूर रखने तथा पवन आहुजा की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग में शामिल होकर थर्ड फ्रंट के नेताओं ने अपने समर्थन का जो 'ऐलान' किया है, उस तक पहुँचने में उन्हें हालाँकि खासी जद्दोजहद करना पड़ी । उल्लेखनीय है कि थर्ड फ्रंट का गठन डिस्ट्रिक्ट के विभाजन का विरोध करने के उद्देश्य से हुआ है - इसके नेताओं के सामने दुविधा व चुनौती इस तथ्य के कारण थी कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन का समर्थन करने वाले नेता दोनों तरफ थे : पवन आहुजा की उम्मीदवारी के एक बड़े समर्थक नेता प्रीत कँवल सिंह डिस्ट्रिक्ट के विभाजन के समर्थक रहे हैं, तो बिरिंदर सिंह सोहल के गॉड फादर एचजेएस खेड़ा डिस्ट्रिक्ट के विभाजन की जोरशोर से वकालत करते रहे हैं । ऐसे में थर्ड फ्रंट के नेताओं के लिए यह फैसला करना वास्तव में मुश्किल था कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में वह किसका समर्थन करें ? थर्ड फ्रंट के नेताओं की मुश्किल को समझते हुए पवन आहुजा के समर्थक नेताओं ने लचीला रुख अपनाया और उनकी तरफ से थर्ड फ्रंट के नेताओं को भरोसा दिया गया कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन को लेकर वह मनमानी नहीं करेंगे तथा सभी को साथ लेकर सर्वमान्य तरीके से फैसला किया जायेगा । दूसरी तरफ एचजेएस खेड़ा का रवैया लेकिन अपनी मनमानी व दादागिरी चलाने वाला रहा । दरअसल उनकी रणनीति का आधार यह समझ रही कि थर्ड फ्रंट खेमे में जो क्लब आते हैं, उनके वोटों की संख्या चूँकि कुल वोटों का चौथा हिस्सा भी नहीं है - इसलिए उनकी परवाह करने की जरूरत नहीं है । एचजेएस खेड़ा का मानना और कहना रहा कि थर्ड फ्रंट खेमे के जो वोट हैं, उनमें के सिख वोट तो हर हालत में बिरिंदर सिंह सोहल को मिलेंगे ही - इसलिए थर्ड फ्रंट के नेताओं की खुशामद करने की कोई जरूरत नहीं है । एचजेएस खेड़ा के इस रवैये के चलते थर्ड फ्रंट के नेताओं के लिए पवन आहुजा की उम्मीदवारी के समर्थन में जाने का फैसला करना आसान  हो गया - उनकी आसानी ने लेकिन बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी के सामने गंभीर संकट पैदा कर दिया है ।
मजे की बात यह है कि बिरिंदर सिंह सोहल के जो समर्थक कुछ समय पहले तक एचजेएस खेड़ा के रवैये की तारीफ करते सुने जाते थे, वही अब एचजेएस खेड़ा को कोसते हुए सुने जा रहे हैं - उनका कहना है कि एचजेएस खेड़ा की रणनीति किताबी रूप में और सैद्धांतिक रूप में भले ही ठीक लगती हो, लेकिन व्यावहारिक धरातल पर उसने बिरिंदर सिंह सोहल की उम्मीदवारी का कबाड़ा ही किया है । उनका कहना है कि मंडी गोविंदगढ़ की मीटिंग में पवन आहुजा की उम्मीदवारी के प्रति जिस तरह का समर्थन देखने को मिला है, उससे जाहिर हो गया है कि बिरिंदर सिंह सोहल सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी दौड़ से बाहर हो गए हैं - और अब उनकी उम्मीदवारी के लिए कोई उम्मीद बची नहीं रह गई है ।