लखनऊ
। केएस लूथरा ने इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के चुनाव में अनुपम बंसल
को जो जोरदार मात दी है, उसने विशाल सिन्हा के राजनीतिक मंसूबों पर पानी
फेरने तथा उनके 'राजनीतिक धंधे' को पूरी तरह चौपट कर देने का काम किया है । विशाल
सिन्हा अगले लायन वर्ष के अपने गवर्नर-काल में कुछेक लोगों को सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए यह कहते हुए
प्रेरित कर रहे थे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मेरा सहयोग/समर्थन
रहेगा, तो चुनाव जीतना आसान रहेगा । लेकिन विशाल सिन्हा के तमाम समर्थन और
उनकी निरंतर सक्रियता के बावजूद अनुपम बंसल जिस भारी अंतर से केएस लूथरा से
चुनाव हार गए हैं, उसे देखते हुए विशाल सिन्हा के सामने संकट यह पैदा हुआ
है कि ऐसे में डिस्ट्रिक्ट में कौन होगा जो उनके समर्थन पर भरोसा करेगा ? हर किसी के मन
में और जुबान पर यही सवाल है कि विशाल सिन्हा जब अपने सबसे खास दोस्त अनुपम
बंसल को चुनाव नहीं जितवा सके, तो फिर वह और किसे चुनाव जितवा सकेंगे ?
विशाल सिन्हा के लिए मुसीबत की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों का
मानना और कहना है कि अनुपम बंसल की इतनी बुरी हार के लिए वास्तव में विशाल
सिन्हा ही जिम्मेदार हैं । डिस्ट्रिक्ट में अपने रवैये और व्यवहार से
विशाल सिन्हा ने दरअसल अपनी एक नकारात्मक पहचान ही बनाई है - कुछेक लोगों
को हालाँकि उम्मीद थी कि विशाल सिन्हा जब एक कार्यकर्ता का चोला छोड़ कर
'नेता' बनने की तरफ अग्रसर होंगे तो वह अपने रवैये व व्यवहार में सुधार
करेंगे तथा सचमुच एक 'जेंटिलमैन' बनने का प्रयास करेंगे; किंतु ऐसी उम्मीद
रखने वालों को निराशा ही हाथ लगी है । इसका खामियाजा हालाँकि खुद विशाल
सिन्हा ने ही भुगता है । विशाल सिन्हा सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का
अपना पहला चुनाव, निहायत कमजोर 'दिख' रहे शिव कुमार गुप्ता से हार गए - यह
केएस लूथरा की विशाल सिन्हा को पहली चोट थी । दूसरी बार में विशाल सिन्हा
तब सफल हो सके, जब उन्होंने केएस लूथरा की हर रोज सुबह-शाम पूजा की और उन्हें अपने समर्थन के लिए मनाया । तीसरी
बार अशोक अग्रवाल की हार के रूप में विशाल सिन्हा को केएस लूथरा ने एक बार
फिर 'धोया' । अब की बार, विशाल सिन्हा ने केएस लूथरा के साथ अपना पिछला
'हिसाब-किताब' बराबर करने की भारी तैयारी की - लेकिन केएस लूथरा ने एक बार
फिर उन्हें ऐसी जोरदार पटकनी दी, जिसकी चोटें ठीक होने में बहुत समय लगेगा ।
अबकी
बार, केएस लूथरा से बदला ले लेने का विशाल सिन्हा को पूरा भरोसा था । वह
चूँकि फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, इसलिए उन्हें भरोसा रहा कि अगले
लायन वर्ष की अपनी डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट के पद 'बेच' कर वह अनुपम बंसल के
लिए वोट खरीद लेंगे - और केएस लूथरा से अपना पिछला सारा हिसाब-किताब बराबर
कर लेंगे । उनके इस भरोसे को और भरोसा नीरज बोरा का समर्थन मिलने से मिला ।
अनुपम बंसल को चूँकि गुरनाम सिंह के उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा
था, और नीरज बोरा को गुरनाम सिंह के विरोधी के रूप में पहचाना जाता रहा है -
इसलिए नीरज बोरा को जब अनुपम बंसल के समर्थन में देखा गया, तो अनुपम बंसल का पलड़ा भारी होता हुआ नजर आया ।
गुरनाम सिंह, नीरज बोरा और विशाल सिन्हा की तिकड़ी ने एक बड़ा काम यह किया
कि कैबिनेट सेक्रेटरी लालजी वर्मा व चीफ एडवाइजर एचएन सिंह को अनुपम बंसल
की उम्मीदवारी के पक्ष में सक्रिय कर/करा दिया । इन तिकड़ी का वास्तविक
उद्देश्य दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार गुप्ता का समर्थन पाना था, जो
तटस्थ भूमिका में थे - और जिनकी तटस्थ भूमिका तिकड़ी को पसंद नहीं आ रही थी
। शिव कुमार गुप्ता पर दबाव बनाने लिए इस तिकड़ी ने उनके दोनों प्रमुख
सहयोगियों - लालजी वर्मा व एचएन सिंह को उनके खिलाफ कर दिया । गुरनाम
सिंह, नीरज बोरा व विशाल सिन्हा ने केएस लूथरा को डिस्ट्रिक्ट में अकेला व
अलग-थलग कर देने के उद्देश्य से खासा पक्का और ठोस जाल बुना - लेकिन वह
केएस लूथरा को जाल में कैद नहीं कर पाए । उलटे केएस लूथरा ने ही उन्हें
उनके बनाए जाल में ऐसा फँसा दिया है कि उसमें से निकल पाना उनके लिए
मुश्किल हो रहा है ।
मजे का सीन यह बना है कि अनुपम बंसल के ही कुछेक नजदीकी अनुपम बंसल की भारी हार के लिए विशाल सिन्हा को कोस रहे हैं । उनका कहना है कि अनुपम बंसल को उम्मीदवार बनाने से लेकर उन्हें जितवाने की कोशिश करने के नाम पर विशाल सिन्हा ने जो हरकतें कीं, उनने लोगों को नाराज करने का काम ही किया, जिसका फायदा केएस लूथरा ने उठाया । दरअसल अनुपम बंसल की उम्मीदवारी और उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में जो 'शिवजी की बारात' बनी, उसे एक अवसरवादी गठजोड़ के रूप में देखा/पहचाना गया - जिसके बस की केएस लूथरा तथा उनकी राजनीति से निपटना था ही नहीं । केएस लूथरा ने पिछले वर्षों में बार-बार अपने आप को आम लायन से जुड़ा हुआ साबित किया है; पिछले वर्षों में जब भी मुकाबले की स्थिति बनी है, केएस लूथरा ने हर बार साबित किया है कि वह 'जनता के आदमी' हैं और आम लायन सदस्य की नब्ज पहचानते हैं - और उन्हें तिकड़मों से नहीं हराया जा सकता । विशाल सिन्हा बार बार, कई बार केएस लूथरा से 'पिटे' हैं, पर फिर भी वह इस बात को नहीं समझ सके । विशाल सिन्हा से भी ज्यादा दिलचस्प नजारा लालजी वर्मा व एचएन सिंह ने पेश किया : डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस से छह दिन पहले तक यह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के साथ मिल कर चुनाव की तैयारी कर/करवा रहे थे, उसके बाद इन्होंने अनुपम बंसल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया और उनके लिए वोट जुटाने/माँगने के काम पर लगे; किंतु अब जब अनुपम बंसल चुनाव बुरी तरह हार गए तो यह लोगों को ज्ञान बाँट रहे हैं कि इस चुनाव का तो कोई औचित्य ही नहीं था और यह चुनाव करा कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने लोगों को गुमराह किया है । कोई इनसे पूछे कि भाई जब आपको इतना ज्ञान है, तो यह आपने चुनाव से पहले लोगों को क्यों नहीं बताया; आपने अनुपम बंसल तथा उनके समर्थक नेताओं को क्यों नहीं आगाह किया कि इस चुनाव का कोई औचित्य नहीं है, इसके चक्कर में अपनी फजीहत क्यों करवा रहे हो ? इनके अनुसार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने लोगों को गुमराह किया, पर यह इस सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं कि यह खुद गुमराह क्यों हुए ? इस सवाल का जबाव यह कभी नहीं देंगे - इन्हें दरअसल अपनी खीझ मिटानी है जो इनके समर्थन के बावजूद अनुपम बंसल के बुरी तरह हार जाने से पैदा हुई है ।
मजे का सीन यह बना है कि अनुपम बंसल के ही कुछेक नजदीकी अनुपम बंसल की भारी हार के लिए विशाल सिन्हा को कोस रहे हैं । उनका कहना है कि अनुपम बंसल को उम्मीदवार बनाने से लेकर उन्हें जितवाने की कोशिश करने के नाम पर विशाल सिन्हा ने जो हरकतें कीं, उनने लोगों को नाराज करने का काम ही किया, जिसका फायदा केएस लूथरा ने उठाया । दरअसल अनुपम बंसल की उम्मीदवारी और उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में जो 'शिवजी की बारात' बनी, उसे एक अवसरवादी गठजोड़ के रूप में देखा/पहचाना गया - जिसके बस की केएस लूथरा तथा उनकी राजनीति से निपटना था ही नहीं । केएस लूथरा ने पिछले वर्षों में बार-बार अपने आप को आम लायन से जुड़ा हुआ साबित किया है; पिछले वर्षों में जब भी मुकाबले की स्थिति बनी है, केएस लूथरा ने हर बार साबित किया है कि वह 'जनता के आदमी' हैं और आम लायन सदस्य की नब्ज पहचानते हैं - और उन्हें तिकड़मों से नहीं हराया जा सकता । विशाल सिन्हा बार बार, कई बार केएस लूथरा से 'पिटे' हैं, पर फिर भी वह इस बात को नहीं समझ सके । विशाल सिन्हा से भी ज्यादा दिलचस्प नजारा लालजी वर्मा व एचएन सिंह ने पेश किया : डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस से छह दिन पहले तक यह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के साथ मिल कर चुनाव की तैयारी कर/करवा रहे थे, उसके बाद इन्होंने अनुपम बंसल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया और उनके लिए वोट जुटाने/माँगने के काम पर लगे; किंतु अब जब अनुपम बंसल चुनाव बुरी तरह हार गए तो यह लोगों को ज्ञान बाँट रहे हैं कि इस चुनाव का तो कोई औचित्य ही नहीं था और यह चुनाव करा कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने लोगों को गुमराह किया है । कोई इनसे पूछे कि भाई जब आपको इतना ज्ञान है, तो यह आपने चुनाव से पहले लोगों को क्यों नहीं बताया; आपने अनुपम बंसल तथा उनके समर्थक नेताओं को क्यों नहीं आगाह किया कि इस चुनाव का कोई औचित्य नहीं है, इसके चक्कर में अपनी फजीहत क्यों करवा रहे हो ? इनके अनुसार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने लोगों को गुमराह किया, पर यह इस सवाल पर चुप्पी साध लेते हैं कि यह खुद गुमराह क्यों हुए ? इस सवाल का जबाव यह कभी नहीं देंगे - इन्हें दरअसल अपनी खीझ मिटानी है जो इनके समर्थन के बावजूद अनुपम बंसल के बुरी तरह हार जाने से पैदा हुई है ।
इनसे
भी बुरी स्थिति लेकिन बीएन चौधरी की हुई है । बीएन चौधरी ने विशाल सिन्हा
के गवर्नर-काल में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपनी
उम्मीदवारी की तैयारी कर ली थी, और इस तैयारी के तहत ही उन्होंने विशाल
सिन्हा के गवर्नर-काल के कैबिनेट सेक्रेटरी का पदभार भी सँभाल लिया है । गुरनाम
सिंह और विशाल सिन्हा ने कुछेक मौकों पर उनकी उम्मीदवारी की घोषणा भी कर
दी है । लेकिन अनुपम बंसल की जो बुरी गत बनी है, उसे देख कर बीएन चौधरी का
सारा जोश हवा होता हुआ नजर आ रहा है । उन्हें लग रहा है कि विशाल सिन्हा के
चक्कर में वह अपनी अनुपम बंसल जैसी फजीहत क्यों करवाएँ ? बीएन चौधरी
के बदले बदले मिजाज को देख कर विशाल सिन्हा ने कुछेक दूसरे संभावित
उम्मीदवारों पर डोरे डालने की कोशिश की, लेकिन कोई भी विशाल सिन्हा को
फँसता हुआ नहीं दिख रहा है । विशाल सिन्हा की समस्या यह है कि वह संभावित उम्मीदवारों से आखिर किस मुँह से कहें कि चिंता मत करो, मैं मदद करूँगा - क्योंकि सभी ने देख ही लिया है कि विशाल सिन्हा की मदद के बाद बेचारे अनुपम बंसल का अंततः क्या हाल हुआ है । जाहिर तौर पर इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के चुनाव में अनुपम बंसल पर प्राप्त की गई केएस लूथरा की धमाकेदार जीत ने विशाल सिन्हा के तमाम राजनीतिक मंसूबों को फिलहाल तो धूल में मिला दिया है ।