Wednesday, April 20, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में दीपक बाबु की मनमानी, स्वार्थपूर्ण व धंधेबाजी से प्रेरित कारस्तानियाँ उनके साथ साथ अंततः डिस्ट्रिक्ट को भी ले डूबीं

मुरादाबाद । डिस्ट्रिक्ट 3100 के लिए कब्र खोदने का काम करने में सुनील गुप्ता को तो आठ महीने का समय लगा था, लेकिन दीपक बाबु ने डिस्ट्रिक्ट को कब्र में दफनाने का काम दो ढाई महीने में ही पूरा कर दिया है । सुनील गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से हटा कर जब दीपक बाबु को डिस्ट्रिक्ट का कार्यभार सौंपा था, तब दीपक बाबु और उनके संगी-साथियों ने इस बात पर जोरशोर से अहंकारभरी खुशी मनाई थी कि दीपक बाबु को तो दो वर्षों के लिए गवर्नरी करने का मौका मिल गया है - उस समय सचमुच कोई नहीं जानता था कि दो वर्षों के लिए मिले मौके को दीपक बाबु अपनी कारस्तानियों से दो महीने में ही खो देंगे । रोटरी के 111 वर्षों के इतिहास में दीपक बाबु संभवतः पहले और अकेले 'गवर्नर' हैं, जिन्हें गवर्नर का पदभार सँभालने से पहले ही गवर्नर पद के कामकाज करने से रोक दिया गया है । दीपक बाबु तो डिस्ट्रिक्ट असेम्बली करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन उसके पाँच दिन पहले दिल्ली स्थित रोटरी इंटरनेशनल के साउथ एशिया ऑफिस में बुला कर उन्हें बता दिया गया कि वह यह असेम्बली न करें । इसके साथ ही उन्हें यह भी बता दिया गया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में वह और कोई काम भी न करें । दीपक बाबु ने अपने नजदीकियों को यह भी बताया है कि अनौपचारिक रूप से उन्हें यह भी बता दिया गया है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने डिस्ट्रिक्ट 3100 को बंद करने का फैसला कर लिया है, जिसके बारे में औपचारिक घोषणा जल्दी ही कर दी जाएगी ।
दीपक बाबु और उनके नजदीकियों ने इस स्थिति के लिए डिस्ट्रिक्ट के उन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को जिम्मेदार बताया/ठहराया है, जो रोटरी इंटरनेशनल में लगातार शिकायतें करते रहे हैं । उनका कहना है कि लगातार की जाने वाली शिकायतों के कारण रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के बीच डिस्ट्रिक्ट की पहचान और छवि खराब हुई, जिसकी परिणति यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट बंद होने के कगार पर आ पहुँचा है । बड़े परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह बात किसी हद तक सच हो सकती है - किंतु पिछले दिनों के घटनाक्रम को देखें तो यह साफ समझ में आ जाता है कि यह दीपक बाबु हैं, जिनकी हरकतें डिस्ट्रिक्ट को इस कगार पर ले आईं हैं । यह बात ध्यान रखने की है कि करीब ढाई महीने पहले रोटरी इंटरनेशनल ने जब सुनील गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से हटा कर दीपक बाबु को गवर्नर पद का कार्यभार सौंपा था, तब तमाम शिकायतों तथा शिकायतों के कारण डिस्ट्रिक्ट की खराब हुई पहचान व छवि के बावजूद रोटरी इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट को बंद करने का फैसला नहीं सुनाया था । शिकायतें और शिकायतों के कारण डिस्ट्रिक्ट की खराब हुई पहचान व छवि डिस्ट्रिक्ट के बंद होने का कारण होतीं - तो रोटरी इंटरनेशनल सुनील गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटाने का फैसला करने के साथ ही डिस्ट्रिक्ट को बंद करने का भी फैसला कर लेता । रोटरी इंटरनेशनल ने उस समय यह फैसला नहीं किया था । उसने उम्मीद की थी कि सुनील गुप्ता जिस डिस्ट्रिक्ट को सँभाल नहीं पा रहे हैं, उस डिस्ट्रिक्ट को दीपक बाबु सँभाल लेंगे । लेकिन दीपक बाबु तो सुनील गुप्ता के भी 'गुरू' निकले । सुनील गुप्ता ने अपनी कारस्तानियों से सिर्फ अपने को डुबोया था, लेकिन दीपक बाबु की कारस्तानियाँ ऐसी रहीं कि वह खुद तो डूबे ही - साथ ही डिस्ट्रिक्ट को भी ले डूबे ।
दीपक बाबु दरअसल उस 'संदेश' को पढ़ने में पूरी तरह विफल रहे, जो रोटरी इंटरनेशनल ने सुनील गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटा कर दिया था । यह एक बहुत ही कठोर फैसला था । रोटरी के इतिहास में शायद ही कभी इस तरह से किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को उसके पद से हटाया गया हो । जाहिर तौर पर इस फैसले का साफ संदेश था कि डिस्ट्रिक्ट 3100 की घटनाओं को रोटरी इंटरनेशनल गंभीरता से ले रहा है, तमाम घटनाओं के लिए वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को जिम्मेदार मान रहा है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की हरकतों को वह अनदेखा करने के लिए तैयार नहीं है । दीपक बाबु को इस 'संदेश' को पढ़ना/समझना चाहिए था और जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए था - किंतु वह सुनील गुप्ता की ही तरह 'धंधेबाजी' पर उतर आए । बिडंवना की बात यह रही कि रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने जब देखा/पाया कि दीपक बाबु रोटरी इंटरनेशनल के दिए 'संदेश' को नहीं समझ रहे हैं, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव तथा डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की आड़ में राजनीति करने तथा पैसे 'बनाने' की जुगाड़ में लगे हैं - तो उन्होंने दीपक बाबु के 'कान भी उमेठे' थे; किंतु दीपक बाबु ने उससे भी कोई सबक नहीं लिया । उल्लेखनीय है कि सुनील गुप्ता की जगह डिस्ट्रिक्ट का कार्यभार मिलते ही दीपक बाबु ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव तथा डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की आड़ में जो खेल शुरू किया, उसे इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने यह हिदायत देते हुए रोक दिया कि वह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस नहीं करेंगे, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय करवायेगा । इन हिदायतों से दीपक बाबु को समझ लेना चाहिए था कि केआर रवींद्रन की निगाह उनकी हरकतों पर है, और वह उन्हें मनमानी नहीं करने देंगे । दीपक बाबु की समझ पर लेकिन लगता है कि पत्थर पड़ गए थे, और उन्होंने अपने आप को सुनील गुप्ता का 'गुरू' साबित करने की ठान ही ली थी ।
सुनील गुप्ता की तर्ज पर ही दीपक बाबु ने अपने डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स को, उनकी सलाह को और कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के फैसले को ठेंगा दिखाने का रवैया अपनाया और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को अपमानित करने की हद तक जा पहुँचे । इसी का नतीजा था कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट में घटने वाली घटनाओं के कारण डिस्ट्रिक्ट की होने वाली बदनामी का संज्ञान लेते हुए उनसे बचने के लिए जो कुछेक महत्वपूर्ण फैसले किए गए, दीपक बाबु ने उन्हें क्रियान्वित करने में कोई दिलचस्पी ही नहीं ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव कराने की जिम्मेदारी उनसे भले ही छीन ली गई थी, लेकिन उसके बावजूद उस चुनाव की आड़ में 'धंधा' करने का जुगाड़ बनाने का प्रयास दीपक बाबु ने फिर भी नहीं छोड़ा था । दीपक बाबु के इस रवैये पर डिस्ट्रिक्ट में जो तीखी प्रतिक्रिया हुई, उसके बाद सच्चाई की जाँच करने के लिए केआर रवींद्रन ने दो सदस्यीय टीम डिस्ट्रिक्ट भेजी । इस टीम के आने को दीपक बाबु एक खतरे के रूप में देखते/पहचानते तथा डिस्ट्रिक्ट के लोगों को विश्वास में लेकर इस टीम के सामने एक संगठित व सकारात्मक तस्वीर पेश करते तो आज नजारा कुछ और होता; किंतु दीपक बाबु ने इस मौके को अपनी टुच्ची व स्वार्थी राजनीति को सफल बनाने के मौके के रूप में इस्तेमाल किया - लेकिन उनकी चाल उन्हें ही उल्टी पड़ गई । उक्त टीम के सदस्यों ने दीपक बाबु सहित कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तथा कई अन्य रोटेरियंस से डिस्ट्रिक्ट का हाल-चाल लिया । इस जाँच में जो तथ्य सामने आए, उसने दीपक बाबु का असली चेहरा सामने ला दिया - जिसके बाद रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के सामने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा ।
जाहिर है कि दीपक बाबु को बार बार चेतावनी 'मिली' - जिन्हें पहचान/समझ कर वह संभलने का प्रयास कर सकते थे; और अपने साथ साथ डिस्ट्रिक्ट को भी बचा सकते थे । किंतु अपने मनमाने व स्वार्थपूर्ण फैसलों तथा अहंकारभरे रवैये के चलते दीपक बाबु ने उन मौकों का कोई सदुपयोग नहीं किया - जो उन्हें बार बार मिलते रहे । दीपक बाबु की कारस्तानियाँ उन्हें तो ले ही डूबी हैं, साथ ही डिस्ट्रिक्ट को भी ले डूबी हैं ।