Friday, April 15, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में संजीवा अग्रवाल की उम्मीदवारी को मुकेश गोयल की हरी झंडी मिलने पर डीआर गोयल द्वारा दिखाई जा रही नाराजगी ने अजय सिंघल को मुसीबत में फँसाने के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक खिलाड़ियों के बीच फिलहाल तो गर्मी पैदा कर दी है

गाजियाबाद । संजीवा अग्रवाल को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के लिए मुकेश गोयल की हरी झंडी मिल जाने से खफा डीआर गोयल ने इसके लिए अजय सिंघल को जिम्मेदार ठहराया है, और आरोप लगाया है कि अजय सिंघल ने उनकी बजाए संजीवा अग्रवाल की वकालत की - जिसके चलते मुकेश गोयल ने उनकी बजाए संजीवा अग्रवाल की उम्मीदवारी के दावे को प्राथमिकता दी । डीआर गोयल तथा उनके शुभचिंतकों का कहना है कि वह तो पिछली बार ही अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करना चाह रहे थे, किंतु मुकेश गोयल ने उन्हें अगली बार समर्थन देने का भरोसा देकर उनकी 'चाह' को वापस करवा दिया था । डीआर गोयल तथा उनके शुभचिंतकों का कहना है कि इस 'काम' में अजय सिंघल ने भी अपनी दिलचस्पी व सक्रियता दिखाई थी - लेकिन जब 'अगली बार' के उम्मीदवार का फैसला करने का समय आया, तो अजय सिंघल को डीआर गोयल को दिया गया भरोसा याद नहीं आया; और मुकेश गोयल के सामने अजय सिंघल ने संजीवा अग्रवाल की वकालत की । डीआर गोयल तथा उनके शुभचिंतकों की शिकायत यह है कि अजय सिंघल यूँ तो उनके ही कैम्प के 'आदमी' हैं, लेकिन इसके बावजूद जरूरत पड़ने पर अजय सिंघल ने उनकी मदद से मुँह मोड़ लिया । अजय सिंघल के नजदीकियों का कहना लेकिन यह है कि डीआर गोयल की उम्मीदवारी को यदि तवज्जो नहीं मिली है, तो इसके लिए खुद डीआर गोयल ही जिम्मेदार हैं - और वह नाहक ही अजय सिंघल पर आरोप मढ़ रहे हैं । ऐसा कहने वालों का कहना यह भी है कि इस बार का चुनाव हो जाने के बाद अगली बार के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर डीआर गोयल को सक्रिय होना चाहिए था, लेकिन वह सक्रिय नहीं हुए और अपनी सक्रियता के बल पर संजीवा अग्रवाल ने बाजी मार ली - तो अब डीआर गोयल को इसके लिए अजय सिंघल को दोषी नहीं ठहराना चाहिए ।
मजे की बात यह है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के अगले दावेदार को लेकर जिन संजीवा अग्रवाल, डीआर गोयल और अजय सिंघल के बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का परिदृश्य देखने को मिल रहा है - वह तीनों लायंस क्लब गाजियाबाद के सदस्य हैं, तथा अजय सिंघल अगले लायन वर्ष में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी को लेकर संजीवा अग्रवाल से मात खाए डीआर गोयल को लगता है कि अजय सिंघल यदि उनकी मदद करें, तो उनका काम अभी भी बन सकता है । अजय सिंघल लेकिन इस पचड़े में पड़ने में दिलचस्पी लेते हुए नहीं दिख रहे हैं । क्लब में उनके नजदीकियों का कहना है कि पिछले चुनाव का जो नतीजा रहा, उसे देखते हुए अजय सिंघल को मुकेश गोयल के खिलाफ खड़े होने में कोई फायदा नहीं नजर आ रहा है और वह वैसी बेवकूफी हरगिज नहीं करना चाहेंगे, जैसी शिव कुमार चौधरी ने की और डिस्ट्रिक्ट में पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए । इसके अलावा, अजय सिंघल के लिए डीआर गोयल पर भरोसा करना भी संभव नहीं है । उल्लेखनीय है कि पिछले वर्षों में डीआर गोयल की उम्मीदवारी की चर्चा कई बार छिड़ चुकी है - लेकिन डीआर गोयल अपनी उम्मीदवारी को लेकर जितनी तेजी से आगे बढ़ते हैं, उससे दुगनी तेजी से फिर पीछे हटते हुए नजर आते हैं; यही कारण है कि उनकी उम्मीदवारी को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता है । इस बार भी यही हुआ : इस बार के चुनाव से पहले तो डीआर गोयल उम्मीदवार बनने के लिए बहुत बेताब थे; इतने बेताब कि उन्हें मनाने/बैठाने के लिए मुकेश गोयल को काफी मशक्कत करना पड़ी और धमकाने व पुचकारने तक के हथकंडे आजमाने पड़े । 'अगली बार' का आश्वासन लेकर डीआर गोयल मान/बैठ भी गए, किंतु अगली बार की उम्मीदवारी को सचमुच क्लियर करवाने का मौका आया तो डीआर गोयल 'सोते' पाए गए । उनकी नींद तब टूटी, जब अगली बार का झंडा संजीवा अग्रवाल के हाथों में आ गया ।
संजीवा अग्रवाल से मिली चोट डीआर गोयल और उनके संगी-साथियों को लगता है कि कुछ ज्यादा चुभ रही है, इसलिए उनकी तरफ से गर्मी दिखाई जा रही है - अपनी इस गर्मी में हालाँकि अभी वह अजय सिंघल को ही झुलसाने का काम कर रहे हैं; लेकिन उनकी गर्मी 'देख' कर उन्हें लोगों से तरह तरह की सलाहें भी मिलने लगी हैं । इसमें एक सलाह को तो डीआर गोयल की तरफ से सिरे से नकार दिया गया है, जिसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी के समर्थन से उम्मीदवार बन जाने की बात कही गई है । इस बार के चुनाव में शिव कुमार चौधरी के उम्मीदवार के रूप में रेखा गुप्ता की जो बुरी गत बनी, उससे सबक लेकर डीआर गोयल किसी भी हालत में शिव कुमार चौधरी के उम्मीदवार बनने को तो राजी नहीं हैं । किंतु एक दूसरी सलाह में उन्हें दम दिखता है - जिसमें बताया गया है कि इस बार के चुनावी नतीजे से यह नहीं मान लेना चाहिए कि मुकेश गोयल के समर्थन के बिना चुनाव जीतना असंभव ही है । ऐसा कहने वालों का तर्क है कि इस बार के चुनाव में विनय मित्तल को जो जोरदार ऐतिहासिक जीत मिली है, वह वास्तव में विनय मित्तल की खुद की जीत है । यह ठीक है कि विनय मित्तल को मुकेश गोयल का समर्थन था; रेखा गुप्ता के रूप में उनके सामने एक कमजोर उम्मीदवार था; डिस्ट्रिक्ट में शिव कुमार चौधरी की बदनामियाँ रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी को और कमजोर कर रही थीं - लेकिन फिर भी विनय मित्तल को जो रिकॉर्ड-तोड़ बम्पर जीत मिली, वह सिर्फ उन्हीं को मिल सकती थी; उनकी जगह कोई और उम्मीदवार होता, तो ऐसी जीत नहीं प्राप्त कर पाता । जीत प्राप्त कर भी पाता - यह भी कौन दावे के साथ कह सकता है ? इसी बिना पर डीआर गोयल के नजदीकियों को समझाया जा रहा है कि संजीवा अग्रवाल, विनय मित्तल नहीं हैं और डीआर गोयल, रेखा गुप्ता नहीं हैं - इसलिए यदि शिव कुमार चौधरी की छाया से बचकर उम्मीदवार बनते हैं तो मौका अच्छा है ।
इस अच्छे 'मौके' को और अच्छा बनाने का काम शिव कुमार चौधरी की छाया संजीवा अग्रवाल पर पड़ने की संभावना करती है : लोगों के बीच चर्चा है कि संजीवा अग्रवाल के शिव कुमार चौधरी के साथ बिजनेस रिलेशन रहे हैं जो उनके बीच अच्छे संबंध होने/रहने का सुबूत हैं । उम्मीदवार के रूप में संजीवा अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी का झंडा भले ही मुकेश गोयल को थमा दिया है, लेकिन वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी का भी सहयोग/समर्थन लेने का प्रयास करेंगे । संजीवा अग्रवाल के इस प्रयास के चलते, अपनी अपनी मजबूरियों और जरूरतों के चलते मुकेश गोयल और शिव कुमार चौधरी के तार एक बार फिर जुड़ सकते हैं । यह संभावना डीआर गोयल के लिए 'वरदान' बन सकती है - क्योंकि मुकेश गोयल के कई साथियों ने उन्हें खुली चेतावनी दी हुई है कि उन्होंने यदि अब फिर शिव कुमार चौधरी को तवज्जो दी, तो वह उनका साथ छोड़ देंगे । यानि, शिव कुमार चौधरी का सहयोग/समर्थन पाने की संजीवा अग्रवाल की कोशिश अंततः उनका काम बिगाड़ने का ही 'काम' करेगी । इसी तर्क के आधार पर कुछेक नेता डीआर गोयल की उम्मीदवारी को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं; और इसी बिना पर डीआर गोयल व उनके शुभचिंतक अजय सिंघल पर दबाव बना कर उन्हें अपने साथ करने की कोशिश कर रहे हैं । लायंस क्लब गाजियाबाद के कई लोगों का कहना लेकिन यह है कि डीआर गोयल की उम्मीदवारी को हवा देने की चाहें जो कोई भी कोशिश कर रहा हो, तथा स्थितियाँ चाहें कितना ही डीआर गोयल की उम्मीदवारी के अनुकूल हों - लेकिन डीआर गोयल की उम्मीदवारी इतनी सीली हुई है कि वह कोई आग पकड़ ही नहीं सकेगी; दरअसल इसलिए भी अजय सिंघल ने डीआर गोयल कैम्प का 'आदमी' होने के बावजूद उनकी उम्मीदवारी की प्रस्तुति में अपनी तरफ से कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है ।
यही कारण है कि संजीवा अग्रवाल की उम्मीदवारी को मुकेश गोयल की तरफ से हरी झंडी मिल जाने पर डीआर गोयल और उनके समर्थकों द्वारा दिखाई जा रही नाराजगी ने फिलहाल भले ही अजय सिंघल को मुसीबत में फँसाने के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों के बीच गर्मी पैदा कर दी हो - लेकिन किसी को भी उम्मीद नहीं है कि यह गर्मी ज्यादा दिन तक बनी रह सकेगी । अजय सिंघल भी इसीलिए डीआर गोयल व उनके शुभचिंतकों की अभी की नाराजगी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं ।