Saturday, April 2, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी बनने के चक्कर में जेपी सिंह द्वारा मदन बत्रा के साथ की गई धोखाधड़ी को देखते हुए यशपाल अरोड़ा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की अपनी 'तैयारी' इंद्रजीत सिंह के भरोसे सफल होती दिख रही है

नई दिल्ली । जेपी सिंह ने इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी बनने के लिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर मदन बत्रा की उम्मीदवारी की जिस तरह से बलि चढ़ाई है, उसे 'देख' कर रमेश अग्रवाल को अगले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने की अपनी 'तैयारी' खतरे में पड़ी नजर आने लगी है । रमेश अग्रवाल अगले लायन वर्ष में जेपी सिंह के भरोसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की 'तैयारी' में सुने/देखे जा रहे हैं, लेकिन मदन बत्रा के हश्र के देखते हुए उनके नजदीकियों को डर हो गया है कि रमेश अग्रवाल का हाल कहीं मदन बत्रा जैसा ही न हो - और कहीं उन्हें भी जेपी सिंह से धोखा न मिले । उल्लेखनीय है कि मौजूदा लायन वर्ष में मदन बत्रा ने जेपी सिंह के भरोसे ही सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की तैयारी की हुई थी । जेपी सिंह उनके लिए 'बैटिंग' कर भी रहे थे; डिस्ट्रिक्ट में जेपी सिंह की जो राजनीतिक साख है - उससे खुद मदन बत्रा तथा उनके नजदीकियों सहित दूसरे लोगों को भी मदन बत्रा की दाल गल जाने का भरोसा था । लेकिन फैसले की घड़ी आते आते पलड़ा जिस तरह रवि मेहरा के पक्ष में झुक गया, उससे सभी को झटका लगा और जेपी सिंह की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई । मदन बत्रा के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि जेपी सिंह ऐन मौके पर मदन बत्रा को धोखा नहीं देते, तो मदन बत्रा - रवि मेहरा को अच्छी चुनावी टक्कर देते । जेपी सिंह के पलटी मारने से मदन बत्रा को भी अपने पैर पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा ।
डिस्ट्रिक्ट में हर किसी का मानना और कहना है कि जेपी सिंह ने इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी बनने के लिए रवि मेहरा के समर्थकों के साथ सौदा कर लिया, तथा मदन बत्रा को उन्होंने बीच मँझदार में ही छोड़ दिया । लोगों के बीच की चर्चाओं के अनुसार, रवि मेहरा के समर्थकों ने जेपी सिंह को साफ साफ बता दिया कि उन्होंने यदि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए मदन बत्रा का समर्थन करना जारी रखा, तो वह इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी के लिए उम्मीदवार खड़ा करेंगे - और जेपी सिंह को फिर चुनाव लड़ना होगा । रवि मेहरा के समर्थकों की यह धमकी काम कर गई, और जेपी सिंह ने मदन बत्रा की उम्मीदवारी के समर्थन से तुरंत हाथ खींच लिए । जेपी सिंह के नजदीकियों का कहना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी के लिए अपने ही डिस्ट्रिक्ट में चुनाव का सामना करने की संभावना ने जेपी सिंह को वास्तव में डरा दिया : जेपी सिंह को डर यह हुआ कि चुनाव में वह यदि हार गए, तो इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने का उनका सपना चकनाचूर हो जायेगा; और यदि नहीं भी हारे, तो भी मल्टीपल में यह संदेश तो जायेगा ही कि जेपी सिंह को अपने ही डिस्ट्रिक्ट में पूरा पूरा समर्थन नहीं है । इसलिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति में समर्पण कर देने तथा मदन बत्रा की उम्मीदवारी के समर्थन से पीछे हट जाने में ही उन्हें अपनी भलाई नजर आई । पिछले लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में नरेंद्र गोयल ने जेपी सिंह की जैसी फजीहत की थी, उसका सबक याद रखने के कारण ही जेपी सिंह ने इस वर्ष पंगा लेने का साहस नहीं किया - जिसका नतीजा यह हुआ कि मदन बत्रा की नाव बीच मँझदार में डूब बैठी ।
मदन बत्रा के साथ जो हुआ, उसे देख कर रमेश अग्रवाल और उनके नजदीकियों को अगले लायन वर्ष की अपनी 'तैयारी' खतरे में पड़ती दिख रही है । दरअसल अगले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए यशपाल अरोड़ा भी तैयारी करते हुए सुने/देखे जा रहे हैं - जिन्हें विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह का समर्थन बताया जाता है । यशपाल अरोड़ा को इंद्रजीत सिंह के 'आदमी' के रूप में पहचाना जाता है । वैसे तो इंद्रजीत सिंह भी जेपी सिंह के 'आदमी' के रूप में देखे/समझे जाते रहे हैं, लेकिन इंद्रजीत सिंह तथा यशपाल अरोड़ा के नजदीकियों का कहना है कि इंद्रजीत सिंह उनके गुलाम बन कर तो नहीं ही रहेंगे । कुछेक मौकों पर इंद्रजीत सिंह को जेपी सिंह से 'दूर जाते' देखा/पाया भी गया है । ऐसे मौकों पर जेपी सिंह के 'लोगों' ने जब इंद्रजीत सिंह को याद दिलाया कि वह जेपी सिंह के कारण ही गवर्नर बने हैं, तो इंद्रजीत सिंह से उन्हें सुनने को मिला कि - लेकिन जेपी सिंह उसकी पूरी कीमत बसूल तो चुके हैं । इस तरह की बातों से ही डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में इंद्रजीत सिंह किसी भी तरह से जेपी सिंह के 'यस मैन' बनकर तो नहीं ही रहेंगे । विनय गर्ग तो घोषित रूप से जेपी सिंह विरोधी खेमे के हैं । यही चीज अगले लायन वर्ष में रमेश अग्रवाल पर यशपाल अरोड़ा का पलड़ा भारी बनाती है । रमेश अग्रवाल को ले दे कर एक जेपी सिंह का ही भरोसा है - लेकिन इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी के चक्कर में जेपी सिंह द्वारा मदन बत्रा के साथ की गई धोखाधड़ी को देखते हुए रमेश अग्रवाल को वह भरोसा भी छिनता हुआ नजर आ रहा है ।       
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति से परिचित लोगों के अनुसार हालाँकि अभी से इस तरह का नतीजा निकालना जल्दबाजी करना होगा । उनका कहना है कि अगले लायन वर्ष की चुनावी राजनीति का सारा खेल इस बात पर निर्भर करेगा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय गर्ग कैसा काम करते हैं, और किस किस के साथ अच्छे संबंध बना कर रखते हैं; तथा इंद्रजीत सिंह व यशपाल अरोड़ा का वह कैसे इस्तेमाल करते हैं ? पिछले लायन वर्ष में जेपी सिंह की फजीहत करने में नरेंद्र गोयल भले ही कामयाब रहे थे; और इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के संदर्भ में रवि मेहरा के समर्थक जेपी सिंह को झुकाने में भले ही सफल रहे हों - लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विनय गर्ग और इंद्रजीत सिंह भी जेपी सिंह को 'गरीब की जोरू' समझ लेंगे ? विनय गर्ग, इंद्रजीत सिंह और यशपाल अरोड़ा की कोई भी गलती जेपी सिंह को खेल कर देने का पर्याप्त मौका देगी - और जेपी सिंह के मौके में से ही फिर रमेश अग्रवाल के लिए भी रास्ता निकल सकेगा । यद्यपि यह भी सच है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी बनने के चक्कर में जेपी सिंह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में भारी दबाव में आ गए हैं, और ऐसे में कोई भी उन्हें आँखें दिखाने लगा है । जेपी सिंह की इस मजबूरी ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को दिलचस्प मोड़ पर तो ला ही दिया है ।