Wednesday, April 27, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में पप्पू जीत सिंह सरना की कारस्तानियों को 'छिछोरापन' बता कर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने विनय भाटिया की जीत की चमक को धूल में मिला दिया है

नई दिल्ली । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने अभी हाल ही की अपनी मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव से संबंधित तथाकथित शिकायत पर फैसले की जो जलेबी सी बनाई है, उसने डिस्ट्रिक्ट में हर किसी को निराश किया है । विनय भाटिया और उनके नजदीकियों का रोना है कि बोर्ड ने जब खुद ही माना है कि चुनाव को लेकर उसे कोई शिकायत नहीं मिली है, तब उसने एक ऐसा फैसला क्यों लिया है जिसमें विनय भाटिया की जीत को कलंकित करने का भाव नजर आता है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाले दूसरे उम्मीदवारों व उनके समर्थकों का कहना है कि बोर्ड ने जब यह साफ साफ समझ और मान लिया है कि विनय भाटिया की जीत रोटरी इंटरनेशनल के नियमों व मार्ग-दर्शनों का उल्लंघन करके प्राप्त की गई है तब फिर उन्हें 'सजा' क्यों नहीं दी गई ? चुनाव संबंधी शिकायत न मिलने के 'तथ्य' को बोर्ड मीटिंग में स्वीकार करने तथा फैसले में उसे दर्ज करने की बात से रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की कार्रवाई ही सवालों के घेरे में आ गई । हर किसी को इस बात पर हैरानी है कि चुनाव संबंधी जब कोई शिकायत हुई ही नहीं, तब फिर यह मामला बोर्ड मीटिंग में आया ही क्यों और कैसे ? उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के किन्हीं भी विवादों व झगड़ों के इंटरनेशनल बोर्ड तक पहुँचने की एक प्रक्रिया रोटरी में सुनिश्चित है, जिसका पालन करते हुए ही कोई मामला बोर्ड मीटिंग तक पहुँचता है । डिस्ट्रिक्ट 3011 के मामले में उक्त प्रक्रिया का किसी भी स्तर पर कोई पालन हुआ ही नहीं । मान लेते हैं कि इंटरनेशनल बोर्ड को खुद संज्ञान लेकर किसी मामले को अपने एजेंडे में शामिल करने का अधिकार है, और इसी अधिकार के तहत बोर्ड ने डिस्ट्रिक्ट 3011 के मामले पर विचार किया - तो सवाल है कि बोर्ड ने यदि डिस्ट्रिक्ट 3011 के मामले को इतना गंभीर समझा कि खुद से उसका संज्ञान लेकर उसे अपने एजेंडे में शामिल किया, तब फिर उस पर निर्णायक कार्रवाई करने से वह पीछे क्यों हट गया ?
जाहिर है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के रवैये को लेकर सवाल बहुतेरे हैं, लेकिन जबाव किसी का नहीं है । इसलिए लगता है कि डिस्ट्रिक्ट 3011 के मामले को बोर्ड मीटिंग के एजेंडे में शामिल कर लेने तथा फिर उस पर फैसला लेने से पीछे हटने को लेकर इंटरनेशनल बोर्ड खुद किसी षड्यंत्रकारी 'राजनीति' का शिकार हो गया है । यह मानने का कारण डिस्ट्रिक्ट 3100 तथा डिस्ट्रिक्ट 3080 की घटनाओं के प्रति इंटरनेशनल बोर्ड के रवैये में ही छिपा है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 के मामलों को लेकर भी कोई फॉर्मल शिकायत बोर्ड के पास नहीं पहुँची है, किंतु फिर भी उस डिस्ट्रिक्ट को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में डालने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट को उनके पद से हटाने जैसे कठोर फैसले लिए गए । इसके विपरीत डिस्ट्रिक्ट 3080 के मामलों में एक से अधिक बार फॉर्मल शिकायत हुईं हैं, किंतु उसके मामले को बोर्ड मीटिंग तक आने ही नहीं दिया गया । डिस्ट्रिक्ट 3080 पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू का डिस्ट्रिक्ट है, जहाँ उनकी शह पर होने वाली चुनावी धांधलियों का आलम यह है कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को बार बार रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से लताड़ मिल रही है और पिछले रोटरी वर्ष में होने वाला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव अभी तक भी नहीं हो सका है - लेकिन फिर भी उस डिस्ट्रिक्ट के खिलाफ कार्रवाई व फैसला करना तो दूर की बात, इंटरनेशनल बोर्ड चर्चा तक करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है । इससे साबित होता है कि इंटरनेशनल बोर्ड में मनमाने तरीके से और राजनीतिक षड्यंत्रों से प्रेरित होकर ही फैसले होते हैं ।
डिस्ट्रिक्ट 3011 के प्रति इंटरनेशनल बोर्ड के रवैये के पीछे 'राजनीति' इसलिए भी देखी जा रही है, क्योंकि बोर्ड ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन द्वारा गठित की गई जिस कथित जाँच कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया है, उस जाँच कमेटी के बारे में डिस्ट्रिक्ट में कोई कुछ जानता तक नहीं है । एक अकेले पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एमएल बिदानी ने लोगों को बताया है कि उनके साथ गवर्नर रहे दक्षिण भारत के एक डिस्ट्रिक्ट के एक पूर्व गवर्नर का उनके पास फोन आया था और उन्होंने चुनाव से जुड़ी कुछ बातें उनसे पूछी थीं, जिन्हें उन्होंने साफ बता दिया था कि हमारे यहाँ ज्यादा राजनीति नहीं होती है । एमएलए बिदानी का कहना है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि जिसने उनसे बात की, वह किसी जाँच कमेटी का सदस्य है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 के लिए भी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने एक जाँच कमेटी गठित की थी, लेकिन उस जाँच कमेटी के दो सदस्य दो दिन तक मेरठ में रुके/रहे थे, और डिस्ट्रिक्ट के हर पदाधिकारी को रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से इसकी सूचना दी गई थी; तथा सभी से कहा गया था कि जो कोई भी इस कमेटी से मिल कर अपनी बात कहना चाहता है, वह दिल्ली स्थित साउथ एशिया कार्यालय में फोन करके अपने मिलने का समय तय कर सकता है । डिस्ट्रिक्ट के कई लोग कमेटी से मिले थे । किंतु डिस्ट्रिक्ट 3011 में ऐसा कुछ नहीं हुआ । यहाँ लोगों को कमेटी की बात तो अब पता चली जब इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले में उसका जिक्र आया । समझा जाता है कि कमेटी के सदस्यों ने डिस्ट्रिक्ट के कुछेक लोगों से बात की होगी, और उनसे उन्हें जो सुनने को मिला उन्होंने उसे ही सच मान लिया - तथा उसी के आधार पर अपनी रिपोर्ट बना दी । रिपोर्ट भी क्या बना दी, जलेबी सी तल दी । इंटरनेशनल बोर्ड ने उक्त रिपोर्ट के हवाले से ही कहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के सभी चारों उम्मीदवारों ने चुनाव संबंधी रोटरी इंटरनेशनल के नियमों व मार्ग-दर्शनों का उल्लंघन किया है । जिस जाँच में यह नतीजा निकल कर आया है, उस पर तो फिर 'खोदा पहाड़ और निकली चुहिया' वाला मुहावरा ही सटीक बैठता है ।
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले ने विनय भाटिया को राहत भले ही दे दी हो, लेकिन उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को जिस तरह से नामित किया गया है - उससे विनय भाटिया की जीत का 'वजन' खत्म हो गया है । विनय भाटिया की जीत पर डिस्ट्रिक्ट के लोग दरअसल पहले से ही सहज नहीं थे : जैसे यह सच है कि फूलन देवी संसद का चुनाव जीती थी, किंतु उनकी जीत को देश का मानस स्वीकार नहीं कर सका था; ठीक उसी तर्ज पर यह सच है कि पहले रवि चौधरी और फिर विनय भाटिया चुनाव जीते हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों का मानस उनकी जीत को स्वीकार नहीं कर पाया है - अधिकतर लोगों को यह सवाल कचोटता है कि अब रवि चौधरी व विनय भाटिया जैसे लोग गवर्नर बनेंगे ! इन दोनों को गवर्नर चुनवाने में चूँकि दीपक तलवार, सुशील खुराना व विनोद बंसल की सक्रिय भूमिका रही - इसलिए इंटरनेशनल बोर्ड ने जब इन तीनों को चुनावी राजनीति करने के लिए नामित किया तो यही लगता है कि डिस्ट्रिक्ट को और रोटरी को रवि चौधरी व विनय भाटिया जैसे लोग 'देने' का दंड इन्हें मिला है । विनय भाटिया के सबसे बड़े समर्थक पप्पू जीत सिंह सरना के लिए तो रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने बहुत ही शर्मनाक स्थिति बना दी है । विनय भाटिया की उम्मीदवारी के समर्थक के रूप में पप्पू जीत सिंह सरना ने जो कारस्तानियाँ कीं, इंटरनेशनल बोर्ड ने उन्हें 'छिछोरापन' कहा है और स्पष्ट आदेश सुनाया है कि ऐसे व्यक्ति को आगे कभी नोमीनेटिंग कमेटी का सदस्य न बनाया जाए । पप्पू जीत सिंह सरना को लेकर की गई इंटरनेशनल बोर्ड की इस टिप्पणी ने विनय भाटिया की जीत के प्रभाव को गहरी चोट पहुँचाई है । विनय भाटिया की गवर्नरी तो बच गई है, लेकिन उनकी गवर्नरी की चमक धूल में मिल गई है ।