Monday, February 24, 2014

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन पद को लेकर चली दीपक गर्ग की तिकड़म में राधेश्याम बंसल और गोपाल केडिया ने भी अपना काम बनाने का मौका देखा

नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में सत्ता खेमे के एक सदस्य दीपक गर्ग की चेयरमैन बनने की कोशिश ने सत्ता खेमे में जो फूट डाल दी है, उसके चलते नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन पद के लिए होने वाला चुनाव खासा दिलचस्प हो गया है । रीजनल काउंसिल के कुछेक सदस्यों को हालाँकि लगता है कि दीपक गर्ग ने बड़े प्रयत्न से और बड़ी तिकड़म से अपने लिए जो घोड़ी सजाई है, एन मौके पर हो सकता है कि उस पर राधेश्याम बंसल जा बैठें और दीपक गर्ग टापते ही रह जाएँ । दीपक गर्ग की चेयरमैन पद हथियाने की कोशिश के चलते काउंसिल में नए समीकरण बनने की जो संभावना बनी है, उसने गोपाल केडिया को भी उम्मीदों से भर दिया है । गोपाल केडिया को लगने लगा है कि जिस सत्ता खेमे में उनके लिए कोई जगह नहीं बन पाई थी, उस सत्ता खेमे के बिखरने से शायद उनके लिए कोई राह बन सके । जो हो रहा है उसे देख कर चेयरमैन बनने की गुपचुप-गुपचुप इच्छा रखने वाले काउंसिल सदस्यों के मन में भी यह सोच कर गुदगुदी-सी होने लगी है कि दीपक गर्ग की चाल से जो आग लगी है, उसमें शायद उनकी दाल ही गल जाये ।
जाहिर है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन पद के चुनाव को लेकर नजारा दिलचस्प है ।
उल्लेखनीय है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के मौजूदा टर्म के पहले वर्ष - यानि पिछले वर्ष 13 में से 8 सदस्यों ने एक ग्रुप बना कर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया था । सत्ता के सभी महत्वपूर्ण पदों के लिए सर्वसम्मती से यह फैसला किया गया था कि प्रत्येक पद के लिए इच्छुक लोगों के नाम की पर्ची डाली जायेगी और जिसका नाम निकलेगा, उसका उक्त पद पर कब्ज़ा होगा । इस फार्मूले पर सभी आठों सदस्यों की रजामंदी तो थी ही, इस फार्मूले के साथ बने/टिके रहने को लेकर दिल्ली के कनाट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर में उन्होंने सौगंध भी खा ली थी । लेकिन दूसरी बार अब जब पदाधिकारी चुनने का समय आया तो दीपक गर्ग ने उक्त फार्मूले को और उसे लेकर खाई गई सौगंध को भुला दिया और चेयरमैन के पद पर अपना दावा ठोक दिया । मजे की बात यह रही कि दीपक गर्ग इसके लिए काफी समय से तैयारी कर रहे थे और उन्होंने इसकी किसी को भनक तक नहीं लगने दी । उन्होंने इसके लिए दो-तरफ़ा तैयारी की - एक तरफ तो उन्होंने काउंसिल में अपने खेमे के राजिंदर नारंग, हंसराज चुग और राज चावला को चेयरमैन विशाल गर्ग की आलोचना करने के लिए उकसाया; और दूसरी तरफ विशाल गर्ग को समझाया कि यह तीनों उन्हें बदनाम करने के काम में लगे हैं । दीपक गर्ग की इस तैयारी का भेद तब खुला जब चेयरमैन पद के लिए प्रस्तुत किये गए उनके दावे को विशाल गर्ग का समर्थन मिलता दिखा । राजिंदर नारंग, हंसराज चुग और राज चावला यह देख कर हैरान रह गए कि जो दीपक गर्ग हमेशा ही जिन विशाल गर्ग की शिकायत और आलोचना करते रहते थे, अब उन्हीं विशाल गर्ग के समर्थन के बूते चेयरमैन बनने की राह पर हैं ।
दीपक गर्ग ने इस काम में जातिवाद का कार्ड भी चला और अपने खेमे को बनिया-पंजाबी खेमे में बाँट दिया । इस काम में उन्हें इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य विजय गुप्ता की भी मदद मिली । इन दोनों ने ही बार-बार इस बात को उड़ाया कि हंसराज चुग चेयरमैन बनने के लिए विशाल गर्ग को बदनाम कर रहे हैं और इस काम में उन्हें राज चावला और राजिंदर नारंग का सहयोग मिल रहा है । चेयरमैन के रूप में लिए गए विशाल गर्ग के जिन भी फैसलों की आलोचना हुई, उसके लिए दीपक गर्ग और विजय गुप्ता बड़ी होशियारी से राजिंदर नारंग, हंसराज चुग और राज चावला को जिम्मेदार साबित करते रहे - और इस तरह एक तरफ वह विशाल गर्ग को बदनाम भी करते रहे और उनकी बदनामी का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ कर विशाल गर्ग को अपने नजदीक भी करते रहे । इसका नतीजा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के अवार्ड फंक्शन में दिखा, जहाँ विजय गुप्ता के अलावा सेंट्रल काउंसिल के और किसी सदस्य को कोई तवज्जो नहीं मिली । विजय गुप्ता इस खेल में इसलिए ही शामिल हुए हैं कि इसमें उन्हें दोहरा फायदा दिखा है । एक तरफ विशाल गर्ग की बदनामी कर/करवा कर सेंट्रल काउंसिल के अगले चुनाव में विशाल गर्ग से मिलने वाली संभावित चुनौती को उन्होंने कमजोर करने का काम किया है, और दूसरी तरफ दीपक गर्ग के जरिये रीजनल काउंसिल पर कब्जे की उम्मीद लगाई है । विजय गुप्ता को विश्वास है कि दीपक गर्ग चेयरमैन बनेंगे, तो वह तो बस नाम के चेयरमैन होंगे; चेयरमैनी करने का मौका तो वास्तव में उन्हें (यानि विजय गुप्ता को) मिलेगा ।
दीपक गर्ग ने पूरी तैयारी के साथ जो चाल चली है, उसमें उन्हें लेकिन सिर्फ विशाल गर्ग और स्वदेश गुप्ता का ही समर्थन खुले तौर पर मिल सका है । राजिंदर नारंग ने दीपक गर्ग की कोशिश का खुला और कड़ा विरोध करके दीपक गर्ग की राह में रोड़ा डालने का काम तो किया है, लेकिन दीपक गर्ग और विजय गुप्ता को भरोसा है कि वह अपना काम बना लेंगे । यह उम्मीद उन्हें इसलिए है क्योंकि हंसराज चुग और राज चावला ने राजिंदर नारंग का साथ नहीं दिया है । इन्होंने अभी हालाँकि दीपक गर्ग का समर्थन करने का भी संकेत नहीं दिया है, लेकिन दीपक गर्ग को भरोसा है कि खेमे की एकता बनाये रखने के नाम पर इन दोनों का समर्थन उन्हें मिल जायेगा । यह भरोसा दीपक गर्ग को इसलिए भी है क्योंकि राजिंदर नारंग ने भले ही उनकी कोशिश का विरोध किया है, लेकिन उन्होंने भी किसी और के साथ जाने का संकेत नहीं दिया है । दीपक गर्ग को विश्वास है कि 'तटस्थ' राजिंदर नारंग उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकेंगे । योगिता आनंद को भी काम दिलवाने का लालच देकर अपनी तरफ कर लेने का भरोसा दीपक गर्ग को है ।
दीपक गर्ग को इतने सब भरोसों के बाद भी लेकिन खतरा खेमे के भीतर राधेश्याम बंसल से है । राधेश्याम बंसल ने समझ लिया है कि दीपक गर्ग ने अपनी जो तिकड़म लगाई है, उसके कारण उन्होंने अपने लिए विरोध भी खड़ा कर लिया है । राधेश्याम बंसल को लगता है कि जो हालात बने हैं, उसमें उनके लिए भी मौका बन सकता है । दीपक गर्ग ने हालाँकि तीसरे वर्ष में राधेश्याम बंसल को चेयरमैन बनाने/बनवाने का ऑफर देकर अपने समर्थन में लाने का प्रयास किया है, लेकिन राधेश्याम बंसल ने उन्हें फार्मूला सुझाया है कि इस बार राधेश्याम बंसल और अगली बार दीपक गर्ग । राधेश्याम बंसल समझ रहे हैं कि अगली बारी किसने देखी है, जो पाना है अभी ही पा लो । राधेश्याम बंसल के इस तेवर ने दीपक गर्ग को सचमुच डरा दिया है : उन्हें लग रहा है कि चेयरमैन पद की जिस घोड़ी को उन्होंने अपने लिए सजाया है, राधेश्याम बंसल उस पर चढ़ बैठने की ताक में हैं । सत्ता खेमे में मचे इस घमासान में गोपाल केडिया को अपना काम बनता हुआ दिखने लगा है । उन्हें लग रहा है कि सत्ता खेमे में चेयरमैन पद को लेकर खींचतान यदि ज्यादा बढ़ी तो चेयरमैन पद पर उनका दाँव भी लग सकता है ।
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पद की आड़ में दरअसल अगले सेंट्रल काउंसिल के चुनाव के पक्के और संभावित उम्मीदवारों की राजनीति भी छिपी हुई है, इसलिए चेयरमैन पद के चुनाव को लेकर बनने वाले नए समीकरण में लगातार उलटफेर हो रहे हैं । इस लगातार हो रहे उलटफेर ने ही नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पद के लिए होने वाले चुनाव को दिलचस्प बना दिया है ।