Tuesday, February 18, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में सीओएल के चुनाव में रमेश अग्रवाल की दोहरी हार ने शरत जैन की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए संकट खड़ा किया

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल को सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) के चुनाव में पहले नोमीनेटिंग कमेटी में और फिर सीधे चुनाव में जिस तरह से धूल चाटनी पड़ी है, उसने शरत जैन के सामने बड़ी समस्या पैदा कर दी है । शरत जैन अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार होने की तैयारी कर रहे हैं; और जिन्हें रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में डिस्ट्रिक्ट में पहचाना जा रहा है । सीओएल के चुनाव में रमेश अग्रवाल की दोहरी हार से लेकिन सवाल यह पैदा हो गया है कि जो रमेश अग्रवाल अपना खुद का चुनाव नहीं जीत सकते, वह शरत जैन को चुनाव कैसे जितवायेंगे ? शरत जैन के लिए यह तथ्य और यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनका जिन दीपक गुप्ता के साथ चुनाव होता दिख रहा है, वह दीपक गुप्ता सीओएल के चुनाव के विजेता आशीष घोष के साथ थे ।
सीओएल के चुनाव को लेकर रमेश अग्रवाल और उन्हें समर्थन दे रहे अरनेजा गिरोह का जो रवैया रहा, उसने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति की खेमेबाजी को नए सिरे से पुनर्गठित किया है और इस पुनर्गठन में अरनेजा गिरोह बुरी तरह मात खा गया है । आशीष घोष के सामने रमेश अग्रवाल की जैसी जो फजीहत हुई है, उससे अरनेजा गिरोह की औकात/हैसियत सामने आ गई है । अरनेजा गिरोह की औकात/हैसियत का खुलासा इससे पहले संजय खन्ना और रवि चौधरी के बीच हुए चुनाव में भी हुआ था - जब अपनी हर तरह की टुच्ची हरकतों के बावजूद अरनेजा गिरोह रवि चौधरी को चुनाव जितवाने में विफल रहा था । उसके बाद, अरनेजा गिरोह ने लेकिन झूठे ही जेके गौड़ और सुधीर मंगला की जीत का श्रेय लेकर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपनी वापसी कर ली थी । जेके गौड़ और सुधीर मंगला को जो कामयाबी मिली, उसमें उनके अपने अपने खुद के जुगाड़ भी थे तथा डिस्ट्रिक्ट के अन्य पूर्व गवर्नर्स से मिले समर्थन का भी असर था - लेकिन अरनेजा गिरोह ने इन दोनों की जीत को अपनी जीत के रूप में प्रचारित किया ।
अरनेजा गिरोह ने जेके गौड़ और सुधीर मंगला की जीत को अपनी जीत बता कर दूसरों को धोखा देने की जो कोशिश की, उसमें तो वह कामयाब रहे - समस्या लेकिन तब शुरू हुई जब अपने इस झूठ पर वह दूसरों को विश्वास दिलाने के साथ साथ खुद भी विश्वास करने लगे और इस तरह दूसरोँ को धोखा देने की कोशिश करते करते खुद भी धोखा खा बैठे । अपने ही झूठ पर खुद विश्वास करने के कारण ही सीओएल के चुनाव में वह आशीष घोष से भिड़ बैठे और अपनी पोल खुलवा ली । उल्लेखनीय है कि सीओएल के लिए आशीष घोष के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के बाद कई छोटे-बड़े नेताओं ने रमेश अग्रवाल को समझाया था कि उन्हें नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले का सम्मान करना चाहिए तथा अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज नहीं करना चाहिए । रमेश अग्रवाल का हर किसी को लेकिन एक ही जबाव होता कि चुनाव में जब मेरे जीतने के पूरे-पक्के चांस हैं तो मैं चेलैंज क्यों न करूँ ?
रमेश अग्रवाल और अरनेजा गिरोह के हर सदस्य का दावा था कि चुनाव में आशीष घोष तो कहीं टिकेंगे ही नहीं, और रमेश अग्रवाल भारी बहुमत से जीतेंगे । यह विश्वास उन्हें इसीलिये था क्योंकि दूसरों के बीच पैठ बनाने के लिए फैलाये गए अपने ही झूठ पर वह खुद भी भरोसा करने लगे थे कि जेके गौड़ और सुधीर मंगला को उन्होंने ही जितवाया है और वह तो किसी को भी चुनाव जितवा सकते हैं । मुकेश अरनेजा का एक बड़ा चर्चित बयान है कि वह तो सड़क के किसी गधे को भी चुनाव जितवा दें - अब इसे रमेश अग्रवाल की बदकिस्मती ही कहा जायेगा कि जिन मुकेश अरनेजा का समर्थन पाकर कोई गधा भी चुनाव जीत सकता है, उन मुकेश अरनेजा के समर्थन के बावजूद लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सके ।
रमेश अग्रवाल और उन्हें चुनाव जितवाने में दिन-रात एक कर देने वाले मुकेश अरनेजा व जेके गौड़ ने समर्थन जुटाने के लिए जिस-जिस तरह की हरकतें कीं और घटियापन दिखाया उससे उन्होंने रोटरी को तो शर्मसार किया ही, तथा साथ ही अपनी भी फजीहत कराई - और उसके बाद वह चुनाव भी नहीं जीत सके । रमेश अग्रवाल और उन्हें समर्थन दे रहा अरनेजा गिरोह सिर्फ चुनाव ही नहीं हारे हैं - इस चुनाव में उनकी कलई पूरी तरह उतर गई है । एक तरफ उन्होंने मंजीत साहनी, आशीष घोष, अमित जैन जैसे उन लोगों को अपना विरोधी बना लिया है जो अभी कल तक उनके साथ थे; तो दूसरी तरफ जेके गौड़ जैसे अपने चेले को ऐसा बेनकाब कर दिया कि वह अपने ही इलाके में विश्वासघाती बन गए और अलग-थलग पड़ गए हैं ।
यही तथ्य शरत जैन के लिए मुसीबत खड़ी करने वाला है । शरत जैन ने हालाँकि अपने व्यवहार और अपने कामकाज से डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर लोगों को प्रभावित किया हुआ है । विनोद बंसल और संजय खन्ना के यहाँ उन्होंने अपनी जैसी पैठ बनाई हुई है और ये लोग जिस तरह से उनपर निर्भर रहे दिखे हैं, वह किसी भी उम्मीदवार के लिए ईर्ष्या का विषय हो सकता है । लेकिन सीओएल के चुनाव को लेकर रमेश अग्रवाल द्धारा की गई कारस्तानी ने शरत जैन के लिए सब गुड़-गोबर कर दिया है । रमेश अग्रवाल के क्लब के होने के कारण, रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में पहचाने जाने वाले शरत जैन के सामने रमेश अग्रवाल के 'पापों' की सजा भुगतने का संकट पैदा हो गया है । शरत जैन के व्यक्तित्व और उनके आचार-व्यवहार से प्रभावित लेकिन रमेश अग्रवाल की करतूतों के विरोधी लोगों का कहना है कि उन्हें शरत जैन के समर्थन से तो कोई परहेज नहीं है, लेकिन यदि वह रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में आते हैं तब फिर उनके समर्थन में खड़ा होना मुश्किल होगा । डिस्ट्रिक्ट में रमेश अग्रवाल और अरनेजा गिरोह के खिलाफ जिस तरह का माहौल बना है, और जिस माहौल के चलते सीओएल के चुनाव में रमेश अग्रवाल को दो दो बार हार का मुँह देखना पड़ा है, उसे देखते हुए रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए समर्थन जुटाना शरत जैन के लिए वास्तव में चुनौतीपूर्ण होगा ।