सोनीपत । सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) के
लिए नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार आशीष घोष की
उम्मीदवारी को चेलैंज करने वाले उम्मीदवार रमेश अग्रवाल के लिए कॉन्करेंस
जुटाने के लिए रमेश अग्रवाल और उनके 'गुर्गों' ने जिस तरह की तिकड़में चली
हुईं हैं, उसके चलते रोटरी क्लब सोनीपत सिटी में विभाजन हो गया है । क्लब
ट्रेनर दीपक गुप्ता और अध्यक्ष उदय उप्रेती ने रमेश अग्रवाल के समर्थन में
कॉन्करेंस देने का फैसला जिस षड्यंत्रपूर्ण तरीके से करना चाहा, उसके
विरोध में क्लब के नौ वरिष्ठ पदाधिकारियों व सदस्यों ने क्लब से इस्तीफ़ा दे
दिया है । क्लब से इस्तीफा देने वालों में क्लब के सचिव अमित जैन,
निवृत्तमान अध्यक्ष आलोक अरोड़ा और अगले रोटरी वर्ष के लिए घोषित किये गए
असिस्टेंट गवर्नर विकास अग्रवाल भी हैं । क्लब से इस्तीफा देने वालों में
इनके अलावा, क्लब के मौजूदा वर्ष के बोर्ड के तीन सदस्य भी हैं । क्लब से
इस्तीफ़ा देने वाले इन वरिष्ठ पदाधिकारियों व सदस्यों का आरोप है कि क्लब
के ट्रेनर दीपक गुप्ता और क्लब के अध्यक्ष उदय उप्रेती ने रमेश अग्रवाल के
समर्थन में कॉन्करेंस देने का फैसला पहले ही कर लिया था, अपने फैसले पर
क्लब के बाकी पदाधिकारियों की मोहर लगवाने के लिए उन्होंने नियमों को ताक
पर रखकर मीटिंग बुलाई, जिसमें उनके द्धारा किये जा रहे षड्यंत्र का भारी विरोध हुआ ।
दीपक गुप्ता और उदय उप्रेती ने विरोध को दरकिनार कर फर्जी तरीके
से कॉन्करेंस से संबंधित रिकॉर्ड और दस्तावेज तैयार कर लिए । क्लब के
पदाधिकारियों का कहना है कि कॉन्करेंस से संबंधित जो रिकॉर्ड और दस्तावेज
तैयार किये गए हैं, उनका प्रारूप पहले से ही दीपक गुप्ता और उदय उप्रेती के
पास मौजूद था । समझा जाता है कि रमेश अग्रवाल चूँकि कागजी कार्रवाई में
खासे उस्ताद हैं, इसलिए उन्हें जिन क्लब्स के कॉन्करेंस जुगाड़ने हैं उनके
पदाधिकारियों को वह कॉन्करेंस से संबंधित प्रारूप दे देते हैं । रमेश
अग्रवाल का कागजी काम तो पक्का है, लेकिन क्लब्स में कागजी काम को संभव
करने का जो तरीका अपनाया जाता है वह फर्जीवाड़े की सारी पोल खोल देता है ।
रोटरी क्लब सोनीपत सिटी में यही हुआ । रमेश अग्रवाल और उनके गुर्गों ने
फर्जी तरीके से इस क्लब से कॉन्करेंस जुटाने की जो तैयारी की, उसमें क्लब
के कुछेक आत्मसम्मानी और खुद्दार किस्म के वरिष्ठ पदाधिकारियों व सदस्यों
ने पलीता लगा दिया । स्थिति को संभालने की कोशिश में दीपक गुप्ता और उदय
उप्रेती ने आनन-फानन में जो कार्रवाई की, उससे कॉन्करेंस के फर्जी होने का
सुबूत और पक्का हो गया है ।
दीपक गुप्ता और उदय उप्रेती ने कॉन्करेंस पर क्लब के
पदाधिकारियों को सहमत करने की जो कोशिश की, उसमें झगड़ा पड़ जाने और क्लब के
कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के इस्तीफ़ा दे देने के बाद दीपक गुप्ता और उदय
उप्रेती ने जल्दीबाजी दिखाते हुए तुरंत से इस्तीफे स्वीकार कर लिए और नए
पदाधिकारी बना लिए और फिर नए सिरे से कॉन्करेंस 'लेने' की प्रक्रिया अपनाई ।
ऐसा करते हुए, क्लब के अधिकृत और मान्य पदाधिकारियों द्धारा दिए गए
इस्तीफों को स्वीकार करने तथा नए पदाधिकारी चुनने के लिए अपनाई जाने वाली
प्रक्रिया को अनदेखा किया गया और आवश्यक नियम-कानूनों को उठा कर ताक पर रख
दिया गया । सवाल यही है कि आनन-फानन में, मनमाने तरीके से कार्रवाई
करते हुए पहले तो क्लब के अधिकृत और मान्य पदाधिकारियों को इस्तीफ़ा देने पर
मजबूर किये जाने, उनके इस्तीफे स्वीकार करने और नए पदाधिकारी चुनने के साथ
लिए गए कॉन्करेंस के फैसले को कैसे एक स्वाभाविक और निष्पक्ष फैसले के रूप
में देखा जा सकता है ? और यदि यह एक स्वाभाविक तथा निष्पक्ष फैसला नहीं है तो क्या रोटरी क्लब सोनीपत सिटी की कॉन्करेंस फर्जी नहीं है ?
रोटरी क्लब सोनीपत सिटी में जो लोग रमेश अग्रवाल को कॉन्करेंस
दिए जाने के खिलाफ रहे, उनका तर्क यही रहा कि सोनीपत में जब हर क्लब अधिकृत
उम्मीदवार आशीष घोष के साथ रहने की घोषणा कर रहा है तब एक अकेले इस क्लब
को अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ नहीं जाना चाहिए । क्लब के वरिष्ठ
पदाधिकारियों तथा सदस्यों का यही कहना रहा कि बात आशीष घोष या रमेश अग्रवाल
की नहीं है - बात अधिकृत उम्मीदवार के साथ होने की है । लेकिन क्लब के
चार्टर प्रेसीडेंट और ट्रेनर दीपक गुप्ता ने किसी की नहीं सुनी और वह रमेश
अग्रवाल के पक्ष में कॉन्करेंस देने की जिद पर अड़े रहे । दीपक गुप्ता को
अरनेजा गिरोह के एक सक्रिय सदस्य के रूप में पहचाना जाता है । अरनेजा गिरोह
के सदस्यों की एक विशेष खूबी अपनी मनमानी करने और अपनी ही चलाने की कोशिश
करने की होती है । जाहिर है कि दीपक गुप्ता में भी यह खूबी रही है ।
दीपक गुप्ता चार-पाँच वर्ष पहले तक रोटरी क्लब सोनीपत अपटाउन में होते थे,
लेकिन वहाँ अपनी मनमानीपूर्ण कारस्तानियों के कारण अलग-थलग कर दिए गए थे । वहाँ से निकल कर
दीपक गुप्ता ने रोटरी क्लब सोनीपत सिटी बनाया । यहाँ भी दीपक गुप्ता की
मनमानियाँ जारी रहीं, जिसके कारण चार-पाँच वर्ष पूर्व ही बने इस क्लब के कई
चार्टर सदस्य क्लब छोड़ चुके हैं ।
क्लब के अध्यक्ष उदय उप्रेती के रवैये पर क्लब के कई सदस्यों को हालाँकि हैरानी है । उन्हें हैरानी इसलिए है क्योंकि वह जानते हैं कि उदय उप्रेती भी दीपक गुप्ता के रवैये से परेशान रहे हैं और दीपक गुप्ता की हरकतों को लेकर शिकायत करते रहे हैं । ऐसे में, क्लब के सदस्यों के लिए यह समझना मुश्किल हुआ कि फर्जी
तरीके से रमेश अग्रवाल के लिए कॉन्करेंस जुटाने के खेल में उदय उप्रेती
आखिर कैसे फँस गए ? पता चला है कि उन्हें फँसाने में जेके गौड़ की मदद ली गई
। जेके गौड़ ने उदय उप्रेती को अपने गवर्नर-काल में असिस्टेंट गवर्नर बनाने का लालच दिया तो फिर उदय उप्रेती भी फर्जी और अनैतिक तरीके से रमेश अग्रवाल के लिए कॉन्करेंस देने के खेल में शामिल हो गए । क्लब के वरिष्ठ पदाधिकारियों व सदस्यों के सीधे और खुले विरोध के कारण यह खेल हालाँकि उन्हें उल्टा पड़ गया है ।