Tuesday, February 25, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में विनोद बंसल और संजय खन्ना पर 'ठीक से' निमंत्रित न करने का आरोप लगा कर जेके गौड़ उनके कार्यक्रमों से दूर रहे

नई दिल्ली । जेके गौड़ अभी हाल ही में संपन्न हुए न तो विनोद बंसल के आयोजन 'विक्टरी ओवर पोलयो' में शामिल हुए और न संजय खन्ना की कोर टीम के ट्रेनिंग प्रोग्राम में दिखे । इन दोनों प्रमुख आयोजनों में जेके गौड़ की अनुपस्थिति को डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख लोगों के बीच उनके अलग-थलग पड़ जाने के संकेत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । पिछले दिनों ही संपन्न हुए सीओएल के चुनाव में जेके गौड़ की जो भूमिका रही, और जिसकी चौतरफा जो आलोचना हुई उसे ध्यान में रखते हुए ही लोगों ने इन दोनों आयोजनों में जेके गौड़ की अनुपस्थिति को खास तौर से नोटिस किया । विनोद बंसल और संजय खन्ना ने हालाँकि उनकी अनुपस्थिति को लेकर बताया कि जेके गौड़ ने अपने परिवार में एक विवाह समारोह में व्यस्त होने के कारण उक्त आयोजनों में शामिल होने को लेकर पहले ही अपनी असमर्थता जता दी थी, किंतु जेके गौड़ और उनके नजदीकी अशोक अग्रवाल ने कुछेक लोगों के बीच यह शिकायत की कि विनोद बंसल ने और संजय खन्ना ने अपने अपने आयोजनों में जेके गौड़ को चूँकि 'ठीक से' निमंत्रित नहीं किया इसलिए जेके गौड़ ने इन आयोजनों से अपने आप को दूर रखा । जेके गौड़ के कुछेक अन्य नजदीकियों का यह भी कहना है कि सीओएल के चुनाव में जेके गौड़ की जैसी फजीहत हुई, उसे ध्यान में रखते हुए सीओएल के चुनाव का नतीजा आने के तुरंत बाद हुए इन दोनों आयोजनों में शामिल होने की जेके गौड़ की खुद ही हिम्मत नहीं हुई, और इसलिए उन्होंने इन आयोजनों से गायब रहने में ही अपनी भलाई देखी ।
जेके गौड़ का रोटरी के दो प्रमुख आयोजनों में न दिखना फ़साना दरअसल इसलिए बना है, क्योंकि जेके गौड़ ने रोटरी के प्रति जो लगाव दिखाया है और जिस लगाव के चलते वह रोटरी के आयोजनों में शामिल होते रहे हैं - वह अपने आप में एक विलक्षण उदाहरण है । कुछ लोग मजाक में कहते भी हैं कि जेके गौड़ की नसों में खून नहीं बहता, बल्कि रोटरी बहती है । जेके गौड़ ने अपने घर में रोटरी की मीटिंग्स के लिए एक अलग हॉल बनाया हुआ है और उनके तमाम आयोजनों में उनके बिजनेस संस्थान - उनके स्कूल - का स्टाफ सक्रिय दिखता है । ऐसा किसी और रोटेरियन ने किया है क्या ? रोटरी की गतिविधियों में भागीदारी को लेकर जेके गौड़ की पारिवारिक और/या बिजनेस संबंधी व्यस्तता कभी भी आड़े आती हुई नहीं दिखी है । यह शायद पहली बार हुआ है कि पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वाह करने का वास्ता देकर जेके गौड़ को दो प्रमुख कार्यक्रमों से अनुपस्थित रहना पड़ा । दरअसल इसीलिये किसी को यह विश्वास नहीं हो रहा है कि बात सिर्फ यही है । इस अविश्वास को हवा दी खुद जेके गौड़ और उनके नजदीकियों की बातों ने । जेके गौड़ और उनके एक नजदीकी अशोक अग्रवाल ने जब कुछेक लोगों के सामने विनोद बंसल और संजय खन्ना द्धारा 'ठीक से' आमंत्रित न किये जाने की शिकायत की, तो लोगों को यह समझने में देर नहीं लगी कि मामला सीओएल के चुनाव के साइड इफेक्ट्स का है ।
सीओएल के चुनाव को लेकर जो कुछ भी हुआ, उसमें सबसे ज्यादा किरकिरी दरअसल जेके गौड़ की ही हुई है । रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा अपनी घटिया सोच और व्यवहार के लिए पहले से ही बदनाम हैं, इसलिए उन्होंने जो किया उस पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ । वह ऐसा न करते तो जरूर आश्चर्य होता । लेकिन जेके गौड़ ने जो किया, उसकी किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी । जेके गौड़ को मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के नजदीक समझा/पहचाना जाता ही है, लेकिन इस नजदीकियत के चलते वह बाकी लोगों को इस्तेमाल करेंगे और उनके विश्वास के साथ खेलेंगे और बाकी हर किसी को अपना दुश्मन बना लेंगे - यह किसी ने नहीं सोचा था । जेके गौड़ से ज्यादा होशियार तो सुधीर मंगला साबित हुए । सीओएल के चुनाव में सुधीर मंगला ने भी रमेश अग्रवाल की ही मदद की, लेकिन अपने को बदनाम होने से बचाये रखते हुए और चुनाव का नतीजा आते ही वह तेजी से पलट कर दूसरी तरफ आ गए । जेके गौड़ ने लेकिन पहले तो घटियापन दिखाया, और फिर जब बदनाम हो गए तो रोटरी के प्रमुख आयोजनों में अनुपस्थित होकर मुँह छिपाने की कोशिश में जुटे । सीओएल के चुनाव के दौरान जेके गौड़ पर रमेश अग्रवाल के समर्थन में काम करने की बातें जब सामने आ रही थीं, तब जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट के कई प्रमुख पूर्व गवर्नर्स को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि वह तो कुछ भी नहीं कर रहे हैं । जेके गौड़ की इस हरकत ने पूर्व गवर्नर्स तथा अन्य लोगों को और भड़काया । दरअसल उन्होने पाया कि ऐसा करके जेके गौड़ उन्हें मूर्ख बनाने की कोशिश तो कर ही रहे हैं, मूर्ख समझ भी रहे हैं ।
डिस्ट्रिक्ट में किसी की भी गतिविधियाँ छिपती नहीं हैं, सभी को पता हो जाता है कि कौन क्या कर रहा है । जेके गौड़ कहाँ-कहाँ क्या-क्या कर रहे थे, यह सभी को पता था - पूर्व गवर्नर्स यह देख कर ज्यादा खफा हुए कि जेके गौड़ फिर भी लगातार दावा किये जा रहे हैं कि वह तो कुछ नहीं कर रहे हैं । अपने दावे को विश्वसनीय बनाने के लिए जेके गौड़ घोषणा कर रहे थे कि यदि कोई कह दे कि उन्होंने रमेश अग्रवाल के लिए कुछ किया है, तो वह रोटरी छोड़ देंगे । तथ्यपूर्ण सूचनाएँ लेकिन यह मिल रही थीं कि रमेश अग्रवाल के पक्ष में कॉन्करेंस इकट्ठी करने के काम में उन्होंने अपने स्कूल के स्टाफ को लगाया हुआ था । जेके गौड़ ने कोशिश तो की दूसरों की आँखों में धूल झोंकने की, लेकिन अपनी इस कोशिश से उन्होंने अपनी ही फजीहत कराई । बदकिस्मती उनकी यह रही कि जिन रमेश अग्रवाल के लिए उन्होंने बदनाम होने की हद तक जाकर काम किया, वह रमेश अग्रवाल चुनाव भी हार गए ।
रमेश अग्रवाल की हार के बाद तो जेके गौड़ के लिए लोगों को - खास तौर से काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों को मुँह दिखाना मुश्किल हो गया । जेके गौड़ के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजय खन्ना का सामना करने को लेकर हुई । विनोद बंसल के साथ तो उनके संबंध पहले से ही असहज-से थे, जिसे इस रिपोर्ट के साथ प्रकाशित तस्वीर से भी पहचाना जा सकता है - जिसमें दोनों बैठे तो साथ-साथ हैं किंतु एक-दूसरे के प्रति जिस तरह से अनमने-से हैं, उससे लग रहा है कि दोनों हैं एक-दूसरे से बहुत दूर । सीओएल के चुनाव नें जेके गौड़ ने जैसा जो रवैया दिखाया, उससे विनोद बंसल के साथ-साथ संजय खन्ना के साथ भी तुरंत से खड़ा हो पाना उन्हें मुश्किल लगा । इसीलिए जेके गौड़ ने विनोद बंसल और संजय खन्ना के कार्यक्रमों से दूर रहने में ही अपनी भलाई देखी । उन्हें पता था कि सीओएल के चुनाव का नतीजा आने के तुरंत बाद हो रहे इन कार्यक्रमों में लोग जुटेंगे तो सीओएल के चुनाव की चर्चा होगी ही, और उस चर्चा में उनकी भूमिका को लेकर भी बात होगी । जेके गौड़ को पता है कि चूँकि उनकी पोल पूरी तरह खुल चुकी है, इसलिए अब उनका यह कहना काम नहीं आयेगा कि उन्होंने तो कुछ किया ही नहीं । विनोद बंसल और संजय खन्ना के कार्यक्रमों में उनकी फजीहत न हो, इसलिए जेके गौड़ ने उनके कार्यक्रमों से दूर रहने में ही अपनी भलाई देखी । इस 'भलाई' ने भी लेकिन उन्हें और उनके खासमखास अशोक अग्रवाल को खीझ से भर दिया है और इसीलिए वह दोनों जहाँ कहीं कहने/बताने का मौका मिलता है, यह बताते हैं कि विनोद बंसल और संजय खन्ना सीओएल के चुनाव में आशीष घोष के खिलाफ काम करने की शिकायत को लेकर उन्हें किनारे कर रहे हैं और इसी के चलते दोनों ने ही अपने-अपने कार्यक्रमों में उन्हें ठीक से आमंत्रित नहीं किया, और इसीलिए वह उन दोनों के कार्यक्रमों में नहीं गए ।