Thursday, February 13, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में सीओएल के लिए समर्थन जुटाने के लिए रमेश अग्रवाल लगातार अपने आप को जेके गौड़ के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि जेके गौड़ ने अभी तक इस बारे में कोई घोषणा नहीं की है

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) का चुनाव जीतने के लिए अब ओछे किस्म के हथकंडों पर उतर आये हैं । रमेश अग्रवाल को सुबह सुबह घर घर जा कर क्लब के पदाधिकारियों की खुशामद करनी पड़ रही है । इसके अलावा, जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पदों का लालच देकर उन्हें अपने लिए वोट जुटाने का जुगाड़ करना पड़ रहा है । उनकी इस तरह की कोशिशों ने जता दिया है कि ऊपर ऊपर में वह चुनाव में जीतने का दावा भले ही कर रहे हों, लेकिन उन्हें अपने खुद के इस दावे पर ज्यादा भरोसा है नहीं । दरअसल समर्थन जुटाने की अपनी कोशिशों के दौरान रमेश अग्रवाल ने पाया कि सीओएल के चुनाव को लेकर उनका जो रवैया रहा है, उसे लोगों ने पसंद नहीं किया है । अधिकतर लोगों का मानना और कहना रहा कि सीओएल के चुनाव में रमेश अग्रवाल को नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले का सम्मान करना चाहिए और सीओएल के लिए नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार आशीष घोष की उम्मीदवारी को चेलैंज नहीं करना चाहिए । कई लोगों ने रमेश अग्रवाल को याद दिलाया कि पिछले वर्ष भी और इस वर्ष भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में वह स्वयं और उनके संगी/साथी जब नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज किये जाने का खुले आम विरोध करते रहे हैं तथा चेलैंज करने वालों को हतोत्साहित करते रहे हैं - तो अब वह नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज क्यों कर रहे हैं ? रमेश अग्रवाल ने तरह-तरह की बहानेबाजी से इस बात का जबाव देने की कोशिश तो की, लेकिन उन्होंने खुद ही जाना/समझा कि इस बारे में दिए गए उनके सारे तर्क कुतर्क ही साबित हुए हैं, और अधिकतर लोगों ने उनकी हरकत को पसंद नहीं किया है ।
डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के अध्यक्ष तथा अन्य प्रमुख लोग यह जान कर भी रमेश अग्रवाल के खिलाफ हुए हैं कि डिस्ट्रिक्ट के सभी प्रमुख व साख रखने वाले पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने आशीष घोष की उम्मीदवारी का समर्थन किया, जबकि रमेश अग्रवाल को प्रायः उन पूर्व गवर्नर्स का समर्थन मिला जो डिस्ट्रिक्ट में अपनी बदजुबानी के लिए, तिकड़मी राजनीति के लिए और या 'कुछ न करने' के लिए जाने जाते हैं । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स अपने काम, अपने व्यवहार और अपनी उपलब्धियों से डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों के सामने एक उदाहरण तो प्रस्तुत करते ही हैं और लोगों को प्रेरित करने का काम करते हैं । इसी कारण से क्लब्स के अध्यक्ष तथा अन्य प्रमुख सदस्य यह सोचने के लिए मजबूर हुए हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ कि रोटरी में अपने काम और अपने नजरिये से प्रतिष्ठा पाने वाले डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स तो आशीष घोष के साथ हैं, तथा बदनाम किस्म के पूर्व गवर्नर्स रमेश अग्रवाल के साथ हैं । इस तुलनात्मक आकलन से भी रमेश अग्रवाल को नुकसान हुआ है, जिसके चलते उन्हें चिंता होने लगी है ।
सीओएल के चुनाव को लेकर रमेश अग्रवाल और उनके संगी-साथियों के हर दाँव अभी तक उलटे ही पड़ते गए हैं । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि रमेश अग्रवाल और उनके संगी-साथियों को उम्मीद थी कि वह नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा अधिकृत उम्मीदवार चुन लिए जायेंगे । लेकिन जैसे ही नोमीनेटिंग कमेटी द्धारा फैसला करने का समय आया, उन्हें आभास हो गया कि नोमीनेटिंग कमेटी में उनकी दाल नहीं गलेगी - तब उन्होंने कोशिश की कि नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला दो-तिहाई मतों से मान्य हो । रमेश अग्रवाल और उनके संगी-साथियों को विश्वास था कि रोटरी इंटरनेशनल में वह अपनी इस माँग को स्वीकृत करवा लेंगे और इसके जरिये सामने दिख रही अपनी हार को जीत में बदल देंगे । लेकिन वहाँ उन्हें मुहँकी खानी पड़ी और उसके बाद नोमीनेटिंग कमेटी में भी रमेश अग्रवाल को आशीष घोष के मुकाबले हार का सामना करना पड़ा । डिस्ट्रिक्ट की शीर्ष संस्था - काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में बुरी तरह दुत्कार दिए गए रमेश अग्रवाल ने घोषणा की कि वह नोमीनेटिंग कमेटी के फैसले को चेलैंज करेंगे और डिस्ट्रिक्ट के आधे से अधिक - करीब पिचहत्तर क्लब्स की कॉन्करेंस देंगे । रमेश अग्रवाल ने दावा किया था कि कॉन्करेंस के जरिये वह दिखा/जता देंगे कि काउंसिल ऑफ गवर्नर्स ने उनकी उम्मीदवारी को भले ही रिजेक्ट कर दिया हो, लेकिन क्लब्स में उनका समर्थन है ।
रमेश अग्रवाल कॉन्करेंस जुटाने के लिए खुद जुटे और अपने चेले जेके गौड़ को जुटाया - लेकिन तमाम कोशिशों के बाद वह कुल अट्ठाइस क्लब्स की कॉन्करेंस ही जुटा सके । यह भी क्लब्स के पदाधिकारियों से झूठ बोल कर, धोखेधड़ी से और जेके गौड़ के गवर्नर-काल में पदों का लालच देकर वह जुटा सके । समर्थन जुटाने के लिए रमेश अग्रवाल लगातार अपने आप को जेके गौड़ के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि जेके गौड़ ने अभी तक इस बारे में कोई घोषणा नहीं की है । इस बारे में पूछे जाने पर जेके गौड़ ने कहीं कहीं तो खीज में बड़ा मजेदार जबाव दिया और वह यह कि 'रमेश अग्रवाल को मैंने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर नहीं बनाया है, वह खुद ही बन गया है तो मैं क्या करूँ ?' रोटरी के इतिहास में शायद यह एक विलक्षण घटना होगी कि किसी ने अपने आप को जबर्दस्ती डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर घोषित कर दिया और गवर्नर बेचारा असहाय-सा देखता ही रह गया । रमेश अग्रवाल भी जानते हैं और दूसरे लोग भी मानते और कहते हैं कि जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर भले ही हो जायेंगे लेकिन उनकी ऐसी हैसियत नहीं है कि वह रमेश अग्रवाल से कह सकें कि मेरे घोषणा करने से पहले ही वह अपने आप को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर कैसे कह सकते हैं ?
रमेश अग्रवाल को इस तरह की घटिया हरकतें करना इसलिए जरूरी लग रहा है क्योंकि उन्हें विश्वास है कि इस तरह की हरकतों से ही वह सीओएल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटा सकते हैं ।