मुरादाबाद । दीपक बाबू ने डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर नॉमिनी चुने जाने का एक बड़ा आसान-सा तरीका अपनाया है - उनका तरीका
है कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों से मिलने-जुलने जाने में समय, एनर्जी और पैसा
खर्च करने की कोई जरूरत नहीं है; उनका तरीका है कि प्रतिद्धंद्धी
उम्मीदवार की रोटरी इंटरनेशनल में आधिकारिक शिकायत करो और फिर रोटरी
इंटरनेशनल का फैसला आये बिना लोगों को फोन कर कर के यह बताओ कि रोटरी
इंटरनेशनल प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार की उम्मीदवारी को स्वीकार ही नहीं करेगा
और इसलिए उसे जितवाने का कोई फायदा नहीं होगा - इसलिए मुझे विजयी बनाओ ।
दीपक बाबू ने इसी तरीके को अपना कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव
जीतने की तैयारी की है । मजे की बात है कि मौजूदा रोटरी वर्ष में दीपक
बाबू ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में कोई
संपर्क अभियान नहीं चलाया; लोगों से मिलने जाना तो दूर की बात, उन्होंने
फोन पर भी लोगों से बात करने की जरूरत नहीं समझी । यहाँ तक की जिन कुछेक
डिस्ट्रिक्ट आयोजनों में वह उपस्थित भी हुए, वहाँ भी अपनी उम्मीदवारी के
लिए समर्थन जुटाने हेतु लोगों से मिलने/बात करने की उन्होंने जरूरत नहीं
समझी । दीपक बाबू के इसी व्यवहार को देख कर कई लोगों ने निष्कर्ष निकाला और
कहा भी कि दीपक बाबू तो अपने आप को गवर्नर मान रहे हैं ।
दीपक बाबू आखिर किस भरोसे अपने आप को गवर्नर मान बैठे हैं ?
उन्हें यह विश्वास क्यों है कि डिस्ट्रिक्ट के लोग उन दिवाकर अग्रवाल को
वोट नहीं करेंगे, जो दिवाकर अग्रवाल पिछले कई महीनों से लोगों से लगातार
मिलजुल रहे हैं और लोगों के बीच अपनी साख और पैठ बनाने की कोशिश करते रहे
हैं । पिछले दिनों दिवाकर अग्रवाल के करीब नब्बे वर्षीय पिता को जब
तबीयत ख़राब होने के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था - तब भी, उनकी उचित
देखभाल की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ दिवाकर अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट के
लोगों के साथ भी संपर्क बनाये रखने के प्रयत्न किये थे । एक उम्मीदवार को
जो कुछ भी करना होता है - दिवाकर अग्रवाल ने वह सब करने का हर संभव प्रयास
किया है । लेकिन दीपक बाबू ने एक उम्मीदवार के रूप में कुछ भी - सचमुच,
कुछ भी नहीं किया । इसके बावजूद दीपक बाबू को विश्वास है कि डिस्ट्रिक्ट
के लोग - नोमीनेटिंग कमेटी के सदस्य - दिवाकर अग्रवाल की बजाये उन्हें वोट करेंगे । यह विश्वास उन्हें क्यों है ?
दीपक बाबू इसका बड़ा मजेदार-सा कारण लोगों को बता रहे हैं । अपनी
उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने वास्ते लोगों से संपर्क करने से लगातार बचते रहे दीपक बाबू अब लोगों को
फोन
कर कर के बता रहे हैं कि उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल में दिवाकर अग्रवाल की
शिकायत कर दी है और अब यदि दिवाकर अग्रवाल जीत भी जाते हैं तो रोटरी
इंटरनेशनल उन्हें गवर्नर नहीं मानेगा । दीपक बाबू के पास हालाँकि इस बात
का कोई जबाव नहीं है कि उन्हें यह कैसे पता है कि रोटरी इंटरनेशनल दिवाकर
अग्रवाल को गवर्नर नहीं मानेगा । इसीलिए यह पूछे जाने पर वह दायें'-बायें की बातें करने लगते हैं ।
दीपक बाबू के पास इस बात का भी कोई जबाव नहीं है कि दिवाकर अग्रवाल की
उम्मीदवारी को निरस्त कराने के लिए उन्होंने जिस बात को आधार बनाया है, उस
आधार को रोटरी इंटरनेशनल के अधिकारी चूँकि पहले ही ख़ारिज कर चुके हैं,
इसलिए इसमें नई बात क्या है ? उल्लेखनीय है कि दिवाकर अग्रवाल की
उम्मीदवारी को ख़ारिज करने के लिए दीपक बाबू ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को जो
शिकायत की थी, उसे लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल पहले ही रोटरी
इंटरनेशनल के प्रायः सभी बड़े अधिकारीयों के साथ बात कर चुके हैं; और चूँकि
किसी ने भी उक्त आधार को पर्याप्त नहीं माना, इसलिए राकेश सिंघल ने दिवाकर
अग्रवाल की उम्मीदवारी को स्वीकार करने की घोषणा की । जाहिर है कि दीपक बाबू लोगों को सिर्फ बहका रहे हैं ।
दीपक बाबू ने यह दावा करके हालाँकि डिस्ट्रिक्ट के चुनावी माहौल
में गर्मी जरूर पैदा कर दी है कि रोटरी इंटरनेशनल में उनके द्धारा की गई
शिकायत के आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी पद के अधिकृत उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए होने वाली नोमीनेटिंग
कमेटी की बैठक को स्थगित कर देंगे । रोटरी के नियम-कानून की जानकारी
रखने वाले लोगों का कहना यद्यपि यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को ऐसा कुछ
करने का अधिकार ही नहीं है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को पहले से ही तय
कार्यक्रम के अनुसार नोमीनेटिंग कमेटी की बैठक होने देनी है और उस बैठक में
अधिकृत उम्मीदवार का फैसला होने देना है । दीपक बाबू लेकिन फिर भी
लगातार दावा किये जा रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वही करेंगे, जैसा वह कह
रहे हैं । दीपक बाबू ने इस बारे में एक तर्क भी दिया है । उन्होंने बताया
है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल के एक नजदीकी रिश्तेदार इनकम
टैक्स विभाग की जाँच-पड़ताल में फँसे हुए हैं, चार्टर्ड एकाउंटेंट होने के
नाते दीपक बाबू अपने संपर्कों से उस मामले में राकेश सिंघल की मदद कर रहे
हैं, इसलिए उस मदद के बदले में राकेश सिंघल रोटरी में उनकी मदद करेंगे । यह अब अगले तीन-चार दिन में पता चलेगा कि दीपक बाबू के इस दावे में कितना दम है ।
दीपक बाबू को लेकिन अपने दावों को लेकर शायद खुद भी ज्यादा
भरोसा नहीं है । इसीलिये तमाम झूठों और तिकड़मों के बावजूद वह यह भी
कहते/बताते जा रहे हैं कि उन्हें भी यह पता है कि चुनाव में वह जीतेंगे तो
नहीं ही; ऐसे में वह तो सिर्फ दिवाकर अग्रवाल की जीत को मुश्किल बनाने पर ही ध्यान दे रहे हैं ।
दीपक बाबू ने अपने नजदीकियों से कहा है कि उन्हें भी पता है कि जीतेगा तो
दिवाकर ही, लेकिन वह दिवाकर अग्रवाल और उनके समर्थकों के सामने तरह-तरह की
परेशानी तो खड़ी कर ही सकते हैं - और वह यही कर भी रहे हैं । इससे लेकिन रोटरी का और डिस्ट्रिक्ट का जो नाम ख़राब हो रहा है - दीपक बाबू को लगता है कि उसकी लेकिन कोई परवाह नहीं है ।
दीपक बाबू की इस नकारात्मक सोच और कार्रवाई पर डिस्ट्रिक्ट के आम और खास
लोग किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं - यह देखने की बात होगी ।