Friday, February 7, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में सीओएल के चुनाव के संदर्भ में जेके गौड़ द्धारा की जा रही कारस्तानियों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तावित शरत जैन की उम्मीदवारी की मुश्किलें बढ़ाईं

गाजियाबाद । सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) के चुनाव में रमेश अग्रवाल के समर्थन में काम करने को लेकर जेके गौड़ का जैसा भांडा फूटा है और उसके चलते जेके गौड़ जिस तरह गाजियाबाद के नेताओं के बीच अलग-थलग पड़ गए हैं, उसे देख/जान कर शरत जैन के सामने अजीब सा गंभीर संकट पैदा हो गया है । शरत जैन दरअसल अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार होने की तैयारी कर रहे हैं । रमेश अग्रवाल के क्लब के सदस्य होने के नाते कुछेक लोगों के बीच शरत जैन को रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में देखा जरूर जाता है, लेकिन शरत जैन ने अपनी तरफ से डिस्ट्रिक्ट के दूसरे नेताओं के साथ भी जुड़ने की सायास कोशिश की है और अपने माथे से रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार होने के 'दाग' को धोने की तैयारी दिखाई है । शरत जैन ने अभी तक अपनी जिस तरह की तैयारी दिखाई है, उसमें दोहरी व्यवस्था का संकेत है - एक तरफ उन्होंने अन्य नेताओं का समर्थन जुटाने का प्रयास किया है, तो दूसरी तरफ उन्होंने अरनेजा गिरोह के सदस्यों के सहारे क्लब्स में पैठ बनाने की तैयारी दिखाई । इसी तैयारी के चलते शरत जैन का आम तौर पर उत्तर प्रदेश और खास तौर पर गाजियाबाद में समर्थन जुटाने के लिए जेके गौड़ के साथ गठजोड़ बना ।
जेके गौड़ ने अपनी 'ड्यूटी' ज्वाइन भी कर ली थी । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के खिलाफ जेके गौड़ ने जिस होशियारी के साथ चाल चली, उसे गाजियाबाद में शरत जैन के लिए जमीन तैयार करने की उनकी चालबाजी के रूप में ही देखा/पहचाना गया । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब गाजियाबाद के दीपक गुप्ता भी अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी में हैं । डिस्ट्रिक्ट के लोगों में इस बात को लेकर दिलचस्पी होना स्वाभाविक ही था कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी पर जेके गौड़ की क्या प्रतिक्रिया है । जेके गौड़ ने इस बारे में पूछे जाने पर सीधा जबाव देने की बजाये अफवाहों को दोहराया - उन्होंने लोगों को बताया कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का तो उनके अपने क्लब में ही विरोध हो रहा है और इसलिए दीपक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटते हुए दिख रहे हैं । पिछले कुछ महीनों में दीपक गुप्ता चूँकि सीन में ज्यादा दिखाई नहीं दिए हैं, इसलिए जेके गौड़ को लोगों के बीच दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति संदेह पैदा करने का मौका मिला - और उन्होंने इस मौके का जमकर फायदा उठाया । जेके गौड़ की इस कार्रवाई को अरनेजा गिरोह की ड्यूटी निभाने की उनकी जिम्मेदारी के रूप में देखा/पहचाना गया और इससे शरत जैन के लिए रास्ता बनता हुआ दिखा ।
लेकिन सीओएल के लिए मचे चुनावी घमासान ने इस रास्ते में बड़े स्पीड ब्रेकर लगा दिए हैं । सीओएल के लिए रमेश अग्रवाल और उनका समर्थन कर रहे अरनेजा गिरोह ने जो गंद मचाई हुई है - उसके चलते शरत जैन की सभी का साथ लेने की कोशिशों को तो तगड़ा झटका लगा ही है, साथ ही उत्तर प्रदेश और गाजियाबाद में उनके लिए ज्यादा बड़ी मुश्किलें पैदा हो गईं हैं । दरअसल उत्तर प्रदेश और गाजियाबाद में अरनेजा गिरोह की ठेकेदारी जेके गौड़ के पास है । जेके गौड़ ने यहाँ लेकिन सीओएल के संदर्भ में जैसे ही ठेकेदारी का काम शुरू किया, यहाँ बबाल हो गया । गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के जाने-पहचाने अधिकतर नेताओं को जेके गौड़ की हरकतें पसंद नहीं आईं । अपने आप को चारों तरफ से घिरा पाकर जेके गौड़ को बैकफुट पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा । उन्हें कहना पड़ा कि वह रमेश अग्रवाल के लिए कॉन्करेंस जुटाने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं; उमेश चोपड़ा से तो उन्होंने यहाँ तक कहा कि यदि कोई कह दे कि उन्होंने ऐसा कुछ किया है तो वह रोटरी छोड़ देंगे । जेके गौड़ ने ऐसा कहा तो लेकिन अपनी हरकतों से वह बाज भी नहीं आये । विनोद गोयल, राजीव गोयल, अमित अग्रवाल आदि ने आपसी बातचीत में अपने अपने नजदीकियों को बताया कि जेके गौड़ ने खुद फोन कर कर के उन पर रमेश अग्रवाल के लिए कॉन्करेंस देने/दिलवाने के लिए दबाव बनाया है । जेके गौड़ की इन कारस्तानियों के चलते उत्तर प्रदेश और गाजियाबाद में उनके खिलाफ नाराजगी और बढ़ी है ।
जेके गौड़ के खिलाफ बने माहौल ने शरत जैन के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं । जेके गौड़ के जिस सहारे के कारण शरत जैन को गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश में पैठ बनाना आसान लग रहा था, जेके गौड़ का वही सहारा उनके लिए अब मुसीबत का भंडार बन गया है । जेके गौड़ चोरी-छिपे भले ही कुछेक क्लब के कॉन्करेंस रमेश अग्रवाल के लिए इकट्ठे कर लें, लेकिन रमेश अग्रवाल के समर्थक के रूप में मुँह दिखाने लायक वह यहाँ नहीं हैं । दीपक गुप्ता ने भी इस स्थिति का फायदा उठा लेने की भरपूर कोशिश की है । सीन से गायब गायब से चल रहे दीपक गुप्ता ने जेके गौड़ के खिलाफ बन रहे माहौल में धमाकेदार एंट्री ली और पिछले दिनों में बने गैप को भरने का काम शुरू किया । जेके गौड़ और रमेश अग्रवाल की हरकतों के खिलाफ जो लोग हैं, उनके बीच दीपक गुप्ता ने जिस तेजी के साथ अपनी स्वीकार्यता बना ली है - उसने वास्तव में शरत जैन के लिए खतरे की घंटी बजाई है ।