Saturday, July 19, 2014

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल की उम्मीदवारी के संदर्भ में विजय कुमार गुप्ता से धोखा मिलने की संभावना के बीच मधु सुदन गोयल को अमरजीत चोपड़ा से समर्थन की हरी झंडी मिलने का इंतजार है

नई दिल्ली । अमरजीत चोपड़ा के ढुलमुल रवैये के कारण मधु सुदन गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर कोई फैसला नहीं कर पा रहे हैं । उल्लेखनीय है कि करीब सोलह महीने बाद होने वाले सेंट्रल काउंसिल के चुनावों को लेकर संभावित उम्मीदवारों की सक्रियता में जो हलचल मचना शुरू हुई है, उसमें मधु सुदन गोयल के दोस्तों ने उनकी उम्मीदवारी की संभावना के बारे में पूछा तो उन्हें सुनने को मिला कि अमरजीत चोपड़ा अभी चूँकि पक्के तौर पर हरी झंडी नहीं दे रहे हैं, इसलिए मधु सुदन गोयल भी अपनी उम्मीदवारी को लेकर पक्के तौर पर हाँ नहीं कह रहे हैं । अमरजीत चोपड़ा चूँकि मधु सुदन गोयल की उम्मीदवारी का समर्थन करने से इंकार भी नहीं कर रहे हैं, इसलिए मधु सुदन गोयल अभी अपनी उम्मीदवारी की संभावना को ख़ारिज भी नहीं कर रहे हैं । इससे एक बात तो साफ दिख रही है कि मधु सुदन गोयल का तो मन है कि वह इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल की सदस्यता के लिए चुनाव लड़ें, लेकिन उनकी उम्मीदवारी अमरजीत चोपड़ा की हाँ/न पर निर्भर करेगी ।
अमरजीत चोपड़ा को अच्छे से जानने वालों का कहना लेकिन यह है कि अमरजीत चोपड़ा कभी भी स्पष्ट फैसला नहीं लेंगे - और इसलिए मधु सुदन गोयल की उम्मीदवारी को लटका हुआ ही समझिए, वह जमीन पर सचमुच कभी उतरेगी - इसकी उम्मीद न करें । इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल की राजनीति के संदर्भ में मधु सुदन गोयल एक अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिनके उम्मीदवार होने की चर्चा बार-बार हर बार होती है, लेकिन जो बेचारे उम्मीदवार कभी नहीं हो पाए । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में मधु सुदन गोयल वर्ष 2003 में चेयरमैन बने थे - उसके बाद से ही उनके सेंट्रल काउंसिल के लिए आने की चर्चा शुरू हो गई थी । उनसे तुरंत पहले नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन बने चरनजोत सिंह नंदा को सेंट्रल काउंसिल में बारह वर्ष हो जायेंगे और उनके तुरंत बाद नॉदर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन बने संजय कुमार अग्रवाल को सेंट्रल काउंसिल में छह वर्ष हो जायेंगे - लेकिन मधु सुदन गोयल के लिए अभी तक उम्मीदवार बनना भी संभव नहीं हो सका है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में उनके चार वर्ष बाद चेयरमैन बने पंकज त्यागी भी सेंट्रल काउंसिल में तीन वर्ष रह चुके हैं । और बाद में चेयरमैन बने अतुल कुमार गुप्ता को सेंट्रल काउंसिल में तीन वर्ष हो जायेंगे । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन रहे सुधीर कुमार अग्रवाल, भगवान दास गुप्ता, दुर्गादास अग्रवाल भी उम्मीदवार बने, हालाँकि वह सफल नहीं हो सके । रीजनल काउंसिल में चेयरमैन बने बिना भी सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वालों में एसएस शर्मा, एसपी बबूटा और बलदेव गर्ग रहे - हालाँकि वह भी सफल नहीं हो सके । चेयरमैन बने बिना सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का काम विजय कुमार गुप्ता ने भी किया जो पहले जीते, फिर हारे, फिर जीते । हाल-फ़िलहाल के वर्षों में और भी कई लोग रीजनल काउंसिल में चेयरमैन बने और या बिना चेयरमैन बने ही घर बैठ गए - लेकिन सेंट्रल काउंसिल के लिए उनके नाम की चर्चा नहीं हुई ।
इन सब लोगों के नाम लेने के पीछे उद्देश्य इस तथ्य को रेखांकित करने का है कि हाल-फ़िलहाल के वर्षों में दो तरह की कैटेगरी बनी हैं - एक में उन लोगों के नाम हैं जो सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार बने, फिर वह चाहें जीते या हारे; और दूसरी तरह की कैटेगरी में वह लोग हैं जो सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार हो सकते थे लेकिन जो न तो हुए और न जिनके नाम की चर्चा ही चली । मधु सुदन गोयल इन दोनों में से किसी भी कैटेगरी में नहीं आते हैं - वह अपनी एक अलग कैटेगरी बनाते हैं जिसके सदस्य सेंट्रल काउंसिल के लिए उम्मीदवार तो वास्तव में कभी नहीं बनते, लेकिन जिनके उम्मीदवार बनने की चर्चा हमेशा रहती है । कहने/बताने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए कि इस तीसरी कैटेगरी में मधु सुदन गोयल अकेले सदस्य हैं ।
मधु सुदन गोयल अपने आप को अमरजीत चोपड़ा के 'बड़े खास' के रूप में प्रोजेक्ट करते रहे हैं । इस कारण पहले तो अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने से वह यह कह कर बचते रहे कि उनके उम्मीदवार बनने से कहीं अमरजीत चोपड़ा को जीतने में मुश्किल न हो जाए । कुछेक वर्ष तो मधु सुदन गोयल ने यह कह कर निकाल दिए कि जब अमरजीत चोपड़ा उम्मीदवार नहीं होंगे तब वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे । पिछली बार लेकिन जब अमरजीत चोपड़ा की उम्मीदवारी नहीं आनी थी, तब भी मधु सुदन गोयल की उम्मीदवारी को लेकर हाँ/न की स्थिति बनी रही थी और फिर अंततः उनकी उम्मीदवारी नहीं ही आई । पिछली बार मधु सुदन गोयल ने लोगों को बताया था कि अमरजीत चोपड़ा ने 'इस बार' विजय कुमार गुप्ता को मौका देने की बात कही है और इसलिए 'इस बार' तो वह विजय कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे और अगली बार अपनी उम्मीदवारी अवश्य ही प्रस्तुत करेंगे ।
मधु सुदन गोयल ने पिछली बार तो यहाँ तक दावा किया था कि उनके और विजय कुमार गुप्ता के बीच यह समझौता हुआ है कि 'इस बार' विजय कुमार गुप्ता उम्मीदवार होंगे और अगली बार वह मधु सुदन गोयल की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे । विजय कुमार गुप्ता लेकिन इस तरह का कोई समझौता होने की बात से इंकार करते हैं । विजय कुमार गुप्ता का साफ कहना है कि अगली बार अपनी उम्मीदवारी से उनके पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता है । मधु सुदन गोयल हालाँकि विजय कुमार गुप्ता के इस रवैये का तो जबाव देते हैं और कहते हैं कि बात विजय कुमार गुप्ता की नहीं है बल्कि अमरजीत चोपड़ा की है : अमरजीत चोपड़ा यदि मधु सुदन गोयल का समर्थन करेंगे तो वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे । अमरजीत चोपड़ा को 'जानने' का दावा करने वाले लोगों का कहना लेकिन यह है कि अमरजीत चोपड़ा कई उम्मीदवारों को समर्थन का झाँसा दिए रहने का काम करते हैं इसलिए वह एक अकेले मधु सुदन गोयल के साथ खड़े नहीं दिखेंगे और इस कारण से मधु सुदन गोयल उनसे हरी झंडी मिलने का इंतजार ही करते रह जायेंगे ।
मधु सुदन गोयल को लेकिन विजय कुमार गुप्ता के कई एक नजदीकियों से उम्मीदवारी प्रस्तुत करने को लेकर जरूर सलाह और उकसावा मिल रहा है । पिछली बार विजय कुमार गुप्ता का साथ देने वाले कई लोग उनसे नाराज दिख रहे हैं और उनका कहना है कि मधु सुदन गोयल यदि उम्मीदवार होते हैं तो वह कई ऐसे लोगों का समर्थन हासिल कर लेंगे जो पिछली बार विजय कुमार गुप्ता के साथ थे । इनका भी तथा कुछेक अन्य लोगों का भी मानना और कहना है कि मधु सुदन गोयल यदि उम्मीदवार बनते हैं और अपनी सक्रियता दिखाते हैं तो अभी ढुलमुल नजर आ रहे अमरजीत चोपड़ा भी उनकी मदद कर सकेंगे । 
मधु सुदन गोयल इस मामले में तो खुशकिस्मत हैं कि उनकी उम्मीदवारी को कई समर्थक मिल रहे हैं - समस्या लेकिन उनकी खुद की है । उन्हें नजदीक से जानने वालों का मानना और कहना है कि मधु सुदन गोयल अपनी उम्मीदवारी की चर्चा तो बनाये रखेंगे, किंतु उम्मीदवार बनने का साहस नहीं करेंगे । इस तरह की बातें विजय कुमार गुप्ता के कानों में शहद-सा घोलती हैं - क्योंकि विजय कुमार गुप्ता भी जानते/समझते हैं कि मधु सुदन गोयल यदि सचमुच उम्मीदवार बने, तो उन्हीं को नुकसान पहुँचायेंगे ।