गाजियाबाद । जेके गौड़ ने
अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह में डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स की भीड़
जुटा कर काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में अपने अलग-थलग पड़ने संबंधी बातों को गलत
साबित करने की जो कोशिश की, वह उन्हें उल्टी पड़ गई है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ के
अलग-अलग रूपों में दिए गए निमंत्रण का डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स ने
कोई लिहाज नहीं किया और उनके निमंत्रण को कोई तवज्जो नहीं दी और उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह से दूर ही रहे ।
जेके गौड़ ने अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह का ईमेल से भी निमंत्रण भेजा,
निमंत्रण पत्र की हॉर्ड-कॉपी भी भेजी और व्यक्तिगत रूप से भी सभी को फोन भी
किए - लेकिन डिस्ट्रिक्ट का कोई पूर्व गवर्नर उनके कार्यक्रम में नहीं
फटका । सिर्फ 'वही' दो पूर्व गवर्नर - मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल उनके
कार्यक्रम की शोभा बने - जिन्हें उनकी 'दुर्गति' के लिए जिम्मेदार
माना/बताया जाता है ।
उल्लेखनीय है कि जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट में
'एक रोटेरियन' या 'एक गवर्नर मैटेरियल' के रूप में नहीं, बल्कि मुकेश
अरनेजा और रमेश अग्रवाल के 'एक एजेंट' के रूप में देखा/पहचाना जाता है । कई
बार इस तरह की बातें चर्चा में आई हैं कि जेके गौड़ को अलग-अलग लोगों ने
समझाया है कि अब वह गवर्नर वाली कैटेगरी में हैं, और इसलिए उन्हें गवर्नर
के पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए और अपने आप को इस तरह से पेश नहीं करना
चाहिए जिससे लगे कि वह गवर्नर नहीं, बल्कि मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल
के एक 'चंपू' भर हैं । लोगों ने उनसे कहा है कि उन्हें मुकेश
अरनेजा और रमेश अग्रवाल से नजदीकी रखनी है तो जरूर रखें; उनकी राजनीति को
सपोर्ट करना है तो जरूर सपोर्ट करें - लेकिन ऐसा करते हुए अपने आत्मसम्मान
और अपनी पोजीशन को न खोयें और दूसरों को आभास दें कि उनके साथ आपके बराबर
वाले संबंध हैं । जेके गौड़ लेकिन इस तरह की समझाइसों पर ध्यान नहीं दे
सके और बार-बार अपने आपको मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के एक 'दरबारी' की
तरह ही पेश करते रहे हैं । दरअसल इसीलिए डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स के
बीच उनकी कोई 'औकात' नहीं बन सकी है ।
मजे की बात यह है कि रमेश अग्रवाल के क्लब के अधिष्ठापन समारोह
में पहुँचने में पूर्व गवर्नर्स ने कोई परहेज नहीं किया, लेकिन जेके गौड़ के
क्लब के अधिष्ठापन समारोह से वह दूर रहे - जबकि वास्तविक विरोध उनका
रमेश अग्रवाल के साथ है; जेके गौड़ से तो उनका विरोध सिर्फ इस बात का है कि
जेके गौड़ हमेशा ही रमेश अग्रवाल की 'सेवा में' रहते हैं । जेके गौड़ की
'औकात' की पोल पहली बार सीओएल के चुनाव में खुली थी, जिसमें जेके गौड़ ने
बहुत ही बेशर्म तरीके से रमेश अग्रवाल को वोट दिलवाने का काम किया था ।
रमेश अग्रवाल की मदद और भी कई लोगों ने की थी - लेकिन उन्होंने अपने पद और
अपनी पहचान की प्रतिष्ठा को बचाये रखते हुए उनकी मदद की थी; जेके गौड़ ने
लेकिन अपने पद की प्रतिष्ठा और गरिमा को तार-तार करते हुए रमेश अग्रवाल के
लिए काम किया । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग्स के कई उदाहरण हैं जिनमें मुकेश अरनेजा या
रमेश अग्रवाल द्धारा उठाये गए मुद्दों का एक जेके गौड़ को छोड़ कर किसी ने भी
समर्थन नहीं किया । कुछेक पूर्व गवर्नर्स मजाक में कहते भी हैं कि काउंसिल
ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग्स में जेके गौड़ तो बस मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल को ही देखते रहते हैं और यह दोनों जो भी कहते हैं बस उसी को दोहराने का काम करते हैं । रमेश अग्रवाल के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में तो लोगों ने एक अद्भुत नजारा देखा - मुकेश अरनेजा और
रमेश अग्रवाल ने समारोह-स्थल के गेट पर आगंतुकों का स्वागत करने की ड्यूटी
जेके गौड़ की लगाई हुई थी और जेके गौड़ हाथ जोड़े ड्यूटी निभा रहे थे । यह
नजारा देख कई लोगों को कहते हुए सुना गया कि 'कुत्तागिरी की भी हद होती है;
क्लब रमेश अग्रवाल का, अधिष्ठापन समारोह रमेश अग्रवाल के क्लब का, आने
वाले मेहमान रमेश अग्रवाल के और उनके क्लब के - गेट पर हाथ जोड़े खड़े जेके
गौड़ का यहाँ क्या काम है ?'
दरअसल इसी तरह की हरकतों के चलते जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट में न
आम रोटेरियंस के बीच और न पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच वह पहचान और
प्रतिष्ठा मिल सकी जो उनका हक़ है और जो उन्हें मिलना ही चाहिए । जेके गौड़ की बदकिस्मती यह है कि जिन मुकेश अग्रवाल और रमेश अग्रवाल की ड्यूटी बजाने के कारण डिस्ट्रिक्ट में उनकी बदनामी है, उन मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के साथ 'दिखने' में तो पूर्व गवर्नर्स को आपत्ति नहीं होती है - किंतु जेके गौड़ से वह दूर ही रहना चाहते हैं ।
रोटरी में किसी भी डिस्ट्रिक्ट में शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर इलेक्ट अपने क्लब के एक महत्वपूर्ण आयोजन में निजी सक्रियता के साथ
डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स को आमंत्रित करे और जिनके साथ उसके बदनामी
भरे संबंध हैं उन्हें छोड़ कर कोई भी उक्त आयोजन में न पहुँचे । रोटरी
में संबंधों का यह ढोंग यूँ तो खूब देखा जाता है कि एक-दूसरे के प्रति
विरोध का भाव रखने वाले दिखावा लेकिन यह करते हैं जैसे उनके बीच न जाने
कितने मान-सम्मान के संबंध हैं । जेके गौड़ के साथ किंतु डिस्ट्रिक्ट के
पूर्व गवर्नर्स यह दिखावा तक करने को तैयार नहीं हुए हैं ।
जेके गौड़ के लिए फजीहत की बात यह हुई है कि एक तरफ तो
डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स उनके कई कई बार दिए गए निमंत्रणों के बावजूद
उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह में नहीं पहुँचे और दूसरी तरफ गाजियाबाद के
भी कई प्रमुख रोटेरियंस उनके उक्त समारोह से दूर दिखे । उनके क्लब के
अधिष्ठापन समारोह से दो दिन पहले हुए शरत जैन के क्लब के अधिष्ठापन समारोह
में भी गाजियाबाद के कई क्लब्स के लोग नहीं पहुँचे थे, जिन्हें पहुँचवाने
की जिम्मेदारी जेके गौड़ को सौंपी गई थी । पिछले कुछेक दिनों में
गाजियाबाद में जेके गौड़ के खिलाफ काफी सुगबुगाहट रही है और कई एक मीटिंग्स
में लोगों ने जेके गौड़ के खिलाफ अपनी अपनी भड़ास निकाली है । डिस्ट्रिक्ट
में क्लब से लेकर काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों तक में जेके गौड़ की
ओछी-टुच्ची हरकतों के खिलाफ जो माहौल बना है - उसी का नतीजा है कि जेके गौड़
अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद गाजियाबाद के लोगों को न तो शरत जैन की
उम्मीदवारी के प्रमोशन को लेकर हुए आयोजन में ले जा पाये और न ही अपने क्लब
के आयोजन में ला पाये । डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स ने जेके गौड़ के
क्लब के अधिष्ठापन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम से दूर रहकर यह भी जैसे जता
दिया कि जेके गौड़ को उनकी सही जगह 'दिखाने' के काम में वह भी गाजियाबाद के
रोटेरियंस के साथ हैं ।