Sunday, July 13, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में सीओएल के चुनावी नतीजे को अमान्य घोषित करने के फैसले से लगता है कि योगेश मोहन गुप्ता की कारस्तानियों को सुन-देख कर रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों तथा अन्य प्रमुख लोगों ने भी उनकी नकेल कसने का मन बना लिया है

मेरठ । योगेश मोहन गुप्ता ने वोटों की खरीद-फ़रोख्त के जरिये सीओएल का जो चुनाव जीता था, उसे रोटरी इंटरनेशनल ने अमान्य करार दिया है और दोबारा चुनाव कराने का फैसला सुनाया है । योगेश मोहन गुप्ता ने इस फैसले के लिए राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू को कोसा है । योगेश मोहन गुप्ता ने कुछेक लोगों के बीच कहा/बताया है कि उन्होंने चूँकि कभी भी राजा साबू की चमचागिरी नहीं की है, इसलिए राजा साबू उनसे खुन्नस रखते रहे हैं और राजा साबू ने ही मनमाने तरीके से उनकी जीत को रद्द करवाने का यह फैसला करवाया है । मजे की बात यह है कि सीओएल के चुनाव में योगेश मोहन गुप्ता की जीत के फैसले के खिलाफ रोटरी इंटरनेशनल में जब शिकायत दर्ज करवाई गई थी, तब योगेश मोहन गुप्ता कहा करते थे कि ललित मोहन गुप्ता दरअसल यशपाल दास, शेखर मेहता और मनोज देसाई जैसे लोगों पर भरोसा कर रहे हैं कि ये लोग उनकी शिकायत पर रोटरी इंटरनेशनल में फैसला करवा देंगे; ललित मोहन गुप्ता लेकिन यह नहीं जानते हैं कि रोटरी में इन लोगों के 'बाप' समझे जाने वाले राजा साबू तो मेरे साथ हैं और वह ऐसा कोई फैसला नहीं होने देंगे जिसमें मेरा नुकसान होता हो या मेरी बदनामी होती हो । कल तक राजा साबू के भरोसे अपने नुकसान और अपनी बदनामी के बचने की उम्मीद करने वाले योगेश मोहन गुप्ता अब लेकिन अपने नुकसान और अपनी बदनामी के लिए राजा साबू को ही कोस रहे हैं ।
वैसे तो यह योगेश मोहन गुप्ता का पुराना स्टाइल है कि पहले तो वह हर किसी को अपना खास बतायेंगे और लेकिन जब उनका काम बिगड़ जायेगा तो वह उसी को, जिसे वह अपना खास बता रहे थे, गाली देने लगेंगे । सीओएल के चुनाव के चक्कर में योगेश मोहन गुप्ता का यह स्टाइल जिस तरह बार-बार और जल्दी-जल्दी सामने आया उसने लोगों का खासा मनोरंजन ही किया है । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि सीओएल के चुनाव को लेकर बनी ऑब्जर्वर्स की टीम के लिए योगेश मोहन गुप्ता ने अपनी तरफ से राकेश रस्तोगी का नाम दिया था, लेकिन फिर उन्हीं राकेश रस्तोगी के साथ उनकी गाली-गलौच भरी चिट्ठी-पत्री लोगों ने देखी-पढ़ी । पिछले रोटरी वर्ष में तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल की मनमानियों को देखते/जानते हुए भी योगेश मोहन गुप्ता पहले तो 'सोते' रहे, लेकिन सीओएल के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब चौथे महीने में उनकी नींद खुली और तब उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल में शिकायत की कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में राकेश सिंघल ने सीओएल के चुनाव को लेकर जो टाइम टेबल बनाया, उसके पीछे उनकी सीओएल पद के दूसरे उम्मीदवार को फायदा पहुँचाने की बदनीयत काम रही है ।
मौजूदा रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव रस्तोगी के साथ तो योगेश मोहन गुप्ता ने जो किया, वह और भी दिलचस्प है । संजीव रस्तोगी से उनके संबंध पहले हालाँकि अच्छे नहीं थे, लेकिन संजीव रस्तोगी के गवर्नर-काल में आगे-आगे रहने के लालच में उन्होंने संजीव रस्तोगी से संबंध सुधार लिए थे । संजीव रस्तोगी ने भी पुराने बैर को भूलकर उनसे हाथ मिला लिए थे और उन्हें एक महत्वपूर्ण पद दे दिया था । संजीव रस्तोगी के नजदीकियों ने हालाँकि उन्हें समझाया था कि योगेश मोहन गुप्ता एक अहसानफ़रामोश व्यक्ति हैं इसलिए उनके साथ ज्यादा मेलजोल न रखें, लेकिन संजीव रस्तोगी ने किसी की नहीं सुनी । संजीव रस्तोगी को इसका भुगतान तब भुगतना पड़ा जब सीओएल के चुनाव के संदर्भ में उनके क्लब - रोटरी क्लब मेरठ कैंट - ने ललित मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में जाने का फैसला किया । यह फैसला क्लब की जिस बोर्ड मीटिंग में हुआ था, उसमें संजीव रस्तोगी मौजूद नहीं थे - यह जानते हुए भी योगेश मोहन गुप्ता ने इस फैसले के लिए संजीव रस्तोगी को जिम्मेदार ठहराया और पैसे लेकर फैसला करने/करवाने का आरोप लगा कर क्लब को और संजीव रस्तोगी को बदनाम करना शुरू कर दिया । योगेश मोहन गुप्ता का यह भी एक स्टाइल है कि जिसे वह अपने साथ नहीं पाते हैं उसे वह दूसरे के हाथ 'बिका हुआ' घोषित कर देते हैं ।
किंतु अब वह खुद अपनी जीत को 'खरीदने' के आरोप में फँस गए हैं । सीओएल के उम्मीदवार के रूप में प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं से दबाव डलवा कर तथा पैसे देकर वोट जुटाने के आरोप योगेश मोहन गुप्ता पर जब तक डिस्ट्रिक्ट के लोग लगा रहे थे, तब तक मामला गंभीर नहीं था; किंतु रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय द्धारा इस आरोप को विश्वसनीय मान लेने और उनकी जीत के फैसले को अमान्य करार देने के साथ ही योगेश मोहन गुप्ता के लिए मामला गंभीर हो गया है । रोटरी इंटरनेशनल का फैसला योगेश मोहन गुप्ता को 'रंगेहाथ' पकड़वाने जैसा साबित हुआ है । योगेश मोहन गुप्ता के साथ समस्या यह हुई है कि कोई उनके साथ हमदर्दी तक नहीं दिखा रहा है, और हर किसी को जैसे लग रहा है कि 'पाप का घड़ा' आखिर कब तक बचा रहता - उसे एक न एक दिन तो फूटना ही था । सीओएल के चुनाव में जो लोग उनके साथ थे भी, उन्हें भी मुँह छिपाते हुए देखा/पहचाना जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में योगेश मोहन गुप्ता ने ऐन मौके पर जिस तरह दिवाकर अग्रवाल को धोखा देकर दीपक बाबू की जीत का मार्ग प्रशस्त किया था - वह दीपक बाबू भी योगेश मोहन गुप्ता के प्रति हमदर्दी नहीं दिखा पा रहे हैं ।
योगेश मोहन गुप्ता के साथ जो हुआ है, उससे दीपक बाबू दरअसल डर भी गए हैं । उल्लेखनीय है कि जिन हथकंडों से योगेश मोहन गुप्ता ने जीत प्राप्त की थी, लगभग उन्हीं हथकंडों से जीत प्राप्त करने का आरोप दीपक बाबू पर भी है - और उनकी जीत के खिलाफ आरोप पत्र रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय में विचाराधीन है । दीपक बाबू और उनके शुभचिंतकों व समर्थकों को डर हुआ है कि जैसा न्याय योगेश मोहन गुप्ता के मामले में हुआ है, वैसा ही न्याय उनके मामले में अगर हो गया तो उनकी भी भैंस गई पानी में !
योगेश मोहन गुप्ता के साथ समस्या यह हुई है कि चुनावी जीत के लिए अपनाए गए उनके हथकंडों पर रोटरी इंटरनेशनल ने जो संज्ञान लिया है उससे उनके रोटरी जीवन पर विराम लगने का खतरा पैदा हो गया है । डिस्ट्रिक्ट में उन्होंने तमाम लोगों को अपना दुश्मन बना लिया है - जिन्हें नहीं भी बनाया है, वह उनकी बदनामी देख कर और उनके रवैये की बातें सुन-सुन कर उनसे दूर दूर रहने में ही अपनी भलाई देख रहे हैं । तिकड़मों से सफल होने का योगेश मोहन गुप्ता के पास जो हुनर था - उसे रोटरी इंटरनेशनल ने 'छीन' लिया है । समझा जाता है कि योगेश मोहन गुप्ता की कारस्तानियों को सुन-देख कर रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों तथा अन्य प्रमुख लोगों ने भी उनकी नकेल कसने का मन बना लिया है । इस तरह योगेश मोहन गुप्ता दोनों तरफ से घिर गए हैं - बिना कोई गोरखधंधा किए डिस्ट्रिक्ट में उनके लिए सफल हो पाना मुश्किल है, और गोरखधंधे से पाई सफलता की शिकायत होने पर रोटरी इंटरनेशनल के लोग उनके साथ रियायत करने को तैयार नहीं हैं ।
तो क्या, जैसा कि लोगों को लग रहा है कि, योगेश मोहन गुप्ता के 'पापों का घड़ा' वास्तव में इतना भर गया है कि अब उसके फूटने का समय हो गया है - या योगेश मोहन गुप्ता अपने तिकड़मी हुनर से अभी उसे फूटने से बचा लेंगे ? यह देखना दिलचस्प होगा ।