Monday, July 21, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में सीओएल के चुनाव में निभाई गई अपनी भूमिका को दोहराते हुए जेके गौड़ अब की बार शरत जैन के लिए उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के क्लब्स के लोगों की भीड़ इकठ्ठा करने के काम पे लग गए हैं

नई दिल्ली । शरत जैन के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इकठ्ठा करने का जिम्मा रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ को दिया है । रमेश अग्रवाल ने जेके गौड़ की ड्यूटी उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के क्लब्स के पदाधिकारियों तथा अन्य प्रमुख सदस्यों की उपस्थिति उक्त समारोह में सुनिश्चित करने के लिए लगाई है । रमेश अग्रवाल दरअसल यह जान/सुन कर परेशान हैं कि उत्तर प्रदेश और गाजियाबाद में उनके खिलाफ जो माहौल है, उसके कारण यहाँ के क्लब्स के पदाधिकारी और अन्य प्रमुख सदस्य रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के अधिष्ठापन समारोह के निमंत्रण को अनदेखा कर सकते हैं । रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के अधिष्ठापन समारोह में उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के लोग यदि पर्याप्त संख्या में नहीं पहुँचे तो यह विभाजित डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए प्रस्तुत शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए तगड़ा झटका होगा । दीपक गुप्ता के क्लब - रोटरी क्लब गाजियाबाद - के अधिष्ठापन समारोह में जुटी भीड़ से जो रिकॉर्ड बना है, उसके बाद शरत जैन और रमेश अग्रवाल के लिए अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह में उससे ज्यादा भीड़ जुटाने की चुनौती पैदा गई है । शरत जैन और रमेश अग्रवाल ने इस चुनौती से निपटने की तैयारी जोर-शोर से शुरू कर भी दी है और दीपक गुप्ता के क्लब में आये लोगों से ज्यादा लोगों को लाने की योजना को क्रियान्वित करना शुरू कर दिया है ।
शरत जैन और रमेश अग्रवाल की इस योजना में लेकिन उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के लोग पलीता लगाते दिख रहे हैं । दरअसल शरत जैन का क्लब अभी शरत जैन के क्लब के रूप में नहीं, बल्कि रमेश अग्रवाल के क्लब के रूप में देखा/पहचाना जाता है । रमेश अग्रवाल से चूँकि अलग-अलग कारणों से डिस्ट्रिक्ट के कई लोग परेशान और नाराज हैं; उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के लोगों ने तो अपनी नाराजगी को मुखर रूप से बार-बार प्रकट भी किया है - इसलिए लोगों में उनके क्लब के अधिष्ठापन कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर कोई उत्साह नहीं है । यूँ तो रोटरी क्लब दिल्ली अशोका अच्छा क्लब है और इस क्लब के आयोजनों में - रमेश अग्रवाल की तमाम बदनाम करतूतों के बावजूद - शामिल होने को लेकर दूसरे क्लब्स के लोग उत्सुक और उत्साहित रहते हैं, इसलिए अधिष्ठापन कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों की तो कमी नहीं होगी; चिंतापूर्ण समस्या किंतु उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के क्लब्स के लोगों की उपस्थिति को लेकर है । शरत जैन और रमेश अग्रवाल की चिंता इस बात को लेकर है कि उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के क्लब्स के लोग यदि इस समारोह में नहीं आये, तो इसका शरत जैन की उम्मीदवारी पर प्रतिकूल असर पड़ेगा ।
रमेश अग्रवाल की बदनामी और उनके खिलाफ नाराजगी के कारण शरत जैन को उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद में पहले ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है । यहाँ शरत जैन को कई बार लोगों से सुनना पड़ा है कि वह यदि रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में आते हैं तो यहाँ समर्थन की उम्मीद न करें । शरत जैन के लिए राहत की बात अभी सिर्फ इतनी है कि इस तरह की बातें दूसरे क्षेत्रों के क्लब्स के लोगों तक अभी ज्यादा नहीं पहुँची है । ऐसे में शरत जैन के लिए इस बात पर चिंतित होना स्वाभाविक ही है कि उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह में लेकिन उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के क्लब्स के पदाधिकारी और अन्य प्रमुख लोग यदि नहीं पहुँचे तब फिर उनके लिए इस बात को दूसरे लोगों से छिपा कर रख पाना मुश्किल हो जायेगा और तब उनकी उम्मीदवारी को तो शुरू में ही ग्रहण लग जायेगा ।
किसी उम्मीदवार के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में कितने लोग आते हैं और कौन आते या नहीं आते हैं - इससे उम्मीदवार के जीतने/हारने की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, और इसीलिए कई उम्मीदवार अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं होते हैं । किंतु फिर भी उम्मीदवार के क्लब के अधिष्ठापन समारोह से उम्मीदवार की तैयारी और लोगों तक उसकी पहुँच का अनुमान तो लगता ही है । इसीलिए कई एक उम्मीदवारों को अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह को अच्छे से करना तथा उसमें भीड़-भड़क्का करना जरूरी लगता है । शरत जैन को भी यह जरूरी लग रहा है । विभाजित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद लिए उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार दीपक गुप्ता के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में जुटी भीड़ की वाहवाही सुनने के बाद तो शरत जैन के लिए जरूरी भी हो गया है कि वह उससे अच्छा और 'बड़ा' समारोह करें । शरत जैन जिस तरह से तैयारी में जुटे दिख रहे हैं, उससे लगता है कि वह कर भी लेंगे । इसके बावजूद, शरत जैन का ध्यान इस बात पर ज्यादा है कि उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के सभी क्लब्स के पदाधिकारी भी इस समारोह में मौजूद दिखें - रमेश अग्रवाल के खिलाफ बने हुए माहौल के चलते इसमें कहीं कोई अड़चन न पैदा हो जाये ।
इस अड़चन को दूर करने का जिम्मा जेके गौड़ को दिया गया है । जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट हैं और विभाजित डिस्ट्रिक्ट में वह चार्टर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का रूतबा पायेंगे - इस नाते से उनसे एक बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है; किंतु वह खुद एक 'हरकारे' वाली भूमिका ही रहना चाहते हैं । जेके गौड़ के साथ समस्या यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद तक पहुँचने के रास्ते पर तो वह आ गए हैं लेकिन सोच के स्तर पर और ज़हन के स्तर पर वह 'दलालों' वाली टुच्ची मानसिकता में ही जकड़े हुए हैं - वह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि नियति ने उन्हें जो एक बड़ी भूमिका निभाने का अवसर दिया है, उसे वह टुच्ची किस्म की तिकड़मों में खर्च किए दे रहे हैं । रोटेरियंस ने नाकारा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तो देखे हैं लेकिन छोटी-ओछी हरकतों में अपने आप को खपाने और लगाने वाला गवर्नर वह पहली बार जेके गौड़ के रूप में देख रहे हैं । सीओएल के चुनाव में जेके गौड़ ने जिस तरह से रमेश अग्रवाल की 'चाकरी' की - उससे सिर्फ उन्होंने अपनी भद्द ही पिटवाई और गवर्नर पद की गरिमा को ही कलंकित किया । जेके गौड़ उसी भूमिका को निभाते हुए एक बार फिर दिख रहे हैं । रमेश अग्रवाल ने अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह में उत्तर प्रदेश और गाजियाबाद के लोगों की ज्यादा से ज्यादा उपस्थिति को दिखाने का जो जिम्मा जेके गौड़ को सौंपा है, उसे पूरा करने में वह पूरी तरह से जुट गए हैं । रमेश अग्रवाल के ऑर्डर को पूरा करने के लिए जेके गौड़ उत्तर प्रदेश और खासकर गाजियाबाद के प्रत्येक क्लब के लोगों को रमेश अग्रवाल के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में आने/पहुँचने के लिए तैयार करने के काम को मुस्तैदी से अंजाम देने में लग गए हैं । शरत जैन की उम्मीदवारी शुरू में ही कमजोर न पड़े और न 'दिखे' - इसके लिए रमेश अग्रवाल को जेके गौड़ को काम पे लगाना जरूरी लगा है और एक 'आज्ञाकारी सेवक' की तरह जेके गौड़ काम पे लग भी गए हैं ।