नई दिल्ली । शरत जैन की उम्मीदवारी के प्रमोशन में कमी न छोड़ने की रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ की कोशिशों ने दूसरे क्लब्स में लेकिन खासे बबाल पैदा कर दिए हैं । रोटरी
क्लब गाजियाबाद सिटी के 26 जुलाई को होने वाले अधिष्ठापन समारोह को
इन्होंने जिस षड्यंत्रपूर्ण तरीके से स्थगित करवाया, उससे क्लब के सदस्यों
में भारी रोष है; तो दूसरी तरफ रोटरी क्लब दिल्ली विकास में अपने प्रति
नाराजगी को निष्प्रभावी करने के लिए रमेश अग्रवाल ने जो हथकंडा अपनाया उससे
मामला और बिगड़ गया है । रोटरी की चुनावी राजनीति में उम्मीदवार के
क्लब के अधिष्ठापन कार्यक्रम का एक महत्व निश्चित ही होता है - पर
उम्मीदवार और उसके समर्थकों के लिए यह महत्व लोगों के बीच अपनी पहुँच और
स्वीकार्यता को जानने/पहचानने तथा 'जताने' के साथ-साथ अपनी कमजोरियों और
अपनी राह के 'रोड़ों' को पहचानने के संदर्भ में होता है । क्लब के
अधिष्ठापन समारोह के आयोजित होने तक उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी के प्रमोशन
को लेकर कुछ काम कर चुका होता है - अधिष्ठापन समारोह उसके लिए फाइनल
एग्जाम से पहले होने वाले मंथली टेस्ट की तरह; और या किसी प्रोजेक्ट के
सचमुच शुरू होने से पहले के 'ट्रॉयल रन' की तरह होता है - जहाँ वह अभी तक
किए गए अपने प्रयासों के नतीजों को देखता/समझता/पहचानता और 'दिखाता' है - तथा अपनी कमियों/कमजोरियों को भी चिन्हित करता है ।
रमेश अग्रवाल ने लेकिन क्लब के अधिष्ठापन समारोह को शरत जैन की उम्मीदवारी
का फाइनल एग्जाम ही बना दिया है । रमेश अग्रवाल जिस तरह दिन में चार-चार
छह-छह बार ईमेल भेज कर 'आओ' 'आओ' की गुहार लगा रहे हैं, उसने लोगों को बुरी
तरह पका दिया है ।
रमेश अग्रवाल दरअसल कोई कमी नहीं रहने देना चाहते हैं और इसलिए
पूरी मुस्तैदी से जुटे हैं - मुस्तैदी में लेकिन वह इस बात को जैसे भूल
रहे हैं कि उनका मुख्य लक्ष्य क्लब के अधिष्ठापन समारोह को सफल बनाना
नहीं, बल्कि शरत जैन को प्रस्तावित डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर इलेक्ट चुनवाना है; और अधिष्ठापन समारोह को सफल बनाने की मुस्तैदी
में वह वास्तव में शरत जैन की मुख्य लक्ष्य तक पहुँचने की राह में रोड़े
बिछाने का काम कर रहे हैं । सीओएल के अपने चुनाव में भी रमेश अग्रवाल
ने बड़ी मुस्तैदी दिखाई थी, लेकिन नतीजा उन्हें पराजय के रूप में ही मिला ।
सीओएल के चुनाव के एक 'दृश्य' का जिक्र करना यहाँ प्रासंगिक होगा - सीओएल
के लिए नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव में रमेश अग्रवाल को जब आशीष घोष से बुरी
तरह हारने की सूचना मिली तब रमेश अग्रवाल ने आशीष घोष को बधाई देते हुए
कहा था कि अभी तो आप खुश हो लीजिये, लेकिन सीधे चुनाव में तो मैं ही
जीतूँगा । सीधे चुनाव की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई थी, लेकिन रमेश
अग्रवाल ने अपने उस प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार के सामने, जिससे वह अभी अभी ही
'पिटे' थे, दावा करना शुरू कर दिया कि सीधे चुनाव में तो वही जीतेंगे । सीओएल
के चुनाव के संदर्भ में कई लोगों का मानना और कहना है कि रमेश अग्रवाल को
आशीष घोष ने नहीं हराया, बल्कि रमेश अग्रवाल को उसके खुद के अहंकार ने,
उसकी खुद की बेवकूफियों ने और उसके खुद के चीमड़पने ने हराया ।
शरत जैन की उम्मीदवारी के कई एक शुभचिंतकों का मानना और कहना है
कि शरत जैन को रमेश अग्रवाल से मदद तो अवश्य ही लेनी चाहिए और उनके अनुभवों
व संपर्कों का फायदा निश्चित ही उठाना चाहिए, लेकिन साथ ही इस बात का
भी ध्यान रखना चाहिए कि रमेश अग्रवाल की कारस्तानियाँ उन्हें फायदा
पहुँचाने की बजाये कहीं नुकसान तो नहीं पहुँचा रही हैं ? करीब तीन वर्ष
पहले जब रवि चौधरी उम्मीदवार थे तब उन्हें कई लोगों ने समझाया था कि
उन्हें अपने 'समर्थकों' की हरकतों को नियंत्रित करना चाहिए या उनसे अपने आप
को अलग दिखाना चाहिए । रवि चौधरी इस समझाइश पर गौर करने की बजाये अपने
बड़बोले और तिकड़मों को ही हुनर समझने वाले 'समर्थकों' के रंग में रंग गए थे,
जिसका नतीजा यह हुआ कि जिन संजय खन्ना से उन्हें चुनाव जीतना था उन
संजय खन्ना से तीन वर्ष बाद उन्हें खुशामद करनी पड़ रही है कि इस वर्ष तो वह
उन्हें गवर्नर नॉमिनी चुनवा दें । रवि चौधरी के 'समर्थकों' - उनके एक
समर्थक रमेश अग्रवाल भी थे - ने उनका जैसा कबाड़ा किया था, शरत जैन के साथ
भी रमेश अग्रवाल वैसी ही हरकत करते हुए 'दिख' रहे हैं ।
रमेश अग्रवाल ने अपने चेले जेके गौड़ की मदद से रोटरी क्लब गाजियाबाद सिटी के 26 जुलाई को होने वाले अधिष्ठापन समारोह को स्थगित तो करवाया शरत जैन को फायदा पहुँचवाने के इरादे से, लेकिन इसका असर उल्टा पड़ता दिख रहा है । क्लब के सदस्यों में इस बात को लेकर गहरा रोष है कि अपने फायदे के लिए शरत जैन, रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ की तिकड़ी ने उनका आयोजन खराब करवा दिया ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब गाजियाबाद सिटी के पदाधिकारियों ने अधिष्ठापन
समारोह की सारी तैयारी कर ली थी - फोन करके आमंत्रितों को निमंत्रित कर
लिया गया था, निमंत्रण पत्र छपवा लिए गए थे; निमंत्रण पत्र बँटते उससे पहले शरत जैन, रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ की तिकड़ी को इसकी जानकारी मिली तो उन्हें लगा कि इस आयोजन के कारण उनके आयोजन में उपस्थिति कहीं कम न रह जाए, सो वह रोटरी क्लब गाजियाबाद सिटी के आयोजन को स्थगित करवाने की मुहिम में जुट गए । खास बात यह है कि यह क्लब इन्हीं लोगों के समर्थक क्लब के रूप देखा/पहचाना जाता है; इसके बावजूद क्लब के
पदाधिकारियों ने उसी तारीख को अपना आयोजन करने का फैसला किया, जिस दिन शरत
जैन की उम्मीदवारी का प्रमोशन कार्यक्रम है और इन्हें इसकी भनक तक नहीं
लगी । रोटरी क्लब गाजियाबाद सिटी कोई ऐसा बड़ा क्लब नहीं है कि वह शरत जैन के
प्रमोशन कार्यक्रम को कोई नुकसान पहुँचा देता; और फिर शरत जैन को भी यह
देखने/समझने का मौका मिलता कि ऐसे कौन हैं जो उनके यहाँ की बजाये गाजियाबाद सिटी के आयोजन में जाना ज्यादा जरूरी समझते हैं, और तब शरत जैन उन पर और काम कर सकते थे । रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ लेकिन यदि ऐसा होने देते तो फिर अपने टुच्चेपन को कैसे प्रकट करते ?
रोटरी क्लब दिल्ली विकास में तो और भी बड़ा तमाशा हुआ । दिल्ली विकास के लोग पीएचएफ बनाने के मामले में की गई रमेश अग्रवाल की कारस्तानी से बड़े नाराज हैं । उल्लेखनीय है कि रमेश अग्रवाल ने अपने गवर्नर-काल में पीएचएफ की मैचिंग को लेकर जो फार्मूला घोषित किया था, दिल्ली विकास के कई लोगों ने उस मैचिंग के हिसाब से अपने हिस्से की रकम दे दी थी; किंतु रमेश अग्रवाल की
चूँकि रोटरी के काम की बजाए रोटरी की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी थी,
इसलिए वह उन लोगों को पीएचएफ बनाने की कार्रवाई पूरी नहीं करवा सके और एक
से दूसरे और फिर दूसरे से तीसरे चुनाव में व्यस्त रहने के चलते इस काम को बराबर टालते रहे । फिर उनका खुद का सीओएल का चुनाव आ गया । रमेश अग्रवाल ने रोटरी के काम को भी और रोटरी की राजनीति को भी एक 'ब्लैकमेलर' के तरीके से अंजाम दिया है । सीओएल के चुनाव में पीएचएफ के मामले को उन्होंने रोटरी क्लब दिल्ली विकास को ब्लैकमेल करने के जरिये के रूप में देखा/पहचाना और उन्हें बता दिया कि पहले मुझे सीओएल के चुनाव में वोट दो, फिर पीएचएफ बनाऊँगा ।
सीओएल चुनाव लेकिन रमेश अग्रवाल हार गए और अपनी हार का ठीकरा उन्होंने
दिल्ली विकास के लोगों के सिर पर भी फोड़ा । उन्होंने साफ कह दिया कि सीओएल
के चुनाव में चूँकि दिल्ली विकास ने उन्हें वोट नहीं दिया, इसलिए वह दिल्ली विकास के लोगों को पीएचएफ नहीं बनवायेंगे । रमेश अग्रवाल से मिले इस दो-टूक जबाव के बाद दिल्ली विकास के लोगों ने विनोद बंसल से बात की, तो विनोद बंसल ने 'अपने एकाउंट' से उनकी सभी की पीएचएफ की मैचिंग करवा दी । क्लब
के आगरा में हुए अधिष्ठापन समारोह में इस मामले को लेकर क्लब के लोगों ने
विनोद बंसल का तो आभार जताया और रमेश अग्रवाल की जमकर थू-थू की । क्लब के
लोगों ने रमेश अग्रवाल को सबक सिखाने जैसी बातें भी कीं । रमेश अग्रवाल लेकिन अभी भी बाज नहीं आ रहे हैं और
दावा कर रहे हैं कि दिल्ली विकास में उनके कई एजेंट हैं जो जरूरत पड़ने पर
उनके काम आयेंगे । रमेश अग्रवाल का दावा है कि दिल्ली विकास में उनके जो एजेंट हैं वह शरत जैन की उम्मीदवारी के प्रमोशन कार्यक्रम में भी आयेंगे और शरत जैन को वोट भी देंगे/दिलवायेंगे । यह
दावा करते हुए रमेश अग्रवाल लेकिन यह भूल जाते हैं कि दिल्ली विकास में के
उनके एजेंट सीओएल के चुनाव में उन्हें वोट नहीं दिलवा सके थे, और वह चुनाव हार गए थे ।